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बीए सेमेस्टर-2 - भूगोल - मानव भूगोल

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2715
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-2 - भूगोल - मानव भूगोल

 

अध्याय - 9
आदिम गतिविधियाँ

(Primitive Activities)

मानव जीवन के सुचारु संचालन हेतु कुछ मौलिक आवश्यकतायें होती हैं जिसमें भोजन कपड़ा तथा मकान मुख्य हैं। ये मानव की जैविक आवश्यकतायें हैं। मानव की सारी गति विधियां तथा कार्यकलाप इन्हीं तीनों आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए संचालित होती हैं। विकास के प्रारम्भिक चरण में मानव का जीवन बहुत साधारण परन्तु कठिन था। उसकी आवश्यतायें अत्यन्त सीमित थी परन्तु जीवन में अनिश्चितता व्याप्त रहती थी। वह भोजन तथा जल की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमता रहता था। अपनी क्षुधा शांत करने के लिए वह जानवरों का मांस, पेड़ पौधों के फल, उनकी जड़े और पन्ते खाता था और आगे के लिए भी इन्हीं का कुछ मात्रा में संचय करता था। वनों से विभिन्न प्रकार की वस्तुओं को इकट्ठा करने के व्यवसाय को एकत्रीकरण कहा जाता है। यह मानव का प्राचीन व्यवसाय है तथा उसकी व्यवस्था का भी आधार था। एकत्रीकरण दो प्रकार का होता है— जीवन निर्वाह एकत्रीकरण तथा व्यापारिक एकत्रीकरण। मानव द्वारा अपने जीवन निर्वाह के लिए इकट्ठी की जाने वाली वस्तुओं के व्यवसाय को जीवन निर्वाह का एकत्रीकरण कहते हैं। यह व्यवसाय वनों में रहने वाली आदिम जनजातियों द्वारा अपने जीवन निर्वाह के लिए किया जाता है। आज भी सोमांग, सकाई, बारो, ऐस्किमो तथा बुशमैन जनजातियों द्वारा यह कार्य किया जाता है। व्यापारिक एकत्रीकरण उन प्रदेशों में किया जाता है जहाँ विज्ञान तथा टेक्नोलाजी और उद्योगों का अच्छा विकास हुआ है। व्यापारिक एकत्रीकरण व्यापार के लिए किया जाता है। व्यापार के लिए बनों में पाये जाने वाले वृक्षों तथा झाड़िये के विभिन्न भागों यथा – जड़े, पत्ते, छाल, फूल, फल तथा रस आदि एकत्रित किये जाते हैं। इस प्रकार की एकत्र की जाने वाली वस्तुओं में फल, जंगली रबर, बलाता, गोंद, लाख, चिकिल, नट या सुपारिया पत्तियां, औषधीय फल एवं जड़े, चर्म शोधक पदार्थ, रेशे, कार्क, तारपीन तथा रेजिन मुख्य हैं। आखेट को विश्व का सबसे प्राचीन व्यवसाय माना जाता है। जीवन के आरम्भ से ही मानव अपने भरण-पोषण के लिए पशुओं और अन्य जंगली जानवरों के आखेट व्यवसाय में लगा था। यह मानव तथा वातावरण से बहुत विस्तृत क्षेत्र में बहुत कम लोगों का ही भरण-पोषण हो पाता है। अतः यह विरल जनसंख्या वाले वन्य प्रदेशों में ही किया जाता है। मानव के आर्थिक तथा सामाजिक विकास से पशुचारण, एकत्रीकरण तथा आखेट व्यवसायों को क्षति पहुँची है फिर भी विश्व के अनेक ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ मनुष्य अब भी अपने जीवन निर्वाह के लिए आखेट पर ही निर्भर है। कृषि व्यवसाय भी उतना ही प्राचीन है जितनी की मानव सभ्यता। इसकी गणना भी विश्व के प्राथमिक उद्योगों के अन्तर्गत की जाती हैं। मनुष्य ने अपने प्राकृतिक पर्यावरण के अनुरूप ही कृषि व्यवसाय का विकास किया है। सामान्यतः यह कहा जाता है कि जहाँ कहीं भी जल और अच्छी मिट्टी मिलती है वहाँ कृषक मिलता है। इस प्रकार मिट्टी और सिंचाई की सुविधायें कृषि व्यवसाय से जुड़ी हुई है। कृषि मानव की भोजन और वस्त्र जैसी प्राथमिक आवश्यकताओं की पूर्ति करती है। वर्तमान औद्योगिक युग में भी कृषि अनेक देशों की अर्थव्यवस्था का आधार बनी हुई है यद्यपि वैज्ञानिक प्रगति तथा

