बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन बीए सेमेस्टर-2 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययनसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन - सरल प्रश्नोत्तर
राजपूत सैन्य संगठन, शस्त्र प्रणाली एवं
खानवा का संग्राम (1527 ईस्वी)
[Rajput Military Organisation, Weapon
System and Battle of Kanwah (1527 AD)]
प्रश्न- खानवा की लड़ाई (1527 ई०) का सचित्र वर्णन कीजिए।
अथवा
खानवा के संग्राम (1527 ई०) के विशेष संदर्भ में मुगल युद्धकला का वर्णन कीजिए।
अथवा
खानवा के युद्ध (1527 ई.) का स्वच्छ चित्र बनाकर विरोधी सेनाओं की स्थिति स्पष्ट कीजिए।
अथवा
खानवा के संग्राम (1527 ई.) का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
खानवा की लड़ाई (1527 ई०)
पृष्ठभूमि - पानीपत के युद्ध में इब्राहीम लोदी को परास्त करने के बाद बाबर ने संपूर्ण भारत पर अधिकार करने के उद्देश्य से छोटी-छोटी रियासतों को डरा धमका कर अपने शासन में मिला लिया, परन्तु सिर्फ दिल्ली पर अधिकार करके बाबर संपूर्ण भारत पर शासन नहीं कर सकता था। बाबर ने सोचा कि शायद अब भारत में कोई और राजा बाबर का मुकाबला नहीं कर पायेगा लेकिन मेवाड़ के राजा राणा संग्राम सिंह ने बाबर के इस स्वप्न पर पानी फेरने की कोशिश की। इस समय मेवाड़ का शासक राणा संग्राम सिंह एक बहुत ही शक्तिशाली योद्धा था तथा संग्राम सिंह का आधिपत्य ग्वालियर, अजमेर, मारवाड़ आदि राज्यों पर भी था। बाबर को भारत पर शासन करने के लिए राणा सांगा को हराना आवश्यक था। इसीलिए बाबर को राणा सांगा से खानवा का युद्ध करना पड़ा था।
राणा सांगा और हसन खां मेवाती ने मिलकर बाबर को भारत से बाहर खदेड़ने का निश्चय किया तथा दोनों ने मिलकर 'बियांना' के किले को जा घेरा बियाना के किले की सहायता के लिए बाबर ने कई बार सैन्य टुकड़ियाँ भेजीं परन्तु हर बार किले तक पहुंचने से पूर्व ही राणा सांगा की सेना ने बाबर की उन सैन्य टुकड़ियों को बुरी तरह पराजित करके भागने पर विवश कर दिया। इन टुकड़ियों की हार को देखकर बाबर समझ गया कि राणा सांगा एक बहुत चतुर तथा बहादुर व्यक्ति है। इसलिए बाबर खुद ही राणा सांगा से टक्कर लेने के लिए आगरा से चल पड़ा और इधर राणा सांगा बियाना का घेरा उठाकर बाबर से युद्ध करने के लिए आगरा की ओर चल पड़ा तथा दोनों सेनायें सीकरी के निकट 'खानवा' के स्थान पर पहुँच कर रुक गईं।
1. तुलनात्मक सैन्य शक्ति - राजपूतों की सैन्य संख्या मुगल सेना से कहीं अधिक थी। राणा सांगा की सेना में लगभग एक लाख सैनिक थे तथा बाबर की कुल सैन्य संख्या 30,000 से अधिक नहीं थी। राणा सांगा की सेना में लगभग 1000 हाथी भी थे। बाबर की सेना में हाथियों की सेना नहीं थी। परन्तुं बाबर के पास एक ऐसा हथियार था जिसका मुकाबला राजपूत नहीं कर सकते थे। वह था बाबर का तोपखाना। राजपूतों को तोपों तथा बन्दूकों जैसे नये हथियारों का अनुभव नहीं था। बाबर के सैनिक युद्ध कौशल में बहुत निपुण थे परन्तु राणा सांगा के सैनिकों में युद्ध कौशल की कमी थी।
2. बाबर की समरतांत्रिक योजना - बाबर जानता था कि राणा सांगा की इस विशाल सेना का सामना वह खुले मैदान में नहीं कर सकता था। अतः उसने प्रतिरक्षात्मक स्थिति का प्रयोग किया। उसने अपनी सेना को मोर्चे की गाड़ियों के पीछे खड़ा कर दिया। उसकी योजना थी कि जब राजपूत आक्रमण करें तो बाबर की सेना गाड़ियों के पीछे सुरक्षित रहे और उसकी तोपें राजपूत सेनाओं पर गोलाबारी करके उन्हें तितर-बितर कर दें। जब राजपूत बुरी तरह घबरा जायें और वे थककर चूर हो जायें तो बाबर की अश्वारोही सेना आगे बढ़कर राजपूतों पर टूट पड़े।
