बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन बीए सेमेस्टर-2 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययनसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- "रणजीत सिंह भारत का गुस्तावस एडोल्फस माना जाता है। इस कथन के संदर्भ में रणजीत सिंह द्वारा सिक्ख सेना के किये गये विभिन्न सुधारों का वर्णन कीजिए।
अथवा
रणजीत सिंह के शासनकाल में सेना का मूल्यांकन कीजिए।
अथवा
रणजीत सिंह के समय सिक्ख सैन्य पद्धतियों की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
अथवा
महाराजा रणजीत सिंह की सिक्ख सेना के संगठन और सामरिकी का वर्णन कीजिए।
अथवा
महाराज रणजीत सिंह के सैन्य सुधारों का वर्णन कीजिए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. महाराजा रणजीत सिंह के सैन्य संगठन को संक्षेप में लिखिए।
2. महाराजा रणजीत सिंह के तोपखाने के संगठन पर प्रकाश डालिए।
3. महाराजा रणजीत सिंह के सैन्य सुधारों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर -
(Reforms of Ranjeet Singh)
1. परिचय - रणजीत सिंह सुकरचकिया मिस्ल के सरदार का बेटा था। 19 वर्ष की आयु (1789 ई०) में रणजीत सिंह ने काबुल के अफगान शाह को पंजाब पर आक्रमण करने में सहायता की थी जिससे खुश होकर जम्मनशाह ने उसे लाहौर का गवर्नर नियुक्त किया तथा उसे राजा की उपाधि से विभूषित किया। सन् 1802 ई० में उसने अपने आपको अमृतसर का स्वामी घोषित किया। कुछ ही वर्षों में रणजीत सिंह ने सभी मिस्लों पर अपनी शक्ति का प्रभाव डालकर एक शक्तिशाली सिक्ख राज्य की स्थापना की। जब रणजीत सिंह पंजाब के शासक बने तो उन्होंने यह अनुभव किया कि सिक्ख सैनिक यद्यपि लड़ाकू हैं, परन्तु उनमें अनुशासन की कमी है तथा वे संगठनविहीन हैं उनके शस्त्रास्त्र भी काफी पुराने थे। अतः उन्होंने अपनी सेना को प्रशिक्षण देने के लिए प्रतिभाशाली फ्रांसीसी तथा अंग्रेज अधिकारियों एलाई तथा वेन्चुरा (जोकि नेपोलियन की सेना के ख्याति प्राप्त सेनापति थे) और कोर्ट तथा एवीटेबल नामव अंग्रेज अफसरों को प्रशिक्षक के तौर पर अपनी सेना में रखा।
2. सैन्य संगठन - रणजीत सिंह के विभिन्न सैन्य संगठन को निम्नलिखित रेखा चित्र द्वारा आसानी से समझा जा सकता है।
रणजीत सिंह के अधीन कार्य करने वाली सेनाओं को दो भागों में विभाजित किया
(क) राजकीय सेना - इस सेना में राज्य की ओर से भर्ती किये गये सैनिक होते थे। जिन्हें राज्य की ओर से वेतन दिया जाता था।
(ख) जागीरदारों की सेना - इस सेना में सामन्तों द्वारा संगठित की गई सेना थी जो युद्ध के समय राज्य की ओर से युद्ध करने में महाराजा का सहयोग करती थी। जागीरदारों की सेना में अश्वारोही, पैदल तथा तोपखाना तीनों प्रकार की सेनाएँ होती थीं। राजकीय सेना भी दो प्रकार की होती थीं-
(i) नियमित सेना (Regular Army) - इस सेना को फौज-ए-ऐन भी कहते थे। इस सेना को यूरोपीय ढंग से तीन सेनांगों अश्वारोही सैनिक, पैदल सैनिक, तथा तोपखाने में संगठित किया गया था।
(ii) अनियमित सेना (Irregular Army) - अनियमित सेना को फ़ौज-ए-बेकवायद भी कहते थे। इस सेना के भी दो अंग होते थे-
(क) घुड़सवार ( फौज - ए - सवारी) - इसमें भारतीय ढंग से प्रशिक्षित अश्वारोही सैनिक होते थे। (ख) गढ़ सेना ( फौज-ए-किलाजीत ) - इस सेना में तीनों सेनाओं का सम्मिश्रण था। इस सेना का कार्य किलों पर धावा बोलने और उन पर अधिकार करने का था।