तकनीकी विपणन के साथ-साथ कृषि का स्वरूप भी बदलता रहा है फिर आज भी यह विश्व 30% जनसंख्या के जीवन का आधार बनी हुई है। मछली पकड़ना मत्स्य कहलाता है। यह भी मानव का सबसे पुराना व्यवसाय है। कृषि कार्य सीखने से पहले मनुष्य वनों में आये तथा समुद्रों, तालाबों और नदियों से मछली पकड़ कर अपना पेट भरता था। विश्व के कई देशों में आज भी यह वहाँ के लोगों का मुख्य व्यवसाय बना हुआ है।

मानव जीवन के लिए तीन मौलिक आवश्यकतायें भोजन, कपड़ा और मकान है।

मानव के सारे क्रिया कलाप इन्हीं तीन आवश्यकताओं की पूर्ति की दृष्टि से संचालित होतें हैं।

इन तीनों आवश्यकताओं को मानव की जैविक आवश्यकतायें कहते हैं।

विकास के प्रारम्भिक चरण में मानव का जीवन सरल परन्तु अत्यंत कठिन था।

प्रारम्भिक काल में मानव की आवश्यकतायें अत्यंत सीमित थी।

मानव अपने भोजन के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमता रहता था।

प्रारम्भिक काल में मानव अपनी भूख शांत करने के लिए जानवरों के मांस, पौधों से प्राप्त फल, फूल तथा जड़ों पर आधारित था।

वनों से विभिन्न प्रकार की वस्तुओं को एकत्र करने के कार्य को एकत्रीकरण कहा जाता. एकत्रीकरण दो प्रकार का होता है—

(1) जीवन निर्वाह एकत्रीकरण तथा
(2) व्यापारिक एकत्रीकरण

मानव द्वारा अपने जीवन निर्वाह के लिए एकत्रित की जाने वाली वस्तुओं के व्यवसाय के जीवन निर्वाह एकत्रीकरण कहा जाता है।

जीवन निर्वाह के लिए एकत्रीकरण का कार्य वनों में रहने वाली आदिम जातियों द्वारा किया जाता है।

विषुवत रेखा के समीपवर्ती प्रदेशों में मलायां में सेमांग व सफाई तथा ब्राजील में अमेजन बेसिन में बारो जनजातियों द्वारा जीवन निर्वाह के लिए एकत्रीकरण का कार्य किया जाता है।

एकत्रीकरण का कार्य कालाहारी के बुशमैनो द्वारा भी किया जाता है।

अति ठंडे प्रदेशों के निवासियों द्वारा भी एकत्रीकरण का कार्य किया जाता है।

विश्व के मरुस्थलीय प्रदेशों के निवासियों द्वारा भी एकत्रीकरण का कार्य किया जाता है।

अति ठंडे प्रदेश के निवासियों जैसे एस्मिकमो के द्वारा भी एकत्रीकरण का कार्य किया जाता है।

आदिम लोग वनों से फल, कंदमूल, पुष्प, शहद, चिकिल तथा कई प्रकार के पौधों का रस प्राप्त करते हैं।

