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बीए सेमेस्टर-2 प्राचीन भारतीय इतिहात एवं संस्कृति

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2723
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-2 प्राचीन भारतीय इतिहात एवं संस्कृति - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- हर्षवर्धन की सांस्कृतिक उपलब्धियों का वर्णन कीजिये?

उत्तर-

भारतीय इतिहास में हर्षवर्धन एक महान शासक माना गया है। उपलब्ध प्रमाणों के आधार पर इसके व्यक्तित्व को बेहद आकर्षक बतलाया गया है, वैसे तो इसका बहुत-सा अंश कल्पना और अनुमान पर अवलम्बित है। उसके जीवन के कार्य वास्तव में अलौकिक तथा प्रायः कथात्मक हैं। कुछ लोग हर्षवर्धन को भारत का आखिरी साम्राज्य निर्माता मानते हैं हालाँकि उसके साम्राज्य जैसे या उससे बड़े अनेक साम्राज्य बने और बिगड़े, जैसे प्रतिहारों का, लेकिन फिर भी हर्षवर्धन की योग्यता में सन्देह नहीं किया जा सकता व उसकी सांस्कृतिक उपलब्धियाँ उसको औरों से श्रेष्ठ बना देती हैं।

उसकी सांस्कृतिक उपलब्धियों का वर्णन हमें ह्वेनसांग के विवरण तथा हर्षचरित से प्राप्त होता है। हर्ष ने हिन्दू सभ्यता को अग्रणी स्थान दिया। हर्ष के पूर्वज भगवान शिव और सूर्य के अनन्य उपासक थे। अतः प्रारम्भ में हर्ष भी अपने कुल देवता शिव का भक्त था परन्तु उस समय बौद्ध धर्म की ख्याति कुछ इस तरह फैली कि हर्षवर्धन भी उस लहर से अछूते न रहे। धीरे-धीरे हर्षवर्धन का झुकाव भी बौद्ध धर्म की ओर बढ़ा। चीनी यात्री ह्वेनसांग से मिलने के पश्चात उसने बौद्ध धर्म की महायान शाखा को राज्याश्रय प्रदान किया और वह पूर्ण बौद्ध बन गये राज्यश्री (बहन) को खोजने में भी एक बौद्ध मित्र ने ही उसका सहयोग किया था। हर्षवर्धन ने कई बौद्ध बिहार तथा स्तूपों का निर्माण करवाया। हर्ष बौद्ध भिक्षुओं का बेहद सम्मान करता था और समय-समय पर इन मठों पर दान भी किया करता था।

हर्षवर्धन की सेना बेहद सबल व शक्तिशाली थी। ह्वेनसांग के अनुसार उसकी सेना में 60,000 हाथी और बेहद अच्छी नस्ल के 10,000 हाथी थे। हर्षवर्धन एक योद्धा ही नहीं बल्कि शान्ति के निर्माता के रूप में भी विख्यात था। उसने शान्ति के लिये बहुत ही अधिक प्रयत्न किया। शान्तिकाल के उसके कृत्यों में एक महत्वपूर्ण समारोह कन्नौज का अधिवेशन था, जिसे उसने महायान के सिद्धान्तों के प्रचार के लिये बुलाया था।

हर्षवर्धन ने बलपूर्वक कश्मीर से बुद्ध का दाँत निकलवा कर कन्नौज के संघाराम में सुरक्षित कराया। चीनी स्रोतों के अनुसार उसने पशुवध तथा मांस भक्षण के विरुद्ध कठोर विधान बनाया, साथ ही साथ बौद्ध बिहार एवं स्तूपों का निर्माण भी किया।

गरीबों तथा रोगियों को निःशुल्क भोजन तथा औषधियों के वितरण हेतु पुण्यशालाओं का भी निर्माण किया। प्रत्येक पांच वर्ष बाद प्रयाग में धार्मिक मेला लगाया जाता था। हर्षवर्धन वहाँ जाकर मुक्तहस्त से दान देता था। सूर्य, बुद्ध और शिव की प्रतिमाओं के जुलूस निकलते थे। विद्वानों और दरिद्रों को इतना अधिक दान दिया जाता था कि हर्ष का खजाना खाली होने के बाद ही रुकता था। इससे हर्ष की धार्मिक सहिष्णुता भी सिद्ध हो जाती है। वह सभी धर्मावलम्बियों को दान देता था। बुद्ध के साथ अन्य हिन्दू देवी-देवताओं की भी पूजा करता था। ह्वेनसांग बताता है कि उस समय प्रयाग में भी बड़ा मेला हुआ करता था।

