बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-3 प्रश्नपत्र-1 - विद्यालय नेतृत्व एवं प्रबन्धन बी.एड. सेमेस्टर-3 प्रश्नपत्र-1 - विद्यालय नेतृत्व एवं प्रबन्धनसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बी.एड. सेमेस्टर-3 प्रश्नपत्र-1 - विद्यालय नेतृत्व एवं प्रबन्धन
प्रश्न- नेतृत्व से सम्बन्धित किन्हीं दो सिद्धान्तों को विस्तार से विवेचित कीजिये।
उत्तर -
नेतृत्व के सिद्धान्त निम्नलिखित है -
1. विशेषता सिद्धान्त
2. व्यवहार व शैली सिद्धान्त
3. परिस्थितिवश और आकस्मिकता सिद्धान्त
4. कार्य सिद्धान्त
5. कार्यवाही तथा रूपांतरण सिद्धान्त
किन्हीं 2 सिद्धांतों का विवरण इस प्रकार है।
(1) व्यवहार और शैली सिद्धांत - विशेषता दृष्टिकोण की आलोचना के जवाब में सिद्धांतकारों ने नेतृत्व को व्यवहारों का एक समूह कहा है। सफल नेताओं के व्यवहार का अनुसंधान करते हुए, उनकी 'व्यवहार कुशलता और उनके नेतृत्व की व्यापक शैली को पहचानना है। डेविड मक्कलीलैंड' ने नेतृत्व प्रतिभा को सिद्धान्तों के एक समूह के रूप में देखा है न कि एक प्रेरक के रूप में उन्होंने कहा कि सफल नेताओं को अधिकार की आवश्यकता हो सकती है, संबद्धता कम मात्रा में और उच्च मात्रा में गतिविधि निषेध (कुछ इसे आत्म नियंत्रण' कहते हैं) की आवश्यकता हो सकती है।
कर्ट लेविन, रोनाल्ड लिपित्त और राल्फ व्हाइट ने 1939 में नेतृत्व शैली और नेतृत्व प्रदर्शन के प्रभाव पर थोड़ा बहुत काम किया था। शोधकर्ताओं ने ग्यारह वर्षीय लड़कों के समूह पर विभिन्न प्रकार के कार्य क्षेत्रों में उनके प्रदर्शन का मूल्यांकन किया।
प्रत्येक समूह में नेता का प्रभाव, उनके निर्णय, उनकी प्रशंसा तथा आलोचना, समूह कार्यो के (प्रबंधन परियोजना) में तीन शैलियों को देखा गया है वह प्रमुख 3 शैलियो निम्नवत् हैं
(i) सत्तावादी शैली - सत्तावादिता में नेता हमेशा निर्णय अकेले लेते है, उसके आदेशों का सख्त अनुपालन करने की माँग करते हैं और उठाये गए प्रत्येक कदम के लिए आदेश देते है; भविष्य के कदम एक बड़े पैमाने पर अनिश्चित थे। जरूरी नहीं है कि नेता हर काम में भागीदार बने, पर वे प्राय: काम करने में अलग होते हैं और सामान्यत: व्यक्तिगत प्रशंसा और काम के लिए आलोचना भी प्रदान करते हैं।
(ii) लोकतांत्रिक शैली - लोकतांत्रिक कार्य को सामूहिक निर्णय प्रक्रिया कह कर नेताओं द्वारों सहायता प्रदान की गयी विशेषता को कहा गया है। काम खत्म करने से पहले, नेता से सामूहिक चर्चा में, तकनीकी सलाह के परिप्रेक्ष्य से लाभ प्राप्त कर सकते हैं। सदस्य अपनी पसंद के अनुसार सामूहिक रूप से परिश्रम विभाजन का फैंसला ले सकते थे। इस स्थिति में प्रशंसा और आलोचना वस्तुनिष्ठ है और वास्तविक रूप से काम किये बिना, उद्देश्य की पूर्ति किसी भी सदस्य द्वारा होती है।
(iii) अहस्तक्षेष शैली - अहस्तक्षेपवादिता ने, बिना नेता के भागीदारी के सदस्यों को सामूहिक नीति निर्धारण में आजादी दे दी हैं। नेता श्रम विभाजन में भाग नहीं लेते है, जब तक कहा नहीं जाता तब तक वे काम में भाग नहीं लेते हैं, और बहुत कम स्तुति करते हैं। इसका परिणाम यह हुआ कि लोकतांत्रिक शैली को सबसे ज्यादा पसंद किया गया।
प्रबंधकीय ग्रिड नमूना भी व्यवहार सिद्धान्त पर आधारित है। इस नमूने को राबर्ट ब्लेक और जैन मौतोन ने 1964 में पाँच अलग नेतृत्व शैलियों के सुझाव अनुसार बनाया है, यह लोगों के लिए नेताओं के प्रति जो व्याकुलता है और लक्ष्य प्राप्ति के लिए उनकी जो व्याकुलता है उसके आधार पर बनाई गई थी।
