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बीए सेमेस्टर-2 मनोविज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2721
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-2 मनोविज्ञान - सरब प्रश्नोत्तर

प्रश्न- प्रायोगिक विधि को परिभाषित कीजिए तथा इसके सोपानों का वर्णन कीजिए।

अथवा
प्रायोगिक विधि से आप क्या समझते हैं तथा इसके गुण एवं दोषों का वर्णन कीजिए।

उत्तर -

मनोविज्ञान की सबसे प्रमुख एवं वैज्ञानिक विधि प्रयोगात्मक विधि है। मनोविज्ञान का विज्ञान होने का दावा अन्य बातों के अलावा उसके इस प्रयोगात्मक विधि के कारण भी है। साधारणतः किसी व्यवहार एवं मानसिक प्रक्रिया को किसी नियंत्रित अवस्था में क्रमबद्ध अध्ययन या प्रेक्षण करना ही प्रयोग कहलाता है।

किसी भी मनोवैज्ञानिक प्रयोग में मुख्यतः तीन तरह के चर होते हैं : -

1. स्वतन्त्र चर - स्वतंत्र चर वह चर होते हैं जिसमें प्रयोगकर्त्ता जोड़-तोड़ करता है तथा जिसके प्रभाव को दूसरे चर पर अध्ययन किया जाता है।

2. आश्रित चर - आश्रित चर वह चर होते हैं जिसके बारे में प्रयोगकर्ता प्रयोग करके पूर्वकथन करना चाहता है इसे आश्रित चर इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इसमें होने वाला परिवर्तन स्वतंत्र चर में किए गए जोड़-तोड़ पर निर्भर करता है।

3. संगत चर - प्रायः मनोविज्ञान के प्रयोग में कुछ ऐसे भी चर होते हैं जिनके प्रभाव को प्रयोगकर्ता नियंत्रित करके रखता है क्योंकि वह आश्रित चर पर उन चरों के प्रभाव का अध्ययन नहीं करना चाहता है।

"नियंत्रित दशाओं में प्रेक्षण ही प्रयोग है।" -गैरेट के अनुसार (1953)

"प्रयोग वैज्ञानिक जाँच की एक विधि है, जिसमें स्वतंत्र परिवर्त्य को प्रयुक्त करके आश्रित परिवर्त्य पर उसके प्रभाव का प्रेक्षण करके कारण तथा प्रभाव सम्बन्ध की खोज की जाती है।" - रैथस के अनुसार ( 1984)

इस प्रकार स्पष्ट है कि प्रयोग का उद्देश्य नियंत्रित अवस्था में प्राणी पर किसी कारक या परिवर्त्य का प्रशासन करके उसके परिणामस्वरूप व्यवहार में उत्पन्न परिवर्तन का प्रेक्षण या मापन करना होता है।

प्रायोगिक विधि के सोपान - मनोवैज्ञानिक प्रयोगों में कुछ निश्चित सोपान प्रयुक्त होते हैं, जो इस प्रकार हैं

1. शीर्षक (Tittle) - प्रत्येक प्रयोग का एक नाम या शीर्षक होता है। उसे अंकित करना चाहिए। जैसे- अधिगम वक्र, परिणाम की जानकारी का प्रभाव इत्यादि।

2. भूमिका (Introduction) - इसके अन्तर्गत किए जाने वाले प्रयोग के बारे में वर्णन किया जाता है। प्रयुक्त सम्प्रव्ययों, परिवर्त्यो को स्पष्ट किया जाता है।

3. समस्या ( Problem) - प्रत्येक प्रयोग किसी समस्या का सामाधान प्राप्त करने के लिए किया जाता है। समस्या का आशय व्यवहार सम्बन्धी ऐसे प्रश्न से है जिसका उत्तर या जिसकी व्याख्या तत्काल देना सम्भव नहीं है। समस्या का समाधान खोजा जाता है।

4. परिकल्पना (Hypothesis) - प्रयोग का उद्देश्य परिकल्पना की जाँच करना होता है। इसका आशय किसी समस्या के लिए प्रस्तावित अस्थायी समाधान से है।

5. विधि (Methodology) - प्रयोग का यह काफी महत्त्वपूर्ण सोपान है। इसके अन्तर्गत कई उपसोपान आते हैं, जैसे-

