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बी.एड. सेमेस्टर-3 प्रश्नपत्र-1 - विद्यालय नेतृत्व एवं प्रबन्धन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :172
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2708
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बी.एड. सेमेस्टर-3 प्रश्नपत्र-1 - विद्यालय नेतृत्व एवं प्रबन्धन

अध्याय - 11

भारत में शैक्षिक प्रशासन के सिद्धान्त और उसकी संरचना

(Principles and Structure of Educational administration in India)

प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के आधारभूत सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।

उत्तर -

शैक्षिक प्रशासन के सिद्धान्त
(Principal of Educational administration)

साधारणतः किसी तन्त्र या प्रणाली का संचालन करने तथा उसे चलाने के लिए विश्वसनीय रूप से पूर्व अनुभवों एवं व्यवहारों की सहायता ली जाती है ये ही नियम या सिद्धान्त कहलाते हैं।

'नियम' अंग्रेजी भाषा का 'Principal' शब्द का अनुवाद है। इसके पर्याय 'मौलिक तत्व' (Fundamental Element) नैतिक नियम (Moral Rule) अथवा आचरण नियम (Rule of Conduet) है। अतः स्पष्ट है कि सभी शब्द व्यवहारों अथवा अनुभवों पर आधारित होने के साथ साथ प्रामाणिक तथा विश्वसनीय तत्वों पर बल देते हैं।

एल. डी. ह्वाइट के शब्दों में- 'इन नियमों द्वारा आचरण के वे कार्य नियम बनाये जाते है जो विस्तृत अनुभव के कारण मान्य अथवा वैद्य से हो गये हैं। '

शैक्षिक प्रशासन के नियमों / सिद्धान्तों के प्रमुख प्रकार

1. शैक्षिक प्रशासन का केन्द्रीकरण का नियम / सिद्धान्त (Principal of Centralization in Education) - शैक्षिक प्रशासन में केन्द्रीयकरण नियम का अर्थ प्रशासन के समस्त सत्ता सम्बन्धी कार्यों, उत्तरदायित्वों, नियन्त्रण आदि सभी केन्द्रीय शक्ति के रूप में एक हाथ में होने से हैं। इस शक्ति के आदेश के द्वारा शैक्षिक प्रशासन सम्बन्धी सभी कार्यो एवं गतिविधियों को किया जाता है। अतः केन्द्रीय रूप में एक ही सत्ता का पूर्णतः शैक्षिक प्रशासन पर एकाधिकार रहता है। एल. ह्वाइट के शब्दों में- "प्रशासक के निम्नतल से उच्चतल की ओर प्रशासकीय सत्ता के हस्तान्तरण की प्रक्रिया को केन्द्रीयकरण कहते हैं।'

2. शैक्षिक प्रशासन में विकेन्द्रीकरण का नियम (Principal Decentralization) - शैक्षिक प्रशासन की सत्ता का विभाजन करना ही विकेन्द्रीकरण कहलाता है। इसमें प्रशासन के सभी कार्यों, उत्तरदायित्वों आदि को सभी लोगों में विभाजित कर दिया जाता है। अतः शैक्षिक प्रशासन के नियम के अन्तर्गत शैक्षिक सत्ता का विभिन्न स्तरों पर विभक्तीकरण हो जाता है। भारत के अर्न्तगत स्वाक्ता प्राप्त शिक्षण विद्यालयों की स्थापना तथा जिला बोर्ड तथा नगर महापालिकाओं द्वारा विद्यालयों की स्थापना विकेन्द्रीकरण का एक उदाहरण है। अतः शैक्षिक प्रशासन में विकेन्द्रीकरण के नियम के अनुसार केन्द्र, राज्य, जिला स्थानीय आदि सभी के द्वारा विद्यालयों की स्थापना की जाती है। जिसके द्वारा सभी व्यक्तियों को शिक्षा सम्बन्धी कार्यों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

3. शैक्षिक प्रशासन में सत्ता के आन्तरिक नियन्त्रण का नियम ( Principal of Internal Control of two Authority ) - आन्तरिक नियन्त्रण का अर्थ है कि विद्यालय सम्बन्धी सभी प्रशासनिक कार्यों में किसी प्रकार का बाह्य हस्तक्षेप न होना। अतः सभी कार्य प्रधानाचार्य, वरिष्ठ अध्यापकों प्रबन्ध तथा अन्य प्रध्यापकों द्वारा मिलकर सामूहिक रूप से सम्पन्न किये जाते हैं। इनके द्वारा शिक्षण कार्य का विभाजन करना, समय-सारणी बनाना, सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करना, खेलकूद, शारीरिक व्यायाम, चिकित्सा तथा अन्य पाठ्य सहगामी क्रियाओं का प्रबन्ध करना है। जिसको एक दूसरे के सहयोग से किया जाता है।

