बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 शारीरिक शिक्षा - खेल संगठन एवं प्रबन्धन बीए सेमेस्टर-2 शारीरिक शिक्षा - खेल संगठन एवं प्रबन्धनसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 शारीरिक शिक्षा - खेल संगठन एवं प्रबन्धन - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- अन्तःविद्यालय खेल प्रतियोगिता (इण्ट्राम्यूरल) के संचालन प्रणाली की संक्षेप में व्याख्या कीजिये।
उत्तर -
(Conducting Intramural Competitions)
वाँछित परिणाम प्राप्त करने के लिए अन्तः विद्यालय प्रतियोगिता के प्रारम्भ से पहले निम्नलिखित कारकों पर विचार कर लेना चाहिए-
(1) भौगोलिक तथा उपचारीय अवस्थाएँ।
(2) अनुमानित वित्तीय उपलब्धता।
(3) संस्थान का आवासीय, आंशिक आवासीय अथवा गैर आवासीय होना आदि।
(4) समय की उपलब्धता।
(5) उपलब्ध ढाँचागत सुविधाएँ (जैसे—खेल के मैदान, स्तरीय ट्रेक, स्टेडियम, उपकरण नेतृत्व आदि)।
(6) छात्र जिसमें गहरी रुचि रखते हों ऐसी गतिविधियों की पहचान।
इसके पश्चात अन्तः विद्यालय खेल प्रतियोगिता (इण्ट्राम्यूरल) के संचालन में निम्न प्रक्रिया का अनुसरण किया जाता है-
(अ) अन्तःविद्यालय प्रतियोगिताओं के लिए छात्रों को विभाजित करना
(Division of Student Participants for Intramural Competition)
प्रतियोगिता के उद्देश्य से छात्रों को बहुत-सी इकाईयों में बाँटना होगा। इकाई स्वाभाविक रूप से समरूप होनी चाहिए। प्रतियोगिता रोचक हो। उच्च कुशलता वाले खिलाड़ियों को अवश्य छाँटा जाए। या तो कुशल छात्रों को अलग-अलग इकाईयों में समान रूप से बाँटा जाए या फिर उनकी प्रतियोगिताएँ अलग से आयोजित की जाएं अथवा उनको अन्तः विद्यालय प्रतियोगिता ही नहीं खेलने दी जाए क्योंकि कुशल खिलाड़ियों को संस्थान के लिए अन्तर विद्यालय प्रतियोगिता खेलने के लिए अवसर प्रदान करना है।
इकाइयों का गठन मूलतः संस्थान का प्रकृति पर निर्भर करता है—
(i) पूर्णतः आवासीय संस्थानों में - यदि छात्रावासों की संख्या अधिक है तो प्रतियोगिता गैर-छात्रावासीय अथवा अन्तर आवासीय आधार पर आयोजित की जा सकती है। यदि केवल एक ही छात्रावास हो तो प्रतियोगिता विभागीय आधार पर आयोजित की जा सकती है।
(ii) आंशिक आवासीय संस्थानों में - छात्रावास में रहने वालों को विभिन्न टीमों में विभक्त किया जाएगा तथा दैनिक छात्रों (गैर आवासीय) को कुछ टीमों में उनकी संख्या के आधार पर विभक्त किया जाएगा। अब प्रतियोगिता दोनों वर्गों के लिए पृथक् से अथवा दोनों ही वर्गों के मध्य आयोजित की जा सकती है।
(iii) गैर आवासीय संस्थानों में - गैर अवासीय संस्थानों में इकाईयों का गण निम्नलिखित में से किसी भी तरीके से किया जा सकता है-
(क) खास वर्गों के लिए कक्षा के आधार पर जैसे 5वीं कक्षा 6ठीं कक्षा आदि आदि।
(ख) आयुक्रम के आधार पर छात्रों को वरिष्ठ, कनिष्ठ, उपकनिष्ठ आयु के अनुसार विभाजित किया जा सकता है। प्रत्येक खण्ड विशेष के मध्य पृथक् से प्रतियोगिता संचालित की जाती है। यह एक सर्वोत्तम विधि है जिसके द्वारा इकाईयों का गठन किया जाता है तथा इससे अन्तर संस्थान प्रतियोगिताओं के लिए चयन करने में यह बहुत लाभप्रद रहेगा।
(ग) महाविद्यालयों/विश्वविद्यालयों में इकाइयों का गठन या तो कक्षा अथवा संकाय अथवा विभागीय आधार पर किया जाता है।