(a) प्रयोज्य (Subjects) - जिन प्राणियों पर प्रयोग किया जाता है उन्हें प्रयोज्य कहते हैं। इनके बारे में पर्याप्त विवरण एकत्रित करना पड़ता है।

(b) सामग्री (Materials) - प्रयोग निष्पादित करने में जिन सामग्रियों या उपकरणों की आवश्यकता पड़ती है, उनकी व्याख्या की जाती है, ताकि प्रयोग सुचारू रूप से किया जा सके।

(c) प्रयोग का अभिकल्प (Design) - इसके अन्तर्गत स्वतन्त्र, आश्रित एवं अन्य परिवर्त्यो का भी उल्लेख करते हैं।

(d) प्रक्रिया (Procedure) - प्रयोग की तैयारी कर लेने के पश्चात् प्रयोग निष्पादित किया जाता है। प्रयोगों की प्रक्रिया अलग-अलग होती है।

6. परिणाम - प्रयोग करने पर जो सांख्यिकीय प्रदत्त प्राप्त होते हैं, उनका सांख्यिकीय विश्लेषण किया जाता है, जैसे- मध्यमान (M) एवं मानक विचलन (S.D.) की गणना आदि।

7. विवेचन - प्रयोग में प्राप्त परिणामों का विधिवत् विवेचन किया जाता है। ताकि उद्दीपक (या स्वतंत्र परिवर्त्य) एवं अनुक्रिया या आश्रित परिवर्त्य में सम्बन्ध स्पष्ट किया जा सके।

8. निष्कर्ष - अन्त में, प्रयोग में प्राप्त परिणामों का संक्षेप में उल्लेख करते हैं।

प्रायोगिक विधि के गुण - अन्य किसी भी विधि की तुलना में प्रायोगिक विधि में अनेक गुण पाए जाते हैं -

1. यह एक वैज्ञानिक विधि है।.

2. परिस्थिति नियंत्रित होने के कारण परिणाम विश्वसनीय प्राप्त होते हैं।

3. इसके द्वारा कारण तथा प्रभाव के बीच नियमपूर्ण सम्बन्ध स्थापित कर सकते हैं।

4. परिणामों की पुनरावृत्ति की जा सकती है।

5. स्वतंत्र परिवर्त्य का प्रहस्तन करके आश्रित परिवर्त्य में होने वाले परिवर्तनों का क्रमबद्ध अध्ययन कर सकते हैं।

6. इसके द्वारा विश्वसनीय ढंग से सामान्यीकरण कर सकते हैं।

7. परिकल्पना की सत्यता / असत्यता की जाँच का अवसर मिलता है।

8. इसमें प्रयोगकर्ता सक्रिय रहता है, अतः प्रदत्त संग्रह का कार्य वह तत्परता के साथ करता है।

9. इससे शुद्ध एवं सूक्ष्म परिणाम प्राप्त होते हैं।

प्रायोगिक विधि के दोष - इसमें कुछ कमियाँ भी पायी जाती हैं। इस विधि के प्रमुख दोष निम्नांकित हैं-

1. अध्ययन परिस्थिति प्राकृतिक परिवेश की तरह स्वाभाविक नहीं रह पाती है।

2. सभी व्यवहारों का प्रायोगिक अध्ययन नहीं किया जा सकता है। केवल सीमित व्यवहारों का ही अध्ययन इसके द्वारा हो पाता है।

3. प्रायोगिक अध्ययनों के लिए प्रशिक्षित व्यक्तियों का होना आवश्यक है। इससे कभी-कभी कठिनाइयों का अनुभव किया जाता है।