4. शैक्षिक प्रशासन में सत्ता के बाह्य नियन्त्रण का नियम (Principal of External Controal of Authorits) - बाह्य नियन्त्रण का अर्थ विद्यालय प्रशासन सम्बन्धी कार्यों में बाह्य शक्तियों के प्रभुत्व होने से है। जैसे- शिक्षा विभाग के माध्यम से विद्यालयों के प्रशासन सम्बन्धी कार्यों पर नियन्त्रण ही बाह्य नियन्त्रण के अर्न्तगत आता है। भारत में शिक्षा विभागों द्वारा ही विद्यालयों को मान्यता, अनुदान, पाठ्यक्रम तथा पुस्तकों का निर्माण, विद्यालय प्रबन्ध तथा अन्य कार्यों सम्बन्धी शर्तों का निर्धारण आदि कार्य बाह्य नियन्त्रण द्वारा ही सम्पन्न किये जाते हैं। प्रत्येक राज्य के अन्तर्गत शिक्षा के तीनों उच्च माध्यमिक तथा प्राथमिक स्तरों पर तीन शिक्षा निर्देशालयों के द्वारा अपने स्तर सम्बन्धी शैक्षिक प्रशासन कार्यों एवं उत्तरदायित्व को सम्पन्न किया जाता है।

5. शैक्षिक प्रशासन में राजकीय सक्रियता का नियम (Principal of Public Educational Enterprise) - शैक्षिक सम्बन्धी कार्य सरकार अथवा राज्य द्वारा नियुक्त प्रशासकों द्वारा सम्पन्न किये जाते है। विद्यालय प्रशासन पर पूर्ण रूप से राज्य का नियन्त्रण होता है। राज्यों द्वारा विद्यालयों को वित्तीय सहायता देना, नियुक्ति सम्बन्धी नियम तैयार करना, मान्यता प्रदान करना आदि में पूर्ण नियन्त्रण होता है। राज्य द्वारा राज्य के सरकारी तथा गैर-सरकारी सभी विद्यालयों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है तथा उन पर अपना ही नियन्त्रण रखा जाता है।

6. शैक्षिक प्रशासन में निजी शैक्षिक सक्रियता का नियम ( Principal of Private Educational Enterprise ) - हमारे देश में राजकीय शिक्षा व्यवस्था के साथ- साथ अनेक संस्थाओं द्वारा अपने निजी विद्यालय भी चलाये जा रहे हैं जिनमें उनका निजी प्रशासन होता है। इनके प्रमुख उदाहरण सिक्ख, मुस्लिम व ईसाई तथा निजी उद्योगपतियों द्वारा चलाये जा रहे विद्यालय हैं। जिनमें अपने निजी प्रशासन हैं। जिनका संगठन, प्रशासन, पर्यवेक्षण, वित्तीय, तथा अन्य सभी कार्य अराजकीय अथवा निजी नियम के आधार पर किये जाते हैं।

7. शैक्षिक प्रशासन में प्रजातन्त्र का नियम ( Principal of Democracy of Education Administration ) - जन-शिक्षा की उपयुक्त व्यवस्था ही किसी देश की प्रगति का सूचक है। अतः जिन शिक्षा हेतु प्रजातान्त्रिक शैक्षिक प्रशासन का होना आवश्यक है ताकि शिक्षण संस्थाओं को समान रूप से कार्यशील बनाया जा सके। अतः शैक्षिक प्रशासन के अन्तर्गत प्रजातान्त्रिक गुणों को अनिवार्य रूप से अपनाया जाता है

8. शैक्षिक प्रशासन में एकाधिकार का नियम ( Principal of Autocratic ) - इस प्रकार के शैक्षिक प्रशासन में सम्पूर्ण सत्ता केवल एक ही व्यक्ति के हाथों में होती है। यह व्यक्ति अपनी स्वेच्छा से कार्य करता है। इनकी कार्य करने की शैली निरंकुश होती है। जो व्यक्तियों में भय उत्पन्न करती है। इसमें विद्यालय का वातावरण स्वार्थपरता, मिथ्या प्रशंसा, चापलूसी आदि अवगुणों से निर्मित रहता है। प्रशासन में सर्वत्र कुप्रशासन तथा दमननीति का बोलबाला रहता है।
 
