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बीए सेमेस्टर-2 - हिन्दी - कार्यालयी हिन्दी एवं कम्प्यूटर

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2719
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-2 - हिन्दी - कार्यालयी हिन्दी एवं कम्प्यूटर

अध्याय - 9 
संगणक में हिन्दी का ई-लेखन

फॉण्ट से आशय

शब्दकोश के अनुसार फॉण्ट छपाई में प्रयुक्त अक्षरों की विशिष्ट आकृति, आकार अथवा बनावट को कहा जाता है। हिन्दी व्याकरण में इसके अर्थ से बहुत कुछ मिलता-जुलता शब्द है लिपि । लिपि किसी भाषा के वर्णों को लिखने का एक विशेष ढंग होता है। यहाँ ढंग से आशय वर्णों की विशिष्ट आकृति से होता है। यही आकृति इन वर्गों के लिखने का मूलाधार होती है। जब हम इन वर्गों को लिखते हैं, अथवा मुद्रित करते हैं, तब इनके आकारों में अन्तर आता है, कोई उन्हें छोटा, कोई बड़ा, कोई मोटा, कोई पतला, कोई बिल्कुल सीधा, कोई तिरछा, कोई घुमावदार, कोई खड़ा, कोई लच्छेदार, तो कोई कलात्मक रूप में लिखता है। वर्णों अथवा शब्दों को लिखने में उनके आकार भले ही अलग-अलग हों, किन्तु उनकी मूलभूत आकृति एक ही होती है। यह मूलभूत आकृति लिपि है और उस आकृति को विभिन्न आकार में ढालकर उन्हें विभिन्न रूप प्रदान करना फॉण्ट है। अक्षरों के छोटा, बड़ा, मोटा, पतला, आड़ा, तिरछा, खड़ा, घुमावदार, लच्छेदार अथवा कलात्मक रूप उनके विभिन्न फॉण्ट हैं।

इस तरह हम कह सकते हैं कि लिपि-प्रदत्त वर्णों की मूलभूत आकृति को आधार मानकर वर्णों को दिया गया कोई विशिष्ट आकार अथवा रूप फॉण्ट है। फॉण्ट में सभी वर्णों को लिखने का स्टाइल (शैली) और साइज में निर्धारित शब्दों की आकृति ( रचना - आकार-ढंग आदि) फॉण्ट है। लिपि से साम्यता होने के कारण इसे हिन्दी में 'मुद्रलिपि' कहा जाता है।

यदि व्युत्पत्ति की दृष्टि से फॉण्ट शब्द का विवेचन करें तो इसे Face ( चेहरा) शब्द से व्युत्पन्न माना जा सकता है। फेस चेहरे को कहते हैं और चेहरा किसी की पहचान का मूलाधार होता है। फॉण्ट भी भाषा वर्णों के सन्दर्भ में पहचान की यही भूमिका निभाता है। फॉण्ट भी एक तरह से वर्णों का फेस अर्थात् चेहरा ही तो होता है, इसलिए उसके लिए सरल भाषा में 'टाइपफेस' शब्द का भी प्रयोग किया जाता है। कोई फॉण्ट वस्तुतः किसी टाइपफेस के समूह का प्रतिनिधित्व करता है। उस समूह में उस टाइपफेस के मोटा (Bold), पतला, (Light ), तिरछा ( Italic) आदि कितने ही रूप होते हैं।

कम्प्यूटर पर प्रयुक्त प्रमुख फॉण्टों का परिचय

आज कम्प्यूटर में हिन्दी के जो फॉण्ट मुख्य रूप से प्रयुक्त हो रहे हैं, उन्हें दो भागों में बाँट सकते हैं -

(क) यूनिकोड फॉण्ट, (ख) गैर-यूनिकोड फॉण्ट ।

संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है-

(क) यूनिकोड फॉण्ट

यूनिकोड फॉण्ट से आशय - 'यूनिकोड' शब्द की रचना 'Uni' उपसर्ग पूर्वक 'Code' शब्द से हुई है। 'यूनि' उपसर्ग का अर्थ होता है—एक तथा 'कोड' का होता है- सांकेतिक अंक। फॉण्ट के सन्दर्भ में यूनिकोड अपने इसी व्युत्पत्तिपरक अर्थ में प्रयोग होता है। यूनिकोड एक ऐसा फॉण्ट प्रोग्राम है, जिसमें प्रत्येक अक्षर अथवा वर्ण के लिए एक सांकेतिक संख्या ( कोड) का प्रयोग किया जाता है। आशय यह है कि यूनिकोड के अन्तर्गत लगभग सभी मुख्य भाषाओं के वर्णों अर्थात् अक्षरों को एक-एक संख्यात्मक कोड दिया जाता है। इन कोड की सहायता से एक भाषा को दूसरी भाषा में सरलता से परिवर्तित किया जा सकता है। इस कोड व्यवस्था पर आधारित मानक फॉण्टों को यूनिकोड फॉण्ट कहा जाता है। वर्तमान में कम्प्यूटर एवं इण्टरनेट पर कार्य करने के लिए इन्हीं फॉण्टों का प्रयोग मुख्य रूप से किया जा रहा है।

यूनिकोड फॉण्टों के प्रयोग से कम्प्यूटर पर हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषाओं को उसी प्रकार टंकित किया जा सकता है जिस प्रकार अंग्रेजी को टंकित किया जाता है। यूनिकोड फॉण्टों के कारण ही कम्प्यूटर का सम्पूर्ण ऑपरेटिंग सिस्टम (विशेषकर लिनक्स) हिन्दी भाषा में उपलब्ध हो सकता है। कुछ प्रचलित यूनिकोड हिन्दी फॉण्ट इस प्रकार हैं-

1. मंगल फॉण्ट — यह विण्डोज प्रचालन - तन्त्र का डिफॉल्ट हिन्दी फॉण्ट है। यह विण्डोज 2000 के जमाने से विण्डोज प्रचालन - तन्त्र का डिफॉल्ट फॉण्ट है। यह स्क्रीन पर पढ़ने के लिए उत्तम फॉण्ट है, लेकिन प्रिण्ट लेने, ग्राफिक्स कार्य या pdf बनाने के लिए उपयुक्त नहीं है; क्योंकि इन कार्यों के लिए यह बदसूरत फॉण्ट है।

2. अपराजिता - यह विण्डोज विस्टा, विण्डोज - 7 तथा विण्डोज सर्वर 2008 में प्रयुक्त एक ओपनटाइप यूनिकोड हिन्दी फॉण्ट है। यह सर्वप्रथम विण्डोज विस्टा में आया था। अपराजिता सुन्दर बनावट वाला फॉण्ट है, जो कि ग्राफिक्स में उपयोग के लिए बहुत ' उपयुक्त है यह छोटे फॉण्ट साइज (आकार) में स्पष्ट नहीं दिखता। यह बड़े फॉण्ट आकार में शीर्षक (हैडिंग) आदि लिखने के लिए एक अच्छा विकल्प है। अपराजिता में देवनागरी के कुछ संयुक्ताक्षर ठीक से नहीं बन पाते हैं; जैसे शृ आदि । इसलिए यह संस्कृत पाठ के प्रदर्शन एवं मुद्रण हेतु उपयुक्त नहीं।

3. एरियल यूनिकोड एमएस - यह माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस के साथ इंस्टॉल होने के कारण लगभग हर विण्डोज कम्प्यूटर में सरलता से मिल जाता है। कम्प्यूटर में कोई अन्य फॉण्ट न होने पर प्रिण्ट / ग्राफिक्स सम्बन्धी कार्यों के लिए 'मंगल' की जगह इसे प्रयोग कर सकते हैं। विण्डोज 7, 8 तथा 10 में 'अपराजिता', 'कोकिला' तथा 'उत्साह' आदि फॉण्ट इनबिल्ट मिलते हैं। इनमें शीर्षक के लिए अपराजिता, सामान्य पाठ के लिए कोकिला तथा ज्यादा बारीक पाठ के लिए उत्साह फॉण्ट उपयुक्त रहते हैं।

4. लोहित देवनागरी - यह लिनक्स प्रचालन - तन्त्र का डिफॉल्ट हिन्दी फॉण्ट है। यह स्क्रीन पर पढ़ने के लिए अच्छा फॉण्ट है। इसका प्रिण्ट भी ठीक ही आता है। मुक्त स्रोत होने से यह निरन्तर अद्यतन (अपडेट) होता रहता है।

5. सकलभारती - सकलभारती सी-डैक द्वारा विकसित एक यूनिकोड फॉण्ट है, जिसमें 13 भाषा लिपियाँ शामिल हैं। ये लिपियाँ 22 भारतीय भाषाओं और अंग्रेजी को कवर करती हैं। इसे भारतीय भाषाओं के लिए एक यूनिवर्सल फॉण्ट के रूप में विकसित किया जा रहा है, जिससे सभी भारतीय भाषायी सरकारी कार्यों में केवल एक फॉण्ट का उपयोग हो सके। यह बहुभाषी पाठ के लिए उपयोगी है। बहुभाषी पाठ में अलग-अलग भाषायी फॉण्टों का उपयोग करना पड़ता है, जिससे पाठ के प्रदर्शन और मुद्रण में एकरूपता नहीं रहती। यह फॉण्ट इस समस्या का समाधान करता है। इस फॉण्ट की फाइल साइट से सीधे डाउनलोड की जा सकती है, जबकि सोर्स कोड प्राप्त करने के लिए सत्यापन की लम्बी प्रक्रिया है।

6. कोकिला - यह विण्डोज विस्टा, विण्डोज 7 तथा विण्डोज सर्वर 2008 में प्रयुक्त एक ओपनटाइप यूनिकोड हिन्दी फॉण्ट है। यह सर्वप्रथम विण्डोज विस्टा में आया था। यह मुख्यतः दस्तावेजों में हिन्दी पाठ के प्रदर्शन हेतु बनाया गया है। कोकिला सुन्दर बनावट वाला फॉण्ट है, जोकि ग्राफिक्स कार्यों के लिए उपयुक्त है। यह बहुत छोटे फॉण्ट आकार में स्पष्ट नहीं दिखता, इसलिए यह सामान्य एवं बड़े फॉण्ट साइज में मुद्रण हेतु ही उपयुक्त है। यह दिखने में चाणक्य फॉण्ट जैसा दिखता है। कोकिला में देवनागरी के कुछ संयुक्ताक्षर नहीं हैं; जैसे - आदि, इसलिए यह संस्कृत पाठ के प्रदर्शन एवं मुद्रण हेतु उपयुक्त नहीं है।

7. उत्साह - यह विण्डोज विस्टा, विण्डोज 7 तथा विण्डोज सर्वर 2008 में प्रयुक्त एक ओपनटाइप यूनिकोड हिन्दी फॉण्ट है। यह सर्वप्रथम विण्डोज विस्टा में आया था। यह मुख्यतः दस्तावेजों में हिन्दी पाठ के प्रदर्शन हेतु बनाया गया है। उत्साह स्पष्ट रूप से पठनीय फॉण्ट है, जो कि स्क्रीन पर पढ़ने हेतु उपयुक्त है। यह देखने में कृतिदेव 10 जैसा दिखता है। उत्साह में भी देवनागरी के कुछ संयुक्ताक्षर नहीं हैं; जैसे-शृ आदि, इसलिए यह संस्कृत पाठ के प्रदर्शन एवं मुद्रण हेतु उपयुक्त नहीं है।

