बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 राजनीति विज्ञान बीए सेमेस्टर-4 राजनीति विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 राजनीति विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
स्मरण रखने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य
मैरी वोलस्टोनक्राफ्ट का जन्म 27 अप्रैल 1759 को इंग्लैण्ड के स्पिटाफील्ड्स में हुआ था। मैरी वोलस्टोनक्राफ्ट इंग्लिश लेखिका, दार्शनिक थी। इन्होंने महिलाओं के अधिकारों की वकालत की है।
इन्हें नारीवादी दार्शनिक के तौर पर जाना जाता है।
इनका व्यक्तिगत जीवन विवादास्पद रहा, जिसका प्रभाव इनकी रचनाओं व दर्शन पर देखने को मिलता है।
10 सितम्बर 1797 में सोमर्स, टाउन लंदन में 38 वर्ष की उम्र में इनकी मृत्यु हो गई।
अपनी रचना 'विंडिकेशन ऑफ दि राइटस ऑफ वूमन' में वोलस्टोनक्राफ्ट ने महिलाओं के लिये समान अधिकारों व विशेषाधिकारों का समर्थन किया, जो पुरुषों को प्राप्त हो क्योंकि महिलाएँ भी मूलतः मानव है।
वोलस्टोनक्राफ्ट का मानना था कि समाज के पितृ सत्तात्मक सवरूप का कारण महिलाओं की सहनशील भूमिका है।
इन्होंने महिलाओं को दमनकारी पितृ सत्तात्मक लैंगिक भूमिका से स्वतंत्र करने की इच्छा जाहिर की।
इन्होंने उदारवादी नारीवाद के समर्थक लैंगिक न्याय की बात की है।
इन्होंने महिलाओं के लिये जीवन के हर क्षेत्र में समान अधिकारों व समान अवसरों को बढ़ावा देने की वकालत की।
इन्होंने अपनी रचना “Thought on Education of Daughters" में शिक्षा सम्बन्धी विचार प्रस्तुत किये हैं?
यह पुस्तक एक माँ को उत्साहित करती है कि वह अपनी पुत्रियों में बचपन से ही तार्किक सोच आत्म अनुशासन, ईमानदारी और अपनी सामाजिक स्थिति विकसित करने के गुणों को विकसित करें।
इन्होंने एक उपन्यास Marry A Fiction भी लिखा वे पहली महिला लेखिका थी। मैरी वोलस्टोनक्राफ्ट का प्रयास प्रत्येक नारी को शिक्षित करना था।
अमेरिकी क्रांति एवं फ्रांससी क्रांति से प्रभावित थी।
उन्होंने 1790 में एक पम्फ्लेट “विंडिकेशन ऑफ दि राइट्स ऑफ वूमन" लिखा जो एडमंड बर्क को सीधी चुनौती थी।
इनके अनुसार महिलाओं को अपनी बुद्धिमता एवं विशिष्टता पर बल देना चाहियें न कि पति को प्रसन्न करने पर ऊर्जा समाप्त करनी चाहिए।
वोलस्टोनक्राफ्ट की रचना “Thoughts on Education of Daughters” 1787 में प्रकाशित हुई थी।
इस पुस्तक को वास्तविक महत्व 1970 में मिला था।
इनका मानना था कि पुरूष शारीरिक रूप से ज्यादा शक्तिशाली होते हैं परन्तु विवेक और तर्क में महिलायें अत्यधिक शक्तिशाली हैं।
इनके अनुसार मानव विवेकशील तार्किक प्राणी है।
इनका प्रसिद्ध कथन यह था कि विवाह वैधानिक वैश्यावृत्ति है जहाँ महिलायें दासों की भाँति जीवन यापन करती हैं।
इन्होंने लैंगिक समानता की बात व लैंगिक न्याय का आधार रखा।
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