9. शैक्षिक प्रशासन में कार्य विभाजन का नियम (Principal of Division of Work in Edu.Adm) - कार्य विभाजन नियम में सभी शैक्षिक प्रशासकों को उनकी क्षमता एवं योग्यतानुसार प्रशासन सम्बन्धी कार्यो में भाग लेना चाहिए। साथ ही कार्यों के विभाजन सम्बन्धी रूपरेखा भी तैयार की जानी चाहिए ताकि वह अपने उत्तरदायित्वों को समझ सकें।

10. शैक्षिक प्रशासन में समानता तथा न्याय का नियम (Principal of Equity शैक्षिक प्रशासन तथा न्याय में and Justice in Education Administration) - साध्य एवं साधन का सम्बन्ध है अतः यह नियम शैक्षिक प्रशासकीय संगठन के अन्तर्गत न्याय की भावना पर अधिक बल देता है। सभी कार्यकर्त्ताओं, अध्यापकों, छात्रों, अभिभावकों को यह अनुभव होना चाहिए कि उनके साथ न्याय का व्यवहार निष्पक्ष रूप से किया जा रहा है क्योंकि न्याय को निष्काषित कर देने पर शैक्षिक प्रशासन असन्तुष्ट तथा असहयोगी व्यक्तियों का ही उद्देश्यहीन समूह रह जाता है। शैक्षिक प्रशासन का सम्बन्ध व्यक्तियों से है और दोनों में शान्तिमय एवं मधुर सम्बन्ध बनाये रखने के लिए न्याय भावना का होना आवश्यक है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- नेतृत्व का अर्थ स्पष्ट करते हुए नेतृत्व के प्रकार तथा आवश्यकता की विवेचनाकीजिए।
  2. प्रश्न- नेतृत्व के विभिन्न सिद्धान्तों का उल्लेख करते हुए नेता के सामान्य गुणों का वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- शिक्षा में नेतृत्व की महत्ता की विवेचना शिक्षा-प्रशासन तथा शिक्षण अधिगम के क्षेत्र में विस्तार से कीजिए।
  4. प्रश्न- नेतृत्व से सम्बन्धित किन्हीं दो सिद्धान्तों को विस्तार से विवेचित कीजिये।
  5. प्रश्न- विद्यालय नेता के रूप में प्राचार्य की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
  6. प्रश्न- नेतृत्व का अर्थ एवं परिभाषा दीजिए।
  7. प्रश्न- शैक्षिक नेतृत्व में नैतिकता और शिष्टाचार का उल्लेख कीजिए।
  8. प्रश्न- प्रभावी शैक्षिक नेतृत्व के विकास के सोपान को स्पष्ट कीजिए।
  9. प्रश्न- प्रजातांत्रिक व निरंकुशवादी नेतृत्व में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  10. प्रश्न- शैक्षिक नेतृत्व की अवधारणा लिखिए।
  11. प्रश्न- विद्यालय प्रशासन में ग्रिफिथ्स द्वारा कल्पित विद्यालय तन्त्र की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  12. प्रश्न- विद्यालय के शैक्षिक प्रशासन में मानवीय सम्बन्धों का उल्लेख कीजिए।
  13. प्रश्न- प्रधानाचार्य तथा शिक्षक के सम्बन्ध पर टिप्पणी लिखिए।
  14. प्रश्न- संघर्षरहित वातावरण की विशेषता स्पष्ट कीजिए।
  15. प्रश्न- नेतृत्व में समूह बनाने की अवधारणा लिखिए।
  16. प्रश्न- शिक्षा के प्रबन्धन का अर्थ स्पष्ट करते हुए शिक्षा में प्रबन्ध के कार्य क्षेत्र पर प्रकाश डालिए।
  17. प्रश्न- प्रबन्धन के महत्व को स्पष्ट कीजिये।
  18. प्रश्न- प्रबन्धन से आप क्या समझते हैं? इसकी समुचित परिभाषा देते हुए विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  19. प्रश्न- शिक्षा प्रबन्धन की अवधारणा स्पष्ट करते हुए इसकी विशेषता एवं क्षेत्र का उल्लेख कीजिए।
  20. प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन के कार्यों की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  21. प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
  22. प्रश्न- शिक्षा-प्रशासन तथा शिक्षा प्रबन्ध में अन्तर समझाइए तथा शिक्षा प्रबन्ध की महत्वपूर्ण दशाएँ बताइए।
  23. प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन की समस्याएँ बताइए।
  24. प्रश्न- प्रबन्धन के मुख्य कार्यों को संक्षेप में बताये ?
  25. प्रश्न- पोस्डकॉर्ब (POSDCORB ) को स्पष्ट कीजिये।
  26. प्रश्न- कुछ प्रमुख विचारकों द्वारा बताये गये प्रबन्धन के कार्यों का उल्लेख कीजिये।
  27. प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- शिक्षा प्रबन्ध के क्षेत्र को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
