बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 राजनीति विज्ञान बीए सेमेस्टर-2 राजनीति विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 राजनीति विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
महत्त्वपूर्ण तथ्य
हाब्स - "स्वतंत्रता कानून का अर्थ बंधनों के अभाव से है।"
रूसो - "सामान्य इच्छा की अधीनता को यथार्थ स्वतंत्रता मानता है। रूसो के अनुसार मनुष्य स्वतंत्र पैदा हुआ है किन्तु सर्वत्र जंजीरों में जकड़ा है।
ग्रीन- स्वतंत्रता उन कार्यों को करने तथा उपभोग करने की शक्ति है जो कार्य करने तथा उपभोग करने योग्य हैं।
लास्की - “स्वतंत्रता उन सामाजिक दशाओं के ऊपर नियंत्रण का अभाव है जो कि आधुनिक सभ्यता में व्यक्ति के सुख के लिए अत्यंत आवश्यक है।"
सीले - "स्वतंत्रता अति शासन का विलोम है।"
मैकेन्जी - "सब प्रकार के प्रतिबंधों का अभाव नहीं अपितु अनुचित के स्थान पर उचित प्रतिबंधों की व्यवस्था ही स्वतंत्रता होती है।"
ग्रीन - “निजी हित सामाजिक हित है।"
जी0डी0 कोल - “बिना किसी बाधा के अपने व्यक्तित्व को प्रकट करने के अधिकार का नाम स्वतंत्रता है।"
लास्की - “स्वतंत्रता उस वातावरण की स्थापना है जिसमें मनुष्य को अपने व्यक्तित्व के विकास का पूर्ण अवसर प्राप्त हो। "
हाइट - “स्वतंत्रता वह वस्तु है जिसे हम उस समय तक प्राप्त नहीं कर सकते, जब तक हम इसे देने को दूसरों को इच्छुक न हो।"
मिल - " एक व्यक्ति को उसकी इच्छानुसार स्वतंत्रता प्राप्त होनी चाहिए बशर्ते कि उसकी स्वतंत्रता से दूसरों की इच्छा को हानि न हो।"
स्वतंत्रता के सम्बंध में दो दृष्टिकोण हैं-
(1) उदारवादी दृष्टिकोण
(2) मार्क्सवादी दृष्टिकोण
उदारवादी स्वतंत्रता के दो पहलू माने जाते हैं - नकारात्मक या निषेधात्मक तथा भावनात्मक या सकारात्मक स्वतंत्रता। नकारात्मक स्वतंत्रता प्रतिबंधों का अभाव है अर्थात् यदि कोई व्यक्ति कुछ करना चाहे तो उसे वैसा करने से न रोका जाय। इसे ऐसा कोई संकेत नहीं मिलता कि व्यक्ति को कुछ करना चाहता है, उसे उसमें कोई सहायता दी जायेगी।
नकारात्मक स्वतंत्रता के समर्थकों में बेंथम, जे0एस0 मिल, बर्लिन, फ्रीडमैन, डी0 टाकविल, स्पेन्सर, आदि विचारकों के नाम उल्लेखनीय हैं। स्पेन्सर को नकारात्मक स्वतंत्रता का प्रबल समर्थक माना जाता है। नकारात्मक स्वतंत्रता का समर्थन करते हुए मिल ने कहा है कि “प्रतिबंधों के रूप में हर प्रतिबंध दोष है...... लोगों को उनकी इच्छा पर छोड़ना उसे नियंत्रित करने से बेहतर है।
सकारात्मक स्वतंत्रता या तात्विक स्वतंत्रता का अर्थ है कि कमजोर वर्गों की सामाजिक और आर्थिक असमर्थताओं को दूर करने के ठोस प्रयास किये जायें ताकि सबको अपने सुख के साधनों का उपयुक्त अवसर मिल सके। इस हेतु सामाजिक आर्थिक जीवन के व्यापक नियमन (विनिमय) की आवश्यकता है। इसके अंतर्गत व्यक्तिगत स्वतंत्रता को राज्य की बढ़ती हुई सत्ता के साथ संगत करने का प्रयास किया जाता है।
सकारात्मक स्वतंत्रता के समर्थकों में रूसो, कांट, हीगल, ग्रीन, बोसांके, बार्कर, लास्की, लियोस्ट्रास मैकफर्सन आदि विचारकों के नाम उल्लेखनीय है।
" स्वतंत्रता एक पूर्ण मानव के रूप में कार्य करने की स्वतंत्रता है, यह मानव के अपने विकास करने की शर्त है" सकारात्मक स्वतंत्रता के संदर्भ में मैकफर्सन का विचार है कि समान स्वतंत्रता के लिए एक अनिवार्य शर्त यह भी है किं सम्बद्ध पक्षों को एक दूसरे संदर्भ में अपनी स्वतंत्रता का उपयोग करने की समान शक्ति भी मिलनी चाहिए अथवा उनकी शक्ति भी लगभग समान हो।
राज्य व्यक्ति की स्वतंत्रता पर भले ही कुछ बंधन लगाये, परन्तु ऐसा कोई बंधन नहीं होना चाहिए जो उसकी पसंद के क्षेत्र का हनन करे। जब सम्प्रभुता सही हाथों में होती है स्वतंत्रता में वृद्धि हो जाती है। ऐसा विचार बर्लिन का है।
मैकाइवर के अनुसार "स्वतंत्रता अपने में एक नहीं अनेक है।" अतः स्वतंत्रता अपने व्यापक अर्थ में एक बहुमुखी धारणा है जिसके विविध रूप इस प्रकार हैं-
