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बीए सेमेस्टर-2 शारीरिक शिक्षा - खेल संगठन एवं प्रबन्धन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2729
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-2 शारीरिक शिक्षा - खेल संगठन एवं प्रबन्धन - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न शारीरिक शिक्षा के सिद्धान्त लिखिये।

उत्तर -

शारीरिक शिक्षा के सिद्धान्त

(1) खाली पेट व्यायाम करना - व्यायाम हमेशा खाली पेट करना चाहिए। इसके लिए सुबह उठकर दीर्घ शंका से निवृत होने के बाद तथा शाम का वक्त बिल्कुल उपयुक्त समय है। भोजन करने के बाद व्यायाम करने से हमारी आंतों तथा पाचन प्रणाली में कई प्रकार के विकार उत्पन्न हो जाते हैं। इससे उत्सर्जन प्रणाली भी बुरी तरह प्रभावित होती है।

(2) शरीर के विभिन्न तंत्रों पर प्रभाव - शारीरिक शिक्षा शरीर के विभिनन तंत्रों को चुस्त दुरुस्त करने पर केन्द्रित होती है। शारीरिक शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जिससे शरीर के विभिन्न संस्थान जैसे—मांसपेशियाँ, रक्त संचार तन्त्र, श्वास क्रिया प्रणाली, पाचन संस्थान, नाड़ी संस्थान तथा विभिन्न ग्रन्थियाँ बखूबी अपना काम करें तथा उचित मात्रा व अनुपात में शरीर के लिए उपयोगी पदार्थों को प्रदान करें।

(3) निपुण प्रशिक्षक से ही शारीरिक शिक्षा प्राप्त करना - शारीरिक शिक्षा एक निपुण प्रशिक्षक से ही लेनी चाहिए क्योंकि शारीरिक रचना एक बहुत ही जटिल मशीन की तरह होती है और जिस तरह मशीन के हर पुर्जे का ज्ञान कारीगर को होना आवश्यक है, उसी प्रकार प्रशिक्षक को भी विभिन्न शारीरिक अंगों और इनकी क्रियाओं का ज्ञान होना जरुरी है।

(4) बीमारी की दशा में कोई व्यायाम नहीं - जब मनुष्य बीमार हो तो उसे कोई कठिन व्यायाम नहीं करना चाहिए। दमा, दिल की बीमारी, दिमाग की रसौली इत्यादि कई रोग हैं जिनमें व्यायाम बिल्कुल ही वर्जित है।

(5) तनाव की हालत में व्यायाम न करना - तनाव की हालत में व्यायाम करना शरीर के लिए उपयोगी नहीं है। बहुत ज्यादा तनाव की हालत में कुछ व्यायाम जैसे - शीर्षासन इत्यादि घातक भी हो सकते हैं।

(6) विश्राम - शारीरिक ट्रेनिंग फिटनेस कार्यक्रम में भाग लेने वाले व्यक्ति को सम्पूर्ण विश्राम लेना भी आवश्यक है तथा रात्रि को भरपूर निद्रा लेनी चाहिए। इससे उसके अंगों की क्षतिपूर्ति होती है। टूट-फूट ठीक होती है, थकावट दूर होती है।

(7) व्यायाम आसान से कठिन हो - जो व्यायाम फिटनेस के लिए किया जाए वह आरम्भ में आसान होना चाहिए तथा धीरे-धीरे उसकी कठिनता बढ़नी चाहिए।

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