बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 राजनीति विज्ञान बीए सेमेस्टर-2 राजनीति विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 राजनीति विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
महत्त्वपूर्ण तथ्य
जी० जे० फ्रेडरिक के अनुसार 'शक्ति' को राजनीति का हृदय कहते हैं।
कैटलिन ने राजनीति को शक्ति का विज्ञान कहा है।
बीयर स्टेड के अनुसार “शक्ति समाज की मौलिक व्यवस्था का आधार है जहाँ कहीं सुव्यवस्था है, वहाँ शक्ति का अस्तित्व अवश्य होता है। "
शान्ति शब्द जिसे अंग्रेजी में पॉवर कहते हैं, लैटिन शब्द पीटीरे से निकला है, जिसका अर्थ है "योग्य के लिए" अर्थात निहित योग्यता |
शूमैन के अनुसार “शक्ति लोगों पर नियंत्रित तथा उन्हें प्रभावित करने की योग्यता है। "
ए०एच० डाक्टर कहता है - " अपने लक्ष्यों के अनुरूप दूसरे के व्यवहार को प्रभावित करने की योग्यता शक्ति कहलाती है।"
लासवैल तथा कापलान बताते हैं " योग्यता के रूप में शक्ति, अन्य लोगों पर प्रत्यक्ष प्रकार के प्रभाव को कहते हैं।
शक्ति दो अथवा दो से अधिक व्यक्तियों के बीच सम्बन्धों का संकेत होती है; यह एकपक्षीय न होकर द्विपक्षीय है इसका अस्तित्व सांदर्भिक एवं स्थिति परक है। इसके पीछे अनुशक्ति होती है, बिना अनुशक्ति के शक्ति का कोई अस्तित्व नहीं होता।
शक्ति के चार प्रतिमान बताए जाते हैं।
1. शक्ति क्षमता का नाम है— राबर्ट डहल
2. शक्ति को सामाजिक संदर्भ द्वारा समझा जाता है— बर्नस्टीन तथा टेलर
3. शक्ति को संगठनात्मक आधार माना जाता है— बाल इजाक
4. शक्ति तर्कमूलक ज्ञान व उत्पादकीय है— फोकाल्ट, फ्लाक्स, फरगुसन
" शान्ति कभी भी भ्रष्ट नहीं करती; जब यह मूर्खो के पास आ जाती है तब यह भ्रष्ट करती है"- जॉर्ज बर्नार्ड शॉ कीथ बोलडिंग शक्ति प्रयोग के तीन प्रयोजन बताता है-
1. शक्ति अभित्रास ( छड़ी, डन्डे के रूप में) करती है।
2. शान्ति पारस्परिक लाभ (सौदे के रूप में) उत्पन्न करती है।
3. शक्ति आभार बंधन (चुम्बन के रूप में) पैदा करती है।
"शक्ति बल प्रयोग की क्षमता है उसका वास्तविक प्रयोग नहीं है" -वायर्सटेड
लासवेल, कैवलन, हरबर्ट साइमन ने शक्ति की परिभाषा 'प्रभाव प्रक्रिया' के रूप में की है।
शक्ति के स्रोत या आधार- ज्ञान, संगठन, आकार, आत्म विश्वास सत्ता, विचार व कार्य, परिस्थितियाँ
गोल्ड हैमर व शील्स ने शक्ति के तीन प्रकार बताए-
(1) बल
(2) प्रभुत्व
(3) चातुर्य
मैक्स वेबर ने औचित्य को शक्ति का आधार मानकर उसके तीन प्रकारों की चर्चा की है
(1) वैध या कानूनी
(2) पारम्परिक
(3) करिश्मावादी
पावर एण्ड पोलिटिक्स : एफ्रेमवर्क फॉर पोलिटिकल इक्वाइरी पुस्तक लिखा- लासवेल व कैपलन ने
केटलिन के विचारों में "शक्ति नियन्त्रण का एक तरीका है।
पिफनर के अनुसार शक्ति आदेश की क्षमता है।
बटेण्ड रसेल के शब्दों में 'शक्ति इच्छित प्रभावों की उपज है।
सत्ता और वैधता
.सत्ता दूसरों को प्रभावित करने की शक्ति है इस दृष्टि से यह वैधपूर्ण शक्ति है। वास्तव में जी वैधपूर्ण नहीं है, वह शक्ति नहीं है अपितु कोर प्रकार का बल है। बल तो उत्पीड़न है, एक प्रकार से कानून रहित अर्थात कानून के विरुद्ध हिंसा जिसे मानव इच्छा के विरुद्ध तथा उसकी सहमति के विरुद्ध तथा उसके विरुद्ध जिस पर यह लागू होती है, प्रयोग किया जाता है। यह बिना कारण तथा बिना दायित्वों के एक प्रकार की शक्ति है।
डहल कहता है वैधपूर्ण शक्ति ही सत्ता कहलाती है।