3. बाबर की सेना की व्यूहरचना - बाबर ने अपनी योजना को साकार करने के लिए अपनी सेना की व्यूहरचना निम्नलिखित प्रकार से की
(i) सबसे आगे सेना का सामान ढोने वाली गाड़ियाँ सुरक्षा की दृष्टि से खड़ी कीं जिनकी संख्या लगभग 1000 थी।
(ii) हर दो गाड़ियों के बीच रिक्त स्थान में पाँच या छः ढालें लगा दी गई थीं।
(iii) इन ढालों के पीछे बन्दूकधारी सैनिक खड़े किये गये थे।
(iv) गाड़ियों के पीछे मॉरटर व तोपें लगाई गई थीं।
(v) गाड़ियों और ढालों के मध्य थोड़ी-थोड़ी खाली जगह छोड़ी गई थी जहाँ से सौ-सौ घुड़सवार आगे बढ़ सकते थे।
(vi) दूसरी लाइन में बन्दूकधारी सैनिक व तोपें थीं।
4. युद्ध का प्रारम्भ - 17 मार्च 1527 को राणा सांगा की सेना का एक सेनानायक सिल्हही अपने 6,000 सैनिकों के साथ बाबर की सेना से जा मिला। राणा सांगा इससे विचलित नहीं हुआ और वह बाबर की सेना के मध्य पर आक्रमण करने को आगे बढ़ा परन्तु बाबर ने अपनी तोपों के फायर प्रारम्भ कर दिये जिससे राणा सांगा की सेना बाबर की सेना तक पहुंचने से पूर्व ही अस्त-व्यस्त हो गई। राजपूतों ने ऐसे हथियार कभी नहीं देखे थे। तोपों के फायर से राजपूत सैनिक घबरा गये और हाथी भी अनियंत्रित होकर इधर-उधर भागने लगे। विवश होकर राणा सांगा ने जहाँ तोपे नहीं थी उस तरफ अपनी सेनाओं को भेजा। राजपूत सैनिक दोनों पार्श्वो दाहिने तथा बायें पार्श्वों पर लड़ाई करने लगे।
राजपूत सैनिक इन दोनों पाश्र्वों पर भारी पड़ने लगे तो बाबर ने इन दोनों पार्श्वो पर भी तोपों और मॉर्टर द्वारा फायर प्रारम्भ कर दिया तोपों के प्रहार से राजपूत सैनिकों के पांव इन दोनों पाश्र्वों से भी. उखड़ गये। इन अश्वारोही सैनिकों के साथ बन्दूकधारी सैनिक व छोटी तोपों ने भी मध्य भाग पर आक्रमण कर दिया। इस आक्रमण में राणा सांगा को एक गोली (तीर-ए-तुफंग) लगी जिससे वह बेहोश हो गया।
5. युद्धकाल का अन्त - इधर राजपूत सेना नेतृत्व की कमी और बाबर की तोपों की मार के कारण शिथिल होने लगी। अतः उन्होंने भागती हुई राजपूत सेना का पीछा नहीं किया और इस तरह बाबर की सेना ने पुनः भारतीय सेना को हराकर विजय प्राप्त की। बाबर ने विजयी होकर 'गाजी' की उपाधि 'ग्रहण कर ली।
6. युद्ध के परिणाम - खानवा के युद्ध के निम्नलिखित उल्लेखनीय परिणाम हुए-
(i) खानवा के युद्ध ने भारत के इतिहास में एक नये युग का सूत्रपात किया। इस युद्ध के साथ उत्तरी भारत में राजपूत शक्ति का भी अन्त हो गया।
(ii) बाबर ने निर्भीकता के साथ स्वयं को दिल्ली का बादशाह घोषित किया।
(iii) राजपूतों को इस युद्ध से विशेष क्षति पहुंची थी। लेनपूल के अनुसार "खानवा का युद्ध राजपूतों के लिए इतना विनाशकारी सिद्ध हुआ कि कोई विरला ही राजपूत परिवार होगा जिसके श्रेष्ठ योद्धा इस युद्ध में काम न आये हों।"
(iv) डॉ. आर. पी. त्रिपाठी के अनुसार "खानवा युद्ध के परिणाम वास्तव में दूरगामी थे। इसने राजपूत परिसंघ को तोड़ दिया। परिसंघ के टूटते ही हिन्दू सर्वोच्चता का स्वप्न भंग हो गया, जिसने उत्तरी भारत में मुस्लिम राज्यों को अत्यधिक दुविधा में डाल रखा था "
7. सैन्य शिक्षाएँ - खानवा के इस युद्ध से हमें निम्नलिखित सैन्य शिक्षायें मिलती हैं -
(i) किसी भी युद्ध की विजय अथवा पराजय सेना की संख्या पर नहीं बल्कि हथियारों के सही प्रयोग पर निर्भर करती है।
(ii) राजपूत सेना उचित नेतृत्व के अभाव में पराजित हुई। अतः सेना में नेतृत्व अति आवश्यक है।
(iii) राजपूत सेना नवीन हथियारों का प्रयोग नहीं जानती थी। इसलिए किसी भी सेना के लिए विभिन्न हथियारों की जानकारी रखना आवश्यक है।
