बी काम - एम काम >> बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक अर्थशास्त्र बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक अर्थशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
|
5 पाठक हैं |
बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक अर्थशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय 13 - पूर्ण प्रतियोगिता : आशय, कीमत तथा उत्पादन निर्धारण
(Perfect Competition : Meaning, Price and Output Determination)
पूर्ण प्रतियोगिता एक ऐसी बाजार स्थिति है, जिसमें किसी समान वस्तु के लिए विक्रेताओं की संख्या बहुत बड़ी होती है। व्यक्तिगत रूप से न तो कोई क्रेता और न कोई विक्रेता इतना शक्तिशाली होता है कि वह मूल्य को प्रभावित कर सके। बाजार की कुल माँग में एक क्रेता की और कुल पूर्ति में एक विक्रेता की हिस्सेदारी नगण्य होती है। पूर्ण प्रतियोगिता की स्थिति में मूल्य का निर्धारण बाजार की शक्तियाँ अर्थात् वस्तु की माँग और पूर्ति द्वारा किया जाता है। इस बाजार स्थिति में बाजार की शक्तियों अर्थात् कुशलता का सबसे अच्छा स्तर प्राप्त होता है। पूर्ण प्रतियोगिता की स्थिति को और अधिक स्पष्ट करने के लिए श्रीमती जोन रॉबिन्सन की परिभाषा की सहायता ली जा सकती है। उनके अनुसार, “पूर्ण प्रतियोगिता तब पायी जाती है जब प्रत्येक उत्पादक के उत्पादन के लिए माँग पूर्णतः लोचदार होती है।” इसका अर्थ है प्रथम विक्रेताओं की संख्या अधिक होती है, जिससे कि किसी एक विक्रेता (उत्पादक) का उत्पादन उस वस्तु के कुल उत्पादन का एक बहुत ही थोड़ा भाग होता है। जब दूसरे सभी किसी प्रतियोगी विक्रेताओं के बीच चुनाव करने की दृष्टि समान होते हैं, जिससे की बाजार मूल्य निर्धारण हो।
|