वस्त्रों के लिए पेड़ों की छाल, पत्तियां तथा घास व वृक्षों के रेशे प्राप्त किये जाते हैं।. निवास के लिए वृक्षों की शाखायें, पत्तियां तथा घास-फूस प्राप्त की जाती है।

जंगली जानवरों से रक्षा के लिए, ईंधन के लिए, भोजन पकाने के लिए तथा सर्दी से बचने के लिए आग जलाने के लिए लकड़ियां आदि वनों से ही प्राप्त होती है।

कई प्रकार की औषधियां तथा जड़ी-बूटियां भी वनों से प्राप्त होती है।

व्यापारिक एकत्रीकरण उन प्रदेशों में किया जाता है जहाँ विज्ञान तथा टेक्नोलाजी का विकास हुआ है।

व्यापार के लिए एकत्रीकरण व्यपारिक एकत्रीकरण कहलाता है।

एकत्रीकरण की दृष्टि से वनों को निम्न भागों में बांटा गया है-

(i) उष्ण कटिबंधीय वन (Toropical forests)
(ii) उपोष्ण वन (Sub tropical forests) तथा समशीतोष्ण वन (Temperate forest )

आखेट व्यवसाय को विश्व का प्राचीनतम व्यवसाय माना जाता है -

आखेट का व्यवसाय विरल जनसंख्या वाले वन प्रदेशों में किया जाता है।

मानव आखेट व्यवसाय से भोजन, आवास, वस्त्र, अस्त्र-शस्त्र तथा दैनिक उपभोग की वस्तुयें प्राप्त करता है।

मछली पकड़ना मत्स्य व्यवसाय कहलाता है।

मछली पकड़ना मानव वन का सबसे पुराना व्यवसाय है।

कृषि कार्य सीखने से पहले मानव वनों में आखेट कार्य तथा समुद्रों तालाबों नदियों आदि से मछली पकड़ कर अपने उदर की पूर्ति करता था।

आज भी विश्व के अनेक देशों में मछली पकड़ना एक महत्त्वपूर्ण व्यवसाय है।

उष्ण तथा शीतोष्ण कटिबंधीय सागरों के तट पर प्राचीन आदिवासियों तथा सभ्य मानवों द्वारा मछली पकड़ने का कार्य किया जाता है।

मानव द्वारा उपयोग किये जाने वाले पशु पदार्थों में मछली का भाग 3% है।

मत्स्य व्यवसाय में विश्व की लगभग 5% श्रमशक्ति लगी हुई है।

विश्व के समुद्रों तब झीलों में लगभग 40,000 किस्म की मछलियाँ पायी जाती है।

लगभग 1,000 किस्म की मछलियाँ व्यापारिक दृष्टि से उपयोगी हैं।

भोजन की दृष्टि से मछलियाँ न केवल सस्ती पड़ती हैं बल्कि, इनमें प्रोटीन भी पाया जाता है।

जल की प्रकृति के आधार पर पकड़ी जाने वाली मछलियों को दो वर्गों में बांटा गया है-

(1) समुद्री पानी की मछलियाँ तथा
(2) स्वच्छ पानी की मछलियाँ।

विश्व में चार मुख्य मुख्य उत्पादक होता है-

1. उत्तर पश्चिम प्रशांत महासागरीय मत्स्य स्रोत,
2. उत्तर पश्चिम अटलांटिक महासागरीय मत्स्य क्षेत्र
3. उत्तरपूर्वी अटलांटिक महासागरीय क्षेत्र तथा
4. उत्तर पूर्वी प्रशांत महासागरीय मत्स्य क्षेत्र।

विश्व का सबसे बड़ा मत्स्य क्षेत्र उत्तरी पश्चिमी प्रशांत महासागरीय मत्स्य क्षेत्र है।

जापान लगभग 70 लाख टन मछली प्रतिवर्ष पकड़ता है।

जापान विश्व का सबसे बड़ा मत्स्य उत्पादक एवं उपभोक्ता दोनों है।

जापान विश्व की लगभग 15% मछली उत्पादक देश है।

कृषि भी मानव का प्राचीनतम व्यवसाय है।

स्थानान्तरी कृषि आदिम प्रकार की कृषि है।

स्थानान्तरी कृषि मानव द्वारा भोजन प्राप्ति के लिए सबसे पहले प्रारम्भ की गयी थी।

स्थानान्तरी कृषि की शुरुआत 7000 से 8000 वर्ष ई0 में हुई।

मध्य अफ्रीकी, दक्षिणी पूर्वी एशिया तथा दक्षिणी एवं मध्य अमेरिका स्थानान्तरी कृषि के मुख्य क्षेत्र हैं।

साफ किये गये भू-भाग में की गयी कृषि को 'स्वीडेनी कृषि' कहा जाता है।

भारत के उत्तरपूर्वी राज्यों में स्थानान्तरी कृषि की जाती है।

झूमिंग कृषि करने वालों को भूमि पर किसान कहा जाता है।

आदिवासी ढंग की कृषि दक्षिणी अमेरिका, सवाना बोर्नियों तथा न्यूगिनी में होती है।

आदिवासी ढंग की कृषि दक्षिणी अमेरिका, सवाना बोर्नियो तथा न्यूगिनी में होती है।

पूर्वी ढंग की कृषि भारत, चीन, जापान, बांग्लादेश, वियतनाम, बर्मा, इण्डोनेशिया तथा पाकिस्तान में की जाती है।

पूर्वी ढंग की खेती में दो फसलें अवश्य होती हैं। परन्तु चावल का उत्पादन सर्व प्रधान है।

पाश्चात्य ढंग की कृषि यूरोप पूर्ववर्ती सोवियत संघ, पूर्वी संयुक्त रूप, कनाडा तथा आस्ट्रेलिया एवं अर्जेन्टाइना में की जाती है।

यहाँ बड़े-बड़े फार्मों में यांत्रिक उपकरणों की सहायता से कृषि की जाती है।

कनाडा, अर्जेन्टीना तथा आस्ट्रेलिया में जनसंख्या बहुत कम होने के कारण अधिकांश कृषि उत्पादों का निर्यात कर दिया जाता है।

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    अनुक्रम

  1. अध्याय - 1 मानव भूगोल : अर्थ, प्रकृति एवं क्षेत्र
  2. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  3. उत्तरमाला
  4. अध्याय - 2 पुराणों के विशेष सन्दर्भ में भौगोलिक समझ का विकास
  5. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  6. उत्तरमाला
  7. अध्याय - 3 मानव वातावरण सम्बन्ध
  8. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  9. उत्तरमाला
  10. अध्याय - 4 जनसंख्या
  11. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  12. उत्तरमाला
  13. अध्याय - 5 मानव अधिवास
  14. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  15. उत्तरमाला
  16. अध्याय - 6 ग्रामीण अधिवास
  17. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  18. उत्तरमाला
  19. अध्याय - 7 नगरीय अधिवास
  20. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  21. उत्तरमाला
  22. अध्याय - 8 गृहों के प्रकार
  23. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  24. उत्तरमाला
  25. अध्याय - 9 आदिम गतिविधियाँ
  26. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  27. उत्तरमाला
  28. अध्याय - 10 सांस्कृतिक प्रदेश एवं प्रसार
  29. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  30. उत्तरमाला
  31. अध्याय - 11 प्रजाति
  32. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  33. उत्तरमाला
  34. अध्याय - 12 धर्म एवं भाषा
  35. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  36. उत्तरमाला
  37. अध्याय - 13 विश्व की जनजातियाँ
  38. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  39. उत्तरमाला
  40. अध्याय - 14 भारत की जनजातियाँ
  41. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  42. उत्तरमाला

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