(iv) राजपूत सैनिकों में अनुशासन की कमी थी जिस कारण अचानक हुए हमले से वे घबराकर तितर-बितर हो गये थे। इसलिए किसी भी सेना में अनुशासन का अत्यधिक महत्व है।
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- प्रश्न- वैदिककालीन सैन्य पद्धति एवं युद्धकला का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- महाकाव्य एवं पुराणकालीन सैन्य पद्धति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में गुप्तचर व्यवस्था पर प्रकाश डालते हुए गुप्तचरों के प्रकार तथा कर्मों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- राजदूतों के कर्त्तव्यों का विशेष उल्लेख करते हुए प्राचीन भारत की युद्ध कूटनीति पर एक निबन्ध लिखिये।
- प्रश्न- समय और कालानुकूल कुरुक्षेत्र के युद्ध की अपेक्षा रामायण का युद्ध तुलनात्मक रूप से सीमित व स्थानीय था। कुरुक्षेत्र के युद्ध को तुलनात्मक रूप में सम्पूर्ण और 'असीमित' रूप देने में राजनैतिक तथा सैन्य धारणाओं ने क्या सहयोग दिया? समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन "दस राजाओं के युद्ध" का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- वैदिकयुगीन दुर्गों के वर्गीकरण का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैदिककालीन सैन्य संगठन पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- सैन्य पद्धति का क्या अर्थ है?
- प्रश्न- भारतीय सैन्य पद्धति के अध्ययन के स्रोत कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्धों के वास्तविक कारण क्या होते थे?
- प्रश्न- पौराणिक काल के अष्टांग बलों के नाम लिखिये।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास में कितने प्रकार के राजदूतों का उल्लेख है? मात्र नाम लिखिये।
- प्रश्न- धनुर्वेद के अनुसार आयुधों के वर्गीकरण पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्ध के कौन-कौन से नियम होते थे?
- प्रश्न- महाकाव्यकालीन युद्ध के प्रकार एवं नियमों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक काल के रण वाद्य यन्त्रों के बारे में लिखिये।
- प्रश्न- वैदिककालीन दस राजाओं के युद्ध का क्या परिणाम हुआ?
- प्रश्न- पौराणिक काल में युद्धों के क्या कारण थे?
- प्रश्न- वैदिक काल की रथ सेना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन काल में अश्व सेना के कार्यों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में राजूदतों के कार्यों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय सेना के युद्ध के नियमों को बताइये।
- प्रश्न- किन्हीं तीन प्रकार के प्राचीन हथियार एवं दो प्रकार के कवचों के नाम लिखिए।
- प्रश्न- धर्म युद्ध से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- किलों पर विजय प्राप्त करने की विधियों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- झेलम के संग्राम (326 ई.पू.) में पोरस की पराजय के कारणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- झेलम के संग्राम से क्या सैन्य शिक्षाएं प्राप्त हुई?
- प्रश्न- झेलम के संग्राम के समय भारत की यौद्धिक स्थिति का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सिकन्दर की आक्रमण की योजना की समीक्षा करो।
- प्रश्न- पोरस तथा सिकन्दर की सैन्य शक्ति की तुलनात्मक विवरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- सिकन्दर तथा पुरू की सेना का युद्ध किस रूप में प्रारम्भ हुआ?
