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बीकाम सेमेस्टर-2 वित्तीय लेखांकन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2732
आईएसबीएन :0

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बीकाम सेमेस्टर-2 वित्तीय लेखांकन - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय - 4  भारतीय लेखांकन मानक

(Indian Accounting Standards) 

व्यापारिक लेन-देनों एवं घटनाओं के मापन, व्यापारिक व्यवहार एवं प्रकटीकरण के विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित सरकार द्वारा प्रमाणित, विशेषज्ञ लेखांकन संस्था द्वारा निर्गमित नीतिगत प्रपत्रों को ही लेखांकन प्रमाप कहते हैं।

कोहलर के अनुसार - "लेखांकन प्रमाप व्यवहार का एक माध्यम है जो पेशेवर संस्थाओं, परम्पराओं व कानून द्वारा लेखापालकों पर लागू किया जाता है।

लेखांकन प्रमाप की आवश्यकता

लेखांकन की मान्यतायें, विचारधारायें तथा लेखांकन सिद्धांत लेखांकन के लिये एक आधार का निर्माण करते हैं तथा ये लेखांकन कार्यो में प्रयोग किये जाने वाले नियमों को निर्धारित करते हैं। लेकिन इन नियमों के प्रयोग के सम्बंध में संस्थाओं पर कोई बंधन या दबाव नहीं होता है वरन् इनका प्रयोग जनसाधारण पर निर्भर करता है यदि लेखापालक इन आधारभूत मान्यताओं व अवधारणाओं पर आधारित नियमों में परिवर्तन करना चाहते हैं, तो ऐसा करने के लिये वे पूर्ण स्वतंत्र होते हैं।

इन सिद्धांतों में परिवर्तन करने अथवा अपने लिये अलग नियम बनाने तथा लेखांकन के लिये प्रचलित वैकल्पिक रीतियों में से किसी भी रीति के प्रयोग की स्वतंत्रता ने भिन्न-भिन्न प्रकार के व्यवहारों को जन्म दिया। इसके परिणामस्वरूप विभिन्न संस्थाओं के वित्तीय परिणामों की तुलना नहीं की जा सकती इन्हीं कारणों से लेखांकन सिद्धांतों एवं व्यवहारों में सरलीकरण एवं प्रमापीकरण की आवश्यकता अनुभव की गयी ।

अतः लेखांकन व्यवहारों की जटिलताओं को दूर करने, उनमें विश्वसनीयता एवं प्रामाणिकता लाने तथा वित्तीय विवरणों को तैयार करने एवं प्रस्तुत करने में समानता लाने के उद्देश्य से लेखांकन प्रमापों का महत्व सर्वाधिक है। आंतरिक एवं बाह्य बंधनों पर आधारित इन लेखांकन प्रमापों का प्रमुख उद्देश्य संस्था के लेखांकन कार्यों के लिये एक आधार तैयार करना है ।

लेखांकन प्रक्रियाओं एवं सिद्धांतों के सरलीकरण एवं प्रमापीकरण का मुख्य उद्देश्य यह निर्धारित करना है कि वित्तीय विवरणों को निर्धारित प्रमापों के अनुसार तैयार किया जाये तथा वित्तीय सूचनाओं को प्रस्तुत करने के लिये भिन्न-भिन्न संस्थाओं द्वारा प्रयोग की जाने वाली लेखांकन नीतियों में एकरूपता लायी जाये ताकि वित्तीय लेखों को सरल व तुलनीय बनाया जा सके।

लेखांकन प्रमाप बोर्ड

इन्स्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउन्टैण्ट्स ऑफ इंडिया (आई०सी०ए०आई०) द्वारा 21 अप्रैल 1997 को लेखांकन प्रमाप बोर्ड की स्थापना भारत में लेखांकन नीतियों के प्रयोग में व्यवहारिकता समरूपता लाने तथा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर लेखांकन क्षेत्र में विकास करने के उद्देश्य के साथ की गयी। यह संस्था अंतर्राष्ट्रीय लेखांकन प्रमाप समिति की सदस्य है।

लेखांकन प्रमाप बोर्ड का प्रमुख कार्य भारत में लेखांकन प्रमापों को विकसित करना तथा उन्हें व्यावहारिक बनाना है। लागू किये गये लेखांकन प्रमापों का समय: समय पर पुनः निरीक्षण करना तथा उसमें बदलती हुयी परिस्थितियों के अनुरूप आवश्यक संशोधन का कार्य भी इस बोर्ड के कार्य-क्षेत्र में आता है।

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