बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - कला के मूल तत्व बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - कला के मूल तत्वसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- अनुपात तथा प्रमाण को संक्षेप में बताइये।
उत्तर -
अनुपात और प्रमाण
किसी भी वस्तु अथवा आकृति का स्वतन्त्र रूप से प्रमाण कहलाता है। किन्तु वही अन्य आकृतियों तथा चित्रभूमि के विस्तार से सम्बन्धित होकर अनुपातों में परिवर्तित हो जाता है। इसी प्रकार अंग-प्रत्यंग के अलग-अलग माप प्रमाण कहलाते है। किन्तु सम्पूर्ण शरीर की तुलना में छोटे या बड़े होने पर अनुपात का विचार उत्पन्न करते है। मान लीजिए हम किसी छोटी आकृति को दो गुनी बड़ी करना चाह रहे है तो उसका प्रत्येक अंग उसी अनुपात में अर्थात् दो गुना बड़ा करना पड़ेगा। यदि किसी चित्र भित्ति की ऊँचाई 10 फिट है और हम उस पर 5 फिट ऊँचाई की आकृति बनाते है तो उस आकृति का प्रमाण 5 फिट कहलायेगा जबकि भित्ति से उसका अनुपात आधा माना जायेगा।
अनुपात ने मनुष्य को प्राचीन समय से ही आकर्षित किया है। प्राचीन सभ्यताओं में कुछ अनुपात गणित के आधार पर निश्चित किये गये थे और रहस्यात्मक माने जाते थे।
प्राचीनशास्त्रकारों ने सुन्दर कलाकृतियों के निमार्ण के हेतु आदर्श अनुपात भी बताये हैं।
परन्तु देशकाल एवं परिस्थितियों के अनुसार ये अनुपात बदलते जाते है। आज के कलाकार को प्राचीन अनुपातों का अन्धानुकरण नहीं करना चाहिये। वरन् इनके पीछे छिपे नियमों के आधार पर चित्रण करना चाहिए।
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