मैक्स वैबर ने सत्ता को पारम्परिक (रीतिरिवाजों पर आधारित), विवेकयुक्त-कानूनी (कानूनों पर आधारित) तथा करिश्माई व्यक्तित्व पर आधारित बताया।
उदारवादी धारणा यह है कि सत्ता, कानून-व्यवस्था की स्थापना के लिए अति आवश्यक है और इसका आधार जनसाधारण की सहमति होता है।
मार्क्सवादी सत्ता को समाज के रूप के साथ जोड़ते हैं। वर्गीय समाज में सत्ता, दमन का यन्त्र तथा वर्गविहिन समाज में इसका अस्तित्व नहीं होता है।
रूढ़िवादी सत्ता को प्राकृतिक एवं आवश्यक मानते हैं क्योंकि इसके माध्यम से उन सब संस्थाओं व तत्वों को बनाए रखा जाता है जिससे लोगों ने कभी अतीत में लाभ प्राप्त किया हो।
स्वतंत्रवादी व अराकतावादी सत्ता में वैयक्तिक स्वतंत्रता का शत्रु देखते हैं।
सत्ता शक्ति की वैधता है। शक्ति व वैधता का जोड़ सत्ता को जन्म देता है।
बल बिना, वैधता के उत्पीड़न है, सत्ता वैधपूर्ण शक्ति है सत्ता कानून व व्यवस्था के लिए अनिवार्य है, बल कानून व्यवस्था को क्षति पहुँचा सकता है।
सत्ता औपचारिक शक्ति है जिसका आधार सदैव वैधता होता है।
सत्ता विवेक पर आधारित होती है।
सत्ता में प्रभुत्व का भाव निहित होता है।
कभी-कभी लोकतंत्र और अधिनायकतंत्र में अंतर करने के लिए यह तर्क दिया जाता है कि लोकतंत्र का प्रधान लक्षण वैधता है जबकि अधिक नायक तंत्र मुख्यतः शक्ति या बल प्रयोग के सहारे टिका होता है।
कोई भी शासक शक्ति के सहारे धरती पर शासन कर सकता है, परन्तु वैधता के सहारे वह लोगों के हृदय पर शासन करता 1
जान लॉक से पहले मुख्यतः राज्य की दैवी उत्पत्ति के सिद्धान्त को राज्य की वैधता का आधार माना जाता था। लॉक ने इस सिद्धान्त का खण्डन करते हुए लोगों की सहमति को राज्य की वैधता का आधार बनाया।
रूसो ने लोकप्रिय प्रभुसत्ता के विचार को राज्य की वैधता का आधार बनाकर लोकतंत्र की भावना को बढ़ावा दिया।
किसी नियम या कानून की वैधता उसकी सामाजिक स्वीकृति का संकेत देती है।
लिपसेस ने अपनी कृति 'पॉलिटिकल मैन' के अन्तर्गत यह तर्क दिया है कि किसी राजनीतिक प्रणाली की वैधता लोगों के मन में यह विश्वास पैदा करने और कायम रखने की क्षमता का संकेत देती है कि वर्तमान राजनीतिक संस्थाएं समाज के लिए सर्वथा उपयुक्त हैं।
डेविड ईस्टन ने अपनी प्रसिद्ध कृति 'ए सिस्टम्स एनालिसिस ऑफ पॉलिटिकल लाइफ' के अन्तर्गत लिखा हैं कि किसी राजनीतिक प्रणाली को कितना जन समर्थन प्राप्त है— इस बात का पता लगाने के लिए यह देखना चाहिए कि उसके अंतर्गत कानून के उल्लंघन की कितनी घटनाएं होती हैं।
वैधता लैटिन शब्द लेजीटीमेयर से बना शब्द है लेजीटीमेसी का अर्थ है: कानूनरत अर्थात् वैधता, अर्थात् जो वैध हो यह वैधता है, जो शक्ति को सत्ता में बदलती है, जो कानून व विधान के अनुरूप हो उसे वैधता कहा जाता है।
वैधीकरणीय संकट राजनीति में विवाद का एक विषय बनता जा रहा है।
एक ओर वैबरवादी है जो इस तथ्य पर जोर देते हैं कि लोगों को सत्ता के कानूनों का पालन करना चाहिए क्योंकि सत्ता शासितों की सहमति का फल होती हैं
दूसरी ओर कुछेक नवमार्क्सवादी (विशेष रूप से हेबरमास - लिजेमीटेशन क्राइसिस) हैं जो पूँजीवादी व्यवस्थाओं में वैधता के संकट के उबरने को पूँजीवाद का फल मानते हैं।
वैधीकरणीय संकट उस स्थिति का नाम है जब कोई सरकार अथवा राजनीतिक व्यवस्था अपनी सत्ता के प्रति लोगों की प्रतिबद्धता में कमी देखती है। जब कभी भी सत्ता के औचित्यता को समाज या उसके किसी बड़े वर्ग द्वारा स्वीकृति नहीं मिलती, तब वैधीकरणीय संकट पैदा होता है।