4. यदि प्रयोज्य को प्रयोगकर्त्ता के उद्देश्य ज्ञात हो जाएं तो वह सतर्क होकर व्यवहार कर सकता है। इससे व्यवहार में स्वाभाविकता नहीं रह जाती है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- मापन के प्रमुख कार्यों का उल्लेख कीजिए।
  2. प्रश्न- मापनी से आपका क्या तात्पर्य है? मापनी की प्रमुख विधियों का उल्लेख कीजिये।
  3. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक मापन के विभिन्न स्तरों का वर्णन कीजिये।
  4. प्रश्न- मापन का अर्थ एवं परिभाषा बताते हुए इसकी प्रमुख समस्याओं का उल्लेख कीजिए।'
  5. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक मापन को स्पष्ट करते हुए मापन के गुणों का उल्लेख कीजिए तथा मनोवैज्ञानिक मापन एवं भौतिक मापन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  6. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक मापन के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  7. प्रश्न- मापन की जीवन में नितान्त आवश्यकता है, इस कथन की पुष्टि कीजिए।
  8. प्रश्न- मापन के महत्व पर अपने विचार स्पष्ट कीजिए।
  9. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  10. उत्तरमाला
  11. प्रश्न- मनोविज्ञान को विज्ञान के रूप में कैसे परिभाषित कर सकते है? स्पष्ट कीजिए।
  12. प्रश्न- प्रायोगिक विधि को परिभाषित कीजिए तथा इसके सोपानों का वर्णन कीजिए।
  13. प्रश्न- सह-सम्बन्ध से आप क्या समझते हैं? सह-सम्बन्ध के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  14. प्रश्न- अवलोकन किसे कहते हैं? अवलोकन का अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा अवलोकन पद्धति की विशेषताएँ बताइए।
  15. प्रश्न- अवलोकन के प्रकारों की व्याख्या कीजिए।
  16. प्रश्न- चरों के प्रकार तथा चरों के रूपों का आपस में सम्बन्ध बताते हुए चरों के नियंत्रण पर प्रकाश डालिए।
  17. प्रश्न- परिकल्पना या उपकल्पना से आप क्या समझते हैं? परिकल्पना कितने प्रकार की होती है।
  18. प्रश्न- जनसंख्या की परिभाषा दीजिए। इसके प्रकारों का विवेचन कीजिए।
  19. प्रश्न- वैज्ञानिक प्रतिदर्श की विशेषताओं की व्याख्या कीजिए।
  20. प्रश्न- सह-सम्बन्ध गुणांक के निर्धारक बताइये तथा इसका महत्व बताइये।
  21. प्रश्न- उपकल्पनाएँ कितनी प्रकार की होती हैं?
  22. प्रश्न- अवलोकन का महत्व बताइए।
  23. प्रश्न- पक्षपात पूर्ण प्रतिदर्श क्या है? इसके क्या कारण होते हैं?
  24. प्रश्न- प्रतिदर्श या प्रतिचयन के उद्देश्य बताइये।
  25. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  26. उत्तरमाला
  27. प्रश्न- वर्णनात्मक सांख्यिकीय से आप क्या समझते हैं? इस विधि का व्यवहारिक जीवन में क्या महत्व है? समझाइए।
  28. प्रश्न- मध्यमान से आप क्या समझते हैं? इसके गुण-दोषों तथा उपयोग की विवेचना कीजिये।
  29. प्रश्न- मध्यांक की परिभाषा दीजिये। इसके गुण-दोषों की विवेचना कीजिये।
  30. प्रश्न- बहुलांक से आप क्या समझते हैं? इसके गुण-दोष तथा उपयोग की विवेचना करें।
  31. प्रश्न- चतुर्थांक विचलन से आप क्या समझते हैं? इसके गुण-दोषों की व्याख्या करें।
  32. प्रश्न- मानक विचलन से आप क्या समझते है? मानक विचलन की गणना के सोपान बताइए।
  33. प्रश्न- रेखाचित्र के अर्थ को स्पष्ट करते हुए उसके महत्व, सीमाएँ एवं विशेषताओं का भी उल्लेख कीजिए।