इस प्रकार रणजीत सिंह ने अपनी सेना में देशी तथा विदेशी दोनों तरह की सैन्य प्रशिक्षित सेनाओं को रखा ताकि विदेशी सेनाओं से युद्ध के समय कोई परेशानी न हो और उन्हें उन्हीं की सैन्य पद्धति से हटाया जा सके। रणजीत सिंह का सैन्य संगठन बहुत ही अच्छा तथा शक्तिशाली था। रणजीत सिंह का सैन्य संगठन किसी भी प्रकार की सेना से युद्ध करने में सक्षम था।
3. तोपखाने का विकास - रणजीत सिंह से पूर्व के काल में तोपखाने के विकास पर कोई ध्यान नहीं दिया गया था। रणजीत सिंह ने तोपखाने के विकास पर विशेष प्रयास किया। उसने लाहौर के निकट तोपों को ढालने के लिए कारखाने खुलवाये तथा बड़ी और हल्की सभी प्रकार की तोपों का निर्माण इन कारखानों में करवाया। तोपों और शस्त्रास्त्रों के निर्माण के लिए उसने और भी कारखाने लाहौर, अमृतसर, श्रीनगर तथा मुल्तान में खुलवाये। रणजीत सिंह ने अपने तोपखानों को तीन स्तर में संगठित किया -
(i) तोपखाना जिन्सी - इसमें घोड़ों, बैलों, हाथियों एवं ऊंटों के द्वारा खींची जाने वाली भारी तथा हल्की सभी प्रकार की तोपें होतीं थीं। जिन्हें क्रमशः अस्पी, गावी, फिले तथा शुत्रि कहा जाता था।
(ii) तोपखाना-ए-अस्पी - इसमें केवल घोड़ों के द्वारा खींची जाने वाली हल्की तोपें होती थीं।
(iii) तोपखाना जम्बूरखाना - इसमें हल्की तोपें होती थीं जिन्हें सरलतापूर्वक किले में एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया जा सकता था।
4. भर्ती तथा परिश्रमिक - फौज में सैनिकों की भर्ती के लिए कोई जोर जबरदस्ती नहीं थी अपनी इच्छा के अनुरूप व्यक्ति आते थे और सेना में भर्ती हो जाते थे। रणजीत सिंह की सेना में भर्ती होने के लिए किसी विशेष योग्यता का होना आवश्यक नहीं था। सिर्फ शारीरिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति सेना में भर्ती हो सकते थे।
सैनिकों को वेतन वर्ष में चार या पाँच बार ही मिलता था। कभी-कभी वेतन मिलने में और देर हो जाती थी। घुड़सवारों का वेतन पैदल सैनिकों के वेतन से अधिक था। तोपचियों का वेतन पैदल सैनिकों के तन के समान रहता था। युद्ध में शहीद हो जाने पर सैनिक के परिवार को जागीर या रुपये दे दिये जाते
5. प्रशिक्षण - रणजीत सिंह ने अपनी सेना को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया अपनी सेना को प्रशिक्षित करने के लिए उसने अंग्रेज अधिकारियों को प्रशिक्षक के रूप में अपनी सेना में रखा। उसने नेपोलियन की सेना के ख्याति प्राप्त सैनिक अधिकारी एलार्ड तथा वेन्चुरा (Allord and Ventura) और कोर्ट तथा एवीटेबल (Court and Avitable) नामक अंग्रेज अफसरों को प्रशिक्षण के लिए नियुक्त किया। उसने अपनी सेना को यूरोपीय तथा भारतीय दोनों ढंग से प्रशिक्षित किया।
6. अस्त्र-शस्त्र -रणजीत सिंह की सेना में हथियारों की कमी नहीं थी। उसकी सेना में नये तथा पुराने दोनों प्रकार के हथियार थे। धर्म-परम्परा के अंतर्गत उसकी सेना में तलवार, कृपाण थे। परन्तु रणजीत सिंह ने शस्त्रों के निर्माण पर बल दिया और नवीन हथियारों से अपनी सेना को सुसज्जित किया। रणजीत सिंह ने बन्दूकों, मस्कट तथा तोपखानों के निर्माण तथा प्रयोग पर बल दिया।