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- अध्याय -1 राजनीति विज्ञान : परिभाषा, प्रकृति एवं क्षेत्र
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 2 राजनीतिक विज्ञान की अध्ययन की विधियाँ
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 3 राजनीति विज्ञान का अन्य सामाजिक विज्ञानों से संबंध
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 4 राजनीतिक विज्ञान के अध्ययन के उपागम
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 5 आधुनिक दृष्टिकोण : व्यवहारवाद एवं उत्तर-व्यवहारवाद
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 6 आधुनिकतावाद एवं उत्तर-आधुनिकतावाद
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 7 राज्य : प्रकृति, तत्व एवं उत्पत्ति के सिद्धांत
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 8 राज्य के सिद्धान्त
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 9 सम्प्रभुता : अद्वैतवाद व बहुलवाद
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 10 कानून : परिभाषा, स्रोत एवं वर्गीकरण
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 11 दण्ड
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 12 स्वतंत्रता
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 13 समानता
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 14 न्याय
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 15 शक्ति, प्रभाव, सत्ता तथा वैधता या औचित्यपूर्णता
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 16 अधिकार एवं कर्त्तव्य
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 17 राजनीतिक संस्कृति, राजनीतिक सहभागिता, राजनीतिक विकास एवं राजनीतिक आधुनिकीकरण
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 18 उपनिवेशवाद एवं नव-उपनिवेशवाद
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 19 राष्ट्रवाद व सांस्कृतिक राष्ट्रवाद
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 20 वैश्वीकरण
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 21 मानवाधिकार
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 22 नारीवाद
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 23 संसदीय प्रणाली
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 24 राष्ट्रपति प्रणाली
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 25 संघीय एवं एकात्मक प्रणाली
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 26 राजनीतिक दल
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 27 दबाव समूह
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 28 सरकार के अंग : कार्यपालिका, विधायिका एवं न्यायपालिका
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 29 संविधान, संविधानवाद, लोकतन्त्र एवं अधिनायकवाद .
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 30 लोकमत एवं सामाजिक न्याय
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
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- अध्याय - 31 धर्मनिरपेक्षता एवं विकेन्द्रीकरण
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 32 प्रतिनिधित्व के सिद्धान्त
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला