बी ए - एम ए >> बीए बीएससी बीकाम सेमेस्टर-2 प्राथमिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य बीए बीएससी बीकाम सेमेस्टर-2 प्राथमिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए बीएससी बीकाम सेमेस्टर-2 प्राथमिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 3
श्वसन तंत्र से संबंधित प्राथमिक सहायता
(First Aid Related with Respiratory System)
आक्सीजन मानव जीवन की प्राण वायु है। यह सभी जीवधारियों के जीवन का आधार है। यही प्राण वायु हमारे शरीर के भीतर प्रवेश करके हमारे शरीर के अन्दर कार्बोहाइड्रेट का आक्सीकरण करके हमें ऊर्जा प्रदान करती है। अतः श्वसन तंत्र हमारे जीवन के लिए आधार है। बिना श्वसन के मानव जीवन संभव नहीं है।
वस्तुतः श्वसन के मुख्यतः निम्न भाग हैं-
(1) ऊपरी श्वसन,
(2) निचला श्वसन
ऊपरी श्वसन के मुख्य अंग नाक, मुँह, ग्रसनी एवं कण्ठ हैं जबकि निचले श्वसन में श्वासनली, श्वसनी तथा फेफड़े आते हैं। नासिका प्रथम श्वसन अंग है और मुख द्वितीयक श्वसन अंग है जो मुख गुहा से प्रारम्भ होकर मुख ग्रसनी में खुलता है। नाक के द्वारा ली गयी वायु अन्य श्वसन अंगों से होकर फेफड़ों में पहुँचती है जहाँ पर गैसों का आदान-प्रदान होता है। इस प्रक्रिया में फेफड़ों के माध्यम से स्वच्छ आक्सीजन हमारे शरीर के सभी अंगों में पहुँचती है और ग्लूकोज का आक्सीकरण करके ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है जबकि अशुद्ध वायु पुनः कार्बन-डाई-आक्साइड के रूप में नासिका के जरिये शरीर से बाहर निकल जाती है। जब तक यह प्रक्रिया चलती रहती है मानव जिन्दा रहता है और जैसे ही यह प्रक्रिया बंद हो जाती है, कुछ ही समय में मानव की मृत्यु हो जाती है।
चूंकि मानव जीवन के लिए श्वसन अत्यंत महत्वपूर्ण है। परन्तु ऐसी अनेक बीमारियाँ हैं जो इस प्रक्रिया को प्रभावित करती हैं। अतः इन रोगों के बारे में जानकारी प्राप्त करना अत्यन्त आवश्यक है ताकि श्वसन तंत्र से संबंधित कोई भी बीमारी जैसे ही शरीर को लगे तुरन्त उसका प्राथमिक उपचार हो सके और रोगी के जीवन की रक्षा की जा सके। कई प्रकार के चोट, दुर्घटनायें, प्रदूषण आदि भी श्वसन क्रिया को प्रभावित करती है। अतः यदि घायल व्यक्ति को सही समय पर प्राथमिक सहायता मिल जाये तो उसके जीवन को बचाया जा सकता है। अतः श्वसन रोगों और श्वसन तंत्र को प्रभावित करने वाली बीमारियों के लिए उपयोगी प्राथमिक चिकित्सा का ज्ञान आवश्यक है।
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