बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - कला के मूल तत्व बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - कला के मूल तत्वसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 10
प्रभाविता
(Dominance or Emphasis)
प्रश्न- प्रभाविता का सिद्धान्त क्या है? चित्र में प्रभाविता किस प्रकार दिखा सकते है?
अथवा
प्रभाविता का सिद्धान्त क्या है? चित्र में इसके योगदान का वर्णन कीजिये।
अथवा
प्रभाविता के सिद्धान्त से आप क्या समझते है? अजन्ता के चित्रों में इसका इस्तेमाल बताइये।
अथवा
क्या प्रभाविता चित्र में आकर्षण का केन्द्र बिन्दु है? समझाइये |
अथवा
चित्र में प्रभाविता का क्या महत्व है?
अथवा
चित्र में प्रभाविता के योगदान का वर्णन कीजिये।
अथवा
प्रभाविता के मुख्य तत्व कौन-कौन से है?
उत्तर -
प्रभाविता
चित्र में प्रभाविता का अर्थ महत्व के अनुसार आकृतियों को व्यवस्थित करना अतः दृष्टि प्रभाव को महत्व देना ही प्रभाविता का सिद्धान्त है। जब भी किसी चित्र को देखते है, तो हमारी दृष्टि सहयोजन के महत्व के अनुसार अन्य तत्वों पर या आकृतियों पर जाती है। दर्शक की दृष्टि को आकर्षित करने वाले तत्व के अभाव में चित्र निर्बल रह जाता है चाहे उसमें प्रमाण, सन्तुलन आदि अन्य तत्व क्यो न हो। चित्र में रेखा, रूप, वर्ण, अन्तराल गठन एवं तान आदि का प्रयोग विविधता एवं तनाव उत्पन्न करता है। सन्तुलन एवं सामंजस्य द्वारा इनके परस्पर विरोध को कम किया जाता है। परन्तु इन सभी तत्वों के बीच जो तनाव होता है उसको हटाने में समन्वय स्थापित करने के कार्य हेतु प्रभाविता की आवश्यकता होती है। इस प्रकार प्रभावित चित्र का एक महत्वपूर्ण तत्व है। कलाकार इसके द्वारा सम्पूर्ण चित्र तल पर दर्शक की दृष्टि को केन्द्रित कर सकता है। किसी एक तत्व को महत्व देकर दर्शक की दृष्टि को बिखरने से बचा सकता है।
प्रत्येक सफल कलाकृति में एक आकर्षण का केन्द्र होता है यदि किसी चित्र में अनेक आकृतियाँ हो और सबको समान प्रभाव दिया हो तो हमारे मन पर चित्र का कोई निश्चित प्रभाव नहीं पड़ेगा। निश्चित प्रभाव उत्पन्न करने के लिए यह आवश्यक है कि हम चित्र में किसी एक वस्तु या आकृति को अन्य वस्तुओं या आकृतियों को तुलना में अधिक महत्व व आकर्षण प्रदान करें। ऐसा करने से चित्र में एक आकर्षण बिन्दु अथवा आकर्षण केन्द्र बन जायेगा और हमारी दृष्टि पहले वही पहुँचेगी। चित्र के अन्य स्थानों पर जाकर भी दृष्टि वापस लौट आयेगी। और पर्याप्त समय तक रुकी रहेगी।
अजन्ता - यदि चित्र आकर्षण रहित है तो यह स्पष्ट है कि उसमें प्रभाविता का अभाव है। अजन्ता की चित्र रचना में चित्रकार ने इसी बात को ध्यान में रखा है।
उदाहरणार्थ - मानवाकृति में मुख तथा आकृति समूह के अन्तर्गत प्रमुख आकृति। अजंता के चित्र बोधिसत्व - पद्म पाणि की आकृति, समूह में प्रमुख आकृति बोद्धिसत्व की है तथा अन्य आकृतियों को गौण कर दिया गया है, प्रभाविता का यह सर्वश्रेष्ठ उदाहरण कहा जा सकता है। ( राहुल और यशोधरा की आकृति गौण है )
प्रभाविता का महत्व - प्रभाविता के निम्नलिखित महत्व हैं-
1. एक रसता को समाप्त करना तथा विविधता द्वारा आकर्षण में वृद्धि करना।
2. चित्रित आकृतियों के रूप को सहजता प्रदान करना क्योंकि दृष्टि सदैव महत्वपूर्ण आकृतियों की ओर केन्द्रित रहती है।
3. मुख्य विचार को अभिव्यक्त करने वाले तत्वों को प्रभाविता प्रदान कर चित्र में सहयोग भाव उत्पन्न करना।
प्रभाविता के सिद्धान्त के साथ पृष्ठभूमि का चित्रण जुड़ा हुआ है। पृष्ठभूमि को मुख्य आकृति से महत्वपूर्ण नहीं बनाया जाना चाहिये। प्राचीन काल के चित्रों में मुख्य आकृति को बड़ा बना देते थे। इसमें विषमता होने पर भी आकृतियाँ सन्तुलित लगती थी।
प्रभाविता के मुख्य तत्व
प्रभाविता के लिए निम्नलिखित तत्व मुख्य रूप से उत्तरदायी हैं-
1. अनुरूप विषय-वस्तु - चित्र रचना में अनुरूप विषय-वस्तु का महत्व है। चित्र में संगति तभी स्पष्ट होगी जब भावों की अभिव्यक्ति होगी। विषय-वस्तु को देशकाल और वातावरण के अनुरूप होना चाहिये। विषय-वस्तु की अनुरूपता के उदाहरण भारतीय लघु चित्रण शैलियों व भित्तीचित्रों में सरलतापूर्वक पाये जाते है।
2. साधारणीकरण - चित्र में साधारणीकरण की अपनी विशेषता है। किसी वस्तु की विशेष को सार्वजनिक वस्तु बनाना साधारणीकरण कहलाता है। जो वस्तु या आकृति असाधारण अथवा विशिष्ट है उसको साधारण व सर्वमान्य बनाने को साधारणीकरण की क्रिया कहते हैं।
जैसे - धार्मिक चित्रों में राम का धनुष तोड़ना, कृष्ण का उँगली पर गोवर्धन पर्वत उठाना, के मुख से हनुमान का निकलना आदि।
अलौकिक कार्य को चित्रकार ही चित्र के द्वारा लौकिक रूप प्रदान करता है। जन साधारण ऐसे चित्रों से प्रभावित होता है। ये साधारणीकरण की अभिव्यक्ति होती है। साधारणीकरण में मनुष्य का रूप दर्शक तक ही सीमित न रहकर असंख्य दर्शक तक व्याप्त होता है।
3. पृष्ठभूमि - प्रभाविता के साथ चित्र की पृष्ठभूमि का बड़ा महत्व है यदि किस भी चित्र की पृष्ठभूमि में दबकर रह जायेगी। अतः चित्रकार को ध्यान रखना चाहिये कि मुख्य व गौड़ आकृतियों की तुलना में पृष्ठभूमि अधिक प्रभावशाली न हो जाये।
यदि पृष्ठभूमि गहरी है, तो आकृतियाँ हल्के रंग की रंगनी चाहिये और यदि आकृतियाँ गहरी है तो पृष्ठभूमि हल्की होनी चाहिये।
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