बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 भूगोल बीए सेमेस्टर-4 भूगोलसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 भूगोल - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 3
संसाधन : अर्थ, अवधारणा एवं वर्गीकरण
(Resources : Meaning, Concept
and Classification)
"संसाधन" शब्द अंग्रेजी के रिसोर्स का पर्याय है जिसका अर्थ है साधन, सम्पत्ति और युक्ति। अंग्रेजी का रिसोर्स शब्द दो शब्दों के योग से बना है, अर्थात् “रि + सोर्स "। रि का अर्थ होता है पुनः पुनर/प्रति तथा सोर्स का अर्थ होता है साधन स्रोत अथवा वह पदार्थ या वस्तु जो कि मनुष्य को पुनः बार-बार सहायता प्रदान करते हैं आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं "संसाधन" कहलाते हैं।
संसाधन की परिभाषा
स्मिथ एवं फिलिप्स के अनुसार - "भौतिक रूप से संसाधन वातावरण की वे प्रक्रियायें हैं जो मानव के उपयोग में आती हैं"।
जेम्स फिशर के शब्दों में - "संसाधन वह कोई भी वस्तु है जो मानवीय आवश्यकताओं और इच्छाओं की पूर्ति करती है।
संसाधनों के प्रकार
संसाधन को विभिन्न आधारों पर विभिन्न प्रकारों में बाँटा जा सकता है; जो नीचे दिये गये हैं-
उत्पत्ति के आधार पर - जैव और अजैव संसाधन
समाप्यता के आधार पर - नवीकरण योग्य और अनवीकरण योग्य संसाधन
स्वामित्व के आधार पर - व्यक्तिगत, सामुदायिक, राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय संसाधन विकास के स्तर के आधार पर संभावी, विकसित भंडार और संचित कोष
उत्पत्ति के आधार पर संसाधनों के प्रकार
जैव संसाधन - वैसे संसाधन जैव संसाधन कहलाते हैं जो जैव मंडल से मिलते हैं।
उदाहरण - मनुष्य, वनस्पति, प्राणिजात, पशुधन आदि।
अजैव संसाधन - वैसे संसाधन अजैव संसाधन कहलाते हैं जो निर्जीव पदार्थों से मिलते हैं।
उदाहरण - मिट्टी, हवा, पानी, धातु, पत्थर, आदि।
समाप्यता के आधार पर संसाधनों के प्रकार
नवीकरण योग्य संसाधन - कुछ संसाधन ऐसे होते हैं जिन्हें हम भौतिक, रासायनिक या यांत्रिक प्रक्रिया द्वारा नवीकृत या पुनः उत्पन्न कर सकते हैं। ऐसे संसाधनों को नवीकरण योग्य संसाधन कहते हैं। उदाहरण- सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल, जीवजंतु, आदि।
अनवीकरण योग्य संसाधन - कुछ संसाधन ऐसे होते हैं जिन्हें हम किसी भी तरीके से नवीकृत या पुनः उत्पन्न नहीं कर सकते हैं। ऐसे संसाधन को अनवीकरण योग्य संसाधन कहते हैं। उदाहरण- जीवाष्म ईंधन, धातु आदि। इन संसाधनों के निर्माण में लाखों वर्ष लग जाते हैं। इसलिए इनका नवीकरण करना असंभव होता है। इनमें से कुछ संसाधनों को पुनः चक्रीय किया जा सकता है, जैसे- धातु। कुछ ऐसे संसाधन भी होते हैं जिनका पुनः चक्रीकरण नहीं किया जा सकता है,
जैसे - जीवाष्म ईधन।
स्वामित्व के आधार पर संसाधनों के प्रकार
व्यक्तिगत संसाधन - वैसे संसाधन व्यक्तिगत संसाधन कहलाते हैं जिनका स्वामित्व निजी व्यक्तियों के पास होता है।
उदाहरण - किसी किसान की जमीन, घर, आदि।
सामुदायिक संसाधन - वैसे संसाधन सामुदायिक संसाधन कहलाते हैं जिनका स्वामित्व समुदाय या समाज के पास होता है।
उदाहरण - चारागाह, तालाब, पार्क, श्मशान, पार्क, श्मशान, कब्रिस्तान, आदि।
राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय संसाधन - वैसे संसाधन राष्ट्रीय संसाधन कहलाते हैं जिनका नियंत्रण अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा किया जाता है। इसे समझने के लिये समुद्री क्षेत्र का उदाहरण लेते हैं। किसी भी देश की तट रेखा से 200 किमी तक के समुद्री क्षेत्र पर ही उस देश का नियंत्रण होता है। उसके आगे के समुद्री क्षेत्र अन्तर्राष्ट्रीय संसाधन की श्रेणी में आता है।
विकास के स्तर के आधार पर संसाधनों के प्रकार
संभावी संसाधन - किसी भी देश या क्षेत्र में कुछ ऐसे संसाधन होते हैं जिनका उपयोग वर्तमान में नहीं हो रहा होता है। इन्हें संभावी संसाधन कहते हैं।
उदाहरण - गुजरात और राजस्थान में उपलब्ध सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा।
विकसित संसाधन - वैसे संसाधन विकसित संसाधन कहलाते हैं जिनका सर्वेक्षण हो चुका है और जिनके उपयोग की गुणवत्ता और मात्रा निर्धारित हो चुकी है।
भंडार - कुछ ऐसे संसाधन होते हैं जो उपलब्ध तो हैं लेकिन उनके सही इस्तेमाल के लिये हमारे पास उचित टेक्नोलॉजी का अभाव है। ऐसे संसाधन को भंडार कहते हैं। उदाहरण - हाइड्रोजन ईंधन। अभी हमारे पास हाइड्रोजन ईंधन के इस्तेमाल के लिये उचित टेक्नोलॉजी नहीं है।
संचित कोष - यह भंडार का हिस्सा होता है। इसके उपयोग के लिये टेक्नोलॉजी तो मौजूद है लेकिन अभी उसका सही ढंग से इस्तेमाल नहीं हो रहा है। उदाहरण-नदी के जल से पनबिजली परियोजना द्वारा बिजली निकाली जा सकती है। लेकिन वर्तमान में इसका इस्तेमाल सीमित पैमाने पर ही हो रहा है।
अतः संसाधन संरक्षण आवश्यक है। जनसंख्या की तीव्र वृद्धि से नगरीयकरण, औद्योगीकरण और वृक्षों की अन्धाधुन्ध कटाई से पर्यावरण प्रदूषण के साथ-साथ संसाधन भी समाप्त होते जा रहे हैं। पर्यावरण प्रदूषण से भूमि, जल, वायु आदि ने अपनी गुणवत्ता खो दी है। आज पारिस्थितिकी तंत्र में असन्तुलन के कारण ओजोन परत में छिद्र, ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि, जीव विनाश और मानव की कार्य क्षमता में कमी हुई है। इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि हम संसाधनों का संरक्षण करें।
प्राकृतिक संसाधन संरक्षण के उपाय
(1) वनों की अत्यधिक कटाई को नियंत्रित करना चाहिए।
(2) वर्षा के जल की संचयन प्रणाली स्थापित की जानी चाहिए।
(3) सौर, जल और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय संसाधनों के उपयोग को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
(4) कृषि में इस्तेमाल होने वाले पानी को दोबारा उपयोग में लाने की प्रणाली का पालन करना चाहिए।
(5) वन्य जीवों के संरक्षण के लिए जंगली जानवरों का शिकार करना बंद कर दिया जाना चाहिए।
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