7. प्रशासनिक व्यवस्था - रणजीत सिंह ने अपने सैनिकों की सुविधा के लिए 30-40 कोस के मध्य में थोड़े-थोड़े अन्तर पर अनाज आदि के भंडारों के गोदाम बनवा देता थे ताकि सैनिकों को व पशुओं को आवश्यकतानुसार सही समय पर भोजन व चारा आदि मिल सके। सैनिकों की आवश्यकता की पूर्ति के लिए जागीरदारों को आदेश दिये गये थे कि उनके प्रदेश से होकर जाने वाली सेनाओं की आवश्यकताओं की पूर्ति इन भंडारों के द्वारा करे।
8. अनुशासन - महाराजा रणजीत सिंह ने अनुशासनविहीन तथा अव्यवस्थित सिक्खों को कठोर अनुशासन के अंतर्गत प्रशिक्षण दिया ताकि सेना में अनुशासन बना रहे। सैनिकों को नाच-गाने से दूर रखा जाता था। सैनिकों में आपस में झगड़ा होने की दशा में दोषी सैनिक को कठोर दंड दिया जाता था ताकि दूसरे सैनिकों को अनुशासन में रहने की शिक्षा मिल सके। सैनिकों को युद्ध के समय शराब आदि पीने की मनाही थी। रणजीत सिंह के बनाये हुए नियमों को अगर कोई सैनिक तोड़ता था तो उसे नौकरी से निकाल दिया जाता था।
9. युद्ध नीति- सिक्ख सैनिकों को रणजीत सिंह ने यूरोपीय ढंग से प्रशिक्षित कराया। प्रशिक्षण के उपरान्त सिक्ख सैनिकों ने छापामार युद्ध नीति को छोड़कर मैदान में आमने-सामने की लड़ाई लड़ना आरम्भ कर दिया। इस यूरोपीय ढंग की युद्ध नीति के तहत घुड़सवार सैनिक सामने से शत्रु सेना पर आक्रमण करते तथा तोपों व बन्दूकों से फायर करके शत्रु सेना में भगदड़ मचा देते थे। वे निर्भीक होकर अन्त समय तक युद्ध करते रहते थे।
निष्कर्ष - रणजीत सिंह की सैन्य पद्धति तथा संगठन का अध्ययन करने के बाद यह निष्कर्ष निकलता है कि रणजीत सिंह ने सिक्ख सेना को संगठित तथा एकत्र किया तथा सभी सैन्य दलों को उचित प्रशिक्षण देकर अत्याधिक शक्तिशाली सेना का निर्माण किया। रणजीत सिंह के ही कारण सिक्खों के पास तोपों का विकास हुआ तथा वे यूरोपीय सैन्य पद्धति से युद्ध करने में माहिर हुए। कठोर अनुशासन तथा सिक्खों के अदम्य साहस और नवीन शस्त्रों के कारण ही सिख सेना एक शक्तिशाली सेना बन गई थी।
अन्त में यह कहना उचित होगा कि सिक्खों के सैन्यीकरण तथा सिक्ख सेना को एक शक्तिशाली सेना बनाने का पूरा श्रेय महाराजा रणजीत सिंह को ही जाता है।
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- प्रश्न- वैदिककालीन सैन्य पद्धति एवं युद्धकला का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- महाकाव्य एवं पुराणकालीन सैन्य पद्धति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में गुप्तचर व्यवस्था पर प्रकाश डालते हुए गुप्तचरों के प्रकार तथा कर्मों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- राजदूतों के कर्त्तव्यों का विशेष उल्लेख करते हुए प्राचीन भारत की युद्ध कूटनीति पर एक निबन्ध लिखिये।
- प्रश्न- समय और कालानुकूल कुरुक्षेत्र के युद्ध की अपेक्षा रामायण का युद्ध तुलनात्मक रूप से सीमित व स्थानीय था। कुरुक्षेत्र के युद्ध को तुलनात्मक रूप में सम्पूर्ण और 'असीमित' रूप देने में राजनैतिक तथा सैन्य धारणाओं ने क्या सहयोग दिया? समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन "दस राजाओं के युद्ध" का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- वैदिकयुगीन दुर्गों के वर्गीकरण का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैदिककालीन सैन्य संगठन पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- सैन्य पद्धति का क्या अर्थ है?