  34. प्रश्न- आवृत्ति बहुभुज के अर्थ को स्पष्ट करते हुए रेखाचित्र की सहायता से इसके महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  35. प्रश्न- संचयी प्रतिशत वक्र या तोरण किसे कहते हैं? इससे क्या लाभ है? उदाहरण की सहायता से इसकी पद रचना समझाइए।
  36. प्रश्न- केन्द्रीय प्रवृत्ति के माप से क्या समझते हैं?
  37. प्रश्न- केन्द्रीय प्रवृत्ति के उद्देश्य बताइए।
  38. प्रश्न- मध्यांक की गणना कीजिए।
  39. प्रश्न- मध्यांक की गणना कीजिए।
  40. प्रश्न- विचलनशीलता का अर्थ बताइए।
  41. प्रश्न- प्रसार से आप क्या समझते हैं?
  42. प्रश्न- प्रसरण से आप क्या समझते हैं?
  43. प्रश्न- विचलन गुणांक की संक्षिप्त व्याख्या करें।
  44. प्रश्न- आवृत्ति बहुभुज और स्तम्भाकृति में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  45. प्रश्न- तोरण वक्र और संचयी आवृत्ति वक्र में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  46. प्रश्न- स्तम्भाकृति (Histogram) और स्तम्भ रेखाचित्र (Bar Diagram) में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  47. प्रश्न- स्तम्भ रेखाचित्र (Bar Diagram) किसे कहते हैं?
  48. प्रश्न- निम्नलिखित व्यवस्थित प्राप्तांकों के मध्यांक की गणना कीजिए।
  49. प्रश्न- निम्नलिखित व्यवस्थित प्राप्तांकों के बहुलांक की गणना कीजिए।
  50. प्रश्न- निम्नलिखित व्यवस्थित प्राप्तांकों के मध्यमान की गणना कीजिए।
  51. प्रश्न- निम्न आँकड़ों से माध्यिका ज्ञात कीजिए :
  52. प्रश्न- निम्नलिखित आँकड़ों का मध्यमान ज्ञात कीजिए :
  53. प्रश्न- अग्रलिखित आँकड़ों से मध्यमान ज्ञात कीजिए।
  54. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  55. उत्तरमाला
  56. प्रश्न- सामान्य संभावना वक्र से क्या समझते हैं? इसके स्वरूप का वर्णन कीजिए।
  57. प्रश्न- कुकुदता से आप क्या समझते हैं? यह वैषम्य से कैसे भिन्न है?
  58. प्रश्न- सामान्य संभावना वक्र के उपयोग बताइये।
  59. प्रश्न- एक प्रसामान्य वितरण का मध्यमान 16 है तथा मानक विचलन 4 है। यह बताइये कि मध्य 75% केसेज किन सीमाओं के मध्य होंगे?
  60. प्रश्न- किसी वितरण से सम्बन्धित सूचनायें निम्नलिखित हैं :-माध्य = 11.35, प्रमाप विचलन = 3.03, N = 120 । वितरण में प्रसामान्यता की कल्पना करते हुए बताइये कि प्रप्तांक 9 तथा 17 के बीच कितने प्रतिशत केसेज पड़ते हैं?-
  61. प्रश्न- 'टी' परीक्षण क्या है? इसका प्रयोग हम क्यों करते हैं?
  62. प्रश्न- निम्नलिखित समूहों के आँकड़ों से टी-टेस्ट की गणना कीजिए और बताइये कि परिणाम अमान्य परिकल्पना का खण्डन करते हैं या नहीं -
  63. प्रश्न- सामान्य संभाव्यता वक्र की विशेषताओं की व्याख्या कीजिए।
  64. प्रश्न- एक वितरण का मध्यमान 40 तथा SD 3.42 है। गणना के आधार पर बताइये कि 42 से 46 प्राप्तांक वाले विद्यार्थी कितने प्रतिशत होंगे?
  65. प्रश्न- प्रायिकता के प्रत्यय को स्पष्ट कीजिए।
  66. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  67. उत्तरमाला
  68. प्रश्न- सह-सम्बन्ध से आप क्या समझते हैं? सह-सम्बन्ध के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  69. प्रश्न- सह-सम्बन्ध की गणना विधियों का वर्णन कीजिए। कोटि अंतर विधि का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
  70. प्रश्न- सह-सम्बन्ध गुणांक गणना की प्रोडक्ट मोमेन्ट विधियों का वर्णन कीजिए। कल्पित मध्यमान विधि का उदाहरण देकर वर्णन कीजिए।
  71. प्रश्न- उदाहरण की सहायता से वास्तविक मध्यमान विधि की व्याख्या कीजिए।
  72. प्रश्न- काई वर्ग परीक्षण किसे कहते हैं?
  73. प्रश्न- सह-सम्बन्ध की दिशाएँ बताइये।