प्राकृतिक स्वतंत्रता
प्राकृतिक स्वतंत्रता से तात्पर्य उस स्वतंत्रता से है जो राज्य की स्थापना से पूर्व भी प्रकृति की ओर से लोगों का प्राप्त थी। यह हाब्स द्वारा वर्णित स्वछन्दता से सम्बंधित जंगल की आजादी का दूसरा नाम है। इसका अर्थ मानव के कृत्यों पर किसी प्रकार के प्रतिबंध का न होना है। प्राकृतिक स्वतंत्रता की धारणा मुख्यतः रूसो से सम्बंधित है। रूसो ने सोशल कान्ट्रेक्ट में लिखा है कि "मनुष्य स्वतंत्र पैदा हुआ है किन्तु सर्वत्र जंजीरों में जकड़ा है।" संयुक्त राज्य अमेरिका की स्वाधीनता की घोषणा और फ्रांस की राज्य क्रान्ति में प्राकृतिक स्वतंत्रता की धारणा को प्रतिपादित किया गया था।
सामाजिक स्वतंत्रता
स्वतंत्रता का वास्तविक अभिप्राय इसके सामाजिक रूप में निहित है। यह स्वतंत्रता उन अधिकारों तथा विशेषाधिकारों से युक्त है जिन्हें समाज व्यक्ति के जीवन के निजी तथा सार्वजनिक क्षेत्रों में मान्यता देता है तथा राज्य जिसकी सुरक्षा करता है। इसके विविध रूप इस प्रकार हैं।
व्यक्तिगत स्वतंत्रता
स्वतंत्रता का वास्तविक अभिप्राय इसके सामाजिक रूप में निहित है। यह स्वतंत्रता उन अधिकारों तथा विशेषाधिकारों से युक्त है जिन्हें समाज व्यक्ति के जीवन के निजी तथा सार्वजनिक क्षेत्रों में मान्यता देता है तथा राज्य जिसकी सुरक्षा करता है। व्यक्तिगत स्वतंत्रता से तात्पर्य यह है कि व्यक्ति के उन कार्यों पर कोई प्रतिबंध नहीं होना चाहिए जिनका सम्बंध केवल उसके ही अस्तित्व से होना चाहिए।
नागरिक स्वतंत्रता
नागरिक स्वतंत्रता से आशय उस स्वतंत्रता से है जिसमें व्यक्ति को अपने व्यक्तित्व के विकास के लिए कुछ सहूलियतें दी जाती है। नागरिक स्वतंत्रता एक राज्य में रहने वाले सभी व्यक्तियों के लिए है चाहे वे नागरिक हों या विदेशी नागरिक स्वतंत्रता में तीन बातें आती हैं—
(i) दैहिक स्वतंत्रता - राज्य की किसी कार्यवाही से व्यक्ति के जीवन और स्वास्थ्य को कोई क्षति नहीं पहुँचनी चाहिए।
(ii) बौद्धिक स्वतंत्रता - व्यक्ति को विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हो।
(iii) व्यावहारिक स्वतंत्रता - अनुबन्धन या अन्य मनुष्यों के साथ सम्बंध स्थापित करने की स्वतंत्रता।
राजनीतिक स्वतंत्रता
देश के शासन में सक्रिय रूप से भाग लेना ही राजनीतिक स्वतंत्रता है। इसके अन्तर्गत वोट देने का अधिकार, चुनाव लड़ने का अधिकार, सरकारी पद प्राप्त करने का अधिकार, सरकार की आलोचना करने आदि का अधिकार शामिल है।
आर्थिक स्वतंत्रता
आर्थिक स्वतंत्रता से तात्पर्य व्यक्ति की उस अवस्था से होता है जिसमें वह अपने आर्थिक प्रयत्नों का लाभ स्वयं प्राप्त करने में स्वतंत्र हो तथा किसी प्रकार वह ऐसी दशा में न हो कि उसके श्रम का पारिश्रमिक दूसरों को प्राप्त हो।
नैतिक स्वतंत्रता
नैतिक स्वतंत्रता से तात्पर्य व्यक्ति की उस मानसिकता से है जिसमें वह अनुचित लोभ-लालच के बिना अपना सामाजिक जीवन व्यतीत करने की योग्यता रखता हो। प्लेटो, अरस्तू, रूसो, ग्रीन, काण्ट, हीगल, ब्रेडले, बोसांके आदि सभी ने मनुष्य के विकास के लिए नैतिक स्वतंत्रता को अनिवार्य माना है।
व्यक्तिवादियों, अराजकतावादियों व सिण्डीकेट के अनुसार कानून और स्वतंत्रता एक दूसरे के विरोधी हैं।
हीगल के अनुसार - "राज्य कभी भी गलती नहीं कर सकता अतः राज्य के कानून स्वतंत्रता को सीमित कैसे कर सकते हैं।
लाक के अनुसार - "जहाँ कानून नहीं होता, वहाँ स्वतंत्रता भी नहीं होती।"
विलोबी के अनुसार - "यदि नियंत्रण न होता तो स्वतंत्रता भी न होती। "
रिची के अनुसार - "व्यक्तित्व के विकास के यथार्थ अवसर के रूप में स्वतंत्रता कानून की उत्पत्ति का परिणाम है।"
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- अध्याय -1 राजनीति विज्ञान : परिभाषा, प्रकृति एवं क्षेत्र
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 2 राजनीतिक विज्ञान की अध्ययन की विधियाँ