- प्रश्न- भारतीय सैन्य पद्धति के अध्ययन के स्रोत कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्धों के वास्तविक कारण क्या होते थे?
- प्रश्न- पौराणिक काल के अष्टांग बलों के नाम लिखिये।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास में कितने प्रकार के राजदूतों का उल्लेख है? मात्र नाम लिखिये।
- प्रश्न- धनुर्वेद के अनुसार आयुधों के वर्गीकरण पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्ध के कौन-कौन से नियम होते थे?
- प्रश्न- महाकाव्यकालीन युद्ध के प्रकार एवं नियमों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक काल के रण वाद्य यन्त्रों के बारे में लिखिये।
- प्रश्न- वैदिककालीन दस राजाओं के युद्ध का क्या परिणाम हुआ?
- प्रश्न- पौराणिक काल में युद्धों के क्या कारण थे?
- प्रश्न- वैदिक काल की रथ सेना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन काल में अश्व सेना के कार्यों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में राजूदतों के कार्यों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय सेना के युद्ध के नियमों को बताइये।
- प्रश्न- किन्हीं तीन प्रकार के प्राचीन हथियार एवं दो प्रकार के कवचों के नाम लिखिए।
- प्रश्न- धर्म युद्ध से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- किलों पर विजय प्राप्त करने की विधियों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- झेलम के संग्राम (326 ई.पू.) में पोरस की पराजय के कारणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- झेलम के संग्राम से क्या सैन्य शिक्षाएं प्राप्त हुई?
- प्रश्न- झेलम के संग्राम के समय भारत की यौद्धिक स्थिति का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सिकन्दर की आक्रमण की योजना की समीक्षा करो।
- प्रश्न- पोरस तथा सिकन्दर की सैन्य शक्ति की तुलनात्मक विवरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- सिकन्दर तथा पुरू की सेना का युद्ध किस रूप में प्रारम्भ हुआ?
- प्रश्न- सिकन्दर तथा पोरस की सेना को कितनी क्षति उठानी पड़ी?
- प्रश्न- कौटिल्य के अर्थशास्त्र में वर्णित सैन्य पद्धति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के अनुसार मौर्यकालीन युद्ध कला एवं सैन्य संगठन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य कौन था? उसकी पुस्तक का नाम लिखिए।
- प्रश्न- कौटिल्य द्वारा वर्णित सैन्य बलों की श्रेणियां लिखिये।
- प्रश्न- कौटिल्य ने अर्थशास्त्र में कितने प्रकार के राजदूतों का वर्णन किया है
- प्रश्न- कौटिल्य के सैन्य संगठन सम्बन्धी विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के व्यूहरचना (Tactical Formatic) सम्बन्धी विचारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के द्वारा बताये गये दुगों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य ने युद्ध संचालन के लिए कौन-कौन से विभागों का वर्णन किया है?
- प्रश्न- कौटिल्य द्वारा बताये गये गुप्तचरों के रूप लिखिए।
- प्रश्न- राजपूत सैन्य पद्धति और युद्धकला पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- तराइन के द्वितीय संग्राम (1192 ई०) का वर्णन कीजिए। हमें इस युद्ध से क्या शिक्षाएँ मिलती हैं?