(ब) अन्तःविद्यालय प्रतियोगिता समिति
(Intramural Competition Committee)
अन्तःविद्यालय प्रतियोगिताओं का आयोजन अन्तःविद्यालय समिति द्वारा किया जाता है। समिति का सामान्यतः गठन इस प्रकार होता है-
अन्तः विद्यालय निदेशक
(शारीरिक शिक्षा निर्माण का अध्यक्ष/वरिष्ठ शिक्षक)
⇓
सहायक निदेशक
(शारीरिक शिक्षा का अन्य शिक्षक)
⇓
सहायक अध्यापक
(कक्षा अध्यापक)
⇓
एक सचिव
(इकाईयों के कैप्टन्स में से निर्वाचित/चुने हुए शिक्षक)
⇓
संयुक्त सचिव
(इकाई के उप-कैप्टनों में से निर्वाचित/चुने हुए)
(i) अन्तःविद्यालय निदेशक (Intramural Director) - इसमें हमेशा शारीरिक शिक्षा संकाय का एक वरिष्ठतम शिक्षक ही होगा।
(ii) सहायक निदेशक (Assistant Director) - शारीरिक शिक्षा संकाय के शेष शिक्षकों में से एक होगा, जोकि निदेशक के सहायक के रूप में नियुक्त किया जाएगा।
(iii) सहायक अध्यापक (Assistant Teacher) - प्रतियोगिता के आयोजित होने के समय निदेशक तथा सहायक निदेशक को कक्षा अध्यापक सहयोग प्रदान करेगा।
(iv) सचिव (Secretary) - इकाईयों के (छात्रावासों) के कप्तानों में से एक अन्तः विद्यालय सचिव का या तो चयन/अथवा निर्वाचन किया जाएगा।
(v) एक संयुक्त सचिव (Joint Secretary) - अन्तःविद्यालय के संयुक्त सचिव का चयन अथवा निर्वाचन इकाईयों (छात्रावासों) के उपकप्तानों में से किया जाएगा। अन्तःविद्यालय समिति का पूर्णदायित्व है कि वह प्रतियोगिता के नियमों तथा विधानों को बनाए। प्रतियोगिता को नियम बनाते समय खेल/क्रीड़ा विशेष के मानक नियमों के साथ-साथ मौजूद अवस्थाओं, परिसर की दशाओं को अवश्य ध्यान में रखना चाहिए। यदि मौजूद मानकों/नियमों में कोई फर्क हो तो प्रतियोगियों को अवश्य सूचित करना चाहिए। यह प्रतियोगिता के सचिव का उत्तरदायित्व है कि वह बैठकों का ब्यौरा तथा प्रतियोगिता परिणामों की तालिका का लेखा-जोखा रखे तथा यदि कोई आपत्तियाँ हों तो उन्हें भी उठाए जिन पर समिति द्वारा निर्णय लिया जाए। समिति का उद्देश्य नेतृत्व की योग्यताओं को विकसित कर आयोजन तथा संचालन की योग्यता का भी विकास करना है तथा निर्णय लेने एवं जिम्मेदारियों को बाँटने की योग्यता का भी विकास करना है तथा छात्रों में अन्तः विद्यालय प्रतियोगिता की भावनाओं को विकसित करना तथा रुचि को बढ़ाना तथा उनमें सभी स्तरों पर भागीदारी के स्तर को बढ़ाना भी होगा।
(स) अन्तःविद्यालय प्रतियोगिता के लिए गतिविधियाँ
(Activities for Intramural Competition)
अन्तः विद्यालय प्रतियोगिताओं के लिए गतिविधियाँ प्रतियोगिता को सम्पन्न कराने के लिए उपलब्ध सुविधाओं, समय वित्त व्यवस्था आदि को ध्यान में रखते हुए छोटे और बड़े खेलों को प्रतियोगिता में शामिल किया जाना चाहिए। प्रतियोगिता के लिए गतिविधियों को तय करते समय छात्रों की रुचि को भी अवश्य ध्यान में रखना होगा।
(द) प्रतियोगिता का समय तथा प्रकार
(Time and Type of Competition)
प्रतियोगिता के लिए सही समय का चयन अध्यापन के समय के बाद रविवारों को किया जाना चाहिए। अन्तःविद्यालय प्रतियोगिता वर्ष भर संचालित करना चाहिए। परन्तु अन्तःविद्यालय के बड़े कार्यक्रम प्रथम एवं द्वितीय सत्र में ही रखे जाएं। आने वाली परीक्षाओं को ध्यान मे रखते हुए तीसरे सत्र में हमेशा हल्के कार्यक्रम आयोजित किए जाएं। प्रतियोगिताओं को नॉक आउट अथवा लीग आधार पर आयोजित करना चाहिए। दूसरे शब्दों में हम यह कह सकते हैं कि प्रतियोगिता के प्रकार टीमों की संख्या तथा उपलब्ध खेल के मैदानों के ऊपर ही निर्भर करते हैं तथा ये समय की उपलब्धता पर भी निर्भर करता है जिसे हम प्रतियोगिताओं के ऊपर लगाना चाहते हैं।