8. संस्कृत 2003 – यह देवनागरी हेतु एक मुफ्त एवं सुन्दर यूनिकोड फॉण्ट है। यह संस्कृत पाठ के लिए भी श्रेष्ठ फॉण्ट है। इसका प्रिण्ट बड़ा सुन्दर आता है, लेकिन फॉण्ट साइज ज्यादा छोटा हो तो स्क्रीन पर पढ़ने में परेशानी होती है; क्योंकि इसके अक्षर मोटे होते हैं। संस्कृत की मोटे अक्षरों में छपाई के लिए यह उत्तम विकल्प है। इस फॉण्ट में अभी यूनिकोड में जुड़े नवीनतम वैदिक चिन्ह सम्मिलित नहीं किए गए हैं।

9. सिद्धान्त - यह संस्कृत हेतु सर्वाधिक संयुक्ताक्षरो वाला फॉण्ट है। सिद्धान्त एकमात्र फॉण्ट है, जिसमें यूनिकोड के कूटबद्ध सर्वाधिक देवनागरी वर्ण (वैदिक स्वर चिन्हनो सहित ) सम्मिलित हैं। वैदिक संस्कृत में काम करने के लिए यह सर्वाधिक उपयुक्त फॉण्ट है।

(ख) गैर-यूनिकोड फॉण्ट

ये वे फॉण्ट हैं, जो यूनिकोड के आने से पहले प्रयोग में लाए जाते थे। वर्तमान में कम्प्यूटर के सामान्य कार्यों एवं इण्टरनेट पर इनका स्थान यूनिकोड फॉण्टों ने ले लिया है। वर्तमान में ये केवल डीटीपी एवं ग्राफिक्स हेतु प्रयोग में लाए जाते हैं; क्योंकि अनेक डीटीपी एवं ग्राफिक्स सॉफ्टवेयर इण्डिक यूनिकोड का समर्थन नहीं करते। इसके अतिरिक्त छपाई हेतु सुन्दर यूनिकोड फॉण्टों का अभाव भी इनके प्रचलन का एक कारण है।

कुछ प्रचलित गैर-यूनिकोड हिन्दी फॉण्ट इस प्रकार हैं-

1. कृतिदेव - यह बहुत प्रसिद्ध गैर-यूनिकोड फॉण्ट श्रृंखला है। कृतिदेव का ग्राफिक्स के कार्यों में अत्यधिक प्रयोग होता है। इस श्रृंखला के कई फॉण्ट हैं, जिनका कीबोर्ड लेआउट तथा कैरेक्टर मैप समान है। इस श्रृंखला के दो मुफ्त फॉण्ट कृतिदेव 011 हैं।

2. चाणक्य - यह भी छपाई के लिए बहुत लोकप्रिय हिन्दी फॉण्ट रहा है। चाणक्य अनेक समाचार पत्रों तथा पत्रिकाओं के प्रकाशन हेतु प्रयोग होता है। इसके अतिरिक्त पुस्तकों प्रकाशन में भी इसका बहुत उपयोग होता है। गीताप्रेस गोरखपुर एक प्रमुख प्रकाशक है, जो इसका उपयोग करता है। दैनिक भास्कर आदि विभिन्न समाचार पत्रों ने इसके आधार पर अपने भास्कर फॉण्ट तैयार कराए हैं, जिनका कैरेक्टर मैप इसके जैसा ही है। हिन्दी के अनेक फॉण्ट भी इसके जैसे दिखने वाले और इसके जैसे कैरेक्टर मैप वाले हैं। चाणक्य के अनेक संस्करण प्रचलित हैं। इनमें संस्करणों का उल्लेख न होने से भ्रम की स्थिति रहती है।

3. वॉकमैन - चाणक्य - यह फॉण्ट दिखने में काफी कुछ चाणक्य जैसा है, लेकिन इसका कैरेक्टर मैप चाणक्य से बिल्कुल अलग है। यह फॉण्ट भी पुस्तकों के प्रकाशन में खूब प्रयुक्त होता है। इसके भी अनेक संस्करण हैं; जैसे - 901, 902, 905 इत्यादि ।