- प्रश्न- तराइन के दूसरे युद्ध ( 1192 ई०) में राजपूतों की पराजय तथा मुसलमानों की विजय के क्या कारण थे?
- प्रश्न- तराइन के युद्ध की सैन्य शिक्षाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राजपूतों के गुणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- "राजपूतों में दुर्गुणों का भी अभाव न था।" इस कथन को साबित कीजिए।
- प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के सैन्य संगठन और युद्ध कला पर प्रकाश डालिए। बलबन तथा अलाउद्दीन के सैन्य सुधारों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के पतन के कारणों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- मुगल काल में अश्वारोही सैनिक कितने प्रकार के होते थे?
- प्रश्न- तोप और अश्वारोही सेना मुगलकालीन सेना के मुख्य सेनांग थे जिनके ऊपर उन्हें विजय प्राप्त करने का विश्वास था। विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आघात समरतंत्र (Shock Tactics) क्या है?
- प्रश्न- दिल्ली सल्तनत की सैन्य व्यवस्था तथा विस्तार पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- मुगल स्त्रातजी तथा सामरिकी का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 1526 ई० में पानीपत के प्रथम संग्राम का सचित्र वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मुगलों की सेना में कितने प्रकार के सैनिक थे?
- प्रश्न- मुगल सैन्य पद्धति के पतन के क्या कारण थे?
- प्रश्न- सेना के वह मुख्य भाग क्या थे? जिन पर मुगलों की विजय आधारित थी? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मुगल तोपखाने पर संक्षेप में लिखिये।
- प्रश्न- युद्ध क्षेत्र में मुगल सेना की रचना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मुगल काल में अश्वारोही सैनिक कितने प्रकार के होते थे?
- प्रश्न- तोप और अश्वारोही सेना मुगलकालीन सेना के मुख्य सेनांग थे जिनके ऊपर उन्हें विजय प्राप्त करने का विश्वास था। विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- खानवा की लड़ाई (1527 ई०) का सचित्र वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राजपूतों की असफलता के क्या कारण थे?
- प्रश्न- राजपूतों की युद्ध कला पर संक्षेप में लिखिये।
- प्रश्न- राजपूतों का सैन्य संगठन कैसा था?
- प्रश्न- राजपूतों के गुणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- राजपूतों में दुर्गणों का भी अभाव न था। इस कथन को साबित करिये।
- प्रश्न- तराइन के दूसरे युद्ध (1192 ई.) में राजपूतों की पराजय तथा मुसलमानों की विजय के क्या कारण थे?
- प्रश्न- 1527 ई० की खानवा की लड़ाई में राजपूतों और मुगलों की तुलनात्मक सैन्य शक्ति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 17वीं शताब्दी में मराठा शक्ति के उत्कर्ष के कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- मराठा सैन्य पद्धति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मराठा सेनाओं की युद्ध कला एवं संगठन का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- पानीपत के तीसरे संग्राम (1761 ई०) का सचित्र वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मराठा शक्ति के उदय पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शिवाजी के समय मराठों का सैन्य संगठन का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- मराठों की युद्धकला पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मराठा सैनिकों के सैन्य गुणों को बताइये।
- प्रश्न- शिवाजी के सैन्य गुणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- पानीपत के तृतीय युद्ध ( 1761 ई०) में मराठों और अफगानों की सैन्य शक्ति का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- पानीपत के तृतीय युद्ध का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पानीपत के तीसरे युद्ध (1761 ई.) में मराठों की पराजय के प्रमुख कारण लिखिए।
- प्रश्न- सिक्ख सैन्य पद्धति, युद्ध कला तथा संगठन का पूर्ण विवरण दीजिए।
- प्रश्न- रणजीत सिंह के पूर्व सिक्ख सैन्य पद्धति की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- "रणजीत सिंह भारत का गुस्तावस एडोल्फस माना जाता है। इस कथन के संदर्भ में रणजीत सिंह द्वारा सिक्ख सेना के किये गये विभिन्न सुधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सोबरांव के संग्राम (1864 ई०) का वर्णन करते हुए सिक्ख सेना की पराजय के कारण बताइये।
- प्रश्न- दल खालसा पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सिक्ख सैन्य संगठन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह ने सिक्खों को सैनिक क्षेत्र में क्या योगदान दिये?