- प्रश्न- सिकन्दर तथा पोरस की सेना को कितनी क्षति उठानी पड़ी?
- प्रश्न- कौटिल्य के अर्थशास्त्र में वर्णित सैन्य पद्धति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के अनुसार मौर्यकालीन युद्ध कला एवं सैन्य संगठन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य कौन था? उसकी पुस्तक का नाम लिखिए।
- प्रश्न- कौटिल्य द्वारा वर्णित सैन्य बलों की श्रेणियां लिखिये।
- प्रश्न- कौटिल्य ने अर्थशास्त्र में कितने प्रकार के राजदूतों का वर्णन किया है
- प्रश्न- कौटिल्य के सैन्य संगठन सम्बन्धी विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के व्यूहरचना (Tactical Formatic) सम्बन्धी विचारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के द्वारा बताये गये दुगों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य ने युद्ध संचालन के लिए कौन-कौन से विभागों का वर्णन किया है?
- प्रश्न- कौटिल्य द्वारा बताये गये गुप्तचरों के रूप लिखिए।
- प्रश्न- राजपूत सैन्य पद्धति और युद्धकला पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- तराइन के द्वितीय संग्राम (1192 ई०) का वर्णन कीजिए। हमें इस युद्ध से क्या शिक्षाएँ मिलती हैं?
- प्रश्न- तराइन के दूसरे युद्ध ( 1192 ई०) में राजपूतों की पराजय तथा मुसलमानों की विजय के क्या कारण थे?
- प्रश्न- तराइन के युद्ध की सैन्य शिक्षाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राजपूतों के गुणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- "राजपूतों में दुर्गुणों का भी अभाव न था।" इस कथन को साबित कीजिए।
- प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के सैन्य संगठन और युद्ध कला पर प्रकाश डालिए। बलबन तथा अलाउद्दीन के सैन्य सुधारों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के पतन के कारणों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- मुगल काल में अश्वारोही सैनिक कितने प्रकार के होते थे?
- प्रश्न- तोप और अश्वारोही सेना मुगलकालीन सेना के मुख्य सेनांग थे जिनके ऊपर उन्हें विजय प्राप्त करने का विश्वास था। विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आघात समरतंत्र (Shock Tactics) क्या है?
- प्रश्न- दिल्ली सल्तनत की सैन्य व्यवस्था तथा विस्तार पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- मुगल स्त्रातजी तथा सामरिकी का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 1526 ई० में पानीपत के प्रथम संग्राम का सचित्र वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मुगलों की सेना में कितने प्रकार के सैनिक थे?
- प्रश्न- मुगल सैन्य पद्धति के पतन के क्या कारण थे?
- प्रश्न- सेना के वह मुख्य भाग क्या थे? जिन पर मुगलों की विजय आधारित थी? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मुगल तोपखाने पर संक्षेप में लिखिये।
- प्रश्न- युद्ध क्षेत्र में मुगल सेना की रचना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मुगल काल में अश्वारोही सैनिक कितने प्रकार के होते थे?
- प्रश्न- तोप और अश्वारोही सेना मुगलकालीन सेना के मुख्य सेनांग थे जिनके ऊपर उन्हें विजय प्राप्त करने का विश्वास था। विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- खानवा की लड़ाई (1527 ई०) का सचित्र वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राजपूतों की असफलता के क्या कारण थे?
- प्रश्न- राजपूतों की युद्ध कला पर संक्षेप में लिखिये।
- प्रश्न- राजपूतों का सैन्य संगठन कैसा था?
- प्रश्न- राजपूतों के गुणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- राजपूतों में दुर्गणों का भी अभाव न था। इस कथन को साबित करिये।
- प्रश्न- तराइन के दूसरे युद्ध (1192 ई.) में राजपूतों की पराजय तथा मुसलमानों की विजय के क्या कारण थे?