संस्कृत के यूनिकोड फॉण्ट

हिन्दी और संस्कृत दोनों भाषाओं की लिपि यद्यपि देवनागरी ही है, किन्तु संस्कृत में संयुक्ताक्षरों का अत्यधिक प्रयोग होता है। इसी के साथ-साथ संस्कृत भाषा के कुछ अपने विशिष्ट चिन्ह भी हैं, जिनका अन्य भाषाओं में प्रयोग नहीं किया जाता। इसलिए संस्कृत के टंकण हेतु अनेक यूनिकोड फॉण्ट विकसित किए गए हैं, जिनमें संस्कृत में प्रयुक्त होने वाले संयुक्ताक्षरों के साथ-साथ संस्कृत के सभी विशिष्ट चिह्नों को भी स्थान दिया गया है। संस्कृत के कुछ प्रमुख यूनिकोड फॉण्टों का परिचय इस प्रकार है-

1. संस्कृत 2003 - इस फॉण्ट का विकास ओंकारानन्द आश्रम द्वारा कराया गया है। संस्कृत टंकण के लिए यह सर्वश्रेष्ठ फॉण्ट है। यह फॉण्ट फ्री डाउनलोड हेतु उपलब्ध है।

2. उत्तरा - यह भी मुफ्त डाउनलोड होने वाला संस्कृत का सर्वश्रेष्ठ फॉण्ट है। इस फॉण्ट की विशेषता यह है कि इसमें प्राचीनकाल की वैदिक संस्कृत के सभी वर्ण, संयुक्ताक्षर, और विशिष्ट चिह्न उसी प्राचीन शैली में उपलब्ध हैं।

3. छन्दस - संस्कृत का यह यूनिकोड फॉण्ट बेलारूस के मिहाइल बायरिन (Mihail Bayaryn) द्वारा विकसित किया गया है। इसमें उन वर्ण चिह्नों को भी समाहित किया गया हैं, जो इण्डिक यूनिकोड में कूटबद्ध नहीं हैं; जैसे - स्वस्तिक चिह्न आदि । यद्यपि यह फॉण्ट देखने में संस्कृत 2003 की तरह सुन्दर नहीं है, तथापि इसमें सर्वाधिक वैदिक चिह्न दिए गए हैं। इसमें अतिरिक्त जोड़े गए चिह्नों को टंकित करने के लिए आईएमई (इनपुट मैथड एडिटर) सुविधा उपलब्ध है।

4. अ- यूनिकोड - यह ओंकारानन्द आश्रम द्वारा विकसित किए संस्कृत 12 संस्कृत 98, संस्कृत न्यू, संस्कृत 99 आदि फॉण्टों वाली श्रृंखला है। इनमें नवीनतम फॉण्ट संस्कृत 99 है। इस श्रृंखला में पुरानी शैली में लिखी जाने वाली संस्कृत के लिए गुडकेसा 99 तथा शान्तिपुर 99 फॉण्ट बड़े उपयुक्त हैं। मगर इनमें से किसी में भी संस्कृत के सभी चिह्न उपलब्ध नहीं है। ..

उपर्युक्त के अतिरिक्त संस्कृत को रोमन में लिखने हेतु अन्तर्राष्ट्रीय संस्कृत लिप्यन्तरण वर्णमाला का प्रयोग करने हेतु इस्कॉन नामक संस्था ने IAST श्रृंखला के रूप में कुछ फॉण्ट विकसित किए हैं।

