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बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - कला के मूल तत्व

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2728
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- बाटिक चित्रण तकनीक के विषय में आप क्या जानते हैं? संक्षेप में बताइये।

उत्तर -

बाटिक (Batik) तकनीक - बाटिक वस्त्रों में अलंकृत ज्यामितीय पैटर्न होते हैं जिन्हें ब्रश करके या बिना रंगे कपड़े पर गर्म मोम डालकर बनाया जाता है तत्पश्चात् कपड़े को रंगा जाता है। यह पैटर्न को बनाने के लिये मोम को उबलते पानी से हटा दिया जाता है। विभिन्न रंगों के साथ बनाने के लिये इस प्रक्रिया को कई बार दोहराया जाता है। 19वीं शताब्दी में कारीगर ज्यादातर कैनिंग, तांबे के उपकरणों का इस्तेमाल करते थे जो फांउटेंन पेन से मिलते-जुलते थे। 20वीं शताब्दी में जावानीज़ ने बाटिक के लिए लकड़ी के ब्लॉकों की छपाई की तकनीक भी विकसित की।

समकालीन डिजाइन में बाटिक - 20वीं शताब्दी के मध्य में बाटिक में कुछ गिरावट, आई परन्तु तब से इसमें इंडोनेशिया और विदेशों दोनों में पुनः कपड़े पर काम होने लगा। इंडोनेशिया में बाटिक के यूनेस्को पदनाम ने प्राचीन तकनीक में रुचि को पुनर्जीवित किया। विदेशों में पश्चिमी डिजाइनरों मुख्य रूप से फैशन डिजाइनरों ने अपने संग्रह में बाटिक वस्त्रों को शामिल करना प्रारम्भ किया। इंटीरियर डिजाइनर के क्षेत्र में कंबल, वॉल पेपर पर बाटिक वस्त्र पर डिजाइन कार्य हो चुका है।

कपड़े पर बाटिक -  इस विधि से कपड़े पर डिजाइन रेखांकित करके पिघले हुए मोम से चित्रांकन किया जाता है। यदि मोम अधिक पतला हो जाय तो कपड़े के दूसरी ओर निकल जायेगा और यदि कम पिघला होगा तो कपड़े के पिछले भाग तक नहीं पहुँचेगा। इसके पश्चात् कपड़े को पहले सबसे हल्के रंग के घोल में डुबोकर रंगते हैं। सूख जाने पर एक रंग के पश्चात् दूसरे रंग में रंगने के पूर्व पुनः मोम से डिजाइन के उन भागों को ढकते जाते हैं जहाँ कोई रंग नहीं रंगना होता। इन विधि में हल्के रंग पहले रंगे जाते है एवं गहरे रंग सबसे अन्त में रंगे जाते हैं। आकृतियों अथवा धरातल में चटकने के प्रभाव देने के लिए पेराफीन मोम लगाकर कपड़े को ठण्डे पानी में डुबोकर हाथों से हल्के-हल्के दबाना चाहिए। मोम के साथ-साथ थोडा बिरेजा मिलाना भी आवश्यक है।

बाटिक विधि में कपड़ों को रंगने के लिये विशेष रंग काम में लाये जाते हैं। इन्हें, आधार रंग (Base) तथा लवण रंग (Salt) कहते हैं। प्रत्येक रंग के लिये अलग-अलग आधार रंग तथा लवण रंग प्रयोग में लाये जाते हैं। कपड़े पर मोम लगाने में यह ध्यान रखना अति आवश्यक है कि पहले आधार रंग में रंगा जाता है और फिर लवण रंग के घोल में रंगने के समय कपडे को भली-भांति हिलाना आवश्यक है अन्यथा उसमें धब्बे पड़ सकते हैं। सभी रंग ठण्डे पानी में रंगे जाते हैं और प्रत्येक बार रंगने के पश्चात् कपड़े को साफ पानी में धोकर छाया में सुखा लिया जाता है। अन्त में मोम को साफ करने के लिये कपड़े को गर्म पानी में डाल देते हैं। उसमें साबुन का चूरा भी मिला देते हैं। कपड़ा दो तीन बार धोने के बाद ही ठीक तरह से साफ हो पाता है।

कपड़े पर मोम लगाने में यह ध्यान रखना आवश्यक है कि जो भाग पूर्णतः श्वेत रखे जाने हैं सबसे पहले उन्हीं भागों पर मोम को लगाया जाना चाहिये। पहले रंग में रंग जाने पर पुनः मोम केवल उन्हीं भागों पर लगाना चाहिये जिन्हें दूसरे रंग में नहीं रंगना है किन्तु कुछ रंग ऐसे भी हैं जिन्हें रंगे जाने वाले स्थान आरम्भ से ही श्वेत छोड़ने पड़ते हैं जैसे कि यदि अन्त में नीला रंग रंगना है तो पहले पीले तथा लाल आदि रंगों से कपड़ा रंगते समय भी उन स्थानों को मोम से ढका रखा जायेगा। अन्यथा बाद में वहाँ नीला रंग न रहकर हरा या बैंगनी हो जायेगा। नीला रंगने के समय पहले वहाँ से हटा देना पड़ेगा।

चमड़े पर बाटिक - चमड़े पर मोम की जगह गोंद लगाते हैं और बाटिक के चूर्णित रंगों में स्प्रिंट मिलाकर रंग भरते हैं। इन रंगों को पर्याप्त पतला भी लगाया जा सकता है। चित्रण में पहले हल्के रंगों से और तत्पश्चात् गहरे रंगों से कार्य किया जाता है। अन्त में चमड़े को पानी से धोते हैं जिससे गोंद छूट जाता है। चटकने का प्रभाव उत्पन्न करने के लिए गोंद लगाकर सुखाते हैं और चमड़े को हल्का मोड़ मोड़कर स्थान-स्थान पर चटकने डाल देते हैं। चित्रण पूरा हो जाने और चमड़ा सुखा लेने के पश्चात् गोल तथा कड़ी वस्तु से घोटकर चमक उत्पन्न करते है।

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