लोगों की राय

बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 - भूगोल - मानव भूगोल

बीए सेमेस्टर-2 - भूगोल - मानव भूगोल

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2715
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

बीए सेमेस्टर-2 - भूगोल - मानव भूगोल

अध्याय - 2
पुराणों के विशेष सन्दर्भ में भौगोलिक समझ का विकास

(Development of Geographical Understanding with Special Reference to Puranas)

भारतीय भौगोलिक ज्ञान का विवरण तो विभिन्न स्थलों की खुदाई तथा विभिन्न सामग्री एवं तत्कालीन ग्रन्थों से प्रात होता है। सम्भवतः यहाँ आर्यों के आने के बाद धार्मिक ग्रन्थों की रचना हुई जिनके आधार पर भारत के भौगोलिक ज्ञान के बारे में जानकारी मिलती है। आर्यों का सबसे प्राचीन ग्रन्थ ऋग्वेद है जो विश्व का सबसे प्राचीन ग्रन्थ माना जाता है। भारतीय ग्रन्थों में खगोलीय भूगोल का विवरण मिलता है। खगोलीय भूगोल में सूर्य, चन्द्रमा तथा नक्षत्रों का अच्छा विवरण है। इन ग्रन्थों में पृथ्वी की आयु की भी कल्पना की गयी। इसके साथ-साथ पृथ्वी के भौतिक भूगोल यथा पृथ्वी, वायुमण्डल, सागर, महासागर, पवन, बादल, ऋतु परिवर्तन तथा प्राकृतिक भू-दृश्यों के वर्णन वेदों में मिलते हैं।

भारतीय भौगोलिक ज्ञान को दो वर्गों में रखकर समझा जा सकता है -

(i) सामान्य भूगोल - इसके अन्तर्गत विश्व एवं ब्रह्माण्ड का अध्ययन किया जाता है। उस समय ऐसे कोई ग्रन्थ नहीं थे जिनके माध्यम से भौगोलिक ज्ञान का प्रसार होता। प्राचीन ऋषि मुनि ही ऐसे ज्ञान के आधार थे।

(ii) विशिष्ट भूगोल - इसके अन्तर्गत क्षेत्रीय भूगोल सम्मिलित था। इसमें क्षेत्र विशेष के आस-पास की भौगोलिक परिस्थितियों से सभी लोग अवगत होते थे।

सिन्धु सभ्यता काल  - इस काल की भौगोलिक ज्ञान की जानकारी बहुत कम उपलब्ध है क्योंकि इस काल में रचित कोई ग्रन्थ नहीं मिलता है। मोहनजोदड़ों एवं हड़पा आदि की खुदाई से प्रात विभिन्न सामग्रियों एवं उनके भग्नावशेषों पर लिखी लिपि से उस काल के भौगोलिक ज्ञान की जानकारी मिलती है। सिन्धु सभ्यताकालीन नगरों में लोथल, राजदी, थानोबाला, अमरी एवं कालीबगान आदि थे। तक्षशिला, रोपड़ तथा कुरुक्षेत्र आदि प्राचीन सभ्यता के केन्द्र भी सिन्धु घाटी में ही मिलते हैं।

वैदिक काल (3500 - 1500 ई. पूर्व) - इस काल के भौगोलिक ज्ञान के प्रमुख स्रोत वेद, ब्राह्मण ग्रन्थ, अरण्यक एवं उपनिषद आदि हैं। वेदों में ऋग्वेद सबसे प्राचीन है। इसकी ऋचाओं में पर्वत, नदियों एवं तत्कालीन आदिवासियों का उल्लेख मिलता है। सृष्टि रचना, सूर्य की विशेषता एवं उसका प्रभाव, सौरमण्डल एवं जीवों के विकास का उल्लेख मिलता है। ऋग्वेद में वायुमण्डल का भी उल्लेख मिलता है। इसमें उत्तमा, परमा तथा तृतीय नामक वायुमण्डलीय परतें बतायी गयीं। अथर्ववेद में विश्वोत्पत्ति एवं बृह्माण्ड विज्ञान का पर्यात ज्ञान है। इसमें पृथ्वी के ग्रहीय सम्बन्धों, भू-आकृतिकी, स्थलाकृति, पर्वतों, नदियों, जलवायु एवं ऋतु विज्ञान, वनस्पति वर्ग, जन्तु वर्ग, खनिजों, पशुपालन, कृषि उत्पादनों, व्यवसायों, परिवहन मार्गों, नगरों एवं राजनैतिक प्रदेशों के वर्णन हैं। इनके अतिरिक्त भूकम्प, बाढ़ों, खाद्य उत्पादन- गेहूँ, चावल एवं गन्ना आदि का उल्लेख मिलता है।

महाकाव्य काल (1600-600 ई. पूर्व) - इस काल के प्रमुख ग्रन्थ रामायण तथा महाभारत हैं। रामायण में सूर्यवंशी राजा दशरथ एवं उनके पुत्रों का वर्णन है। दशरथ के अश्वमेघ यज्ञ में मिथिला. कैकेय एवं दक्षिणापथ आदि के वर्णन से स्पष्ट होता है कि पहले भारत छोटे- छोटे राज्यों में विभक्त था।

रामायण के उल्लेख के अनुसार उस समय पृथ्वी के मध्य का भाग जम्मू द्वीप कहलाता था। उस समय भारतीयों का विश्वास था कि पृथ्वी के ऊपर ब्रह्मलोक, नीचे पितृलोक, पश्चिम में वरूण लोक एवं पूरब में देवलोक स्थित हैं। उस समय पृथ्वी पर चार सागरों - खारा सागर ( बंगाल की खाड़ी), रक्त सागर (लाल सागर), दुग्ध सागर (वर्तमान आर्कटिक सागर) एवं मीठा सागर (जम्मू द्वीप की झीलें) का विवरण मिलता है। जम्मू द्वीप के उत्तर में 6 पर्वतमालाओं का वर्णन है।