- प्रश्न- सिक्खों के सेनांग का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रणजीत सिंह से पूर्व सिक्खों के समरतंत्र पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- खालसा युद्ध कला पर लिखिये।
- प्रश्न- महाराजा रणजीत सिंह के तोपखाने का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रणजीत सिंह ने सेना में क्या-क्या सुधार किये?
- प्रश्न- सोबरांव के युद्ध (1846) में सिक्खों की मोर्चे बन्दी का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सोबरांव के युद्ध में सिक्खों की पराजय के क्या कारण थे?
- प्रश्न- सिक्ख दल खालसा का युद्ध के समय क्या महत्व था?
- प्रश्न- ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सैन्य पद्धति का वर्णन कीजिए तथा 1857 ई. के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के कारण बताइये।
- प्रश्न- सन् 1858 से लेकर सन् 1918 तक अंग्रेजों के अधीन भारतीय सेना के संगठन तथा विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्वतंत्रता पश्चात् सशस्त्र सेनाओं के भारतीयकरण का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सेना के भारतीयकरण में मोतीलाल नेहरु की रिपोर्ट का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- 1939-45 के मध्य भारतीय सशस्त्र सेनाओं के विस्तार और भारतीयकरण का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- भारतीय नभ शक्ति की विशेषताओं तथा कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय कवचयुक्त सेना पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- आधुनिक भारत में सैन्य संगठन की रचना एवं तत्वों का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय थल सेना के अंगों का विस्तृत विवरण दीजिए।
- प्रश्न- भारत के लिए एक शक्तिशाली नौसेना क्यों आवश्यक है? नौसेना के युद्ध कालीन कार्य बताइए।
- प्रश्न- भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के सैन्य संगठन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- लार्ड क्लाइव ने सेना में क्या-क्या सुधार किये?
- प्रश्न- लार्ड कार्नवालिस के सैन्य सुधारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कमाण्डर-इन-चीफ लार्ड रॉलिन्सन ने क्या सुधार किये?
- प्रश्न- कम्पनी सेना की स्थापना के क्या कारण थे?
- प्रश्न- प्रेसीडेन्सी सेनाओं के विकास का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- क्राउनकालीन भारतीय सेना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ब्रिटिशकालीन भारतीय सेना को किन कारणों से राष्ट्रीय सेना नहीं कहा जा सकता?
- प्रश्न- भारतीय मिसाइल कार्यक्रम पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- ब्रह्मोस क्या है?
- प्रश्न- भारत की नाभिकीय नीति का संक्षेप में विवेचन कीजिये।
- प्रश्न- भारत ने व्यापक परीक्षण प्रतिबन्ध सन्धि (CTBT) पर हस्ताक्षर क्यों नहीं किया है?
- प्रश्न- पोखरन-II परीक्षणों में भारत ने किस प्रकार के अस्त्रों की क्षमता का परिचय दिया था?
- प्रश्न- भारत की प्रतिरक्षात्मक तैयारी का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- भारत की स्थल सेना के कमाण्ड्स के नाम व उनके मुख्यालय लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय वायु सेना के कार्यों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय वायु सेना के संगठन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारतीय वायुसेना के कमाण्ड्स के नाम व उनके मुख्यालय लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय वायुसेना पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- भारतीय स्थल सेना की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वायुसेना का महत्व समझाइये।
- प्रश्न- भारत की स्थल सेना के कमाण्ड्स के नाम व उनके मुख्यालय लिखिए।
- प्रश्न- प्रथम भारत-पाक युद्ध या कश्मीर युद्ध (1947-48) का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्वतन्त्रता के पश्चात् भारतीय सेनाओं द्वारा लड़े गये युद्धों का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- 1948 के भारत-पाक युद्ध में स्थल सेना की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कश्मीर विवाद 1948 में सैन्य कार्यवाही के कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- 1948 का युद्ध भारत पर अचानक आक्रमण था। कैसे?
