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बीए सेमेस्टर-4 चित्रकला

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2750
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-4 चित्रकला - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- कला को शिल्प क्यों कहा जाता है? शिल्प, कला से किस प्रकार भिन्न है? स्पष्ट कीजिये।

उत्तर-

सामग्री की कांट-छांट करके उसे कोई रूप देना शिल्प के अन्तर्गत आता है। अंग्रेजी में इसे क्राफ्ट कहते हैं। बढ़ई काष्ठ को काट-छाँट कर अनेक वस्तुएं बनाता है अतः उसका कार्य काष्ठ-शिल्प कहलाता है। मूर्ति, धातु, वास्तु एवं वस्त्र शिल्प आदि इसी प्रकार के अन्य शिल्प हैं। कलाओं का सम्बन्ध मनुष्य के सांस्कृतिक विकास, भावों की सौन्दर्यत्मक अभिव्यक्ति व लोकोतंत्र जीवन से है।

भारतीय दृष्टि से कला और शिल्प में कोई अन्तर नहीं है। गीत, वाद्य, नृत्य, आलेख्य इत्यादि के साथ माला गूँथना, साज-सज्जा, लिपि, कविता इत्यादि शिल्प के अन्तर्गत हैं। सम्भवतः इनमें बौद्धिकता के समावेश से ही इसे उच्च माना गया है। इस प्रकार विकसित कलायें उच्च अथवा श्रेष्ठ मानी जाती हैं। यूरोपीय विचारधारा में सोहलवीं शती तक कला और शिल्प में मेद नहीं किया जा सका। 17वीं शती में ही सौन्दर्यात्मक लक्ष्य से किये गये कार्यों को केवल तकनीकी कुशलता से किये गये कार्यों से भिन्न माना जाने लगा। 18वीं शताब्दी में सौन्दर्यात्मक लक्ष्य से किये गये कार्य को ललित कला और केवल कारीगरी पूर्ण कार्य को उपयोगी कार्यों के साथ प्रयोग किया तथा कला शब्द का प्रयोग समाप्त कर दिया गया।

शिल्प की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

(1) शिल्प एक निश्चित रचना प्रक्रिया है। निर्माण के समय शिल्पी को सामग्री पर की जाने वाली क्रिया पर पूर्ण निश्चित्तता होती है।
(2) शिल्पाकृति के निर्मित रूप एवं उसके निर्माण की प्रक्रिया के विषय में शिल्पी को पूर्ण स्पष्ट जानकारी होती है।
(3) शिल्प में किसी कच्ची सामग्री को उत्पादन में बदल दिया जाता है।
(4) शिल्प में अनेक व्यक्ति परस्पर आश्रित होकर कार्य करते हैं।

अधुनिक युग में कला और शिल्प का प्रभाव आर्थिक तथा मनोवैज्ञानिक पक्षों पर निर्भर है।

 

 

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