लोगों की राय

बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - कला के मूल तत्व

बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - कला के मूल तत्व

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2728
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- चित्रकला में रूप के प्रभावों का वर्णन कीजिये।

उत्तर -

रूप के प्रभाव
(Effects of Form )

रेखाओं के प्रभाव की ही भाँति रूप के भी अपने प्रभाव होते हैं। जो रूप के दृष्टिगत और आकारगत भार के कारण होते हैं। अतः रचना हमें विशिष्टता लाने के लिए एक से अधिक रूपाकारों को समायोजित किया जा सकता है। रूपगत प्रभाव निम्न प्रकार से समझे जा सकते हैं-

1. आयताकार (Rectangular) - ऐसे रूपाकार जिनमें रेखाएँ समकोणी होती है ये रूपाकार प्रायः स्पष्ट व निश्चित होते हैं। अतः ये रूप दृढ़ता या स्थिरता, शक्ति, एकता आदि भावों के संवाहक होते हैं। एक-दूसरे के विपरीत, ऊपर-नीचे या लगातार रचना करने से ये रूपाकर गति का प्रभाव भी उत्पन्न करते है।

 

2728_27_A

 

2. त्रिभुजाकार (Triangualar) - ये वे आकार है जिनका आकार शीर्ष की अपेक्षा चौड़ा होता है। जैसा - पिरामिड का आकार। ये आकार स्थिरता, सुरक्षा व शाश्वतता का भाव प्रकट करत करते हैं। चर्च के शीर्ष के समान ऊँचे तथा संकरे त्रिभूजी आकार मन में ऊर्ध्वगति का संचार भी करते हैं। 

 

2728_27_B

 

3. विलोम त्रिभुजाकार (Reverse Triangular) - ये आकार उल्टे त्रिभुज की आकृति के समान होते है, जो त्रिभुज के रूपाकार से विवरीत स्थिति में प्रदर्शित हो रहे होते है अर्थात जो आधार की अपेक्षा शीर्ष से टिके रहते है। ऐसे रूपाकार अनिश्चय, अशान्ति, लिप्तता व शीघ्र परिवर्तन आदि प्रभावों को उत्पन्न करने वाले होते हैं। 

 

2728_27_C

 

4. अण्डाकार या वक्राकार (Over or Curved) - ऐसे रूपाकारों में झुकाव और वक्रता होती है। वृत्ताकार, अण्डाकार, बेलनाकार, दीर्घवृत्तीय, एककेन्द्रीय आदि रूपाकार इस समूह में सम्मिलित किये जा सकते हैं। ये रूपाकार लावण्य, सौन्दर्य, नित्यता, सृजनात्मकता, पूर्णता, गति विशालता, समानता आदि प्रभावों के संवाहक है। साथ ही इन रूपाकारों में आधारहीनता भी दृष्टिगोचर होती है। जो किसी भी रूपाकारों में आधार हीनता भी दृष्टिगोचर होती है। जो किसी भी दिशा में गति की संभावना और अस्थिरता की घोतक होती है।

 

2728_27_D

 

5. वृत्ताकार (Circular) - ऐसे रूपाकारों में गोलाई होती है। पूर्णता, आकर्षण, गति, विशालता, समानता आदि प्रभावों के संवाहक है।

 

2728_27_E

 

6. टेढे-मेडे रूपाकार - छाया प्रकाश में अन्तर करने से भी आकार के प्रभाव बदल जाते है। जैसे उज्जवल आकृति आनन्द को प्रकट करती है, पीली कान्ति युक्त होती है लाल रंग की आकृति उत्तेजना प्रकट करती है। हरे रंग की आकृतियाँ ताजगी व प्रसन्नता प्रकट करती है।

7. मुक्त रूपाकार (Free Form ) - ये रूपाकार उपर्युक्त रूपाकारों के ही मिश्रित रूप है। अधिकांशतः प्राकृतिक रूपाकारों में इन्हें देखा जा सकता है क्योंकि इन्हें किसी निश्चित सीमा में बाँधा नहीं जा सकता है। अतः ये मुक्त रूपाकार कहे जा सकते है। मनुष्य के आँख, नाक कान, पेड-पौधों की आकृतियाँ आदि इसी प्रकार की रूपाकार है।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book