लोगों की राय

बी ए - एम ए >> बीए बीएससी बीकाम सेमेस्टर-2 प्राथमिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य

बीए बीएससी बीकाम सेमेस्टर-2 प्राथमिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2730
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

बीए बीएससी बीकाम सेमेस्टर-2 प्राथमिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय - 15 
आधारभूत यौन शिक्षा

(Basic Sex Education)

यौन शिक्षा मानव के यौन संव्यवहार से संबंधित समस्याओं पर एक शिक्षण चिकित्सा है जिसमें भावनात्मक जिम्मेदारियाँ और संबंध, यौन गतिविधियाँ, सहमति की उम्र मानव यौन, शरीर रचना विज्ञान, प्रजनन अधिकार एवं आयु जन्म नियंत्रण, सुरक्षित यौन संबंध तथा यौन संयम से संबंधित मामलों के बारे में भी जानकारी दिया जाना एवं प्राप्त करना शामिल है। ऐसी यौन शिक्षा जो इन सभी पहलुओं को अपने में समाहित करती है, व्यापक यौन शिक्षा कहलाती है।

यौन शिक्षा का सबसे सरलतम मार्ग माता-पिता एवं अभिभावक हैं। इनके अलावा यह शिक्षा औपचारिक विद्यालयी कार्यक्रमों तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियानों के माध्यम से भी दी जा सकती है।

यौन शिक्षा में महिलाओं तथा पुरुषों के यौन स्वास्थ्य के साथ ही गर्भावस्था, तथा बचाव के बारे में विस्तार से बताया जाता है। इससे युवाओं को यौन संबंधों से होने वाली बीमारियों एवं संक्रमण यथा एच.आई.वी., एस.टी.डी. आदि के प्रति सचेत किया जाता है और इन बीमारियों से बचाव के तरीके भी बताये जाते हैं। इसलिए यौन शिक्षा हर एक बच्चे तथा किशोर को घर या स्कूल में अनिवार्य रुप से दी जानी आवश्यक है।

मानव जनन अंगों में एक जोड़ी वृषण, अधिवृषण, शुक्रवाहिनियाँ, शुक्राशय, मूत्र मार्ग, शिश्न तथा सहायक ग्रंथियाँ मुख्य हैं। प्रत्येक वृषण में जननिक उपकला में शुक्राणु जनन क्रिया द्वारा शुक्राणुओं का निर्माण होता है। ये शुक्राणु अधिवृषण में परिपक्व होते हैं और इनमें गति उत्पन्न होती है। बाद में यौन क्रिया के दौरान यही शुक्राणु महिला के डिम्ब का भेदन करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप स्त्री गर्भावस्था में प्रवेश करती है।

मादा जनन तंत्रों में अण्डाशय, अण्डवाहिनियां, गर्भाशय, योनि तथा बाह्य जननांग एवं सहायक ग्रंथियाँ मुख्य हैं। स्त्री में अण्डाणुओं का निर्माण अण्डाशय में होता है। अण्डाशय ही मादा जनन हार्मोन, प्रोजेस्ट्रान तथा एस्ट्रोजेन का भी स्रावण करता है। अण्डाशय अण्डाणुओं को प्राप्त कर निषेचन होने तक उसका भरण-पोषण करता है। गर्भाशय दोनों अण्ड वाहिनियों के खुलने का स्थान होता है और यहीं पर भ्रूण का परिवर्धन तथा भरण-पोषण होता है।

कोई शिशु लड़का होगा या लड़की, यह स्त्री पर नहीं बल्कि पुरूष पर निर्भर करता है। अतः बच्चे के लिंग के निर्धारण में पुरूष ही निर्णायक होता है।

बालक तथा बालिका की यौवनावस्था के प्रारम्भ को Male तथा Female Puberity कहा जाता है। यह वह अवस्था होती है, जिसमें बालक तथा बालिका प्रजनन क्षमता अर्जित कर लेते हैं। इस अवस्था में उनके कुछ लैंगिक लक्षणों का विकास तथा भावनात्मक एवं संरचनात्मक परिवर्तन होते हैं।

वर्तमान जनसंख्या विस्फोट तथा इसके भयावह परिणामों को देखते हुए यौन शिक्षा बच्चों के जन्म नियंत्रण (Birth Control) पर भी जोर देती है ताकि बच्चों के जीवन को समृद्ध एवं सुखी बनाया जा सके और वे देश के योग्य नागरिक बन सकें।

यौन शिक्षा के क्षेत्र में सबसे बड़ा विवादित प्रश्न समलैंगिकता की शिक्षा को विद्यालयी पाठ्यक्रम में जोड़ा जाये या नहीं, को लेकर है। ध्यातव्य है कि समलैंगिकता में पुरूष - पुरूष तथा महिला-महिला जैसे एक ही लिंगी व्यक्ति संव्यवहार करते हैं। कई शोधों से यह उजागर हुआ है कि समलैंगिक व्यक्तियों में आत्म सम्मान की कमी होती है और ये अवसाद से भी ग्रसित होते हैं और समलैंगिक यौन शिक्षा ऐसे लोगों को अवसाद मुक्त करने में सहायक होगी। परन्तु इस प्रकार की शिक्षा अधिकांश धर्मों में निषिद्ध है और ऐसी मान्यता है कि यदि ऐसी शिक्षा दी जाती है तो अन्य छात्र भी अनुचित विषयों की ओर आकर्षित होंगे।

आज समाज जैसे-जैसे प्रगति कर रहा है वैसे-वैसे और अधिक भौतिकवादी होता जा रहा है जिसका प्रभाव स्त्री-पुरूष के संबंधों पर भी पड़ रहा है। इसी कारण सेक्स उत्पीड़न, बलात्कार तथा दहेज प्रताड़ना एवं वधू को जला डालने तक की घटनायें वीभत्स रूप से सामने आ रही हैं। यद्यपि ये सारे कृत्य दण्डनीय हैं और इनके लिए कठोर दण्ड का भी प्रावधान है फिर भी ये घटनायें कम नहीं हो रही हैं. जो चिन्ता का विषय है।

यौन शिक्षा यौन-संचारी रोगों पर भी ध्यान केन्द्रित करती है और इससे बचाव के उपायों की भी जानकारी देती हैं, क्योंकि एड्स, सिफलिस, गोनोरिया आदि जैसे रोग मानव जीवन के लिए घातक हैं।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book