हर्षवर्धन विद्या के प्रति भी उदार था। ह्वेनसांग के अनुसार हर्ष राजकीय क्षेत्रों का चतुर्थीय प्रख्यात मेधावियों को पुरस्कार करने में व्यय करता था। 'जीवन-वृतान्त' के अनुसार उसने उदारतापूर्वक प्रसिद्ध बौद्ध विद्वान जयसेन को उड़ीसा के अस्सी बड़े नगरों की आय दान कर दी। नालंदा महाबिहार को भी उसने प्रभुत दान दिया। बाणभट्ट जैसे महान साहित्यिक को उसने संरक्षता प्रदान की।

हर्षवर्धन केवल विद्या और विद्वानों को ही प्रोत्साहन नहीं देता था, बल्कि स्वयं एक विद्वान था। उसे प्रियदर्शिका, रत्नावली और नागानन्द का रचयिता माना जाता है। प्राचीन ग्रन्थकार (साठल तथा जयदेव) उसे व्यास तथा कालिदास की श्रेणी में रखते हैं। इत्सिंग ने भी शिलादित्य को साहित्य का प्रेमी बतलाया है।

हर्षकालीन समाज में अनुलोम तथा प्रतिलोम दोनों प्रकार के विवाह का प्रचलन था। पुनर्विवाह नहीं होते थे तथा सती प्रथा का प्रचलन था। कुलीन परिवारों में कई पत्नियाँ रखने का प्रचलन था। सामान्यतः लोगों का जीवन सुखी तथा आमोदपूर्ण था। लोग नाच-गाने के शौकीन थे।

इन विवरणों से हर्ष के व्यक्तित्व की और उसके द्वारा किये गये सांस्कृतिक कार्यों को भी कुछ लोग उसे अशोक तथा कनिष्क जैसे महान भारतीय सम्राटों जैसा मानते हैं, लेकिन वह न तो अशोक जैसा आदर्शवादी ही था, न उतनी मानवीय गुणों से पूर्ण ही था और न वह कनिष्क जैसा महान सेनापति था। धर्म के इतिहास में कनिष्क का स्थान बहुत ही ऊँचा है। उसने बौद्ध धर्म के उत्थान में यथेष्ट योगदान दिया; उसकी गिनती भारत के महान शासकों में की गई। हर्षवर्धन द्वारा एक संवत भी चलाया गया। जो 'हर्षसंवत्' के नाम से विख्यात है और जिसका आरम्भ 606-7 ई. माना जाता है।

ह्वेनसांग बताता है कि उस समय नालन्दा महाबिहार अत्यन्त उन्नत अवस्था में था। उस समय वहाँ के कुलपति महान पण्डित शीलभद्र थे। इस विश्वविद्यालय में दस हजार विद्यार्थी और एक हजार शिक्षक थे। यहाँ पर प्रतिदिन सौ व्याख्यान होते थे तथा विद्यार्थियों की भर्ती अत्यन्त कड़ी परीक्षा के बाद होती थी। हर्षवर्धन का नालन्दा पर विशेष ध्यान रहता था।

कुल मिलाकर हर्ष के समय पर पर्याप्त सांस्कृतिक उपलब्धियों को बढ़ावा दिया गया। जिसे न केवल भारत के लोगों ने सराहा, बल्कि विदेशी राज्यों ने भी उसे सराहा।

उपरोक्त विवरण से यह स्पष्ट है कि हर्ष एक महान विजेता, विस्तारक, कुशल प्रशासक, विद्वान एवं विद्या का संरक्षक था। उसने शिक्षा एवं साहित्य को अत्यधिक प्रोत्साहन दिया। वह एक धर्म सहिष्णु सम्राट भी था। इन्हीं कारणों से वह एक महान सम्राट कहा जाता है, किन्तु इसके बावजूद यह तर्कसंगत नहीं है कि हर्ष प्राचीन भारत का अन्तिम हिन्दू सम्राट था। उसके समय में भारतीय संस्कृति बेहद फली फूली।

हर्ष के बाद कई शासक जैसे कन्नौज नरेश यशोवर्मा, कश्मीर नरेश ललितादित्य, प्रतिहार नरेश मिहिरभोज व महेन्द्रपाल और पालवंशी शासक हुये। धर्मपाल का साम्राज्य न तो हर्ष के साम्राज्य से कम था और न ही वे महानता में हर्ष से कम थे। परन्तु फिर भी हर्ष के समय में भारत की संस्कृति देखते बनती थी।

