बी काम - एम काम >> बीकाम सेमेस्टर-2 वित्तीय लेखांकन बीकाम सेमेस्टर-2 वित्तीय लेखांकनसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीकाम सेमेस्टर-2 वित्तीय लेखांकन - सरल प्रश्नोत्तर
महत्त्वपूर्ण तथ्य
कार्टर के अनुसार - "तलपट उन डेबिट तथा क्रेडिट बाकियों की एक सूची है जो खाता बही के खातों से निकाली जाती है तथा इसमें रोकड़ बही की रोकड़ तथा बैंक बाकियाँ भी शामिल की जाती हैं।"
बी० जी० बिकरी के अनुसार - “प्रत्येक सौदे के दोनों रूपों को लिखना होता है। एक को डेबिट तथा दूसरे को क्रेडिट किया जाता है। यदि एक विवरण पत्र बनाया जाये जिसे तलपट कहा जाता है तथा जिसमें खाता बही में दिये गये लेखों के डेबिट व क्रेडिट के जोड़ों को लिखा जाये तो इसके डेबिट व क्रेडिट दोनों खातों का जोड़ बराबर होगा।"
रोलैण्ड के अनुसार - "बाकियों की जुड़ी हुई तथा मिली हुई अन्तिम सूची को तलपट कहते हैं।"
स्पाइसर एवं पैगलर के अनुसार - “यदि एक निश्चित तिथि पर समस्त पोस्टिंग पूरे हो जाते हैं अर्थात् प्रत्येक सौदे का दोहरा लेखा पूर्ण हो जाता है तो बाकियों की यदि एक सूची बनाई जाती है, उसे तलपट कहा जायेगा ।"
तलपट बनाने के उद्देश्य
खातों की गणित सम्बन्धी शुद्धता की जाँच करना
खातों को बन्द करके शेषों का एक संक्षिप्त विवरण प्राप्त करने हेतु
अन्तिम खाते तैयार करना
खातों को बन्द करना
दोहरा लेखा प्रणाली के प्रयोग की जानकारी प्राप्त करना
तुलनात्मक अध्ययन करना
तलपट बनाने की विधियाँ
शेष विधि - इस विधि से तलपट तैयार करते समय सबसे पहले प्रत्येक खाते के शेष निकाले जाते हैं। तलपट में सम्बन्धित खाते का ऋणी शेष ऋणी शेष के कालम में और धनी शेष के कालम में लिखते हैं। जिस खाते का दोनों पक्षों का योग बराबर होता है उस खाते को तलपट में नहीं दिखाते हैं। शेष विधि एक व्यावहारिक विधि है।
योग विधि - इस विधि में सबसे पहले प्रत्येक खाते के दोनों पक्षों का योग लगाया जाता है। तलपट में खाते का नाम लिखकर उसके सामने उसके ऋणी पक्ष को योग ऋणी पक्ष के खाने में और धनी पक्ष का योग धनी पक्ष के खाने में लिख दिया जाता है। अब यदि तलपट के दोनों पक्षों का योग बराबर आता है और यह योग जर्नल के योग से मिल जाता है तो यह बात निश्चय है कि जर्नल की सभी प्रविष्टियों की खतौनी खाता बही में ठीक-ठीक हो गई है।
शेष योग विधि - तलपट में खातों के शेष तथा योग दोनों को ही दर्शाया जाता है। इसके लिये तलपट में चार कालम धनराशि के होते हैं। प्रत्येक खाते के सामने पहले दो खाने ऋणी शेष और धनी शेष तथा फिर दो खाने ऋणी योग और धनी योग के होते हैं। प्रत्येक खाते का पहले ऋणी शेष या धनी शेष लिखते हैं इसी प्रकार फिर उसी खाते का ऋणी योग और धनी योग लिखते हैं।
समान योग वाले खातों को छोड़कर अन्य खातों की योग विधि - तलपट बनाने की यह विधि दूसरी विधि से मिलती-जुलती है । अन्तर केवल इतना है कि पहली विधि में जहाँ सब योगों के साथ उन खातों के योग भी दिखाये जाते हैं जिन खातों के दोनों पक्षों के योग समान आते हैं। परन्तु इस विधि में ऐसे खातों को छोड़ दिया जाता है जिनके दोनों पक्षों का योग समान आता है। अर्थात् केवल शेष खातों को तलपट में दिखाते हैं। इस विधि में अशुद्धियों या भूल-चूक का पता लगाना कठिन होता है।
वे अशुद्धियाँ जिनका प्रभाव तलपट के योग पर नहीं पड़ता
भूल-चूक की अशुद्धियाँ या छूट जाने वाली अशुद्धियाँ
सैद्धान्तिक अशुद्धियाँ
क्षतिपूरक अशुद्धियाँ
हिसाब या लेखा सम्बन्धी अशुद्धियाँ
तलपट द्वारा ज्ञात होने वाली अशुद्धियाँ
प्रारम्भिक लेखे की पुस्तकों का योग लगाते समय या योग आगे ले जाते समय अशुद्धि का हो जाना।
प्रारम्भिक लेखे की पुस्तक से खाता बही में खतौनी करते समय ऋणी पक्ष की खतौनी धनी पक्ष में अथवा धनी पक्ष की खतौनी ऋणी पक्ष में किये जाने पर अशुद्धि का हो जाना।
प्रारम्भिक लेखे की पुस्तकों से खतौनी करते समय गलत, कम या अधिक धनराशि के लिखे जाने पर अशुद्धि का हो जाना।
खतौनी करते समय एक खाते में तो खतौनी ठीक-ठीक हो जाना परन्तु सम्बन्धित दूसरे खाते में खतियाने से रह जाना।
तलपट में खातों के योग या शेष को लिखने से भूल जाना।
खातों के धनी योग को अथवा शेष तलपट के ऋणी पक्ष में या ऋणी पक्ष को तलपट के धनी पक्ष में उतारने में भूल हो जाना।
किसी खाते के योग या शेष निकालने में अशुद्धि का हो जाना।
खतौनी करते समय किसी खाते में एक राशि को दो बार खतियाना।
तलपट का योग लगाने में अंशुद्धि का हो जाना।
रोकड़ बही के रोकड़ शेष, बैंक शेष तथा बट्टा को तलपट में लिखने से भूल जाना।
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