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बीए सेमेस्टर-2 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2722
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-2 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन - सरल प्रश्नोत्तर

 

अध्याय - 10
ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सैन्य पद्धति, 1858-1947 ईस्वी तक भारतीय सशस्त्र बलोंका उद्भव, वायु सेना एवं नौसेना का विकास
(Military System of East India Company, Evolution of
Indian Armed Forces from 1858 to 1947
AD, Growth of Air Force and Indian Navy)

 

प्रश्न- ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सैन्य पद्धति का वर्णन कीजिए तथा 1857 ई. के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के कारण बताइये।

अथवा
ईस्ट इण्डिया कम्पनी के अधीन प्रेसीडेन्सी सेनाओं के विकास का विवरण दीजिए।
अथवा
ईस्ट इण्डिया कम्पनी के अधीन सशस्त्र सेनाओं के विकास का वर्णन कीजिए।
अथवा
ईस्ट इण्डिया कम्पनी के समय की भारतीय सैन्य व्यवस्था का वर्णन कीजिए।
अथवा
ईस्ट इण्डिया कलीन सशस्त्र सेनाओं का वर्णन कीजिए।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम (1857 ई०) के लड़े जाने के प्रमुख कारणों की समीक्षा कीजिए।
2. 1857 के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के असफल होने के कारणों का वर्णन कीजिए।
3. ईस्ट इंडिया कंपनी के अधीन प्रेसीडेंसी सेनाओं के विकास का विवरण दीजिए।)

अथवा
भारत के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम (1857) पर एक निबन्ध लिखिए।

उत्तर -

ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सैन्य पद्धति
(The Army System of East India Company)

1 मार्च सन् 1500 को पुर्तगाल से पीड्रो एलवेरिज के नेतृत्व में 13 जहाजों का एक सैनिक व्यापारी बेड़ा भारत वर्ष आया। कुशल पुर्तगाली तत्कालीन कोचीन नरेश से मिल गये और जमोरिन का उससे युद्ध करवा दिया। पेड्रो एलवेरिज की राजनायिक ने इस सफलता से प्रोत्साहित होकर सन् 1503 में स्क्वैड्रन कमाण्डर एलफांसो भारतवर्ष आया और उसने व्यापार करने के साथ-साथ भारत में विभिन्न सामन्तों और नरेशों के आपसी संघर्षों में किसी न किसी पक्ष को अपनी सैन्य सहायता देकर सुविधायें प्राप्त कर अपनी सैन्य शक्ति को बढ़ाया। सन् 1509 में उसने आपको भारतवर्ष में पुर्तगाली गवर्नर ने बीजापुर के सुल्तान से युद्ध में विजय प्राप्त कर गोवा पर अधिकार कर लिया। इस प्रकार भारतवर्ष में पाश्चात्य सैन्य व्यवस्था तथा प्रशासन का प्रसार प्रारम्भ हुआ।

सन् 1591 में इग्लैण्ड से चलकर 1593 में जेम्सलंकास्टर कुमारी अन्तरीप पहुंचा। लन्दन का दूसरा व्यापारी जान मिल्डेन हॉल सन् 1599 में भारतवर्ष आकर यहाँ सात वर्ष रहा। लंदन में कुछ व्यापारियों ने जॉन कम्पनी का विधिवत संगठन कर सन् 1600 ई. में महारानी एलिजाबेथ प्रथम से पन्द्रह वर्षों के लिए पूर्व में व्यापार करने का आज्ञापत्र प्राप्त कर लिया। लन्दन के इन व्यापारियों को पुर्तगाली तथा डच व्यापारियों ने भारत की भूमि पर ठहरने नहीं दिया और ब्रिटिश जॉन कम्पनी जावा, सुमात्र, तथा मलक्का आदि पूर्वी द्वीप समूहों से व्यापार करने लगी। सन 1608 में जॉन कम्पनी ने अपने दूत के रूप में कैप्टन हॉकिन्स को भारतीय सम्राट जहांगीर के दरबार में भेजा उसने पश्चिमी तट पर सूरत में ब्रिटिश कम्पनी की स्थापना के लिए दरबार में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया। सम्राट इस समय स्वयं पुर्तगालियों की बढ़ती हुई सामुद्रिक शक्ति से सशंकित था। अतः उसने प्रतिस्पर्धा के रूप में अंग्रेजों को अनुमति प्रदान कर दी। धीरे-धीरे अंग्रेजो ने अपनी समुद्रिक शक्ति को बढ़ाया और सन् 1612 में कैप्टन वेस्ट ने पश्चिमी तट पर पुर्तगालियों की सामुद्रिक शक्ति को परास्त कर दिया जिससे प्रसन्न होकर सम्राट जहांगीर ने सन् 1613 में पुर्तगालियों के प्रतिद्वंदी के रूप में अंग्रेजों को सूरत में ईस्ट इंडिया कम्पनी स्थापित करने की अनुमति दे दी। टामस रो ने सन् 1619 तथा सम्राट जहांगीर के दरबार में ईस्ट इंडिया कम्पनी के राजदूत का कार्य किया। ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सुरक्षा के लिये अंग्रेजों ने भारत में सेना का गठन किया।