2. परिस्थितिवश और आकस्मिकता सिद्धान्त - स्थितिजन्य सिद्धांत भी नेतृत्व के लक्षण सिद्धांत की एक प्रतिक्रिया के रूप में दिखाई देता है। जैसा कि 'कालइिल' ने सुझाव दिया, सामाजिक वैज्ञानिकों का तर्क था कि इतिहास महान पुरुषों के हस्तक्षेप के परिणाम से भी अधिक था। हरबर्ट स्पेन्सर (1884) का कहना था कि व्यक्ति समय की उपज है। सिद्धांत बताता है कि विभिन्न परिस्थितियों में विभिन्न विशेषताएँ दिखाई देती हैं। सिद्धांतों के इस समूह से, किसी भी नेता की कोई एक इष्टतम मनोवैज्ञानिक रूपरेखा नहीं होती। इस सिद्धांत के अनुसार एक व्यक्ति वास्तव में जब एक नेता के रूप में व्यवहार करता है, उसका एक सबसे बड़ा कारण उस स्थिति पर निर्भर करता है जिसमें वह कार्य करता है।
कुछ सिद्धांतकारों ने विशेषता व स्थितिजन्य दृष्टिकोण का विश्लेषण करना शुरू किया। 'लेविन एट अल' के' अनुसंधान के आधार पर यह कहा जा सकता है कि शिक्षाविदों ने नेतृत्व विधान के वर्णनात्मक ढंग को सामान्य बनाने की कोशिश की, उन्होंने उनकी 3 नेतृत्व शैलियाँ बताई और किस सन्दर्भ में वे कैसे काम करते हैं उसकी पहचान भी की। इस सत्तावादी नेतृत्व शैली ने उदाहरण के लिए संकट के समय तो मंजूरी दी, पर दैनदिन प्रबंधन में अपने अनुयायियों का मन और दिल नहीं जीत पाये। लोकतांत्रिक नेतृत्व शैली को आवश्यक परिस्थिति में और अधिक आम सहमति प्राप्त है। अहस्तक्षेप सिद्धांत को उसे प्राप्त स्वतन्त्रता के कारण सराहा जाता है। क्योंकि इसमें नेता भाग नहीं लेता इसीलिये उसे दीर्घकालीन और संगठनात्मक समस्याओं के समय विफल कहा जाता है। इस कारण सिद्धातंकारों ने नेतृत्व शैली को परिस्थितिवश आकस्मिक कहा है और इसे कभी-कभी आकस्मिक सिद्धांत भी कहा है।
आजकल 4 मुख्य आकस्मिकता नेतृत्व सिद्धान्त दिखाई देते हैं- फील्डर आकस्मिकता', वरूम-येत्तोन निर्णय, पथ-लक्ष्य सिद्धांत और हेर्सेय-बलानचार्ड स्थितिजन्य सिद्धान्त।
1. फील्डर आकस्मिकता सिद्धांत - इसमें नेता की प्रभावशीलता को मुख्य माना जाता है, इसी कारण 'फ्रेड फील्डर' ने इसे परिस्थितिवश आकस्मिक सिद्धांत कहा। यह नेतृत्व शैली और स्थितिजन्य अनुकूल बातचीत के परिणाम से उत्पन्न होता है। यह सिद्धांत हमें दो प्रकार के नेताओं के बारे में बताता हैं। वे जो लोगों के साथ अच्छे सम्बन्ध विकसित कर कार्य पूरा करते हैं, (रिश्ता उन्मुख) और दूसरे वे जो कार्य को पूरा करने को ही अपना मुख्य कर्तव्य समझतें है (कार्य उन्मुख) फील्डर के अनुसार, कोई आदर्श नेता नहीं है। कार्य उन्मुख नेता व रिश्ता उन्मुख नेता दोनों ही प्रभावी हो सकते हैं यदि उनका नेतृत्व स्थितिवश हो। जब वहाँ एक अच्छे नेता-सदस्यीय रिश्ता है, एक उच्च संरचित कार्य है और उच्च नेता की स्थिति में अधिकार है, तो इस स्थिति को ऐक अनुकूल स्थिति' माना जाता है। फील्डर का मानना था कि कार्य उन्मुख नेता अनुकूल व प्रतिकूल परिस्थितियों में प्रभावी होते हैं। जबकि रिश्ता उन्मुख नेता मध्यवर्ती परिस्थितियों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हैं।
(2) वरुम येत्तोन निर्णय सिद्धांत - विक्टर वरूम ने फिलिप येत्तोन (1973) और बाद में आर्थर जॉगो (1988) के सहयोग से नेतृत्व स्थितियों, का वर्णन करने के लिए एक वर्गीकरण किया। यह मानक निर्णय सिद्धांत में प्रयोग किया गया, जहाँ वह नेतृत्व शैली को स्थितियों के कारकों से जुड़ा और जो यह बताता था कि कौन-सा प्रस्ताव किस स्थिति में उपयोगी होता है। यह प्रस्ताव निराला था क्योंकि यह प्रबंधक के उन विचारों से सहमत था जो विभिन्न वर्गों, उनके विचारों और स्थितियों पर निर्भर था। बाद में यही सिद्धांत आयात स्थिति सिद्धांत कहा गया।
