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बीए सेमेस्टर-2 शिक्षाशास्त्र - भारतीय शिक्षा प्रणाली का विकास एवं चुनौतियाँ

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2726
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-2 शिक्षाशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर

 

महत्वपूर्ण तथ्य

वैदिक धर्म का परिवर्तित रूप बौद्ध धर्म है।

महात्मा बुद्ध ने इस संसार के समस्त दुःखों का मूल अविद्या या अज्ञान को माना है।

बौद्ध धर्म का प्रचार छठी शताब्दी ई. पूर्व में हुआ।

बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए जनसाधारण की भाषा का उपयोग किया।

बौद्ध मठ न केवल धर्म के अपितु बौद्ध शिक्षा और ज्ञान के केन्द्र थे।

बौद्ध कालीन शिक्षा का अन्य उद्देश्य शिक्षा द्वारा निर्वाण प्राप्ति था।

बौद्ध कालीन शिक्षा में सादा जीवनयापन करना, ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करना आदि पर बल दिया जाता था।

विद्वान भिक्षु को बौद्ध मठों का प्रधान संचालक बनाया जाता था।

मठों में प्रवेश के समय पवज्जा संस्कार होता था।

पवज्जा संस्कार में बालक अपने सिर के बाल मुड़ाता था, पीले वस्त्र धारण करता था, मठ के भिक्षुओं के चरणों में माथा टेकता था और फिर पालथी मारकर बैठ जाता था। तत्पश्चात् उसे 10 आदेश दिये जाते थे।

प्रारम्भिक शिक्षा के पाठ्यक्रम में बालकों को प्रथम 6 माह में सिद्धिरस्तु नाम की बालपोथी पढ़ाई जाती थी।

उच्च शिक्षा की व्यवस्था भी बौद्ध मठों एवं विहारों में थी।

भिक्षु को बुद्ध, उनके धम्म और संघ में अपना विश्वास व्यक्त करना होता था और संघ के विद्वान व्यक्ति को अपना गुरु चुनना पड़ता था।

उपसम्पदा संस्कार के बाद वह भिक्षु कहलाता था।

बौद्ध मठों एवं विहारों में दो प्रकार का पाठ्यक्रम था

1. धार्मिक पाठ्यक्रम
2. लौकिक पाठ्यक्रम।

बौद्ध धर्म के प्रचार एवं निर्वाण प्राप्ति के लिए भिक्षु भिक्षुणियों को तैयार किया जाता था।

बौद्ध ग्रन्थों में नागसेन रचित मिलिन्दपन्हो तथा सिंहली अनुश्रुतियाँ दीपवंश और महावंश प्रमुख थी।

बौद्ध ग्रन्थों में अश्वघोष रचित बुद्ध चरित, सौन्दरनन्द एवं सारिपुत्र प्रकरण एवं त्रिपिटक के तीनों खण्ड सम्मिलित थे।

तीन त्रिपिटक में विनय पिटक, सुत्त पिटक, अभिधम्म पिटक थे।

लौकिक पाठ्यक्रम में धर्म, दर्शन, साहित्य, तर्कशास्त्र, न्यायशास्त्र, चिकित्साशास्त्र, नक्षत्र, फल, गणना आदि का ज्ञान कराया जाता था।

बौद्ध काल में प्रवचन, भाषण और प्रश्नोत्तर पर विशेष बल दिया जाता था।

बौद्ध काल में दैनिक क्रियाओं से निवृत्त होकर छात्र भिक्षाटन के लिए जाते थे।

छात्र सामान्यतया त्रिसिवरा नामक के तीन वस्त्र धारण करते थे।

बौद्ध काल में मठों व विहारों में गुरु व शिष्य दोनों को अनुशासन भंग करने का दोषी सिद्ध हो जाने पर उसे मठ या विहार से निष्कासित कर दिया जाता था।

स्त्रियों के लिए अलग मठों की व्यवस्था की गई। मठों और विहारों में प्रवेश करने वाली स्त्रियाँ भिक्षुणी कहलाती थी।

विहारों में स्त्रियाँ ही शिक्षिकाएँ होती थी जो उपाध्याय कहलाती थी।

बौद्ध कालीन शिक्षा ने विदेशों में धर्म प्रचार के साथ-साथ राष्ट्रीय संस्कृति का प्रसार भी किया।

उपसम्पदा संस्कार के बाद 20 वर्ष की अवस्था में उच्च शिक्षा प्रारम्भ होती थी।

विहारों के संचालन का व्यय भार उनके संस्थापकों तथा अन्य अनुयायियों द्वारा वहन किया जाता था।

नालन्दा विश्वविद्यालय में 4000 छात्रों के रहने की व्यवस्था थी।

प्राथमिक शिक्षा के लिए अध्ययन काल 12 वर्ष था। शिक्षा संस्था में प्रवेश करने के बाद छात्र श्रमण कहलाते थे।

संघ में प्रवेश से शिष्य को शरणत्रयी ग्रहण करनी पड़ती थी।

सम्राट अशोक की बेटी संघमित्रा ने लंका जाकर बौद्ध धर्म का प्रचार किया।

बौद्ध काल में 'अहिंसा परमो धर्म के सिद्धान्त का अनुपालन करते हुए अहिंसा पर अधिक बल दिया गया था।

तक्षशिला बौद्ध काल में यह बौद्ध शिक्षा का मुख्य केन्द्र था।

6वीं सदी ई. पूर्व में उच्च शिक्षा के केन्द्र के रूप में तक्षशिला की ख्याति फैल चुकी थी।