यूनिकोड फॉण्ट का सामान्य परिचय

यूनिकोड फॉण्ट एक वैश्विक फॉण्ट है, जिसमें विश्व की सभी मुख्य भाषाओं के अक्षरों और उनमें प्रयुक्त होने वाले विशिष्ट चिह्नों में से प्रत्येक के लिए एक संख्या कोड के रूप में प्रदान की गई है। ये कोड सार्वजनिक (पब्लिक) रूप से सभी के लिए एक समान रूप से उपलब्ध हैं। इन्हीं सार्वजनिक अर्थात् पब्लिक कोड को यूनिकोड फॉण्ट के नाम से जाना जाता है। आज यूनिकोड के अन्तर्गत लाखों कैरेक्टर कोड के रूप में उपलब्ध हैं, जिनकी संख्या आवश्यकतानुसार निरन्तर बढ़ती जा रही है। इनकी संख्या बढ़ने का कारण यह है कि कम्प्यूटर में निरन्तर नई भाषाओं को जोड़ा जा रहा है और इन भाषाओं को जोड़ने के लिए यूनिकोड के रूप में हजारों कैरेक्टर जोड़ने पड़ते हैं।

यूनिकोड में कोई भी भाषा संख्यात्मक कोड के रूप में मशीन भाषा में परिवर्तित की जाती है और उसे कम्प्यूटर में संगृहीत कर दिया जाता है। जिस भी भाषा में कम्प्यूटर को कार्य करने के लिए निर्देशित किया जाता है, उसी के अनुसार कम्प्यूटर मशीन भाषा ( संख्यात्मक कोड़ों) को वास्तविक भाषा में परिवर्तित करके हमारे सम्मुख प्रस्तुत कर देता है।

स्मरण रखने योग्य महत्त्वपूर्ण तथ्य

यूनिकोड की विशेषताएँ

यूनिकोड में निम्नलिखित मुख्य विशेषताएँ पाई जाती हैं-

1. यह विश्व की सभी लिपियों के सभी संकेतों के लिए एक-एक अलग कोड संख्या प्रदान करता है।

2. यह वर्णों (कैरेक्टर्स) को एक कोड देता है, न कि ग्लिफ (ध्वनि) को ।

3. यूनिकोड यथासम्भव भाषाओं का एकीकरण करने का प्रयत्न करता है। इसी नीति के अन्तर्गत सभी भाषाओं को विभिन्न समूहों में विभाजित किया गया है; जैसे- सभी पश्चित यूरोपीय भाषाओं को लैटिन समूह; सभी स्लाविक भाषाओं को सिरिलिक (Cyrilic) समूह; हिन्दी, संस्कृत, मराठी, नेपाली, सिन्धी, कश्मीरी, आदि के लिए 'देवनागरी' समूह, बाँग्ला, पंजाबी, कन्नड़, मलयालम, उड़िया, तमिल, तेलुगू आदि अन्य भारतीय भाषाओं को 'इण्डिक' समूह; चीनी, जापानी, कोरियाई, वियतनामी भाषाओं को 'युनिहान्' (UniHan) नामक समूह तथा इसी प्रकार अरबी, उर्दू आदि को एक अलग समूह में रखा गया है।

4. बायें से दायें लिखी जाने वाली लिपियों के अतिरिक्त दायें से बायें लिखी जाने वाली लिपियों (अरबी, हिब्रू आदि) को भी यूनिकोड में सम्मिलित किया गया है। ऊपर से नीचे की तरफ लिखी जाने वाली लिपियों का अभी अध्ययन किया जा रहा है।

5. यह ध्यान रखना आवश्यक है कि यूनिकोड केवल एक कोड-सारणी है। इन लिपियों को लिखने / पढ़ने के लिए इनपुट मैथड एडिटर और फॉण्ट फाइलें आवश्यक हैं। यूनिकोड के लाभ

1. यूनिकोड की सहायता से एक ही फाइल में बहुभाषी दस्तावेज तैयार किया जा सकता है, अर्थात हम एक ही अनुच्छेद में कई भाषाओं के पाठ और चिह्नों का प्रयोग कर सकते हैं।

2. किसी भी ब्राउजर में अपनी क्षेत्रीय भाषा में यूनिकोड की सहायता से सरलता से लेखन करके टिप्पणी की जा सकती है।