(3) पथ-लक्ष्य सिद्धांत - पथ लक्ष्य सिद्धांत का नेतृत्व राबर्ट हाउस द्वारा विकसित किया गया। यह सिद्धांत विक्टर वरूम की प्रत्याशा सिद्धांत पर आधारित था और समर्थन में ये सभी पर्यावरण कारक और अनुयायी विशेषताओं के लिए प्रासंगिक है। इस फील्डर आकस्मिकता सिद्धांत में, पथ लक्ष्य सिद्धांत के विपरीत चार नेतृत्व व्यवहार तरल होते हैं नेता, स्थिति और आवश्यकतानुसार किसी भी-सिद्धांत का पालन कर सकते हैं। पथ लक्ष्य सिद्धांत को सापेक्ष सिद्धांत और व्यावहारिक नेतृत्व सिद्धांत दोनों कहेंगे क्योकि यह परिस्थितियों पर निर्भर करता है और नेता और अनुयायियों के बीच परस्पर व्यवहार पर बल देता है।
(4) हेर्सेय-बलानचार्ड स्थितिजन्य सिद्धांत - हेर्सेय व बलानचार्ड द्वारा प्रस्तावित परिस्थिति नेतृत्व सिद्धान्त ने 4 नेतृत्व शैलियों और 4 अनुयायी विकास स्तरों को प्रस्तावित किया है। प्रभावशीलता के लिए, नमूने की निश्चितता, नेतृत्व शैली, अनुयायिता विकास को पूरी तरह मेल खाना चाहिए। इस नमूने में नेतृत्व का व्यवहार केवल नेता के लक्षण ही नहीं लेकिन अनुयायियों की विशेषताएँ बन जाती हैं।
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- प्रश्न- नेतृत्व का अर्थ स्पष्ट करते हुए नेतृत्व के प्रकार तथा आवश्यकता की विवेचनाकीजिए।
- प्रश्न- नेतृत्व के विभिन्न सिद्धान्तों का उल्लेख करते हुए नेता के सामान्य गुणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा में नेतृत्व की महत्ता की विवेचना शिक्षा-प्रशासन तथा शिक्षण अधिगम के क्षेत्र में विस्तार से कीजिए।
- प्रश्न- नेतृत्व से सम्बन्धित किन्हीं दो सिद्धान्तों को विस्तार से विवेचित कीजिये।
- प्रश्न- विद्यालय नेता के रूप में प्राचार्य की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नेतृत्व का अर्थ एवं परिभाषा दीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक नेतृत्व में नैतिकता और शिष्टाचार का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- प्रभावी शैक्षिक नेतृत्व के विकास के सोपान को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रजातांत्रिक व निरंकुशवादी नेतृत्व में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक नेतृत्व की अवधारणा लिखिए।
- प्रश्न- विद्यालय प्रशासन में ग्रिफिथ्स द्वारा कल्पित विद्यालय तन्त्र की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय के शैक्षिक प्रशासन में मानवीय सम्बन्धों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- प्रधानाचार्य तथा शिक्षक के सम्बन्ध पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- संघर्षरहित वातावरण की विशेषता स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नेतृत्व में समूह बनाने की अवधारणा लिखिए।
- प्रश्न- शिक्षा के प्रबन्धन का अर्थ स्पष्ट करते हुए शिक्षा में प्रबन्ध के कार्य क्षेत्र पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रबन्धन के महत्व को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- प्रबन्धन से आप क्या समझते हैं? इसकी समुचित परिभाषा देते हुए विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शिक्षा प्रबन्धन की अवधारणा स्पष्ट करते हुए इसकी विशेषता एवं क्षेत्र का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन के कार्यों की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा-प्रशासन तथा शिक्षा प्रबन्ध में अन्तर समझाइए तथा शिक्षा प्रबन्ध की महत्वपूर्ण दशाएँ बताइए।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन की समस्याएँ बताइए।
- प्रश्न- प्रबन्धन के मुख्य कार्यों को संक्षेप में बताये ?
- प्रश्न- पोस्डकॉर्ब (POSDCORB ) को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- कुछ प्रमुख विचारकों द्वारा बताये गये प्रबन्धन के कार्यों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा प्रबन्ध के क्षेत्र को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन की आवश्यकता एवं महत्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन को प्रभावित करने वाले तत्त्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन के उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- एक अच्छे प्रबन्धक की विशेषतायें लिखिये।
- प्रश्न- विद्यालय में कक्षा-कक्ष प्रबन्धन से क्या आशय है? कक्षा-कक्ष प्रबन्धन की प्रक्रिया को समझाइये।
- प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन का अर्थ एवं सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन की समस्याओं का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन कौशल के प्रमुख घटक या चर कौन-से हैं ?
- प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन के उद्देश्य लिखिए ?
- प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन को प्रभावित करने वाले कोई पाँच कारक लिखिए।
- प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन के सिद्धान्तों की व्याख्या संक्षेप में कीजिये।
- प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन की समस्यायें बताइये?
- प्रश्न- कक्षा-कक्ष के प्रमुख घटक या चर कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कक्षाकक्ष प्रबन्धन में शिक्षक की भूमिका का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन की क्यों आवश्यकता है ?
- प्रश्न- टीम निर्माण की आवश्यकता बताते हुए टीम निर्माण में सम्प्रेषण के महत्व की विवेचना कीजिये?
- प्रश्न- सम्प्रेषण का क्या अर्थ है? इसकी आवश्यकता एवं महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सम्प्रेषण प्रक्रिया के प्रमुख घटक कौन-कौन से हैं? विद्यालय में सम्प्रेषण के विभिन्न स्तरों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सम्प्रेषण की कौन-कौन सी विधियाँ एवं प्रविधियाँ प्रयोग में लायी जाती हैं? सम्प्रेषण की समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सम्प्रेषण के आधार पर टीम निर्माण के निहित तत्वों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- दल-निर्माण में सम्प्रेषण की अवधारणा स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- टीम निर्माण में सम्प्रेषण के सिद्धान्तों का प्रयोग समझाइये ?
- प्रश्न- दल निर्माण के उद्देश्यों को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- सम्प्रेषण में सुधार करने के लिए दल निर्माण की भूमिका का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- सम्प्रेषण किसे कहते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सम्प्रेषण की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सम्प्रेषण प्रक्रिया के प्रमुख घटक कौन-कौन से हैं? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सम्प्रेषण की आवश्यकता तथा महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विद्यालय प्रबन्धन में स्वोट (SWOT) विश्लेषण क्या है ? स्वोट विश्लेषण की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- विद्यालय प्रबन्धन की गुणवत्ता को प्रभावशाली बनाने में स्वोट विश्लेषण आयोजित करने के लिए शिक्षकों के कर्त्तव्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- Swot स्वोट विश्लेषण के लाभ समझाइये।
- प्रश्न- स्वोट विश्लेषण का मूल्यांकन कैसे किया जा सकता है? समझाइये।
- प्रश्न- SWOT स्वोट विश्लेषण के रूप या प्रकार बताइये।
- प्रश्न- स्कूल या विद्यालय का अर्थ व परिभाषा बताते हुए उसके कार्यो की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- विद्यालय और समाज एक-दूसरे पूरक एवं सहयोगी हैं, विस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय भवन के निर्माण, साज-सज्जा तथा रख-रखाव पर विस्तृत वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- विद्यालय भवन या निर्माण के आवश्यक घटकों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- विद्यालय भवन से क्या तात्पर्य है? विद्यालय भवन निर्माण के आवश्यक तथ्यों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय पुस्तकालय से आप क्या समझते हैं? पुस्तकालय के उद्देश्य एवं लाभ का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय के प्रकारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विद्यालय भवन निर्माण के चरण (Steps) बताइये।
- प्रश्न- विद्यालय भवन में लर्निंग कार्नर किसे कहते हैं?
- प्रश्न- विद्यालय भवन के प्रमुख कक्ष पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विद्यालय / स्कूल की मुख्य विशेषतायें समझाइये।
- प्रश्न- विद्यालय की आवश्यकता एवं महत्व को बताइये।'
- प्रश्न- भौतिक संसाधन प्रबन्धन की विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय भवन-निर्माण के सिद्धान्त का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय छात्रावास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- विद्यालय भवन की विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'समय सारणी शिक्षण-अधिगम के कुछ मूल सिद्धान्तों पर आधारित होती है, केवल मात्र मुख्याध्यापक की मर्जी पर नहीं।' इस कथन को स्पष्ट करते हुए समय-सारणी के निर्माण सम्बन्धी सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- विद्यालय समय-सारणी के प्रकार बताइये तथा कक्षा विद्यालय की समय-सारणी 'का उदाहरण दीजिये।
- प्रश्न- समय-सारणी चक्र का निर्माण करने के सामान्य सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समय सारणी चक्र के निर्माण करने के विशिष्ट सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- समय-सारिणी चक्र के विभिन्न प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय वातावरण का अर्थ समझाइए।
- प्रश्न- विद्यालय समय-सारणी के सोपान (Steps ) बताइये।
- प्रश्न- समय-सारणी की पाँच विशेषताओं का उल्लेख कीजिये ?
- प्रश्न- विद्यालय समय-सारणी के महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विद्यालय में समय चक्र की आवश्यकता व महत्त्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- समय तालिका के निर्माण में आने वाली व्यावहारिक कठिनाइयों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समय तालिका निर्माण के प्रमुख सिद्धान्तों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- प्रयोगशाला से आपका क्या तात्पर्य है? प्रयोगशाला स्थापना के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- एक अच्छी प्रयोगशाला से छात्रों को क्या-क्या लाभ प्राप्त हुए हैं ? साथ ही प्रयोगशाला संचालन करते समय क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए ? उसका उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय में प्रयोगशाला के महत्व एवं लाभ को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- खेल का मैदान/क्रीडास्थल पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- खेल के मैदान का महत्व बताइये।
- प्रश्न- विद्यालय में खेल के मैदान की व्यवस्था किस प्रकार करनी चाहिए? समझाइये। उत्तर -
- प्रश्न- स्टाफ रूम / शिक्षक-कक्ष को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- कक्षा-कक्ष ( Class Room) को परिभाषित कीजिये।
- प्रश्न- बच्चों के अनुकूल स्कूल (Child Friendly School ) पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- संस्थागत शासन से आपका क्या तात्पर्य है तथा संस्थागत प्रशासन में प्रधानाचार्य की भूमिका का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- कार्मिकों (स्टाफ) की भर्ती एवं चयन प्रक्रिया को समझाइये।
- प्रश्न- स्टाफ ( Staff) मूल्यांकन को समझाते हुए, इसकी विशेषताएँ बताइये ?
- प्रश्न- स्टाफ ( शिक्षकों) के व्यावसायिक विकास को विस्तारपूर्वक समझाइये ?