लंका, यवद्वीप (जावा), पदम चीन (तिब्बत), स्वर्ण रूपेयक (सुमात्रा - बोर्नियो) के विवरण से स्पष्ट होता है कि उस समय जल व स्थल के यातायात मार्ग विकसित हो गए थे।

महाभारत में वर्णित भौगोलिक ज्ञान वेदों से मेल खाता है। महाभारत में मेरु पर्वत को विश्व का केन्द्र बताया गया। इसके उत्तर-पूर्व में कुरू प्रदेश, उत्तर-पश्चिम में भद्रा वर्ष तथा दक्षिण-पश्चिम में केतुमाला प्रदेश स्थित बताए गए। इसके उत्तर में नील, श्वेत एवं श्रंगवान तथा दक्षिण में निषाघ, हेम कूट (कैलाश) तथा हिमालय पर्वत बताए गए। मेरू एवं नील के मध्य इलावृत, नील एवं श्वेत के मध्य श्वेत वृत तथा श्वेत एवं श्रंगवान के मध्य हिरण्य व्रत तथा श्रृंगवान के उत्तर में ऐराव्रत प्रदेश हैं।

महाभारत काल में पृथ्वी को गोलाकार तश्तरी की भाँति बताया गया। जम्मू द्वीप को पृथ्वी के मध्य में बताया गया। पृथ्वी के उत्तरी सिरे पर दुग्ध सागर तथा दक्षिणी सिरे पर खारा सागर बताए गए हैं।

पौराणिक काल - पुराणों में दर्शन, धर्म, साहित्य, संस्कृति, इतिहास एवं भूगोल आदि की विस्तृत जानकारी मिलती है। इनके बृह्माण्ड की उत्पत्ति, पृथ्वी की ब्रह्माण्ड में स्थिति, पृथ्वी पर महासागर, महाद्वीप, पर्वत, प्राकृतिक प्रदेश तथा व्यक्तियों के रहन-सहन का विस्तृत विवरण मिलता है। ब्रह्मपुराण, पद्मपुराण, विष्णु पुराण, वायु पुराण, भागवत पुराण, नारद पुराण, मार्केण्डेय पुराण, अग्नि पुराण, भविष्य पुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण, लिंग पुराण, बाराह पुराण, स्कन्द पुराण, वामन पुराण, कूर्म पुराण, मत्स्य पुराण, गरुण पुराण तथा ब्रह्माण्ड पुराण आदि में वर्णित श्लोकों में भौगोलिक विवरण मिलता है।

बौद्ध काल (600-200 ई. पूर्व) बौद्धकाल में धर्म का प्रचार, जावा, सुमाता, सिंघल द्वीप (श्रीलंका), न्यूगिनी, चीन, जापान, फिलीपाइन्स द्वीप समूह, मंगोलिया, अफगानिस्तान, टर्की, इराक, ईरान एवं मिस्र आदि तक था जिससे यहाँ के भौगोलिक ज्ञान की जानकारी मिलती है।

सौरमण्डल ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति में बताया गया है कि परमेश्वर ने सर्वप्रथम सूर्य की रचना की। इससे ही अन्य ग्रह एवं उपग्रहों की रचना हुई।

तुलनात्मक उपागम (Comparative Approach)- इस विधि में भौतिक समानता वाले दो या अधिक क्षेत्रों का चयन किया जाता है तथा मानव द्वारा प्रभावित कारकों का तुलनात्मक अध्ययन करके परिणाम प्राप्त किया जाता है।

स्थानिक अथवा प्रादेशिक 'पागम (Spatial or Regional Approach) - प्रादेशिक या स्थानिक 'पागम में क्षेत्र या प्रदेश या छोटे क्षेत्र को इकाई माना जाता है व समस्त पर्यावरण व क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. अध्याय - 1 मानव भूगोल : अर्थ, प्रकृति एवं क्षेत्र
  2. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  3. उत्तरमाला
  4. अध्याय - 2 पुराणों के विशेष सन्दर्भ में भौगोलिक समझ का विकास
  5. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  6. उत्तरमाला
  7. अध्याय - 3 मानव वातावरण सम्बन्ध
  8. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  9. उत्तरमाला
  10. अध्याय - 4 जनसंख्या
  11. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  12. उत्तरमाला
  13. अध्याय - 5 मानव अधिवास
  14. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  15. उत्तरमाला
  16. अध्याय - 6 ग्रामीण अधिवास
  17. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  18. उत्तरमाला
  19. अध्याय - 7 नगरीय अधिवास
  20. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  21. उत्तरमाला
  22. अध्याय - 8 गृहों के प्रकार
  23. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  24. उत्तरमाला
  25. अध्याय - 9 आदिम गतिविधियाँ
  26. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  27. उत्तरमाला
  28. अध्याय - 10 सांस्कृतिक प्रदेश एवं प्रसार
  29. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  30. उत्तरमाला
  31. अध्याय - 11 प्रजाति
  32. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  33. उत्तरमाला
  34. अध्याय - 12 धर्म एवं भाषा
  35. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  36. उत्तरमाला
  37. अध्याय - 13 विश्व की जनजातियाँ
  38. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  39. उत्तरमाला
  40. अध्याय - 14 भारत की जनजातियाँ
  41. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  42. उत्तरमाला

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book