- प्रश्न- 1527 ई० की खानवा की लड़ाई में राजपूतों और मुगलों की तुलनात्मक सैन्य शक्ति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 17वीं शताब्दी में मराठा शक्ति के उत्कर्ष के कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- मराठा सैन्य पद्धति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मराठा सेनाओं की युद्ध कला एवं संगठन का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- पानीपत के तीसरे संग्राम (1761 ई०) का सचित्र वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मराठा शक्ति के उदय पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शिवाजी के समय मराठों का सैन्य संगठन का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- मराठों की युद्धकला पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मराठा सैनिकों के सैन्य गुणों को बताइये।
- प्रश्न- शिवाजी के सैन्य गुणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- पानीपत के तृतीय युद्ध ( 1761 ई०) में मराठों और अफगानों की सैन्य शक्ति का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- पानीपत के तृतीय युद्ध का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पानीपत के तीसरे युद्ध (1761 ई.) में मराठों की पराजय के प्रमुख कारण लिखिए।
- प्रश्न- सिक्ख सैन्य पद्धति, युद्ध कला तथा संगठन का पूर्ण विवरण दीजिए।
- प्रश्न- रणजीत सिंह के पूर्व सिक्ख सैन्य पद्धति की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- "रणजीत सिंह भारत का गुस्तावस एडोल्फस माना जाता है। इस कथन के संदर्भ में रणजीत सिंह द्वारा सिक्ख सेना के किये गये विभिन्न सुधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सोबरांव के संग्राम (1864 ई०) का वर्णन करते हुए सिक्ख सेना की पराजय के कारण बताइये।
- प्रश्न- दल खालसा पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सिक्ख सैन्य संगठन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह ने सिक्खों को सैनिक क्षेत्र में क्या योगदान दिये?
- प्रश्न- सिक्खों के सेनांग का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रणजीत सिंह से पूर्व सिक्खों के समरतंत्र पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- खालसा युद्ध कला पर लिखिये।
- प्रश्न- महाराजा रणजीत सिंह के तोपखाने का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रणजीत सिंह ने सेना में क्या-क्या सुधार किये?
- प्रश्न- सोबरांव के युद्ध (1846) में सिक्खों की मोर्चे बन्दी का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सोबरांव के युद्ध में सिक्खों की पराजय के क्या कारण थे?
- प्रश्न- सिक्ख दल खालसा का युद्ध के समय क्या महत्व था?
- प्रश्न- ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सैन्य पद्धति का वर्णन कीजिए तथा 1857 ई. के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के कारण बताइये।
- प्रश्न- सन् 1858 से लेकर सन् 1918 तक अंग्रेजों के अधीन भारतीय सेना के संगठन तथा विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्वतंत्रता पश्चात् सशस्त्र सेनाओं के भारतीयकरण का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सेना के भारतीयकरण में मोतीलाल नेहरु की रिपोर्ट का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- 1939-45 के मध्य भारतीय सशस्त्र सेनाओं के विस्तार और भारतीयकरण का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- भारतीय नभ शक्ति की विशेषताओं तथा कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय कवचयुक्त सेना पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- आधुनिक भारत में सैन्य संगठन की रचना एवं तत्वों का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय थल सेना के अंगों का विस्तृत विवरण दीजिए।
- प्रश्न- भारत के लिए एक शक्तिशाली नौसेना क्यों आवश्यक है? नौसेना के युद्ध कालीन कार्य बताइए।
- प्रश्न- भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के सैन्य संगठन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- लार्ड क्लाइव ने सेना में क्या-क्या सुधार किये?
- प्रश्न- लार्ड कार्नवालिस के सैन्य सुधारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कमाण्डर-इन-चीफ लार्ड रॉलिन्सन ने क्या सुधार किये?
- प्रश्न- कम्पनी सेना की स्थापना के क्या कारण थे?
- प्रश्न- प्रेसीडेन्सी सेनाओं के विकास का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- क्राउनकालीन भारतीय सेना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ब्रिटिशकालीन भारतीय सेना को किन कारणों से राष्ट्रीय सेना नहीं कहा जा सकता?
- प्रश्न- भारतीय मिसाइल कार्यक्रम पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- ब्रह्मोस क्या है?
- प्रश्न- भारत की नाभिकीय नीति का संक्षेप में विवेचन कीजिये।
- प्रश्न- भारत ने व्यापक परीक्षण प्रतिबन्ध सन्धि (CTBT) पर हस्ताक्षर क्यों नहीं किया है?
- प्रश्न- पोखरन-II परीक्षणों में भारत ने किस प्रकार के अस्त्रों की क्षमता का परिचय दिया था?
