बी काम - एम काम >> बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक अर्थशास्त्र बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक अर्थशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक अर्थशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय 14 - एकाधिकार : आशय, कीमत निर्धारण तथा फर्म / उद्योग का साम्य
(Monopoly : Meaning, Price Determination and Equilibrium of Firm / Industry)
एकाधिकार का शाब्दिक अर्थ है अकेला विक्रेता, ऐसी स्थिति जिसमें पूर्ति पर किसी एक विक्रेता का अधिकार या नियंत्रण हो। बाजार की विभिन्न स्थितियों में एकाधिकार पूर्ण प्रतियोगिता की ठीक विपरीत स्थिति है। यह बाजार की वह स्थिति है जिसमें बाजार की पूर्ति का नियंत्रण पूर्णतः एक व्यक्ति के हाथ में होता है। ऐसी स्थिति में उत्पादक किसी वस्तु का उत्पादक अकेला होता है जिसका कोई नजदीकी प्रतिस्थापन नहीं होता है क्योंकि यदि कोई नजदीकी प्रतिस्थापन हुआ तो प्रतियोगिता की स्थिति आ जायेगी और उस वस्तु की पूर्ति पर उत्पादक का पूर्ण नियंत्रण नहीं रहेगा। किसी वस्तु की पूर्ति पर पूर्ण नियंत्रण के लिए यह भी आवश्यक है कि उस वस्तु के क्षेत्र में प्रवेश की बाधा हो अथवा अन्य कारण प्रतियोगिता को पूर्ण रूप से समाप्त करें जो एकाधिकार है। इस प्रकार से स्पष्ट है कि एकाधिकार का आशय केवल अकेली विक्रेता से नहीं बल्कि उससे आशय ऐसे अकेले विक्रेता से है जिसकी उत्पादित वस्तु का न कोई नजदीकी प्रतिस्थापन हो, न उसे किसी भी अंश में प्रतियोगिता का सामना करना पड़े और न उसे किसी भी प्रकार के प्रतियोगिता का भय ही हो।
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