तक्षशिला में प्रवेश की न्यूनतम आयु 16 वर्ष थी।

तक्षशिला लगभग 1000 वर्ष तक उच्च शिक्षा का केन्द्र बना रहा।

सम्राट अशोक ने (C.274 236 B.C.) में इस स्थान के धार्मिक महत्व को दृष्टिगत रखकर नालन्दा में एक विहार का निर्माण करवाया था।

नालन्दा के छात्रावास में छात्रों के निवास के लिए 13 मठ थे।

नालन्दा में पुस्तकालय भवन धर्मगंज के नाम से प्रसिद्ध था। यह 9 मंजिल की इमारत थी।

नालन्दा विश्वविद्यालय में अनेक प्रशासनिक अधिकारी थे, जिनमें धर्मकोष (कुलपति), कर्मदान

( व्यवस्थापक) और पीठस्थविर (आचार्य) प्रमुख थे।

विश्वविद्यालय का प्रबन्ध धर्म कोष करता था।

नालन्दा में निःशुल्क शिक्षा दी जाती थी।

नालन्दा में प्रवेश की न्यूनतम आयु 20 वर्ष थी।

ह्वेनसांग इत्सिंग, थोन मी ह्वेन ची आर्य वर्मन, बुद्ध धर्म तेगं आदि ने चीन, कोरिया, तिब्बत आदि दूरस्थ देशों से आकर नालन्दा में अध्ययन किया था।

नालन्दा में शिक्षण की तीन विधियाँ प्रमुख थी- 

व्याख्यान,  व्याख्या, शास्त्रार्थ।

नागार्जुन, वसुबन्धु, आर्य देव, आर्य असंग, धर्म कीर्ति, धर्मपाल, चन्द्रपाल, प्रभामित्र, जिनमित्र, शीलभद्र आदि नालन्दा विश्वविद्यालय के प्रमुख शिक्षक थे।

600 AD. में यहाँ 100 विहारों से युक्त विश्वविद्यालय भवन था।

12वीं शताब्दी तक यह शिक्षा का प्रमुख केन्द्र रहा था।

बल्लभी में 200 शिक्षक और 6000 छात्र थे।

विक्रमशिला का निर्माण ( 775-800 A.D.) में पालवंश के शासक ने कराया था।

विक्रमशिला में पण्डितों की उपाधि स्नातकों को दी जाती थी।

बौद्ध काल में बल्लभी, ओदन्तपुरी, मिथिला, नदिया जगद्दला और काँची भी प्रमुख शिक्षा केन्द्र थे।

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    अनुक्रम

  1. अध्याय - 1 वैदिक काल में शिक्षा
  2. महत्वपूर्ण तथ्य
  3. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  4. उत्तरमाला
  5. अध्याय - 2 बौद्ध काल में शिक्षा
  6. महत्वपूर्ण तथ्य
  7. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  8. उत्तरमाला
  9. अध्याय - 3 प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली पर यात्रियों का दृष्टिकोण
  10. महत्वपूर्ण तथ्य
  11. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  12. उत्तरमाला
  13. अध्याय - 4 मध्यकालीन शिक्षा
  14. महत्वपूर्ण तथ्य
  15. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  16. उत्तरमाला
  17. अध्याय - 5 उपनिवेश काल में शिक्षा
  18. महत्वपूर्ण तथ्य
  19. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  20. उत्तरमाल
  21. अध्याय - 6 मैकाले का विवरण पत्र - 1813-33 एवं प्राच्य-पाश्चात्य विवाद
  22. महत्वपूर्ण तथ्य
  23. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  24. उत्तरमाला
  25. अध्याय - 7 वुड का घोषणा पत्र - 1854
  26. महत्वपूर्ण तथ्य
  27. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  28. उत्तरमाला
  29. अध्याय - 8 हण्टर आयोग
  30. महत्वपूर्ण तथ्य
  31. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  32. उत्तरमाला
  33. अध्याय - 9 सैडलर आयोग
  34. महत्वपूर्ण तथ्य
  35. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  36. उत्तरमाला
  37. अध्याय - 10 वर्धा आयोग
  38. महत्वपूर्ण तथ्य
  39. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  40. उत्तरमाला
  41. अध्याय - 11 राधाकृष्णन आयोग
  42. महत्वपूर्ण तथ्य
  43. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  44. उत्तरमाला
  45. अध्याय - 12 मुदालियर आयोग
  46. महत्वपूर्ण तथ्य
  47. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  48. उत्तरमाला
  49. अध्याय - 13 कोठारी आयोग
  50. महत्वपूर्ण तथ्य
  51. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  52. उत्तरमाला
  53. अध्याय - 14 राष्ट्रीय शिक्षा नीति - 1986 एवं 1992
  54. महत्वपूर्ण तथ्य
  55. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  56. उत्तरमाला
  57. अध्याय - 15 राष्ट्रीय शिक्षा नीति - 2020
  58. महत्वपूर्ण तथ्य
  59. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  60. उत्तरमाला
  61. अध्याय - 16 पूर्व प्राथमिक शिक्षा की समस्यायें
  62. महत्वपूर्ण तथ्य
  63. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  64. उत्तरमाला
  65. अध्याय - 17 प्रारम्भिक एवं माध्यमिक शिक्षा की समस्यायें
  66. महत्वपूर्ण तथ्य
  67. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  68. उत्तरमाला
  69. अध्याय - 18 उच्च शिक्षा की समस्यायें
  70. महत्वपूर्ण तथ्य
  71. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  72. उत्तरमाला
  73. अध्याय - 19 भारतीय शिक्षा को प्रभावित करने वाले कारक
  74. महत्वपूर्ण तथ्य
  75. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  76. उत्तरमाला

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