व्यापारिक उन्नति के साथ-साथ बम्बई, मद्रास तथा कलकत्ता की ओर भारतीय जनता आकर्षित हुई तथा इंग्लैण्ड से भी महत्वाकांक्षी व्यक्ति अधिक संख्या में यहाँ आकर रहने लगे जिससे इन स्थानों का व्यापारिक केन्द्रों के रूप में विस्तार हुआ और इनको प्रेसीडेन्सी नगरों का नाम दिया गया। भारतवर्ष में अस्थिर राजनैतिक स्थिति के कारण ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने सन् 1698 में बम्बई, मद्रास तथा कलकत्ता तीनों स्थानों पर स्वतन्त्र रूप से प्रेसीडेन्सी सेनाओं का विधिवत संगठन किया। प्रत्येक स्थान की समिति के अध्यक्ष (President) को इन सेनाओं का मुख्य सेनापति नियुक्त किया गया। अतः सेनापति के पद के अनुरूप इन सेनाओं को प्रेसीडेंसी सेनाओं के नाम से सम्बोधित किया गया।

ईस्ट इण्डिया कम्पनी के व्यापारिक केन्द्र दक्षिणी भारत में पूर्वी तथा पश्चिमी घाट पर पूरी तरह स्थापित हो गये। कम्पनी ने अपने व्यापारिक संस्थानों का पुनः निर्माण कर उन्हें दृढ़तर कर लिया था। भारत वर्ष में ईस्ट इण्डिया कम्पनी की तीन प्रेसीडेन्सी 17 वीं शताब्दी के अन्त कर स्थापित हो चुकी थी। एक प्रेसीडेन्सी दूसरी से सैकड़ों मील दूर थी तथा उनके बीच आवागमन के मार्ग अत्यन्त बीहड़ थे तथा अनेक स्वदेशी राज्य स्थित थे। अतः प्रत्येक प्रेसीडेन्सी के चौकीदारों, गाडों और सेनाओं का विकास बहुत तेजी से हुआ। इन चौकीदारों को शीघ्र ही कम्पनी में संगठित किया जाने लगा। इन कम्पनियों को ब्रिटिश सैन्य संगठन के आधार पर ही संगठित एवं प्रशिक्षित किया गया। सन् 1741 ई. में बंबई में भारतीय सैनिकों का एक स्थायी रेजीमेन्ट बन गया। मेजर जनरल स्ट्रिन्जर लारेंस प्रथम सेनाध्यक्ष बने। इस प्रकार 1750 में लगभग ईस्ट इण्डिया की सेना भारतवर्ष में सुदृढ़ आधार पर संगठित हो गई।

1. सैन्य संगठन - ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सेना मे भारतीय सैनिकों की लाल वर्दी निश्चित कर दी गई। घुड़सवारों को टूपों में संगठित किया गया तथा तोपखानों को कंपनियों में संगठित किया गया। ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सेना में पैदल सेना का ही बाहुल्य था और घुड़सवारों की संख्या काफी कम थी। बटालियनों के कमाण्डर अंग्रेज होते थे। एक बटालियन में आठ कंपनियाँ होती थीं जिनमें से दो ग्रिनेडियर कंपनियाँ तथा 6 लाइन कंपनियाँ होती थीं। शीघ्र ही एक बटालियन में 10 कंपनियाँ कर दी गई। एक कंपनी में लगभग 90 सैनिक होते थे।

2. सेना का विस्तार -18वीं शताब्दी के मध्य में बंबई, मद्रास, तथा बंगाल में ब्रिटिश सत्ता दृढ़ता से स्थापित हो गई थीं और अब भारत में उसका प्रभाव व विस्तार होने लगा था। ईस्ट इण्डिया कम्पनी में अब तीन प्रकार की सेनायें थीं-

(1) ब्रिटिश सेनाएं,
(2) ईस्ट इण्डिया कम्पनी के यूरोपीय सैनिक
(3) भारतीय सैनिक।

भारतीय राजाओं के विरुद्ध इन्हीं सेनाओं का प्रयोग किया जाता था। ईस्ट इण्डिया कम्पनी की मराठाओं, मैसूर के शासकों तथा फ्रांसीसियों से लगातार लड़ाई चलती रही। अतः कम्पनी की सेनाओं में निरन्तर वृद्धि तथा विस्तार होने लगा। इस तरह ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सेना का विस्तार होता ही चला गया और एक सुदृढ़ सेना स्थापित हो गई।