(Officials)
एक दुरुस्त अन्त: विद्यालय कार्यक्रम के लिए सक्षम तथा उत्तरदायी पदाधिकारीगणों का होना आवश्यक है जो कि विद्यालय के कुछ नियमों में पारंगत हों तथा जो प्रतियोगियों के स्तर, कार्यक्रम उद्देश्यों तथा प्रतियोगिता के आयोजनों के दर्शन से भली-भाँति परिचित हों। जिससे कि वे कार्यक्रम में अभिवृद्धि कर सके। वे अपने निर्णय लेने में निष्पक्ष तथा पारदर्शी हों ताकि उनके निर्णयों को प्रतियोगी स्वीकार कर सकें।
(र) स्कोरिंग विधि में अंक प्रणाली
(Point System and Scoring Procedure)
प्रतियोगिता के लिए अंक प्रणाली को इस प्रकार विकसित किया जाए कि वह स्वस्थ प्रतियोगिता के लिए उत्तेजक हो तथा कार्यक्रम के सम्पूर्ण उद्देश्यों की पुष्टि करते हुए रुचि को निरन्तर बनाए रखें, अंक प्रणाली आसानी से लागू करने तथा जल्दी से समझने योग्य होनी चाहिए। इन अवस्थाओं में अंकों को जीत तथा चैम्पियनशिप प्राप्त करने के आधार पर दिए जाने चाहिए। उन्हें लीग अथवा समाप्ति के क्रम पर इकाईयों की भागीदारी आदि के अनुसार देना चाहिए। अन्तः विद्यालय समिति द्वारा अंक प्रणाली अन्तः विद्यालय के प्रारम्भ होने के आरम्भिक सत्र में तय की जानी चाहिए। अंक प्रणाली को नीचे दर्शाए अनुसार विकसित करना चाहिए और आवश्यक हो तो उसमें सुधार भी किए जा सकते हैं-
टीम चैम्पियनशिप में प्रथम स्थान----------10 अंक
टीम चैम्पियनशिप में द्वितीय स्थान------06 अंक
टीम चैम्पियनशिप में तृतीय स्थान--------03 अंक
अथवा
व्यक्तिगत चैम्पियनशिप में प्रथम स्थान-----06 अंक
व्यक्तिगत चैम्पियनशिप में द्वितीय स्थान----04 अंक
व्यक्तिगत चैम्पियनशिप में तृतीय स्थान------03 अंक
अथवा
प्रतिप्रविसादी----------10 अंक
प्रत्येक जीत-----------02 अंक
प्रत्येक ड्रा-------------01 अंक
प्रत्येक हार/पराभव--- 0 अंक
'टीम/व्यक्ति विशेष द्वारा अर्जित अंक इकाई के खाते में जाएंगे। इसमें दो स्कोर शीट होनी चाहिए। इनमें से एक या तो दिन प्रतिदिन टीम द्वारा अर्जित अंकों और दूसरी प्रत्येक इकाई द्वारा अर्जित किए गए अंकों को। एकत्रित कर प्रत्येक इकाई द्वारा अन्तःविद्यालय प्रतियोगिता के अन्त में अर्जित किए गए अंक अन्तःविद्यालय चैम्पियनशिप को तय करेंगे।
(ल) पुरस्कार
(Awards)
प्रत्येक गतिविधियों के विजेताओं को तथा अन्तःविद्यालय चैम्पियनों को किसी न किसी प्रकार का पुरस्कार अवश्य देना चाहिए। अन्तः विद्यालय सम्मान पटल पर छात्रावास/इकाई के साथ-साथ कप्तान तथा उपकप्तान का नाम अवश्य लिखा जाना चाहिए। प्रतियोगिता के चैम्पियन का फोटो अवश्य खींचना चाहिए तथा उसे छात्र सूचना फलक पर प्रदर्शित करना चाहिए ताकि वह विजेता को मान्यता प्रदान करने के साथ-साथ उत्साहवर्धन का सबब बन सके तथा दूसरे छात्रों को भी आने वाले अन्त: विद्यालय प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए प्रेरित कर सकें।
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