- प्रश्न- कश्मीर सैन्य कार्यवाही, 1948 के राजनैतिक परिणाम क्या थे? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "भारतीय उपमहाद्वीप में शान्ति भारत-पाक सम्बन्धों पर अवलम्बित है।" इस कथन का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए
- प्रश्न- भारत-पाक युद्ध 1948 में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका।
- प्रश्न- 1962 में चीन के विरुद्ध भारत की सैनिक असफलताओं के कारण बताइए।
- प्रश्न- 1948 तथा 1962 के युद्धों में प्रयुक्त समरनीति का तुलनात्मक विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- भारत के सन्दर्भ में तिब्बत की सुरक्षा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत-चीन युद्ध 1962 में वायुसेना की भूमिका का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत-चीन संघर्ष, 1962 ने भारतीय सेना की कमजोरियों को उजागर किया। समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- नदी बाहुल्य क्षेत्र में वायुसेना की महत्ता समझाइये।
- प्रश्न- "भारत में रक्षा अनुसंधान एवं रेखास संगठन की भूमिका' पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- 1965 में भारत और पाकिस्तान के मध्य हुए युद्ध का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 1965 के भारत-पाक संघर्ष के प्रमुख कारणों को आंकलित कीजिए।
- प्रश्न- 1965 के कच्छ के विवाद पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- ताशकन्द समझौता क्यों हुआ? स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- मरुस्थल के युद्ध की समस्याएँ लिखिए।
- प्रश्न- कच्छ के रन का रेखाचित्र बनाइये।
- प्रश्न- कच्छ के रण का महत्व समझाइये।
- प्रश्न- ताशकन्द समझौते के मुख्य प्रस्तावों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- कच्छ सैन्य अभियान पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत-पाक युद्ध 1971 का वर्णन कीजिए तथा युद्ध के कारणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 1971 के युद्ध में जैसोर तथा ढाका की घेराबन्दी अभियान तथा ढाका के आत्मसमर्पण का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत के लिए कारगिल क्यों महत्वपूर्ण है?
- प्रश्न- कारगिल युद्ध 1999 की उत्पत्ति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कारगिल युद्ध 1999 में भारतीय वायुसेना की आक्रामक कार्यवाही का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- कारगिल संघर्ष 1999 के कारणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कारगिल युद्ध के पीछे पाकिस्तान की मंशा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कारगिल युद्ध (1999) के समय भारतीय सेनाओं के समक्ष आई समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- कारगिल युद्ध 1999 में भारतीय वायुसेना की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- 1 - वैदिक एवं महाकाव्यकालीन सैन्य व्यवस्था (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 2 - झेलम संग्राम - 326 ई. पू. (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 3- कौटिल्य का युद्ध दर्शन (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 4 - तुर्क एवं राजपूत सैन्य पद्धति : तराइन का युद्ध (1192 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 5- सैन्य संगठन एवं सल्तनत काल की सैन्य पद्धति (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 6 - मुगल सैन्य पद्धति : पानीपत का प्रथम संग्राम (1526 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 7- राजपूत सैन्य संगठन, शस्त्र प्रणाली एवं खानवा का संग्राम (1527 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 8- मराठा सैन्य पद्धति एवं पानीपत का तीसरा युद्ध (1761 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्नऋ
- उत्तरमाला
- 9 - सिक्ख सैन्य प्रणाली एवं सोबरांव का युद्ध (1846 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 10 - ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सैन्य पद्धति, 1858-1947 ईस्वी तक (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 11- प्रथम भारत पाक युद्ध (1947-48) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 12 - भारत-चीन युद्ध 1962 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 13 - भारत-पाकिस्तान युद्ध - 1985 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 14- बांग्लादेश की स्वतन्त्रता - 1971 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 15 - कारगिल संघर्ष - 1999 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला