बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 राजनीति विज्ञान बीए सेमेस्टर-2 राजनीति विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 राजनीति विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
महत्त्वपूर्ण तथ्य
"प्रजातंत्र वह शासन प्रणाली है, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति का भाग होता है”- सीले
"प्रजातंत्र वह शासन व्यवस्था है जिसमें जनता का अपेक्षाकृत बड़ा भाग शासक होता है। -डायसी
"लोकतंत्रीय पद्धति राजनीतिक निर्णय लेने की ऐसी संस्थात्मकं व्यवस्था है जिसमें व्यक्तियों को जनता के वोटो के लिए प्रतियोगितात्मक संघर्ष के माध्यम से निर्णय लेने की शक्ति प्राप्त होती है— जेम्सब्राइस
लोकतंत्र की पुरातनवादी सिद्धान्त की प्रथम सचेतन अभिव्यक्ति जॉन लाक के चिन्तन में देखने को मिलती है। उसके अनुसार शासन का आधार जनता की सहमति है तथा सरकार एक ट्रस्टी है जिसकी स्थापना कुछ निश्चित उद्देश्यों के लिए की गई है।
रूसो में सामान्य इच्छा तथा मांटेस्क्यू ने अपने शक्ति पृथक्करण सिद्धान्त द्वारा, इस सिद्धान्त को विकसित किया।
लोकतंत्र के क्लासिकी सिद्धान्त के अन्य समर्थकों में जेफरसन, मेडिसन बेन्थम, जे०एस० मिल, ग्रीन, लिंडसे, बार्कर, हॉब्स हाउस तथा लास्की के नाम प्रमुख है।
हर्नशा के अनुसार, लोकतांत्रिक समाज वह है जिसमें समानता के विचार की प्रबलता हो, तथा जिसमें समानता का सिद्धान्त प्रचलित हो।"
मिल के सहिष्णुता को लोकतांत्रिक समाज की प्रमुख विशेषता माना है।
हाकिंस ने लिखा है कि 'लोकतंत्र चेतन और उपचेतन मन की एकता है।”
बेन्थम के अनुसार "सभी को एक गिना जाना चाहिए, एक से अधिक नहीं। "
कार्लाइल का मत है “विश्व में एक योग्य व्यक्ति के साथ 9 मूर्ख होते हैं, सभी को समान राजनीति शक्ति के परिणामस्वरूप मूर्खों की सरकार की स्थापना होती है।
फैगेट ने लोकतंत्र को अयोग्यता भरा शासन कहा है।
एच०जी० वेल्स ने बुद्धिहीन और अज्ञानियों का शासन कहा है
वर्न्स ने ठीक ही लिखा है कि "प्रजातंत्र जिस सभ्यता को जन्म देता है वह दूषित साधारण और मंद होती है।
बाइस का मत है कि “लोकतंत्र' में केवल पढ़ना सिखाया जाता है सोचना और निर्णय करना नहीं।"
लोकतंत्र के विशिष्ट वर्गवादी सिद्धान्त का समर्थन राबर्ट मिशेल्स शुपीटर, रोमोंद आरी जे० सारटोरी और मैन्हाइम ने किया है।
जोसेफ ए० शुंपीटर के अनुसार यह सच है कि लोकतंत्र में राजनीतिक निर्णय नेताओं के द्वारा किए जाते हैं परन्तु जनसाधारण के वोट प्राप्त करने के लिए वहाँ नेताओं में खुली प्रतिस्पर्धा होती है।
रेमोद आरो ने माना कि लोकतंत्र में विशिष्ट वर्ग की बहुलता होती है।
लोकतंत्र के बहुलवादी सिद्धान्त का समर्थन एफ०ए० बेंटली, डेविडट्रमैन और राबर्टडाल ने किया।
लोकतंत्र के बहुलवादी सिद्धान्त के अनुसार लोकतंत्रीय प्रक्रिया के अन्तर्गत ये संघ या समूह आपस में सौदेबाजी करके ऐसी नीतियों के लिए अपनी सहमति व्यक्त करते हैं, जिनसे उनके परस्पर विरोधी हितों में समायोजन स्थापित हो सके। .
