बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 शिक्षाशास्त्र - भारतीय शिक्षा प्रणाली का विकास एवं चुनौतियाँ बीए सेमेस्टर-2 शिक्षाशास्त्र - भारतीय शिक्षा प्रणाली का विकास एवं चुनौतियाँसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 शिक्षाशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर
महत्वपूर्ण तथ्य
भारत में शिक्षा की वर्तमान स्थिति की जाँच करके एक संसदीय समिति को नियुक्त किया गया था।
चार्ल्स वुड के सरंक्षण एवं प्रभावपूर्ण निर्देशन में आज्ञा-पत्र तैयार हुआ।
इस आज्ञा पत्र को चार्ल्स वुड का आज्ञा-पत्र कहा गया। आज्ञा पत्र में तीन पहलुओं पर संस्तुतियाँ प्रस्तुत की गई -
1. शैक्षिक नीति,
2. शैक्षिक प्रशासन,
3. शैक्षिक विकास।
1853 से पूर्व ईस्ट इण्डिया कम्पनी की शैक्षिक नीति यह थी कि भारत में एक ऐसा वर्ग तैयार करना जो द्विभाषिया बन सके।
1854 आज्ञा-पत्र में प्राच्य व पाश्चात्य दोनों भाषाओं के महत्व को स्वीकार किया गया।
आज्ञा-पत्र में लिखा है - "हमें जोरदार शब्दों में घोषणा कर देनी चाहिए कि जिस शिक्षा का हम भारत में प्रसार देखना चाहते हैं, वह ऐसी शिक्षा है जिसका लक्ष्य यूरोपीय उच्च कला, विज्ञान, दर्शन तथा साहित्य का संक्षेप में यूरोपीय ज्ञान का प्रसार करना है।'
आज्ञा पत्र में लिखा है - "आज्ञा-पत्र भारत में प्राथमिक स्कूल से विश्वविद्यालय तक की शिक्षा की एक समुचित एवं स्पष्ट योजना को तैयार करने का कार्य सरकार पर डालता है।"
आज्ञा-पत्र में लिखा है - भारत में अब विश्वविद्यालयों की स्थापना का समय आ गया है, जो कला एवं विज्ञान के द्वारा भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में निपुणता प्राप्त छात्रों को शैक्षिक उपाधियाँ प्रदान करके नियमित और उदार शिक्षा पाठ्यक्रम को प्रोत्साहित करें।
भारत में विश्वविद्यालयों की स्थापना लन्दन विश्वविद्यालय को आदर्श मान कर की जाए।
प्रत्येक विश्वविद्यालय में चान्सलर, वाइस चान्सलर तथा फैलो को सम्मिलित कर एक सीनेट बनाया जाये।
आज्ञा पत्र में शिक्षा व्यवस्था सुदृढ़ बनाने के लिए संस्कृत, अरबी एवं फारसी के लिए प्रोफेसर नियुक्त किये जाएं।
आज्ञा पत्र में शैक्षिक विकास के लिए जन शिक्षा, सहायता अनुदान प्रणाली, स्त्री शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा तथा शिक्षा और रोजगार आदि का विकास किया जाए।
आज्ञा- पत्र में विद्यालयों को सहायता अनुदान, शिक्षकों की वेतन वृद्धि, पुस्तकालय, भवन निर्माण विज्ञान कक्ष तथा छात्रवृत्ति आदि के लिए सुझाव दिया गया।
आज्ञा-पत्र में था कि स्त्री शिक्षा का प्रसार करने वाले व्यक्तियों को व धन देने वाले व्यक्तियों को सम्मान दिया जाए।
चार्ल्स वुड का आज्ञा-पत्र भारत में "शिक्षा का महाधिकार पत्र है।'
आज्ञा-पत्र ने निस्पन्दन सिद्धान्त को अनुपयोगी घोषित किया।
शिक्षित व्यक्तियों को सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता देने की संस्तुति की।
आज्ञा-पत्र में माध्यमिक एवं उच्च स्तर पर अंग्रेजी को अधिक महत्व दिया गया।
आज्ञा-पत्र ने लोक शिक्षा विभाग की स्थापना की।
आज्ञा-पत्र द्वारा निर्धारित नवीन शिक्षा प्रणाली में परीक्षा का स्थान सर्वोपरि हो गया।
आज्ञा-पत्र का भारतीय शिक्षा के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है।
ब्रिटिश सरकार ने 1857 ई. के विद्रोह के बाद भारत में कम्पनी के शासन को समाप्त करके। नवम्बर, 1858 ई. को शासन सत्ता अपने हाथों में ले ली।
इस शिक्षा नीति में जन शिक्षा विभाग की स्थापना की गई। जन शिक्षा विभाग का सर्वोच्च अधिकारी जनशिक्षा निदेशक होगा।
आज्ञा पत्र में भारतीय भाषाओं का विकास किया जायेगा यूरोपीय ज्ञान-विज्ञान का भारतीय भाषाओं में अनुवाद कराया जाएगा।
इस घोषणा पत्र में मिशन स्कूलों को धार्मिक शिक्षा की छूट दी गई। सरकारी स्कूलों के पुस्तकालयों में बाइबिल रखना अनिवार्य कर दिया।
शिक्षा नीति का उद्देश्य राज्य सेवा के लिए सुयोग्य कर्मचारी तैयार करना था। घोषणा-पत्र में कहा गया कि शिक्षा की व्यवस्था करना राज्य का उत्तरदायित्व है।
1857 में कोलकाता और मुम्बई में विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई।
1858 ई. में लार्ड एलेनबरा ने वुड के घोषणा-पत्र की नीति का विरोध किया।
1859 ई. में लार्ड स्टैनले भारत में ब्रिटिश सरकार के मन्त्री पद पर नियुक्त हुआ।
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- अध्याय - 1 वैदिक काल में शिक्षा
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- अध्याय - 3 प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली पर यात्रियों का दृष्टिकोण
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- अध्याय - 17 प्रारम्भिक एवं माध्यमिक शिक्षा की समस्यायें
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- अध्याय - 18 उच्च शिक्षा की समस्यायें
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- अध्याय - 19 भारतीय शिक्षा को प्रभावित करने वाले कारक
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