सन् 1857 के पूर्व में ईस्ट इण्डिया कम्पनी के पास 24,000 शाही सैनिकों को मिलाकर लगभग ढाई लाख सैनिक थे, जिनका ब्यौरा निम्नांकित है :

  यूरोपीय भारतीय
बंगाल प्रेसीडेन्सी सेना 21000 137000
मद्रास प्रेसीडेंसी सेना 8000 49000
बम्बई प्रेसीडेन्सी सेना 9000 45000
स्थानीय सैनिक टुकड़ियाँ 40000 --
सैनिक पुलिस 39000 --

ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सैन्य पद्धति अति उत्तम थी। अंग्रेज युद्धों में आघात समरतंत्र का भी प्रयोग करते थे तथा युद्ध को जीतने के लिए हर प्रकार की कूटनीतिक चालों का प्रयोग करते थे। वे छल- कपट, झूठ, धोखा आदि देकर युद्ध की विजय आशा को कायम रखते थे। अपनी इस नीति के कारण ही अंग्रेज भारत में साम्राज्य स्थापित कर सकें।

प्रथम स्वतंत्रता संग्राम (1857 ई.)

सिक्खों के दमन के पश्चात सन् 1850 के लगभग कम्पनी का राज्य खैबर से कोहिमा और कश्मीर से कन्याकुमारी तक सुदृढ़ हो गया था और तीनों प्रेसीडेंसी की सेनाओं में अच्छी दल भावना का विकास भी हुआ था। अतः उसे बर्मा के द्वितीय संग्राम ( 1852), फ्रांस के संग्राम ( 1855-56) तथा चीन के द्वितीय संग्राम ( 1856) में अभूतपूर्व सफलता मिली।

इस प्रकार पता चलता है कि कंपनी अपनी सस्ती परन्तु वीर एवं साहसी सेना की शक्ति के द्वारा अपने प्रभाव तथा प्रशासन क्षेत्र का पर्याप्त विकास एवं विस्तार कर चुकी थी, परन्तु कुछ कारणों से भारतीय सिपाही सैनिकों में असन्तोष व्याप्त था और राष्ट्रीय स्वतंत्रता के नारे ने उनकी भावनाओं को जगा दिया, फलतः कंपनी को 1857 ई० की महान् सैनिक क्रान्ति का सामना करना पड़ा।

इस क्रान्ति का आरम्भ बंगाल प्रेसीडेंसी सेना की कुछ गिनी हुई टुकड़ियों ने किया। इस क्रान्ति में दिल्ली सम्राट बहादुर शाह जफर, नाना साहब पेशवा वीरांगना झांसी की रानी लक्ष्मीबाई आदि ने भाग लिया परन्तु गोरखों, सिक्खों, जाटों तथा राजपूतों ने क्रान्तिकारियों का साथ नहीं दिया।

प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के कारण - ईस्ट इण्डिया कम्पनी के विरुद्ध बंगाल प्रेसीडेन्सी के उच्च वर्गीय सैनिकों के द्वारा प्रारम्भ की गई स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई 19वीं शताब्दी में हुई सैनिक विद्रोह का विकसित रूप था। इसके निम्नलिखित कारण थे

1. सैनिक कारण- (i) बंगाल प्रेसीडेन्सी सेना के सैनिकों ने समुद्र पार सेना का विरोध किया था क्योंकि यह उनके धर्म के विरुद्ध था और प्रेसीडेंसी सेना के सेवा के नियमों में इसका उल्लेख नहीं था।

(ii) पंजाब तथा हैदराबाद अनियमित सेना के सैनिकों को जिनका संगठन विशेष रूप से समुद्र पार सेवा के लिए किया गया था, अच्छा वेतन दिया जाता था, जिससे अन्य सैनिकों में असन्तोष फैल गया।

(iii)  भारतीय अफसर 50 वर्ष की आयु तक सेवारत रहते थे, अतः भारतीय अफसरों में भी कंपनी की इस नीति से असन्तोष था।

(iv) अवध के नवाबी सैनिक अंग्रेजी सेना में मिला लिये गये थे परन्तु उनके हृदय में अभी भी मुगल सम्राट के प्रति स्वामिभक्ति की भावना थी।

(v) युद्ध काल में सैनिकों को अच्छा वेतन तथा भत्ता मिलता था परन्तु शान्तिकाल में उन्हें उतना पैसा नहीं मिलता था जिससे सैनिकों का आर्थिक जीवन असन्तुलित हो जाता था।

2. राजनैतिक कारण- अंग्रेजों की विभाजन तथा शासन की नीति के कारण धीरे-धीरे पूरा भारत उनकी दासता में आता जा रहा था, जिस कारण सभी राजा तथा नवाब चिन्तित थे। गवर्नर जनरल डलहौजी ने लोप सिद्धान्त (Doctrine of Lapse) का प्रतिपादन कर उचित उत्तराधिकारी के अभाव में भारतीय राज्यों को कम्पनी के राज्य मे मिला लेने की नीति अपनाई जिससे सभी राजा और नवाब चौक पड़े क्योंकि इस नीति में राजा तथा नवाबों की अपनी सन्तान न होने पर किसी दूसरे बच्चे को गोद लेने का अधिकार नहीं था। इस कारण ने भी स्वतंत्रता संग्राम को जन्म दिया

