बी ए - एम ए >> बीए बीएससी बीकाम सेमेस्टर-2 प्राथमिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य बीए बीएससी बीकाम सेमेस्टर-2 प्राथमिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए बीएससी बीकाम सेमेस्टर-2 प्राथमिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 5
घाव तथा चोट से संबंधित प्रथम चिकित्सा
(First Aid Related with Wound and Injuries)
खेलों में चोट लग जाना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। चोटें कभी-कभी खिलाड़ी की अपनी गलती से भी लग जाती हैं और कभी-कभी अंजाने में दुर्घटनावश / कभी-कभी चोटें जानबूझकर भी पहुँचायी जाती हैं। जिसकी अपेक्षा खेलों में नहीं की जा सकती है।
खेल के दौरान लगने वाली चोटों के लिए विभिन्न चिकित्सीय विधि को अपनाया जाता है क्योंकि चोटों की प्रकृति अलग-अलग होती है। प्रकृति के आधार पर चोटों को मुख्यतः दो भागों में विभाजित किया जा सकता है -
1- बाह्य चोटें तथा
2- आन्तरिक चोटें
जो चोटें बाह्य कारणों से लगती हैं, उन्हें बाह्य चोटें कहा जाता है यथा खेल के उपकरणों से लगने वाली चोट जबकि आन्तरिक चोटें खिलाड़ी को आन्तरिक कारणों से लगती हैं यथा स्प्रेन, स्ट्रेन, क्रैम्प आदि। आन्तरिक चोटों का संबंध खिलाडी की शारीरिक दक्षता से होता है। कभी-कभी कट हो जाने पर खिलाडी को घाव भी हो जाता है। कारण, स्थान तथा गहराई के आधार पर घाव दो प्रकार के होते हैं-
(1) खुला या बंद घाव तथा
(2) तीव्र या जीर्ण घाव
खुले घाव वे होते हैं जिनमें अन्तर्निहित ऊतक या अंग उजागर हो जाते हैं। तीव्र घाव वे होते हैं जो एक अनुमानित समय में ठीक हो जाते हैं और पुराने घावों के ठीक होने में अपेक्षाकृत अधिक समय लगता है। प्रत्येक की देखभाल और चिकित्सा भिन्न प्रकार की होती है परन्तु इन सभी में प्राथमिक चिकित्सा काफी महत्वपूर्ण स्थान रखती है। कभी-कभी सिर, छाती तथा पेट के किसी भाग में भी चोट आ जाती है या घाव हो जाता है। इसकी चिकित्सा तथा देखभाल चोट की प्रकृति एवं गंभीरता के हिसाब से की जाती है। मानसिक आघात भी चोट का एक प्रकार है जो मस्तिष्क में चले द्वन्दता के कारण होता है। अतः इसके लिए उपचार के साथ-साथ रोगी की मनोदशा पर ध्यान देना भी आवश्यक होता है।
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