वह स्वयं एक उच्चकोटि का साहित्यकार था। उसके साथ-साथ हर्ष विद्वानों का आश्रयदाता भी था। हर्ष की रचनाओं पर संस्कृत साहित्य गर्व कर सकता है। इसके अतिरिक्त उसके दरबार में रहने तथा साहित्य का. सृजन करने वाले विद्वान युग-युग तक अमर हो गये। बाणभट्ट की अमर रचना कादम्बरी तथा हर्षचरित विशेष उल्लेखनीय है। स्वयं हर्षरचित रचनाएँ प्रियदर्शिका, रत्नावली तथा नागानन्द थी।

मीनेण्डर तथा कनिष्क के समान ही हर्ष भी एक महान धर्म प्रचारक था। पतन की ओर अग्रसित होते हुये बौद्ध धर्म की उसने पुनः प्रतिष्ठा की थी। कन्नौज की धार्मिक सभा में अन्य धर्मों पर बौद्ध धर्म की विजय का प्रतिपादन करके उसने बौद्ध धर्म को नया जीवन प्रदान किया। उसने अनेक स्तूपों और विहारों का निर्माण कराया और जीव हिंसा को निषेध करा दिया था।

हर्षवर्धन के विषय में हम यह कह सकते हैं कि सातवीं सदी के आरम्भ में भारतीय रंगमंच पर एक विशाल व्यक्तित्व का प्रवेश हुआ जिसको आज सम्पूर्ण विश्व हर्षवर्धन के नाम से जानता है। ह्वेनसांग जो एक विदेशी यात्री था, लगभग 15 वर्षों तक उसके काल में भारत में रहा, उसने अपने ग्रन्थों में हर्षवर्धन की भूरि-भूरि प्रशंसा की है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास को समझने हेतु उपयोगी स्रोतों का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- प्राचीन भारत के इतिहास को जानने में विदेशी यात्रियों / लेखकों के विवरण की क्या भूमिका है? स्पष्ट कीजिए।
  3. प्रश्न- प्राचीन भारत के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की सुस्पष्ट जानकारी दीजिये।
  4. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के विषय में आप क्या जानते हैं?
  5. प्रश्न- भास की कृति "स्वप्नवासवदत्ता" पर एक लेख लिखिए।
  6. प्रश्न- 'फाह्यान' पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  7. प्रश्न- दारा प्रथम तथा उसके तीन महत्वपूर्ण अभिलेख के विषय में बताइए।
  8. प्रश्न- आपके विषय का पूरा नाम क्या है? आपके इस प्रश्नपत्र का क्या नाम है?
  9. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - प्राचीन इतिहास अध्ययन के स्रोत
  10. उत्तरमाला
  11. प्रश्न- बिम्बिसार के समय से नन्द वंश के काल तक मगध की शक्ति के विकास का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- नन्द कौन थे महापद्मनन्द के जीवन तथा उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
  13. प्रश्न- छठी सदी ईसा पूर्व में गणराज्यों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  14. प्रश्न- छठी शताब्दी ई. पू. में महाजनपदीय एवं गणराज्यों की शासन प्रणाली के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
  15. प्रश्न- बिम्बिसार की राज्यनीति का वर्णन कीजिए तथा परिचय दीजिए।
  16. प्रश्न- उदयिन के जीवन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  17. प्रश्न- नन्द साम्राज्य की विशालता का वर्णन कीजिए।
  18. प्रश्न- धननंद और कौटिल्य के सम्बन्ध का उल्लेख कीजिए।
  19. प्रश्न- धननंद के विषय में आप क्या जानते हैं?
  20. प्रश्न- मगध की भौगोलिक सीमाओं को स्पष्ट कीजिए।
  21. प्रश्न- गणराज्य किसे कहते हैं?
  22. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - महाजनपद एवं गणतन्त्र का विकास
  23. उत्तरमाला
  24. प्रश्न- मौर्य कौन थे? इस वंश के इतिहास जानने के स्रोतों का उल्लेख कीजिए तथा महत्व पर प्रकाश डालिए।
  25. प्रश्न- चन्द्रगुप्त मौर्य के विषय में आप क्या जानते हैं? उसकी उपलब्धियों और शासन व्यवस्था पर निबन्ध लिखिए|
  26. प्रश्न- सम्राट बिन्दुसार का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  27. प्रश्न- कौटिल्य और मेगस्थनीज के विषय में आप क्या जानते हैं?