3. धार्मिक कारण - भारत में क्षेत्र विस्तार के साथ ही साथ कम्पनी यहाँ के समाज को सुधार कर पाश्चात्य मार्ग में ले जाना चाहती थी। उसने भारत में कुछ ऐसे सुधार किये जिससे भारतीय जनता की धार्मिक तथा सामाजिक भावनाओं को ठेस पहुंची। विधवा विवाह का प्रारम्भ बाल विवाह की समाप्ति, सती प्रथा का उन्मूलन आदि कम्पनी के सामाजिक सुधार थे। अंग्रेज पादरियों के द्वारा हिन्दुओं को ईसाई बनाने का कार्य शुरू हो गया था। जिस कारण अंग्रेजों के विरुद्ध क्रान्ति की शुरूआत हुई।

4. चर्बी युक्त कारतूस - इस क्रान्ति को विस्फोटक रूप देने का कारण सेना को मिनी रायफल (Minie Rifle) का दिया जाना तथा उसके लिए एक नये कारतूस का प्रयोग करना था। इस कागज के कारतूस की टोपी को गाय और सुअर की चर्बी से जोड़ा जाता था। सैनिकों को फायर करते समय कारतूस की टोपियों को मुंह से खोलना पड़ता था। इस सेना में हिन्दू तथा मुस्लिम दोनों प्रकार के सैनिक थे। बंगाल प्रेसीडेन्सी के सैनिकों ने ऐसा करना अस्वीकृत कर दिया तथा सेना में बगावत कर दी। इन सभी कारणों से 1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम छिड़ा।

निष्कर्ष - ईस्ट इंडिया कम्पनी की सैन्य पद्धति का अध्ययन करके यह निष्कर्ष निकलता है कि इस सेना में अनुशासन की अत्यधिक कमी थी। प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का कारण भी ईस्ट इंडिया कम्पनी की दोषपूर्ण सैन्य पद्धति थी।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- वैदिककालीन सैन्य पद्धति एवं युद्धकला का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- महाकाव्य एवं पुराणकालीन सैन्य पद्धति पर प्रकाश डालिए।
  3. प्रश्न- प्राचीन भारत में गुप्तचर व्यवस्था पर प्रकाश डालते हुए गुप्तचरों के प्रकार तथा कर्मों का उल्लेख कीजिए।
  4. प्रश्न- राजदूतों के कर्त्तव्यों का विशेष उल्लेख करते हुए प्राचीन भारत की युद्ध कूटनीति पर एक निबन्ध लिखिये।
  5. प्रश्न- समय और कालानुकूल कुरुक्षेत्र के युद्ध की अपेक्षा रामायण का युद्ध तुलनात्मक रूप से सीमित व स्थानीय था। कुरुक्षेत्र के युद्ध को तुलनात्मक रूप में सम्पूर्ण और 'असीमित' रूप देने में राजनैतिक तथा सैन्य धारणाओं ने क्या सहयोग दिया? समीक्षा कीजिए।
  6. प्रश्न- वैदिक कालीन "दस राजाओं के युद्ध" का वर्णन कीजिये।
  7. प्रश्न- वैदिकयुगीन दुर्गों के वर्गीकरण का वर्णन कीजिए।
  8. प्रश्न- वैदिककालीन सैन्य संगठन पर प्रकाश डालिये।
  9. प्रश्न- सैन्य पद्धति का क्या अर्थ है?
  10. प्रश्न- भारतीय सैन्य पद्धति के अध्ययन के स्रोत कौन-कौन से हैं?
  11. प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्धों के वास्तविक कारण क्या होते थे?
  12. प्रश्न- पौराणिक काल के अष्टांग बलों के नाम लिखिये।
  13. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास में कितने प्रकार के राजदूतों का उल्लेख है? मात्र नाम लिखिये।
  14. प्रश्न- धनुर्वेद के अनुसार आयुधों के वर्गीकरण पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  15. प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्ध के कौन-कौन से नियम होते थे?
  16. प्रश्न- महाकाव्यकालीन युद्ध के प्रकार एवं नियमों की विवेचना कीजिए।
  17. प्रश्न- वैदिक काल के रण वाद्य यन्त्रों के बारे में लिखिये।
  18. प्रश्न- वैदिककालीन दस राजाओं के युद्ध का क्या परिणाम हुआ?
  19. प्रश्न- पौराणिक काल में युद्धों के क्या कारण थे?
  20. प्रश्न- वैदिक काल की रथ सेना का वर्णन कीजिए।
  21. प्रश्न- प्राचीन काल में अश्व सेना के कार्यों की व्याख्या कीजिए।
  22. प्रश्न- प्राचीन भारत में राजूदतों के कार्यों की व्याख्या कीजिए।
  23. प्रश्न- प्राचीन भारतीय सेना के युद्ध के नियमों को बताइये।
  24. प्रश्न- किन्हीं तीन प्रकार के प्राचीन हथियार एवं दो प्रकार के कवचों के नाम लिखिए।
  25. प्रश्न- धर्म युद्ध से आप क्या समझते हैं?
  26. प्रश्न- किलों पर विजय प्राप्त करने की विधियों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  27. प्रश्न- झेलम के संग्राम (326 ई.पू.) में पोरस की पराजय के कारणों का वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- झेलम के संग्राम से क्या सैन्य शिक्षाएं प्राप्त हुई?
  29. प्रश्न- झेलम के संग्राम के समय भारत की यौद्धिक स्थिति का उल्लेख कीजिए।
  30. प्रश्न- सिकन्दर की आक्रमण की योजना की समीक्षा करो।
  31. प्रश्न- पोरस तथा सिकन्दर की सैन्य शक्ति की तुलनात्मक विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  32. प्रश्न- सिकन्दर तथा पुरू की सेना का युद्ध किस रूप में प्रारम्भ हुआ?
  33. प्रश्न- सिकन्दर तथा पोरस की सेना को कितनी क्षति उठानी पड़ी?
  34. प्रश्न- कौटिल्य के अर्थशास्त्र में वर्णित सैन्य पद्धति पर प्रकाश डालिए।
  35. प्रश्न- कौटिल्य के अनुसार मौर्यकालीन युद्ध कला एवं सैन्य संगठन की व्याख्या कीजिए।
  36. प्रश्न- कौटिल्य कौन था? उसकी पुस्तक का नाम लिखिए।
  37. प्रश्न- कौटिल्य द्वारा वर्णित सैन्य बलों की श्रेणियां लिखिये।
  38. प्रश्न- कौटिल्य ने अर्थशास्त्र में कितने प्रकार के राजदूतों का वर्णन किया है
  39. प्रश्न- कौटिल्य के सैन्य संगठन सम्बन्धी विचार प्रकट कीजिए।
  40. प्रश्न- कौटिल्य के व्यूहरचना (Tactical Formatic) सम्बन्धी विचारों का उल्लेख कीजिए।
  41. प्रश्न- कौटिल्य के द्वारा बताये गये दुगों का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- कौटिल्य ने युद्ध संचालन के लिए कौन-कौन से विभागों का वर्णन किया है?
  43. प्रश्न- कौटिल्य द्वारा बताये गये गुप्तचरों के रूप लिखिए।
  44. प्रश्न- राजपूत सैन्य पद्धति और युद्धकला पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
  45. प्रश्न- तराइन के द्वितीय संग्राम (1192 ई०) का वर्णन कीजिए। हमें इस युद्ध से क्या शिक्षाएँ मिलती हैं?
  46. प्रश्न- तराइन के दूसरे युद्ध ( 1192 ई०) में राजपूतों की पराजय तथा मुसलमानों की विजय के क्या कारण थे?
  47. प्रश्न- तराइन के युद्ध की सैन्य शिक्षाओं का वर्णन कीजिए।
  48. प्रश्न- राजपूतों के गुणों की व्याख्या कीजिए।
  49. प्रश्न- "राजपूतों में दुर्गुणों का भी अभाव न था।" इस कथन को साबित कीजिए।
  50. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के सैन्य संगठन और युद्ध कला पर प्रकाश डालिए। बलबन तथा अलाउद्दीन के सैन्य सुधारों की व्याख्या कीजिए।
  51. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के पतन के कारणों की समीक्षा कीजिए।
  52. प्रश्न- मुगल काल में अश्वारोही सैनिक कितने प्रकार के होते थे?
  53. प्रश्न- तोप और अश्वारोही सेना मुगलकालीन सेना के मुख्य सेनांग थे जिनके ऊपर उन्हें विजय प्राप्त करने का विश्वास था। विवेचना कीजिए।
  54. प्रश्न- आघात समरतंत्र (Shock Tactics) क्या है?
  55. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत की सैन्य व्यवस्था तथा विस्तार पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  56. प्रश्न- मुगल स्त्रातजी तथा सामरिकी का वर्णन कीजिए।
  57. प्रश्न- 1526 ई० में पानीपत के प्रथम संग्राम का सचित्र वर्णन कीजिए।
  58. प्रश्न- मुगलों की सेना में कितने प्रकार के सैनिक थे?
  59. प्रश्न- मुगल सैन्य पद्धति के पतन के क्या कारण थे?
  60. प्रश्न- सेना के वह मुख्य भाग क्या थे? जिन पर मुगलों की विजय आधारित थी? वर्णन कीजिए।
  61. प्रश्न- मुगल तोपखाने पर संक्षेप में लिखिये।
  62. प्रश्न- युद्ध क्षेत्र में मुगल सेना की रचना का वर्णन कीजिए।
  63. प्रश्न- मुगल काल में अश्वारोही सैनिक कितने प्रकार के होते थे?
  64. प्रश्न- तोप और अश्वारोही सेना मुगलकालीन सेना के मुख्य सेनांग थे जिनके ऊपर उन्हें विजय प्राप्त करने का विश्वास था। विवेचना कीजिए।
  65. प्रश्न- खानवा की लड़ाई (1527 ई०) का सचित्र वर्णन कीजिए।
  66. प्रश्न- राजपूतों की असफलता के क्या कारण थे?
  67. प्रश्न- राजपूतों की युद्ध कला पर संक्षेप में लिखिये।
  68. प्रश्न- राजपूतों का सैन्य संगठन कैसा था?
  69. प्रश्न- राजपूतों के गुणों की व्याख्या कीजिए।
  70. प्रश्न- राजपूतों में दुर्गणों का भी अभाव न था। इस कथन को साबित करिये।
  71. प्रश्न- तराइन के दूसरे युद्ध (1192 ई.) में राजपूतों की पराजय तथा मुसलमानों की विजय के क्या कारण थे?
  72. प्रश्न- 1527 ई० की खानवा की लड़ाई में राजपूतों और मुगलों की तुलनात्मक सैन्य शक्ति का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- 17वीं शताब्दी में मराठा शक्ति के उत्कर्ष के कारणों का उल्लेख कीजिए।
  74. प्रश्न- मराठा सैन्य पद्धति का वर्णन कीजिए।
  75. प्रश्न- मराठा सेनाओं की युद्ध कला एवं संगठन का विवरण दीजिए।
  76. प्रश्न- पानीपत के तीसरे संग्राम (1761 ई०) का सचित्र वर्णन कीजिए।
  77. प्रश्न- मराठा शक्ति के उदय पर प्रकाश डालिए।
  78. प्रश्न- शिवाजी के समय मराठों का सैन्य संगठन का उल्लेख कीजिए।
  79. प्रश्न- मराठों की युद्धकला पर प्रकाश डालिए।
  80. प्रश्न- मराठा सैनिकों के सैन्य गुणों को बताइये।
  81. प्रश्न- शिवाजी के सैन्य गुणों का उल्लेख कीजिए।
  82. प्रश्न- पानीपत के तृतीय युद्ध ( 1761 ई०) में मराठों और अफगानों की सैन्य शक्ति का उल्लेख कीजिए।
  83. प्रश्न- पानीपत के तृतीय युद्ध का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  84. प्रश्न- पानीपत के तीसरे युद्ध (1761 ई.) में मराठों की पराजय के प्रमुख कारण लिखिए।
  85. प्रश्न- सिक्ख सैन्य पद्धति, युद्ध कला तथा संगठन का पूर्ण विवरण दीजिए।
  86. प्रश्न- रणजीत सिंह के पूर्व सिक्ख सैन्य पद्धति की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  87. प्रश्न- "रणजीत सिंह भारत का गुस्तावस एडोल्फस माना जाता है। इस कथन के संदर्भ में रणजीत सिंह द्वारा सिक्ख सेना के किये गये विभिन्न सुधारों का वर्णन कीजिए।
  88. प्रश्न- सोबरांव के संग्राम (1864 ई०) का वर्णन करते हुए सिक्ख सेना की पराजय के कारण बताइये।
  89. प्रश्न- दल खालसा पर टिप्पणी लिखिए।
  90. प्रश्न- सिक्ख सैन्य संगठन पर प्रकाश डालिए।
  91. प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह ने सिक्खों को सैनिक क्षेत्र में क्या योगदान दिये?
