प्राचीन भारतीय और पुरातत्व इतिहास >> बीए सेमेस्टर-4 प्राचीन इतिहास एवं संस्कृति बीए सेमेस्टर-4 प्राचीन इतिहास एवं संस्कृतिसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 प्राचीन इतिहास एवं संस्कृति - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- शिलालेख, पुरातन के अध्ययन में किस प्रकार सहायक होते हैं?
उत्तर-
(1) शिलालेख (अभिलेख) की लिपि भी इतिहासकार की कई प्रकार से सहायता करती है।
(2) शिलालेख भारतीय इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण और विश्वसनीय स्रोत हैं।
(3) हड़प्पा में पायी जाने वाली लिपि भी विशेष सभ्यता को दर्शाती है पर अभी तक उसे सही- सही डीकोड नहीं किया जा सका है।
(4) अशोक के शिलालेखों को लेखन की सबसे शुरूआती प्रणालियों में से एक माना जाता है। अशोक के शिलालेख चाट लिपियों में लिखे गये हैं।
(5) खरोष्ठी लिपि पाकिस्तान क्षेत्र की है, जो सही से बाईं ओर लिखी गई है।
(6) उत्तरांचल में उत्तर में कालसी से लेकर दक्षिण में मैसूर तक शेष साम्राज्य के लिए ब्राह्मी लिपि का प्रयोग किया जाता था।
(7) शिलालेख समकालीन दस्तावेज है जो बाद के प्रक्षेपों से मुक्त है क्योंकि बाद की अवधि में इसमें कुछ जोड़ना असम्भव है। इसलिए यह अपने मूल रूप में है।
(8) पांडुलिपियों को नरम सामग्री जैसे बर्च की छाल, ताड़ के पत्ते, कागज आदि पर लिखा गया था। वे समय के साथ नाजुक हो गये थे और उन्हें अक्सर कॉपी करने की आवश्यकता होती थी और नकल के समय कुछ अप्रासंगिक जोड़ दिये जाते थे और कुछ त्रुटियाँ भी होने लगती थीं। इसलिए इतिहास के बारे में जानकारी का विश्वसनीय स्रोत नहीं माना जाता है।-
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