- प्रश्न- भारत की प्रतिरक्षात्मक तैयारी का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- भारत की स्थल सेना के कमाण्ड्स के नाम व उनके मुख्यालय लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय वायु सेना के कार्यों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय वायु सेना के संगठन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारतीय वायुसेना के कमाण्ड्स के नाम व उनके मुख्यालय लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय वायुसेना पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- भारतीय स्थल सेना की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वायुसेना का महत्व समझाइये।
- प्रश्न- भारत की स्थल सेना के कमाण्ड्स के नाम व उनके मुख्यालय लिखिए।
- प्रश्न- प्रथम भारत-पाक युद्ध या कश्मीर युद्ध (1947-48) का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्वतन्त्रता के पश्चात् भारतीय सेनाओं द्वारा लड़े गये युद्धों का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- 1948 के भारत-पाक युद्ध में स्थल सेना की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कश्मीर विवाद 1948 में सैन्य कार्यवाही के कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- 1948 का युद्ध भारत पर अचानक आक्रमण था। कैसे?
- प्रश्न- कश्मीर सैन्य कार्यवाही, 1948 के राजनैतिक परिणाम क्या थे? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "भारतीय उपमहाद्वीप में शान्ति भारत-पाक सम्बन्धों पर अवलम्बित है।" इस कथन का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए
- प्रश्न- भारत-पाक युद्ध 1948 में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका।
- प्रश्न- 1962 में चीन के विरुद्ध भारत की सैनिक असफलताओं के कारण बताइए।
- प्रश्न- 1948 तथा 1962 के युद्धों में प्रयुक्त समरनीति का तुलनात्मक विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- भारत के सन्दर्भ में तिब्बत की सुरक्षा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत-चीन युद्ध 1962 में वायुसेना की भूमिका का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत-चीन संघर्ष, 1962 ने भारतीय सेना की कमजोरियों को उजागर किया। समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- नदी बाहुल्य क्षेत्र में वायुसेना की महत्ता समझाइये।
- प्रश्न- "भारत में रक्षा अनुसंधान एवं रेखास संगठन की भूमिका' पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- 1965 में भारत और पाकिस्तान के मध्य हुए युद्ध का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 1965 के भारत-पाक संघर्ष के प्रमुख कारणों को आंकलित कीजिए।
- प्रश्न- 1965 के कच्छ के विवाद पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- ताशकन्द समझौता क्यों हुआ? स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- मरुस्थल के युद्ध की समस्याएँ लिखिए।
- प्रश्न- कच्छ के रन का रेखाचित्र बनाइये।
- प्रश्न- कच्छ के रण का महत्व समझाइये।
- प्रश्न- ताशकन्द समझौते के मुख्य प्रस्तावों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- कच्छ सैन्य अभियान पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत-पाक युद्ध 1971 का वर्णन कीजिए तथा युद्ध के कारणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 1971 के युद्ध में जैसोर तथा ढाका की घेराबन्दी अभियान तथा ढाका के आत्मसमर्पण का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत के लिए कारगिल क्यों महत्वपूर्ण है?
- प्रश्न- कारगिल युद्ध 1999 की उत्पत्ति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कारगिल युद्ध 1999 में भारतीय वायुसेना की आक्रामक कार्यवाही का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- कारगिल संघर्ष 1999 के कारणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कारगिल युद्ध के पीछे पाकिस्तान की मंशा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कारगिल युद्ध (1999) के समय भारतीय सेनाओं के समक्ष आई समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- कारगिल युद्ध 1999 में भारतीय वायुसेना की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- 1 - वैदिक एवं महाकाव्यकालीन सैन्य व्यवस्था (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 2 - झेलम संग्राम - 326 ई. पू. (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 3- कौटिल्य का युद्ध दर्शन (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 4 - तुर्क एवं राजपूत सैन्य पद्धति : तराइन का युद्ध (1192 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 5- सैन्य संगठन एवं सल्तनत काल की सैन्य पद्धति (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 6 - मुगल सैन्य पद्धति : पानीपत का प्रथम संग्राम (1526 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 7- राजपूत सैन्य संगठन, शस्त्र प्रणाली एवं खानवा का संग्राम (1527 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 8- मराठा सैन्य पद्धति एवं पानीपत का तीसरा युद्ध (1761 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्नऋ
- उत्तरमाला
- 9 - सिक्ख सैन्य प्रणाली एवं सोबरांव का युद्ध (1846 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 10 - ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सैन्य पद्धति, 1858-1947 ईस्वी तक (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 11- प्रथम भारत पाक युद्ध (1947-48) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 12 - भारत-चीन युद्ध 1962 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 13 - भारत-पाकिस्तान युद्ध - 1985 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 14- बांग्लादेश की स्वतन्त्रता - 1971 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 15 - कारगिल संघर्ष - 1999 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला