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बीए सेमेस्टर-2 मनोविज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2721
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-2 मनोविज्ञान - सरब प्रश्नोत्तर

यूनिट - V

 

अध्याय - 5 :
सहसम्बन्ध

(Correlation)

प्रश्न- सह-सम्बन्ध से आप क्या समझते हैं? सह-सम्बन्ध के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।

अथवा
सह-सम्बन्ध की उपयुक्त परिभाषा दीजिये और बताइये कि यह कितने प्रकार का होता है?

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. सह-सम्बन्ध का प्रत्यय।
अथवा
सह-सम्बन्ध एवं उसके प्रकार बताइये।
2. धनात्मक सह-सम्बन्ध की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
3. ऋणात्मक सह-सम्बन्ध की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
4. शून्य सह-सम्बन्ध।
5. गुणात्मक सह-सम्बन्ध किसे कहते हैं?
6. रेखीय तथा अरेखीय सह-सम्बन्ध में अन्तर बताइये।

 

उत्तर -

सह-सम्बन्ध का अर्थ
(Meaning of Correlation)

सह-सम्बन्ध की उत्पत्ति Correlation शब्द से हुई। इसमें हम दैनिक या व्यावहारिक जीवन में दो या अधिक गुणों का तुलनात्मक अध्ययन करते हैं। इसमें दो या अधिक समान समूहों के छात्रों के विभिन्न विषयों के प्राप्तांकों की तुलना करके इनका पारस्परिक सम्बन्ध ज्ञात करते हैं। इसी पारस्परिक सह-सम्बन्ध को सह-सम्बंध कहते हैं अर्थात् सह-सम्बन्ध में हम व्यक्ति की दो योग्यताओं अथवा समूहों की योग्यता की तुलना करते हैं।

सह-सम्बन्ध की परिभाषाएँ
(Definitions of Correlation)

ब्लोमर्स और लिण्डक्विस्ट (Blommers and Lindquist,- 1958) के अनुसार- "सहे- सम्बन्ध के द्वारा यह अध्ययन किया जाता है कि व्यक्ति या वस्तुयें एक आयाम या दिशा में औसत से अधिक या औसत से कम है तो दूसरी दिशा में क्या प्रवृत्ति है अर्थात् औसत है, औसत से अधिक है या औसत से कम है।"

फरग्यूसन (G. H. Ferguson, 1966) के अनुसार - "सह-सम्बन्ध का उद्देश्य दो चरों में पाये जाने वाले संबंध की मात्रा का पता लगाना होता है।"

गिलफोर्ड (J. P. Guilford) के अनुसार - "सह-सम्बन्ध गुणांक वह अकेली संख्या है जो यह बताती है कि दो वस्तुयें किस सीमा तक एक-दूसरे में सह सम्बन्धित हैं तथा एक परिवर्तन से दूसरे के परिवर्तन को किस सीमा तक प्रभावित करते हैं।"

गैरेट (H. E. Garret) के अनुसार - "दो या अधिक चल राशियों, घटनाओं या वस्तुओं के पारस्परिक संबंध को सह-सम्बन्ध कहते हैं।"

सह-सम्बन्ध के संकेत (Cues of correlation) - सह-सम्बन्ध को निम्नलिखित संकेतों द्वारा प्रदर्शित करते हैं-

Rho = correlation

P = correlation

R = correlation

r = correlation

सह-सम्बन्ध का स्वरूप
(Nature of Correlation)

सह-सम्बन्ध दो चरों के प्राप्तांकों का आपसी सह-सम्बन्ध प्रदर्शित करता है। इसका स्वरूप इस प्रकार है -

1. प्रथम चर में हुए परिवर्तन का प्रभाव दूसरे चर पर पड़ता है।
2. यह परिवर्तन धनात्मक भी हो सकता है तथा ऋणात्मक भी हो सकता है।
3. यदि दोनों चरों का आपसी प्रभाव शून्य होता है तो यह शून्य सह-सम्बन्ध कहलाता है।


सह-सम्बन्ध के प्रकार

(Types of Correlation)

सह-सम्बन्ध के प्रकारों को मुख्यतः निम्न भागों में बाँट सकते हैं -

2721_93_a

 

धनात्मक सह-सम्बन्ध
(Positive Correlation)

जब एक चर में वृद्धि होने पर दूसरे में भी वृद्धि होती है तथा एक चर में कमी होने से दूसरे चर में भी कमी होती है तो धनात्मक सह-सम्बन्ध कहलाता है। इसका कारण यह है कि चर में एक ही दिशा में परिवर्तन होता है।

1. पूर्ण धनात्मक सह-सम्बन्ध (Perfect Positive Correlation) - जब दो चरों की मात्रा अनुपातिक रूप में घटती या बढ़ती है तो इसे पूर्ण धनात्मक सह- सम्बन्ध कहते हैं। इसे निम्न चित्र द्वारा स्पष्ट कर सकते हैं -

चित्र में X अक्ष पर इंचों के मान तथा Y अक्षों पर सेन्टीमीटर के मानों को लिया गया है। उपरोक्त ग्राफ में पूर्ण धनात्मक सह-सम्बन्ध है।

2721_93_b

2. उच्च धनात्मक सह-सम्बन्ध (High Perfect Correlation): कभी-कभी एक चर में परिवर्तन से दूसरे चर में अत्यधिक परिवर्तन हो जाता है। इसे उच्च धनात्मक सह-सम्बन्ध कहते हैं। इसे निम्न चित्र द्वारा स्पष्ट कर सकते हैं -

2721_94_A

चित्र में X अक्ष पर भार तथा Y अक्ष पर कद (लम्बाई) को प्रदर्शित किया गया है। यहाँ उपरोक्त चित्र में सह-सम्बन्ध उच्च श्रेणी का हैं।

3. सामान्यं धनात्मक सह-सम्बन्ध (Moderate Positive Correlation) : जब मध्य रेखा के इर्द-गिर्द ही सह-सम्बन्ध फैलता है तो इसे सामान्य धनात्मक सह-सम्बन्ध कहते हैं। इसे निम्न चित्र द्वारा स्पष्ट कर सकते हैं -चित्र में X अक्ष पर आय तथा Y अक्ष पर उपलब्धि को प्रदर्शित किया गया है। अंकों के वितरण को देखने से स्पष्ट होता है कि अंक रेखा के दोनों ओर काफी क्षेत्र में है परन्तु एक दिशा में है, इसलिये इसे सामान्य धनात्मक सह-सम्बन्ध कहेंगे।

2721_94_B

जब दो चरों में विपरीत दिशा में परिवर्तन होता है तो इसे ऋणात्मक सह-सम्बन्ध कहते हैं। उदाहरण के लिए जब टाइपिस्ट की टाइप करने की गति बढ़ती है तो उसकी शुद्धता में कमी आ जाती है। यह ऋणात्मक सह-सम्बन्ध है। इसे चित्र द्वारा स्पष्ट कर सकते हैं।

चित्र में X अक्ष पर टाइप की गति तथा Y अक्ष पर शुद्धता दिखायी गयी है जो ऋणात्मक सह- सम्बन्ध को प्रदर्शित करती है।

2721_94_C

पूर्ण ऋणात्मक सह-सम्बन्ध (Perfect Negative Correlation) : जब दो चरों की मात्रायें समान अनुपात में विपरीत दिशा में प्रत्यक्ष एवं पारस्परिक रूप में बढ़ती या घटती हैं तो इस अवस्था में दो चरों के मध्य पाया जाने वाला सम्बन्ध पूर्ण ऋणात्मक सह-सम्बन्ध होगा। इसे चित्र द्वारा स्पष्ट कर सकते हैं.

चित्र में X अक्ष पर अंर्तमुखी तथा Y अक्ष पर बर्हिमुखी व्यक्तित्व को प्रदर्शित किया है। दोनों व्यक्तित्व की विशेषतायें पूर्ण रूप से विपरीत होती हैं इसलिये यहाँ पूर्ण ऋणात्मक सह-सम्बन्ध होगा।

2721_95_A
शून्य सह-सम्बन्ध
(Zero Correlation)

जब एक चर में होने वाले परिवर्तन से दूसरे चर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है तो इसे शून्य सह-सम्बन्ध कहते हैं। उदाहरण के लिए भार में वृद्धि होने से बुद्धिलब्धि पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इसे चित्र द्वारा स्पष्ट कर सकते हैं -

2721_95_B

चित्र में X अक्ष पर भार तथा Y अक्ष पर बुद्धिलब्धि को दिखाया गया है। यहाँ पर शून्य सह-सम्बन्ध है।

रेखात्मक सह-सम्बन्ध
(Linear Correlation)

जब दो चरों के चरों में इस प्रकार परिवर्तन होता है कि उनको एक रेखा द्वारा प्रदर्शित करते हैं तो यह रेखीय सह-सम्बन्ध कहलाता है। उदाहरण के लिए आयु और लम्बाई के सम्बन्ध को यदि ग्राफ पर प्रदर्शित करें तो ग्राफ एक सरल रेखा के रूप मे प्रदर्शित होगा।

 

वक्रात्मक सह-सम्बन्ध
(Curvilinear Correlation)

वक्रात्मक सह-सम्बन्ध वह सम्बन्ध होता है जिसमें एक सीमा तक तो दो चरों के मध्य सह-सम्बन्ध धनात्मक सह-सम्बन्ध होता है और इस सीमा के बाद ऋणात्मक सह-संम्बन्ध होता है। इसे निम्नलिखित चित्र द्वारा स्पष्ट कर सकते हैं-

2721_96

चित्र में X अक्ष पर आयु तथा Y अक्ष पर स्मरण शक्ति को दिखाया गया है। इससे स्पष्ट होता है कि आयु बढ़ने के साथ स्मरण शक्ति बढ़ती है। स्मरण शक्ति निश्चित आयु तक ही बढ़ती है इसके पश्चात् स्मरण शक्ति में ह्रास होने लगता है। अतः यहाँ वक्रात्मक सह-सम्बन्ध है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- मापन के प्रमुख कार्यों का उल्लेख कीजिए।
  2. प्रश्न- मापनी से आपका क्या तात्पर्य है? मापनी की प्रमुख विधियों का उल्लेख कीजिये।
  3. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक मापन के विभिन्न स्तरों का वर्णन कीजिये।
  4. प्रश्न- मापन का अर्थ एवं परिभाषा बताते हुए इसकी प्रमुख समस्याओं का उल्लेख कीजिए।'
  5. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक मापन को स्पष्ट करते हुए मापन के गुणों का उल्लेख कीजिए तथा मनोवैज्ञानिक मापन एवं भौतिक मापन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  6. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक मापन के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  7. प्रश्न- मापन की जीवन में नितान्त आवश्यकता है, इस कथन की पुष्टि कीजिए।
  8. प्रश्न- मापन के महत्व पर अपने विचार स्पष्ट कीजिए।
  9. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  10. उत्तरमाला
  11. प्रश्न- मनोविज्ञान को विज्ञान के रूप में कैसे परिभाषित कर सकते है? स्पष्ट कीजिए।
  12. प्रश्न- प्रायोगिक विधि को परिभाषित कीजिए तथा इसके सोपानों का वर्णन कीजिए।
  13. प्रश्न- सह-सम्बन्ध से आप क्या समझते हैं? सह-सम्बन्ध के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  14. प्रश्न- अवलोकन किसे कहते हैं? अवलोकन का अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा अवलोकन पद्धति की विशेषताएँ बताइए।
  15. प्रश्न- अवलोकन के प्रकारों की व्याख्या कीजिए।
  16. प्रश्न- चरों के प्रकार तथा चरों के रूपों का आपस में सम्बन्ध बताते हुए चरों के नियंत्रण पर प्रकाश डालिए।
  17. प्रश्न- परिकल्पना या उपकल्पना से आप क्या समझते हैं? परिकल्पना कितने प्रकार की होती है।
  18. प्रश्न- जनसंख्या की परिभाषा दीजिए। इसके प्रकारों का विवेचन कीजिए।
  19. प्रश्न- वैज्ञानिक प्रतिदर्श की विशेषताओं की व्याख्या कीजिए।
  20. प्रश्न- सह-सम्बन्ध गुणांक के निर्धारक बताइये तथा इसका महत्व बताइये।
  21. प्रश्न- उपकल्पनाएँ कितनी प्रकार की होती हैं?
  22. प्रश्न- अवलोकन का महत्व बताइए।
  23. प्रश्न- पक्षपात पूर्ण प्रतिदर्श क्या है? इसके क्या कारण होते हैं?
  24. प्रश्न- प्रतिदर्श या प्रतिचयन के उद्देश्य बताइये।
  25. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  26. उत्तरमाला
  27. प्रश्न- वर्णनात्मक सांख्यिकीय से आप क्या समझते हैं? इस विधि का व्यवहारिक जीवन में क्या महत्व है? समझाइए।
  28. प्रश्न- मध्यमान से आप क्या समझते हैं? इसके गुण-दोषों तथा उपयोग की विवेचना कीजिये।
  29. प्रश्न- मध्यांक की परिभाषा दीजिये। इसके गुण-दोषों की विवेचना कीजिये।
  30. प्रश्न- बहुलांक से आप क्या समझते हैं? इसके गुण-दोष तथा उपयोग की विवेचना करें।
  31. प्रश्न- चतुर्थांक विचलन से आप क्या समझते हैं? इसके गुण-दोषों की व्याख्या करें।
  32. प्रश्न- मानक विचलन से आप क्या समझते है? मानक विचलन की गणना के सोपान बताइए।
  33. प्रश्न- रेखाचित्र के अर्थ को स्पष्ट करते हुए उसके महत्व, सीमाएँ एवं विशेषताओं का भी उल्लेख कीजिए।
  34. प्रश्न- आवृत्ति बहुभुज के अर्थ को स्पष्ट करते हुए रेखाचित्र की सहायता से इसके महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  35. प्रश्न- संचयी प्रतिशत वक्र या तोरण किसे कहते हैं? इससे क्या लाभ है? उदाहरण की सहायता से इसकी पद रचना समझाइए।
  36. प्रश्न- केन्द्रीय प्रवृत्ति के माप से क्या समझते हैं?
  37. प्रश्न- केन्द्रीय प्रवृत्ति के उद्देश्य बताइए।
  38. प्रश्न- मध्यांक की गणना कीजिए।
  39. प्रश्न- मध्यांक की गणना कीजिए।
  40. प्रश्न- विचलनशीलता का अर्थ बताइए।
  41. प्रश्न- प्रसार से आप क्या समझते हैं?
  42. प्रश्न- प्रसरण से आप क्या समझते हैं?
  43. प्रश्न- विचलन गुणांक की संक्षिप्त व्याख्या करें।
  44. प्रश्न- आवृत्ति बहुभुज और स्तम्भाकृति में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  45. प्रश्न- तोरण वक्र और संचयी आवृत्ति वक्र में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  46. प्रश्न- स्तम्भाकृति (Histogram) और स्तम्भ रेखाचित्र (Bar Diagram) में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  47. प्रश्न- स्तम्भ रेखाचित्र (Bar Diagram) किसे कहते हैं?
  48. प्रश्न- निम्नलिखित व्यवस्थित प्राप्तांकों के मध्यांक की गणना कीजिए।
  49. प्रश्न- निम्नलिखित व्यवस्थित प्राप्तांकों के बहुलांक की गणना कीजिए।
  50. प्रश्न- निम्नलिखित व्यवस्थित प्राप्तांकों के मध्यमान की गणना कीजिए।
  51. प्रश्न- निम्न आँकड़ों से माध्यिका ज्ञात कीजिए :
  52. प्रश्न- निम्नलिखित आँकड़ों का मध्यमान ज्ञात कीजिए :
  53. प्रश्न- अग्रलिखित आँकड़ों से मध्यमान ज्ञात कीजिए।
  54. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  55. उत्तरमाला
  56. प्रश्न- सामान्य संभावना वक्र से क्या समझते हैं? इसके स्वरूप का वर्णन कीजिए।
  57. प्रश्न- कुकुदता से आप क्या समझते हैं? यह वैषम्य से कैसे भिन्न है?
  58. प्रश्न- सामान्य संभावना वक्र के उपयोग बताइये।
  59. प्रश्न- एक प्रसामान्य वितरण का मध्यमान 16 है तथा मानक विचलन 4 है। यह बताइये कि मध्य 75% केसेज किन सीमाओं के मध्य होंगे?
  60. प्रश्न- किसी वितरण से सम्बन्धित सूचनायें निम्नलिखित हैं :-माध्य = 11.35, प्रमाप विचलन = 3.03, N = 120 । वितरण में प्रसामान्यता की कल्पना करते हुए बताइये कि प्रप्तांक 9 तथा 17 के बीच कितने प्रतिशत केसेज पड़ते हैं?-
  61. प्रश्न- 'टी' परीक्षण क्या है? इसका प्रयोग हम क्यों करते हैं?
  62. प्रश्न- निम्नलिखित समूहों के आँकड़ों से टी-टेस्ट की गणना कीजिए और बताइये कि परिणाम अमान्य परिकल्पना का खण्डन करते हैं या नहीं -
  63. प्रश्न- सामान्य संभाव्यता वक्र की विशेषताओं की व्याख्या कीजिए।
  64. प्रश्न- एक वितरण का मध्यमान 40 तथा SD 3.42 है। गणना के आधार पर बताइये कि 42 से 46 प्राप्तांक वाले विद्यार्थी कितने प्रतिशत होंगे?
  65. प्रश्न- प्रायिकता के प्रत्यय को स्पष्ट कीजिए।
  66. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  67. उत्तरमाला
  68. प्रश्न- सह-सम्बन्ध से आप क्या समझते हैं? सह-सम्बन्ध के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  69. प्रश्न- सह-सम्बन्ध की गणना विधियों का वर्णन कीजिए। कोटि अंतर विधि का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
  70. प्रश्न- सह-सम्बन्ध गुणांक गणना की प्रोडक्ट मोमेन्ट विधियों का वर्णन कीजिए। कल्पित मध्यमान विधि का उदाहरण देकर वर्णन कीजिए।
  71. प्रश्न- उदाहरण की सहायता से वास्तविक मध्यमान विधि की व्याख्या कीजिए।