  28. प्रश्न- मौर्यकाल में सम्राटों के साम्राज्य विस्तार की सीमाओं को स्पष्ट कीजिए।
  29. प्रश्न- सम्राट के धम्म के विशिष्ट तत्वों का निरूपण कीजिए।
  30. प्रश्न- भारतीय इतिहास में अशोक एक महान सम्राट कहलाता है। यह कथन कहाँ तक सत्य है? प्रकाश डालिए।
  31. प्रश्न- मौर्य साम्राज्य के पतन के कारणों को स्पष्ट कीजिए।
  32. प्रश्न- मौर्य वंश के पतन के लिए अशोक कहाँ तक उत्तरदायी था?
  33. प्रश्न- चन्द्रगुप्त मौर्य के बचपन का वर्णन कीजिए।
  34. प्रश्न- अशोक ने धर्म प्रचार के क्या उपाय किये थे? स्पष्ट कीजिए।
  35. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - मौर्य साम्राज्य
  36. उत्तरमाला
  37. प्रश्न- शुंग कौन थे? पुष्यमित्र का शासन प्रबन्ध लिखिये।
  38. प्रश्न- कण्व या कण्वायन वंश को स्पष्ट कीजिए।
  39. प्रश्न- पुष्यमित्र शुंग की धार्मिक नीति की विवेचना कीजिए।
  40. प्रश्न- पतंजलि कौन थे?
  41. प्रश्न- शुंग काल की साहित्यिक एवं कलात्मक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  42. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - शुंग तथा कण्व वंश
  43. उत्तरमाला
  44. प्रश्न- सातवाहन युगीन दक्कन पर प्रकाश डालिए।
  45. प्रश्न- आन्ध्र-सातवाहन कौन थे? गौतमी पुत्र शातकर्णी के राज्य की घटनाओं का उल्लेख कीजिए।
  46. प्रश्न- शक सातवाहन संघर्ष के विषय में बताइए।
  47. प्रश्न- जूनागढ़ अभिलेख के माध्यम से रुद्रदामन के जीवन तथा व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिए।
  48. प्रश्न- शकों के विषय में आप क्या जानते हैं?
  49. प्रश्न- नहपान कौन था?
  50. प्रश्न- शक शासक रुद्रदामन के विषय में बताइए।
  51. प्रश्न- मिहिरभोज के विषय में बताइए।
  52. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - सातवाहन वंश
  53. उत्तरमाला
  54. प्रश्न- कलिंग नरेश खारवेल के इतिहास पर प्रकाश डालिए।
  55. प्रश्न- कलिंगराज खारवेल की उपलब्धियों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  56. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - कलिंग नरेश खारवेल
  57. उत्तरमाला
  58. प्रश्न- हिन्द-यवन शक्ति के उत्थान एवं पतन का निरूपण कीजिए।
  59. प्रश्न- मिनेण्डर कौन था? उसकी विजयों तथा उपलब्धियों पर चर्चा कीजिए।
  60. प्रश्न- एक विजेता के रूप में डेमेट्रियस की प्रमुख उपलब्धियों की विवेचना कीजिए।
  61. प्रश्न- हिन्द पहलवों के बारे में आप क्या जानते है? बताइए।
  62. प्रश्न- कुषाणों के भारत में शासन पर एक निबन्ध लिखिए।
  63. प्रश्न- कनिष्क के उत्तराधिकारियों का परिचय देते हुए यह बताइए कि कुषाण वंश के पतन के क्या कारण थे?
  64. प्रश्न- हिन्द-यवन स्वर्ण सिक्के पर प्रकाश डालिए।
  65. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - भारत में विदेशी आक्रमण
  66. उत्तरमाला
  67. प्रश्न- गुप्तों की उत्पत्ति के विषय में आप क्या जानते हैं? विस्तृत विवेचन कीजिए।
  68. प्रश्न- काचगुप्त कौन थे? स्पष्ट कीजिए।
  69. प्रश्न- प्रयाग प्रशस्ति के आधार पर समुद्रगुप्त की विजयों का उल्लेख कीजिए।
  70. प्रश्न- चन्द्रगुप्त (द्वितीय) की उपलब्धियों के बारे में विस्तार से लिखिए।
  71. प्रश्न- गुप्त शासन प्रणाली पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
  72. प्रश्न- गुप्तकाल की साहित्यिक एवं कलात्मक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- गुप्तों के पतन का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- गुप्तों के काल को प्राचीन भारत का 'स्वर्ण युग' क्यों कहते हैं? विवेचना कीजिए।