  92. प्रश्न- सिक्खों के सेनांग का वर्णन कीजिए।
  93. प्रश्न- रणजीत सिंह से पूर्व सिक्खों के समरतंत्र पर प्रकाश डालिए।
  94. प्रश्न- खालसा युद्ध कला पर लिखिये।
  95. प्रश्न- महाराजा रणजीत सिंह के तोपखाने का वर्णन कीजिए।
  96. प्रश्न- रणजीत सिंह ने सेना में क्या-क्या सुधार किये?
  97. प्रश्न- सोबरांव के युद्ध (1846) में सिक्खों की मोर्चे बन्दी का वर्णन कीजिए।
  98. प्रश्न- सोबरांव के युद्ध में सिक्खों की पराजय के क्या कारण थे?
  99. प्रश्न- सिक्ख दल खालसा का युद्ध के समय क्या महत्व था?
  100. प्रश्न- ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सैन्य पद्धति का वर्णन कीजिए तथा 1857 ई. के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के कारण बताइये।
  101. प्रश्न- सन् 1858 से लेकर सन् 1918 तक अंग्रेजों के अधीन भारतीय सेना के संगठन तथा विकास का वर्णन कीजिए।
  102. प्रश्न- स्वतंत्रता पश्चात् सशस्त्र सेनाओं के भारतीयकरण का वर्णन कीजिए।
  103. प्रश्न- सेना के भारतीयकरण में मोतीलाल नेहरु की रिपोर्ट का मूल्यांकन कीजिए।
  104. प्रश्न- 1939-45 के मध्य भारतीय सशस्त्र सेनाओं के विस्तार और भारतीयकरण का परिचय दीजिए।
  105. प्रश्न- भारतीय नभ शक्ति की विशेषताओं तथा कार्यों का वर्णन कीजिए।
  106. प्रश्न- भारतीय कवचयुक्त सेना पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
  107. प्रश्न- आधुनिक भारत में सैन्य संगठन की रचना एवं तत्वों का निरूपण कीजिए।
  108. प्रश्न- भारतीय थल सेना के अंगों का विस्तृत विवरण दीजिए।
  109. प्रश्न- भारत के लिए एक शक्तिशाली नौसेना क्यों आवश्यक है? नौसेना के युद्ध कालीन कार्य बताइए।
  110. प्रश्न- भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के सैन्य संगठन पर प्रकाश डालिए।
  111. प्रश्न- लार्ड क्लाइव ने सेना में क्या-क्या सुधार किये?
  112. प्रश्न- लार्ड कार्नवालिस के सैन्य सुधारों पर प्रकाश डालिए।
  113. प्रश्न- कमाण्डर-इन-चीफ लार्ड रॉलिन्सन ने क्या सुधार किये?
  114. प्रश्न- कम्पनी सेना की स्थापना के क्या कारण थे?
  115. प्रश्न- प्रेसीडेन्सी सेनाओं के विकास का वर्णन कीजिये।
  116. प्रश्न- क्राउनकालीन भारतीय सेना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  117. प्रश्न- ब्रिटिशकालीन भारतीय सेना को किन कारणों से राष्ट्रीय सेना नहीं कहा जा सकता?
  118. प्रश्न- भारतीय मिसाइल कार्यक्रम पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  119. प्रश्न- ब्रह्मोस क्या है?
  120. प्रश्न- भारत की नाभिकीय नीति का संक्षेप में विवेचन कीजिये।
  121. प्रश्न- भारत ने व्यापक परीक्षण प्रतिबन्ध सन्धि (CTBT) पर हस्ताक्षर क्यों नहीं किया है?
  122. प्रश्न- पोखरन-II परीक्षणों में भारत ने किस प्रकार के अस्त्रों की क्षमता का परिचय दिया था?
  123. प्रश्न- भारत की प्रतिरक्षात्मक तैयारी का मूल्याँकन कीजिए।
  124. प्रश्न- भारत की स्थल सेना के कमाण्ड्स के नाम व उनके मुख्यालय लिखिए।
  125. प्रश्न- भारतीय वायु सेना के कार्यों को स्पष्ट कीजिए।
  126. प्रश्न- भारतीय वायु सेना के संगठन पर प्रकाश डालिए।
  127. प्रश्न- भारतीय वायुसेना के कमाण्ड्स के नाम व उनके मुख्यालय लिखिए।
  128. प्रश्न- भारतीय वायुसेना पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  129. प्रश्न- भारतीय स्थल सेना की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  130. प्रश्न- वायुसेना का महत्व समझाइये।
  131. प्रश्न- भारत की स्थल सेना के कमाण्ड्स के नाम व उनके मुख्यालय लिखिए।
  132. प्रश्न- प्रथम भारत-पाक युद्ध या कश्मीर युद्ध (1947-48) का वर्णन कीजिए।
  133. प्रश्न- स्वतन्त्रता के पश्चात् भारतीय सेनाओं द्वारा लड़े गये युद्धों का विवरण दीजिए।
  134. प्रश्न- 1948 के भारत-पाक युद्ध में स्थल सेना की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  135. प्रश्न- कश्मीर विवाद 1948 में सैन्य कार्यवाही के कारणों का उल्लेख कीजिए।
  136. प्रश्न- 1948 का युद्ध भारत पर अचानक आक्रमण था। कैसे?
  137. प्रश्न- कश्मीर सैन्य कार्यवाही, 1948 के राजनैतिक परिणाम क्या थे? वर्णन कीजिए।
  138. प्रश्न- "भारतीय उपमहाद्वीप में शान्ति भारत-पाक सम्बन्धों पर अवलम्बित है।" इस कथन का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए
  139. प्रश्न- भारत-पाक युद्ध 1948 में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका।