3. पाठ के साथ कोई Emoji आदि भी यूनिकोड की सहायता से लगाया जा सकता है।

4. इण्टरनेट पर क्षेत्रीय भाषा में ब्लॉग या कण्टेण्ट लिखने के लिए यूनिकोड का प्रयोग होता है।

5. मोबाइल या स्मार्ट फोन से क्षेत्रीय भाषा में सन्देश भेजने के लिए भी यूनिकोड का उपयोग होता है।

6. यूनिकोड में विकसित किसी भी सॉफ्टवेयर का एक ही संस्करण किसी भी जगह चल सकता है, उसमें कोई समस्या नहीं होती है।

7. किसी दूसरी भाषा की सामग्री को अपनी क्षेत्रीय भाषा में परिवर्तित करने के लिए यूनिकोड का प्रयोग होता है।

यूनिकोड की सीमाएँ

यूनिकोड की विशेषताओं और लाभ के साथ-साथ इसकी कुछ सीमाएँ भी हैं या यूँ कहें कि दूसरे फॉण्ट की तुलना में इसका प्रयोग करने के लिए कुछ अतिरिक्त संसाधनों की आवश्यकता होती है। इन अतिरिक्त संसाधनों का प्रयोग ही यूनिकोड की सीमाएँ हैं। यूनिकोड की कतिपय सीमाएँ इस प्रकार हैं-

1. यूनिकोड फॉण्ट अधिक मेमोरी ग्रहण करता है, जबकि आस्की या अन्य कोई कैरेक्टर कोड कम मेमोरी ग्रहण करता है।

2. यूनिकोड में उसके कैरेक्टर प्रारूप के अनुसार मेमोरी स्थान की आवश्यकता होती है।

3. कभी - कभी यूनिकोड सीधे ही प्रयोग नहीं कर सकते, उसके लिए अलग से सॉफ्टवेयर की जरूरत होती है।

4. यूनिकोड को प्रत्येक भाषा में परिवर्तित करने के लिए अलग-अलग सॉफ्टवेयर की जरूरत होती है।

5. कभी - कभी यूनिकोड का प्रयोग करने से टैक्स्ट फाइल बहुत भारी हो जाती है।

इस तरह हम देखते हैं कि कम्प्यूटर को बहुभाषिक बनाने में यूनिकोड का महत्त्वपूर्ण योगदान है। इसके प्रयोग से किसी भाषा का टंकण ज्ञान न होने पर भी कोई व्यक्ति अन्य भाषा के ज्ञान के आधार पर उस भाषा में कामचलाऊ टंकण कार्य कर सकता है। इसकी सहायता से इण्टरनेट पर उपलब्ध सामग्री को खोजना सरल हो गया है।,

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    अनुक्रम

  1. अध्याय - 1 कार्यालयी हिन्दी का स्वरूप, उद्देश्य एवं क्षेत्र
  2. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  3. उत्तरमाला
  4. अध्याय - 2 कार्यालयी हिन्दी में प्रयुक्त पारिभाषिक शब्दावली
  5. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  6. उत्तरमाला
  7. अध्याय - 3 संक्षेपण
  8. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  9. उत्तरमाला
  10. अध्याय - 4 पल्लवन
  11. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  12. उत्तरमाला
  13. अध्याय - 5 प्रारूपण
  14. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  15. उत्तरमाला
  16. अध्याय - 6 टिप्पण
  17. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  18. उत्तरमाला
  19. अध्याय - 7 कार्यालयी हिन्दी पत्राचार
  20. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  21. उत्तरमाला
  22. अध्याय - 8 हिन्दी भाषा और संगणक (कम्प्यूटर)
  23. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  24. उत्तरमाला
  25. अध्याय - 9 संगणक में हिन्दी का ई-लेखन
  26. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  27. उत्तरमाला
  28. अध्याय - 10 हिन्दी और सूचना प्रौद्योगिकी
  29. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  30. उत्तरमाला
  31. अध्याय - 11 भाषा प्रौद्योगिकी और हिन्दी
  32. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  33. उत्तरमाला

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