सहभागिता मूलक लोकतंत्र के सिद्धान्त का समर्थन कैरोल पैटमेन और सी0बी मैक्फर्सन ने अपनी चर्चित कृति 'डेमोक्रेटिक थ्योरी-ऐसेज इन रिट्रीवल में किया।
प्रतिनिधित्व के प्रतिक्रियावादी सिद्धान्त का समर्थन एडमंड बर्क और जेम्स मेडीसीन ने किया। प्रतिनिधित्व के यथास्थितिवादी सिद्धान्त का समर्थन बर्क और जेम्स मेडिसीन ने किया।
प्रतिनिधित्व के क्रांतिकारी सिद्धान्त का समर्थन रूसो ने किया है।
व्यावसायिक प्रतिनिधित्व जी०डी० एच० कोल ने किया। इसके साथ ही मिरौबी, मुसोलिनी तथा श्रमिक संघवादियों ने भी किया है।
महत्त्वपूर्ण पुस्तक
जेसेफ ए० शुपीटर — कैपिटलिज्म सोशलिज्म एण्ड डेमोक्रेसी
रेमोंद आरो — सोशल स्ट्रक्चर एण्ड द रूलिंग क्लास
सारटोरी — डेमोक्रेटिक थ्योरी
मैन्हाइम — आइडियोलोजी एण्डयूटोपिया
बहुलमत प्रणाली के अन्तर्गत एक सदस्यीय निर्वाचन क्षेत्र होता है इसे फर्स्ट आफ दी पोस्ट सिस्टम भी कहा जाता है।
बहुमत प्रणाली भी एक सदस्यीय निर्वाचन क्षेत्र होता है, लेकिन उम्मीदवार को पूर्ण बहुमत प्राप्त करना जरूरी होता है।
आनुपातिक प्रतिनिधित्व में बहुसदस्यीय निर्वाचन क्षेत्र होता है। इसका ध्येय मतदाताओं को अपने- अपने वोटों की संख्या के अनुपात से प्रतिनिधित्व प्रदान करना होता है।
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- अध्याय -1 राजनीति विज्ञान : परिभाषा, प्रकृति एवं क्षेत्र
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 2 राजनीतिक विज्ञान की अध्ययन की विधियाँ
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 3 राजनीति विज्ञान का अन्य सामाजिक विज्ञानों से संबंध
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 4 राजनीतिक विज्ञान के अध्ययन के उपागम
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 5 आधुनिक दृष्टिकोण : व्यवहारवाद एवं उत्तर-व्यवहारवाद
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- उत्तरमाला
- अध्याय - 6 आधुनिकतावाद एवं उत्तर-आधुनिकतावाद
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- अध्याय - 7 राज्य : प्रकृति, तत्व एवं उत्पत्ति के सिद्धांत
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- अध्याय - 8 राज्य के सिद्धान्त
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- उत्तरमाला
- अध्याय - 9 सम्प्रभुता : अद्वैतवाद व बहुलवाद
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 10 कानून : परिभाषा, स्रोत एवं वर्गीकरण
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 11 दण्ड
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 12 स्वतंत्रता
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
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- अध्याय - 13 समानता
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
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- अध्याय - 14 न्याय
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
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- अध्याय - 15 शक्ति, प्रभाव, सत्ता तथा वैधता या औचित्यपूर्णता
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 16 अधिकार एवं कर्त्तव्य
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 17 राजनीतिक संस्कृति, राजनीतिक सहभागिता, राजनीतिक विकास एवं राजनीतिक आधुनिकीकरण
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
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- अध्याय - 18 उपनिवेशवाद एवं नव-उपनिवेशवाद
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- उत्तरमाला
- अध्याय - 19 राष्ट्रवाद व सांस्कृतिक राष्ट्रवाद
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- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
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- अध्याय - 20 वैश्वीकरण
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- अध्याय - 21 मानवाधिकार
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- अध्याय - 22 नारीवाद
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- अध्याय - 23 संसदीय प्रणाली
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- अध्याय - 24 राष्ट्रपति प्रणाली
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- अध्याय - 25 संघीय एवं एकात्मक प्रणाली
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- अध्याय - 26 राजनीतिक दल
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- अध्याय - 27 दबाव समूह
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- अध्याय - 28 सरकार के अंग : कार्यपालिका, विधायिका एवं न्यायपालिका
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
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- उत्तरमाला
- अध्याय - 29 संविधान, संविधानवाद, लोकतन्त्र एवं अधिनायकवाद .
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- अध्याय - 30 लोकमत एवं सामाजिक न्याय
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- अध्याय - 31 धर्मनिरपेक्षता एवं विकेन्द्रीकरण
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
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- अध्याय - 32 प्रतिनिधित्व के सिद्धान्त
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
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