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बीए सेमेस्टर-2 शारीरिक शिक्षा - खेल संगठन एवं प्रबन्धन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2729
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-2 शारीरिक शिक्षा - खेल संगठन एवं प्रबन्धन - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- विद्यालयी आय के प्रमुख स्रोतों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर -

विद्यालय चाहे केन्द्र द्वारा अथवा राज्य सरकार द्वारा बनाई हुई किसी पंजीकृत संस्था द्वारा प्रबन्धित हों, उनकी आय का मुख्य स्रोत सरकार ही होती है किन्तु ऐसे विद्यालय जो स्थापित तो निजी संस्था द्वारा किये गये हों किन्तु बाद में सरकार ने ले लिये हों, उनकी एक अक्षय निधि भी होती है तथा भवन, साज-सज्जा सब निजी संस्था द्वारा प्रदान किया हुआ होता है। अधिग्रहण के उपरान्त भवन का रख-रखाव और साज-सज्जा में वृद्धि करना अब सरकारी उत्तरदायित्व बन जाता है।

निजी विद्यालय उपादान भी ग्रहण करते हैं। ये विद्यालय भवन की इमारत के लिए, छात्रावास के लिए, पुस्तकालय के लिए, विद्यार्थी - कल्याण कार्यों के लिए तथा ऐसे ही अन्य कार्यक्रमों के लिए, जिनसे विद्यालयी शिक्षा में सुधार आये, उपादान लेते हैं। किन्तु उपादान सम्बन्धी लेखांकन भी सरकारी नियमों के अनुसार होना आवश्यक है। बहुत से डी० ए० वी० विद्यालयों की प्रगति उपादान के एकत्रित करने और उसका उचित उपयोग करने के कारण ही है।

निजी विद्यालय जिन्हें अनुदान मिलता है उनके आय के स्रोत होते हैं-

(1) अक्षय निधि,
(2) उपादान तथा
(3) अनुदान।

ये विद्यालय किसी संस्था या व्यक्ति द्वारा विद्यालय को स्थापित करने तथा उसका व्यय उठाने के लिए अक्षय निधि प्राप्त करते हैं। यह उनकी अपनी सम्पत्ति होती है।

जिन विद्यालयों को अनुदान नहीं मिलता वह फीस, अक्षय निधि तथा उपादान पर ही निर्भर रहते हैं। उनके स्रोत निश्चित नहीं होते। किन्तु कन्वेंट तथा सार्वजनिक विद्यालय अपनी आवश्यकताओं के अनुसार धनराशि प्राप्त करने में बहुत-कुछ सफल हो जाते हैं। वे पर्याप्त धनराशि अक्षय-निधि और उपादान के रूप में प्राप्त करते हैं और दिन-प्रतिदिन के व्यय को फीस से पूरा करने की चेष्टा करते हैं।

प्राथमिक शिक्षा विद्यालय अनेक राज्यों में स्थानीय निकाय द्वारा संचालित होते हैं। इनकी आय का स्रोत स्थानीय निकाय ही हैं। इन विद्यालयों को ग्राम पंचायत, तथा पंचायत समितियों द्वारा भी वित्तीय सहायता मिलती है। स्थानीय निकाय कुछ निजी विद्यालयों को अनुदान भी देते हैं। बड़े कारपोरेशन कुछ कॉलेजों को भी स्थापित करते हैं और उनकी वित्तीय आवश्यकताओं का पूरा उत्तरदायित्व लेते हैं।

शिक्षा की दुकानें, जो कुछ फीस वसूल करती हैं वह प्रबन्धकों के लिए आय का साधन बन जाती है। परम आवश्यकता इनके प्रशासन को वैधानिक रूप से व्यवस्थित करने की है।

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