  72. प्रश्न- काई वर्ग परीक्षण किसे कहते हैं?
  73. प्रश्न- सह-सम्बन्ध की दिशाएँ बताइये।
  74. प्रश्न- सह-सम्बन्ध गुणांक के निर्धारक बताइये तथा इसका महत्व बताइये।
  75. प्रश्न- जब ED2 = 36 है तथा N = 10 है तो स्पीयरमैन कोटि अंतर विधि से सह-सम्बन्ध निकालिये।
  76. प्रश्न- सह सम्बन्ध गुणांक का अर्थ क्या है?
  77. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  78. उत्तरमाला
  79. प्रश्न- परीक्षण से आप क्या समझते हैं? परीक्षण की विशेषताओं एवं प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- परीक्षण रचना के सामान्य सिद्धान्तों, विशेषताओं तथा चरणों का वर्णन कीजिये।
  81. प्रश्न- किसी परीक्षण की विश्वसनीयता से आप क्या समझते हैं? विश्वसनीयता ज्ञात करने की विधियों का वर्णन कीजिये।
  82. प्रश्न- किसी परीक्षण की वैधता से आप क्या समझते हैं? वैधता ज्ञात करने की विधियों का वर्णन कीजिये।
  83. प्रश्न- पद विश्लेषण से आप क्या समझते हैं? पद विश्लेषण के क्या उद्देश्य हैं? इसकी प्रक्रिया पर प्रकाश डालिये।
  84. प्रश्न- किसी परीक्षण की विश्वसनीयता किन रूपों में मापी जाती है? विश्वसनीयता को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिये।
  85. प्रश्न- "किसी कसौटी के साथ परीक्षण का सहसम्बन्ध ही वैधता है।" इस कथन की व्याख्या कीजिए।
  86. प्रश्न- मानकीकरण से आप क्या समझते हैं? इनकी क्या विशेषतायें हैं? मानकीकरण की प्रक्रिया विधि की विवेचना कीजिये।
  87. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक मापन एवं मनोवैज्ञानिक परीक्षण में अन्तर बताइए।
  88. प्रश्न- परीक्षण फलांकों (Test Scores) की व्याख्या से क्या तात्पर्य है?
  89. प्रश्न- परीक्षण के प्रकार बताइये।
  90. प्रश्न- पद विश्लेषण की समस्याएँ बताइये।
  91. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  92. उत्तरमाला
  93. प्रश्न- बुद्धि के अर्थ को स्पष्ट करते हुए बुद्धि के प्रकारों की व्याख्या कीजिए।
  94. प्रश्न- बिने-साइमन बुद्धि परीक्षण का सविस्तार वर्णन कीजिए।
  95. प्रश्न- वेक्सलर बुद्धि मापनी का सविस्तार वर्णन कीजिए।
  96. प्रश्न- वेक्सलर द्वारा निर्मित बच्चों की बुद्धि मापने के लिए किन-किन मापनियों का निर्माण किया गया है? व्याख्या कीजिए।
  97. प्रश्न- कैटेल द्वारा प्रतिपादित सांस्कृतिक मुक्त परीक्षण की व्याख्या कीजिए।
  98. प्रश्न- आयु- मापदण्ड (Age Scale) एवं बिन्दु - मापदण्ड (Point Scale) में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  99. प्रश्न- बुद्धि लब्धि को कैसे ज्ञात किया जाता है?
  100. प्रश्न- बुद्धि और अभिक्षमता में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  101. प्रश्न- वेक्सलर मापनियों के नैदानिक उपयोग की व्याख्या कीजिए।
  102. प्रश्न- वेक्सलर मापनी की मूल्यांकित व्याख्या कीजिए।
  103. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  104. उत्तरमाला
  105. प्रश्न- व्यक्तिगत आविष्कारिका क्या है? कैटेल द्वारा प्रतिपादित सोलह ( 16 P. F) व्यक्तित्व-कारक प्रश्नावली व्यक्तित्व मापन में किस प्रकार सहायक है?
  106. प्रश्न- प्रक्षेपण विधियाँ क्या हैं? यह किस प्रकार व्यक्तित्व माप में सहायक हैं?
  107. प्रश्न- प्रेक्षणात्मक विधियाँ (Observational methods) किसे कहते हैं?
  108. प्रश्न- व्यक्तित्व मापन में किन-किन विधियों का प्रयोग मुख्य रूप से किया जाता है?
  109. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  110. उत्तरमाला

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