- प्रश्न- विद्यालय में बैटक ( मीटिंग) की व्यवस्था करने में प्रधानाचार्य की क्या भूमिका है? वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के आधारभूत सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- शिक्षा प्रशासन के प्रारूपों का वर्णन कीजिये। शिक्षा व्यवस्था के तीनों स्तरों पर प्रशासन के स्वरूप / संरचना का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? शैक्षिक प्रशासन के क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन की आवश्यकता व महत्व पर प्रकाश डालिए और उसके उद्देश्यों को भी स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के आधारभूत सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ऐतिहासिक दृष्टि से शैक्षिक प्रशासन को कितने विभिन्न भागों में विभाजित किया जा सकता है? स्वतन्त्र भारत में शिक्षा प्रशासन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन कला है या विज्ञान? संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन का अर्थ क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- केन्द्रीकरण एवं विकेन्द्रीकरण का अर्थ एवं विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के गुण एवं विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के व्यापक अर्थ को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बाह्य तथा आन्तरिक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- एक अच्छे शैक्षिक प्रशासक के गुणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय पर्यवेक्षक के रूप में प्रधानाचार्य की भूमिका का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संस्थागत क्रियाओं के सुशासन हेतु प्रधानाचार्य की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रधानाचार्य के पर्यवेक्षण सम्बन्धी कार्य का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- मूल्यांकन में प्रधानाचार्य की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय में मीटिंग की व्यवस्था करने में प्रधानाचार्य की भूमिका की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- परिवेक्षण तथा पर्यवेक्षण में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय स्वास्थ्य शिक्षा कार्यक्रम क्या है ? इसके उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- स्वास्थ्य शिक्षा से आप कया समझते हैं? स्वास्थ्य शिक्षा के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए एक अध्यापक की भूमिका का वर्णन करें।
- प्रश्न- विद्यालयों में बच्चों के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारक कौन से हैं? विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालयीय चिकित्सा सेवा से क्या तात्पर्य है? इसके विभिन्न पक्षों और कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- योग का अर्थ बताते हुए विभिन्न विद्वानों की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए। अथवा योग शिक्षा से आप क्या समझते हैं? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय मध्याह्न भोजन से आप क्या समझते है ? भोजन के विभिन्न कार्यों पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मध्याह्न भोजन की आवश्यकता बताइए तथा निष्पादन पर इसके प्रभाव का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सन्तुलित आहार से आप क्या समझते हैं? पौष्टिक आहार के विभिन्न तत्वों के स्रोतों तथा कार्यों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- एक चिकित्सा निरीक्षण क्या है?
- प्रश्न- टीकाकरण (Immunization) पर अपने विचार व्यक्त करिये ?
- प्रश्न- उचित मुद्रा (Posture ) के महत्व पर विचार प्रकट कीजिये।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के केन्द्रीयकरण के नियम के गुणों को समझाइये।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के नियम विभिन्न विद्वानों द्वारा प्रस्तुत हैं संक्षेप में बताइये।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के स्वरूप को संक्षेप में बताइये।
- प्रश्न- छात्रों के नियमित स्वास्थ्य निरीक्षण से होने वाले लाभों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- कलाई की योग मुद्राओं के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- चिकित्सा से सम्बन्धित शिक्षक के क्या कार्य या कर्त्तव्य होने चाहिए ?
- प्रश्न- मेडिकल या स्वास्थ्य रिकॉर्ड के अभिलेख का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम का क्या अर्थ है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम में अध्यापक की भूमिका का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (1. शैक्षिक नेतृत्व का अर्थ एवं प्रकार)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (2. दल निर्माण)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (3. शैक्षिक प्रशासन और स्कूल )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (4. विद्यालय में एक प्रभावी कक्षा कक्ष प्रबन्धन के लिए प्रबन्धन कार्यों का उपयोग करना )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (5. दल निर्माण में सम्प्रेषण का महत्व )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (6. विद्यालय प्रबन्धन में गुणवत्ता सुधार के लिए तथा स्वोट विश्लेषण आयोजित करने के लिए शिक्षकों एवं प्रधानाचार्य का कौशल)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (7. स्कूल (विद्यालय) - उसके कार्य और समाज से सम्बन्ध)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (8. स्कूल वातावरण : अर्थ एवं प्रकार, समय-सारणी, समय-सारणी तैयार के सिद्धान्त और तकनीक)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (9. प्रयोगशाला, खेल मैदान, छात्रावास, स्टाफ रूम, कक्षा-कक्ष)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (10. संस्थागत शासन, चयन प्रक्रिया, स्टाफ का मूल्यांकन)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (11. भारत में शैक्षिक प्रशासन के सिद्धान्त और उसकी संरचना )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (12. प्रधानाचार्य विद्यालय पर्यवेक्षक के रूप में )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (13. स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम के पर्यवेक्षक )