  74. प्रश्न- सह-सम्बन्ध गुणांक के निर्धारक बताइये तथा इसका महत्व बताइये।
  75. प्रश्न- जब ED2 = 36 है तथा N = 10 है तो स्पीयरमैन कोटि अंतर विधि से सह-सम्बन्ध निकालिये।
  76. प्रश्न- सह सम्बन्ध गुणांक का अर्थ क्या है?
  77. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  78. उत्तरमाला
  79. प्रश्न- परीक्षण से आप क्या समझते हैं? परीक्षण की विशेषताओं एवं प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- परीक्षण रचना के सामान्य सिद्धान्तों, विशेषताओं तथा चरणों का वर्णन कीजिये।
  81. प्रश्न- किसी परीक्षण की विश्वसनीयता से आप क्या समझते हैं? विश्वसनीयता ज्ञात करने की विधियों का वर्णन कीजिये।
  82. प्रश्न- किसी परीक्षण की वैधता से आप क्या समझते हैं? वैधता ज्ञात करने की विधियों का वर्णन कीजिये।
  83. प्रश्न- पद विश्लेषण से आप क्या समझते हैं? पद विश्लेषण के क्या उद्देश्य हैं? इसकी प्रक्रिया पर प्रकाश डालिये।
  84. प्रश्न- किसी परीक्षण की विश्वसनीयता किन रूपों में मापी जाती है? विश्वसनीयता को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिये।
  85. प्रश्न- "किसी कसौटी के साथ परीक्षण का सहसम्बन्ध ही वैधता है।" इस कथन की व्याख्या कीजिए।
  86. प्रश्न- मानकीकरण से आप क्या समझते हैं? इनकी क्या विशेषतायें हैं? मानकीकरण की प्रक्रिया विधि की विवेचना कीजिये।
  87. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक मापन एवं मनोवैज्ञानिक परीक्षण में अन्तर बताइए।
  88. प्रश्न- परीक्षण फलांकों (Test Scores) की व्याख्या से क्या तात्पर्य है?
  89. प्रश्न- परीक्षण के प्रकार बताइये।
  90. प्रश्न- पद विश्लेषण की समस्याएँ बताइये।
  91. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  92. उत्तरमाला
  93. प्रश्न- बुद्धि के अर्थ को स्पष्ट करते हुए बुद्धि के प्रकारों की व्याख्या कीजिए।
  94. प्रश्न- बिने-साइमन बुद्धि परीक्षण का सविस्तार वर्णन कीजिए।
  95. प्रश्न- वेक्सलर बुद्धि मापनी का सविस्तार वर्णन कीजिए।
  96. प्रश्न- वेक्सलर द्वारा निर्मित बच्चों की बुद्धि मापने के लिए किन-किन मापनियों का निर्माण किया गया है? व्याख्या कीजिए।
  97. प्रश्न- कैटेल द्वारा प्रतिपादित सांस्कृतिक मुक्त परीक्षण की व्याख्या कीजिए।
  98. प्रश्न- आयु- मापदण्ड (Age Scale) एवं बिन्दु - मापदण्ड (Point Scale) में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  99. प्रश्न- बुद्धि लब्धि को कैसे ज्ञात किया जाता है?
  100. प्रश्न- बुद्धि और अभिक्षमता में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  101. प्रश्न- वेक्सलर मापनियों के नैदानिक उपयोग की व्याख्या कीजिए।
  102. प्रश्न- वेक्सलर मापनी की मूल्यांकित व्याख्या कीजिए।
  103. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  104. उत्तरमाला
  105. प्रश्न- व्यक्तिगत आविष्कारिका क्या है? कैटेल द्वारा प्रतिपादित सोलह ( 16 P. F) व्यक्तित्व-कारक प्रश्नावली व्यक्तित्व मापन में किस प्रकार सहायक है?
  106. प्रश्न- प्रक्षेपण विधियाँ क्या हैं? यह किस प्रकार व्यक्तित्व माप में सहायक हैं?
  107. प्रश्न- प्रेक्षणात्मक विधियाँ (Observational methods) किसे कहते हैं?
  108. प्रश्न- व्यक्तित्व मापन में किन-किन विधियों का प्रयोग मुख्य रूप से किया जाता है?
  109. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  110. उत्तरमाला

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