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बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - कला के मूल तत्व

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2728
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय - 5
तान

(Tone)

 

प्रश्न- तान की परिभाषा लिखिए। गहरी, मध्यम एवं हल्की तान से आप क्या समझते हैं?

अथवा 
लाइट एण्ड शैड ( छाया-प्रकाश) के बारे में सचित्र विस्तार से लिखिए।
अथवा
तान के वर्गीकरण के विषय में आप क्या जानते हैं?
अथवा
तान के प्रकार लिखिए और उसे चित्र की सहायता से समझाइये | 

उत्तर -

रंगों के हल्के या गहरेपन को तान कहते है। इसके द्वारा प्रकाश की हल्की व गहरी मात्रा तथा उनकी बीच की श्रेणियों का पता चलता है। तान के द्वारा किसी भी रंग में सफेद या काले रंग की मात्रा का पता लगाया जाता है। सफेद या काले रंग के अन्तर से किसी भी रंग की अनेक ताने ज्ञात की जा सकती है। चित्रकार रंगों की विभिन्न तानों के द्वारा प्रकाश को नियन्त्रित करता है। एक ही चित्र में विभिन्न तानों के उपयोग के द्वारा विभिन्न प्रभावों की सृष्टि की जा सकती है।" जैसे एक ही तल पर कहीं हल्की, कहीं गहरी तानों का प्रयोग करते है।

वर्ण में सफेद रंग मिलाने से जो हल्की 'तान' प्राप्त होती ह, उसे आभा' (Tint) कहा जाता है और काले रंग से प्राप्त तान को 'छाया' (shade) कहा जाता है। वस्तु के ऊपर पड़ते हुए प्रकाश के एक समान होते हुए भी वस्तु में विभिन्न तान देखी जा सकती है क्योंकि वस्तु एक तलीय (Flat ) नहीं होती। इसी प्रकार प्रकाश की मात्रा के अन्तर के आधार पर भी अनेक तानों और 'बल' दोनों एक-दूसरे से सम्बन्धित हैं। प्रत्येक तान का एक बल होता है अतः दोनों शब्दों को मिलाकर "तान बल" (Tonal value) अथवा "तान का मान शब्द का भी प्रयोग किया जाता है।

दृश्य कलाओं में प्रकाश का महत्व सर्वोपरि है। चित्रकार रंगों की विभिन्न तान के द्वारा प्रकाश को नियन्त्रित करता है। इस पद्धति से वह अपने चित्र में अनेक प्रभावों की सृष्टि करता है। प्रकाश हमें उत्तेजित करता है, संध्या का वातावरण हमें शान्ति प्रदान करता है और अन्धकार से भय एवं कौतुहल उत्पन्न होता है। चित्रकार इसके हेतु एक ही तल पर कहीं हल्का और कहीं गहरा प्रकाश डालकर अथवा एक वस्तु के विभिन्न तलों पर पृथक-पृथक तान का प्रकाश डालकर इच्छित प्रभावों की सृष्टि करता है। जहाँ आकृतियों में छाया-प्रकाश विहीन सपाट रंग भरे जाते हैं। वहाँ चित्रकार भिन्न-भिन्न आकृतियों अथवा चित्रतलों में हल्की गहरी तान युक्त वर्णों का प्रयोग करता है।

परिभाषा - Ruskin के अनुसार तान के द्वारा दो अर्थों का बोध होता है एक तो वस्तुओं के अन्धकार में व प्रकाश में एक-दूसरे से सम्बन्ध और दूसरा अन्तराल में छाया व प्रकाश की छाप का आपसी सम्बन्ध जिससे की तुरन्त ही पता चल जाये कि वे एक ही प्रकार की भिन्न- भिन्न श्रेणियाँ है।

"Tone denotes lightness and darkness of a hue.

तान का वर्गीकरण
(Classification of Tone)

तान को मुख्य तीन भागों में बाँटा जा सकता है-

1. प्रकाश (Light)
2. मध्यम प्रकाश (Middle Light)
3. अन्धकार या छाया (Dark shade)

यह विभाजन तान को सरलता से समझने के लिए है वास्तव में यह एक क्रमिक परिवर्तन है। यह परिवर्तन काले व सफेद की मात्रा से उत्पन्न होता है। इस सन्दर्भ में यह जानना अति आवश्यक है कि कभी काले व सफेद वर्ण का योग किसी रंगत में न मिलाया जायें। या तो काला ही मिलाया जाये अथव सफेद ही।

 

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