  75. प्रश्न- रामगुप्त की ऐतिहासिकता पर विचार व्यक्त कीजिए।
  76. प्रश्न- गुप्त सम्राट चन्द्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य के विषय में बताइए।
  77. प्रश्न- आर्यभट्ट कौन था? वर्णन कीजिए।
  78. प्रश्न- स्कन्दगुप्त की उपलब्धियों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  79. प्रश्न- राजा के रूप में स्कन्दगुप्त के महत्व की विवेचना कीजिए।
  80. प्रश्न- कुमारगुप्त पर संक्षेप में टिप्पणी लिखिए।
  81. प्रश्न- कुमारगुप्त प्रथम की उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
  82. प्रश्न- गुप्तकालीन भारत के सांस्कृतिक पुनरुत्थान पर प्रकाश डालिए।
  83. प्रश्न- कालिदास पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  84. प्रश्न- विशाखदत्त कौन था? वर्णन कीजिए।
  85. प्रश्न- स्कन्दगुप्त कौन था?
  86. प्रश्न- जूनागढ़ अभिलेख से किस राजा के विषय में जानकारी मिलती है? उसके विषय में आप सूक्ष्म में बताइए।
  87. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - गुप्त वंश
  88. उत्तरमाला
  89. प्रश्न- दक्षिण के वाकाटकों के उत्कर्ष का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  90. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - वाकाटक वंश
  91. उत्तरमाला
  92. प्रश्न- हूण कौन थे? तोरमाण के जीवन तथा उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
  93. प्रश्न- हूण आक्रमण के भारत पर क्या प्रभाव पड़े? स्पष्ट कीजिए।
  94. प्रश्न- गुप्त साम्राज्य पर हूणों के आक्रमण का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  95. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - हूण आक्रमण
  96. उत्तरमाला
  97. प्रश्न- हर्ष के समकालीन गौड़ नरेश शशांक के विषय में आप क्या जानते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  98. प्रश्न- हर्ष का समकालीन शासक शशांक के साथ क्या सम्बन्ध था? मूल्यांकन कीजिए।
  99. प्रश्न- हर्ष की सामरिक उपलब्धियों के परिप्रेक्ष्य में उसका मूल्यांकन कीजिए।
  100. प्रश्न- सम्राट के रूप में हर्ष का मूल्यांकन कीजिए।
  101. प्रश्न- हर्षवर्धन की सांस्कृतिक उपलब्धियों का वर्णन कीजिये?
  102. प्रश्न- हर्ष का मूल्यांकन पर टिप्पणी कीजिये।
  103. प्रश्न- हर्ष का धर्म पर टिप्पणी कीजिये।
  104. प्रश्न- पुलकेशिन द्वितीय पर टिप्पणी कीजिये।
  105. प्रश्न- ह्वेनसांग कौन था?
  106. प्रश्न- प्रभाकर वर्धन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  107. प्रश्न- गौड़ पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  108. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - वर्धन वंश
  109. उत्तरमाला
  110. प्रश्न- मौखरी वंश की उत्पत्ति के विषय में बताते हुए इस वंश के प्रमुख शासकों का उल्लेख कीजिए।
  111. प्रश्न- मौखरी कौन थे? मौखरी राजाओं के जीवन तथा उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
  112. प्रश्न- मौखरी वंश का इतिहास जानने के साधनों का वर्णन कीजिए।
  113. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - मौखरी वंश
  114. उत्तरमाला
  115. प्रष्न- परवर्ती गुप्त शासकों का राजनैतिक इतिहास बताइये।
  116. प्रश्न- परवर्ती गुप्त शासकों के मौखरी शासकों से किस प्रकार के सम्बन्ध थे? स्पष्ट कीजिए।
  117. प्रश्न- परवर्ती गुप्तों के इतिहास पर टिप्पणी लिखिए।
  118. प्रश्न- परवर्ती गुप्त शासक नरसिंहगुप्त 'बालादित्य' के विषय में बताइये।
  119. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - परवर्ती गुप्त शासक
  120. उत्तरमाला

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