  140. प्रश्न- 1962 में चीन के विरुद्ध भारत की सैनिक असफलताओं के कारण बताइए।
  141. प्रश्न- 1948 तथा 1962 के युद्धों में प्रयुक्त समरनीति का तुलनात्मक विश्लेषण कीजिए।
  142. प्रश्न- भारत के सन्दर्भ में तिब्बत की सुरक्षा पर प्रकाश डालिए।
  143. प्रश्न- भारत-चीन युद्ध 1962 में वायुसेना की भूमिका का वर्णन कीजिए।
  144. प्रश्न- भारत-चीन संघर्ष, 1962 ने भारतीय सेना की कमजोरियों को उजागर किया। समीक्षा कीजिए।
  145. प्रश्न- नदी बाहुल्य क्षेत्र में वायुसेना की महत्ता समझाइये।
  146. प्रश्न- "भारत में रक्षा अनुसंधान एवं रेखास संगठन की भूमिका' पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  147. प्रश्न- 1965 में भारत और पाकिस्तान के मध्य हुए युद्ध का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  148. प्रश्न- 1965 के भारत-पाक संघर्ष के प्रमुख कारणों को आंकलित कीजिए।
  149. प्रश्न- 1965 के कच्छ के विवाद पर प्रकाश डालिए।
  150. प्रश्न- ताशकन्द समझौता क्यों हुआ? स्पष्ट कीजिये।
  151. प्रश्न- मरुस्थल के युद्ध की समस्याएँ लिखिए।
  152. प्रश्न- कच्छ के रन का रेखाचित्र बनाइये।
  153. प्रश्न- कच्छ के रण का महत्व समझाइये।
  154. प्रश्न- ताशकन्द समझौते के मुख्य प्रस्तावों पर प्रकाश डालिये।
  155. प्रश्न- कच्छ सैन्य अभियान पर प्रकाश डालिए।
  156. प्रश्न- भारत-पाक युद्ध 1971 का वर्णन कीजिए तथा युद्ध के कारणों पर प्रकाश डालिए।
  157. प्रश्न- 1971 के युद्ध में जैसोर तथा ढाका की घेराबन्दी अभियान तथा ढाका के आत्मसमर्पण का वर्णन कीजिए।
  158. प्रश्न- भारत के लिए कारगिल क्यों महत्वपूर्ण है?
  159. प्रश्न- कारगिल युद्ध 1999 की उत्पत्ति पर प्रकाश डालिए।
  160. प्रश्न- कारगिल युद्ध 1999 में भारतीय वायुसेना की आक्रामक कार्यवाही का मूल्याँकन कीजिए।
  161. प्रश्न- कारगिल संघर्ष 1999 के कारणों का वर्णन कीजिए।
  162. प्रश्न- कारगिल युद्ध के पीछे पाकिस्तान की मंशा पर प्रकाश डालिए।
  163. प्रश्न- कारगिल युद्ध (1999) के समय भारतीय सेनाओं के समक्ष आई समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
  164. प्रश्न- कारगिल युद्ध 1999 में भारतीय वायुसेना की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  165. 1 - वैदिक एवं महाकाव्यकालीन सैन्य व्यवस्था (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  166. उत्तरमाला
  167. 2 - झेलम संग्राम - 326 ई. पू. (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  168. उत्तरमाला
  169. 3- कौटिल्य का युद्ध दर्शन (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  170. उत्तरमाला
  171. 4 - तुर्क एवं राजपूत सैन्य पद्धति : तराइन का युद्ध (1192 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  172. उत्तरमाला
  173. 5- सैन्य संगठन एवं सल्तनत काल की सैन्य पद्धति (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  174. उत्तरमाला
  175. 6 - मुगल सैन्य पद्धति : पानीपत का प्रथम संग्राम (1526 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  176. उत्तरमाला
  177. 7- राजपूत सैन्य संगठन, शस्त्र प्रणाली एवं खानवा का संग्राम (1527 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  178. उत्तरमाला
  179. 8- मराठा सैन्य पद्धति एवं पानीपत का तीसरा युद्ध (1761 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्नऋ
  180. उत्तरमाला
  181. 9 - सिक्ख सैन्य प्रणाली एवं सोबरांव का युद्ध (1846 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  182. उत्तरमाला
  183. 10 - ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सैन्य पद्धति, 1858-1947 ईस्वी तक (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  184. उत्तरमाला
  185. 11- प्रथम भारत पाक युद्ध (1947-48) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  186. उत्तरमाला
  187. 12 - भारत-चीन युद्ध 1962 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  188. उत्तरमाला
  189. 13 - भारत-पाकिस्तान युद्ध - 1985 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  190. उत्तरमाला
  191. 14- बांग्लादेश की स्वतन्त्रता - 1971 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  192. उत्तरमाला
  193. 15 - कारगिल संघर्ष - 1999 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  194. उत्तरमाला

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