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 3 राजनीति विज्ञान का अन्य सामाजिक विज्ञानों से संबंध
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 4 राजनीतिक विज्ञान के अध्ययन के उपागम
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 5 आधुनिक दृष्टिकोण : व्यवहारवाद एवं उत्तर-व्यवहारवाद
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 6 आधुनिकतावाद एवं उत्तर-आधुनिकतावाद
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 7 राज्य : प्रकृति, तत्व एवं उत्पत्ति के सिद्धांत
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 8 राज्य के सिद्धान्त
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 9 सम्प्रभुता : अद्वैतवाद व बहुलवाद
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 10 कानून : परिभाषा, स्रोत एवं वर्गीकरण
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 11 दण्ड
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- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 12 स्वतंत्रता
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 13 समानता
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- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 14 न्याय
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
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- अध्याय - 15 शक्ति, प्रभाव, सत्ता तथा वैधता या औचित्यपूर्णता
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 16 अधिकार एवं कर्त्तव्य
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 17 राजनीतिक संस्कृति, राजनीतिक सहभागिता, राजनीतिक विकास एवं राजनीतिक आधुनिकीकरण
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
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- अध्याय - 18 उपनिवेशवाद एवं नव-उपनिवेशवाद
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
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- उत्तरमाला
- अध्याय - 19 राष्ट्रवाद व सांस्कृतिक राष्ट्रवाद
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
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- अध्याय - 20 वैश्वीकरण
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
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- अध्याय - 21 मानवाधिकार
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
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- अध्याय - 22 नारीवाद
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- अध्याय - 23 संसदीय प्रणाली
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- अध्याय - 24 राष्ट्रपति प्रणाली
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- अध्याय - 25 संघीय एवं एकात्मक प्रणाली
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- अध्याय - 26 राजनीतिक दल
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- अध्याय - 27 दबाव समूह
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
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- अध्याय - 28 सरकार के अंग : कार्यपालिका, विधायिका एवं न्यायपालिका
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- अध्याय - 29 संविधान, संविधानवाद, लोकतन्त्र एवं अधिनायकवाद .
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- अध्याय - 30 लोकमत एवं सामाजिक न्याय
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- अध्याय - 31 धर्मनिरपेक्षता एवं विकेन्द्रीकरण
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- अध्याय - 32 प्रतिनिधित्व के सिद्धान्त
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