बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 गृह विज्ञान बीए सेमेस्टर-4 गृह विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 गृह विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 4
डिजाइन
(Design)
अंग्रेजी भाषा के 'डिजाइन' (Design) शब्द के लिए हिन्दी भाषा में नमूना, बनावट, प्रारूप विन्यास और आलेखन आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है। मानव सभ्यता के विकास के साथ ही भवन निर्माण, मूर्तिकला, हस्तकला, चित्रकला आदि में भी विभिन्न प्रकार के नमूनों का विकास हुआ। वस्तुतः आकार, रेखाओं, रंग तथा बनावट को व्यवस्थित एवं कलात्मक रूप प्रदान करना ही डिजाइन कहलाता है। एक अच्छी डिजाइन वस्तुओं में सुन्दरता ला देती है। चूँकि गृहकला भी एक उच्च कोटि की कला है। अतः इसमें भी डिज़ाइन का महत्त्वपूर्ण स्थान है। गोल्डस्टेइन ने डिजाइन को पदार्थों का चयन और व्यवस्था मना है जिसके उद्देश्य वस्तुओं में क्रमबद्धता तथा सुन्दरता लाना होता है। डिजाइन या नमूना मुख्यतः पाँच प्रकार के होते हैं-
1. प्राकृतिक नमूना,
2. ज्यामितीय नमूना
3. रचनात्मक नमूने
4. सजावटी नमूने तथा
5. अमूर्त नमूना
प्राकृतिक नमूने प्राकृतिक वस्तुओं से सम्बन्धित होते हैं जबकि ज्यामितीय नमूना परकाल और पैमानों की सहायता से बनाये जाते हैं। रचनात्मक नमूना आकार, रंग, रूप तथा बनावट से बनते हैं जबकि सजावटी नमूनों के ऊपरी भाग की सुन्दरता पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
रचनात्मक नमूना बनाने के मुख्यतः चार आधार होते हैं। इन नमूनों की अपनी विशेषतायें भी होती हैं परन्तु अनुपयोगी नमूना कभी भी लाभदायक नहीं होता, अतः नमूनों को बनाते समय उनकी उपयोगिता पर ध्यान देना बहुत आवश्यक होता है। सजावटी नमूनों में सजावट सदैव ढाँचे के अनुरूप ही करनी चाहिए और यह सजावट आवश्यकता से अधिक भी नहीं होनी चाहिए। डिजाइन के पाँच आधारभूत सिद्धान्त हैं जिसमें अनुपात के सिद्धान्तों को सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण माना जाता है। अनुपात वास्तव में सम्बन्धों का सिद्धान्त है और यह क्षेत्र के विभिन्न सम्बन्धों को दर्शाता है। अतः गृह सज्जा में इसका व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। गृह सज्जा में माप की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। माप के बिना सही अनुपात भी संभव नहीं है। अतः प्रत्येक सजावट की वस्तुओं में माप का तत्व होना आवश्यक है। इस क्रम में संतुलन भी आवश्यक है क्योंकि यही स्थिरता अथवा शक्तियों का समान वितरण करके विश्राम अथवा शान्ति का भाव उत्पन्न करता है।
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