  29. प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन की आवश्यकता एवं महत्व का वर्णन कीजिए।
  30. प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन को प्रभावित करने वाले तत्त्व की विवेचना कीजिए।
  31. प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन के उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
  32. प्रश्न- एक अच्छे प्रबन्धक की विशेषतायें लिखिये।
  33. प्रश्न- विद्यालय में कक्षा-कक्ष प्रबन्धन से क्या आशय है? कक्षा-कक्ष प्रबन्धन की प्रक्रिया को समझाइये।
  34. प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन का अर्थ एवं सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
  35. प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन की समस्याओं का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  36. प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन कौशल के प्रमुख घटक या चर कौन-से हैं ?
  37. प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन के उद्देश्य लिखिए ?
  38. प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन को प्रभावित करने वाले कोई पाँच कारक लिखिए।
  39. प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन के सिद्धान्तों की व्याख्या संक्षेप में कीजिये।
  40. प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन की समस्यायें बताइये?
  41. प्रश्न- कक्षा-कक्ष के प्रमुख घटक या चर कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- कक्षाकक्ष प्रबन्धन में शिक्षक की भूमिका का वर्णन कीजिए।
  43. प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन की क्यों आवश्यकता है ?
  44. प्रश्न- टीम निर्माण की आवश्यकता बताते हुए टीम निर्माण में सम्प्रेषण के महत्व की विवेचना कीजिये?
  45. प्रश्न- सम्प्रेषण का क्या अर्थ है? इसकी आवश्यकता एवं महत्व की विवेचना कीजिए।
  46. प्रश्न- सम्प्रेषण प्रक्रिया के प्रमुख घटक कौन-कौन से हैं? विद्यालय में सम्प्रेषण के विभिन्न स्तरों का उल्लेख कीजिए।
  47. प्रश्न- सम्प्रेषण की कौन-कौन सी विधियाँ एवं प्रविधियाँ प्रयोग में लायी जाती हैं? सम्प्रेषण की समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
  48. प्रश्न- सम्प्रेषण के आधार पर टीम निर्माण के निहित तत्वों का वर्णन कीजिये।
  49. प्रश्न- दल-निर्माण में सम्प्रेषण की अवधारणा स्पष्ट कीजिये।
  50. प्रश्न- टीम निर्माण में सम्प्रेषण के सिद्धान्तों का प्रयोग समझाइये ?
  51. प्रश्न- दल निर्माण के उद्देश्यों को स्पष्ट कीजिये।
  52. प्रश्न- सम्प्रेषण में सुधार करने के लिए दल निर्माण की भूमिका का वर्णन कीजिये।
  53. प्रश्न- सम्प्रेषण किसे कहते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  54. प्रश्न- सम्प्रेषण की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  55. प्रश्न- सम्प्रेषण प्रक्रिया के प्रमुख घटक कौन-कौन से हैं? उल्लेख कीजिए।
  56. प्रश्न- सम्प्रेषण की आवश्यकता तथा महत्व पर प्रकाश डालिए।
  57. प्रश्न- विद्यालय प्रबन्धन में स्वोट (SWOT) विश्लेषण क्या है ? स्वोट विश्लेषण की विशेषताएँ बताइये।
  58. प्रश्न- विद्यालय प्रबन्धन की गुणवत्ता को प्रभावशाली बनाने में स्वोट विश्लेषण आयोजित करने के लिए शिक्षकों के कर्त्तव्यों का वर्णन कीजिए।
  59. प्रश्न- Swot स्वोट विश्लेषण के लाभ समझाइये।
  60. प्रश्न- स्वोट विश्लेषण का मूल्यांकन कैसे किया जा सकता है? समझाइये।
  61. प्रश्न- SWOT स्वोट विश्लेषण के रूप या प्रकार बताइये।
  62. प्रश्न- स्कूल या विद्यालय का अर्थ व परिभाषा बताते हुए उसके कार्यो की विवेचना कीजिये।
  63. प्रश्न- विद्यालय और समाज एक-दूसरे पूरक एवं सहयोगी हैं, विस्तार से वर्णन कीजिए।
  64. प्रश्न- विद्यालय भवन के निर्माण, साज-सज्जा तथा रख-रखाव पर विस्तृत वर्णन कीजिये।
  65. प्रश्न- विद्यालय भवन या निर्माण के आवश्यक घटकों का वर्णन कीजिये।
  66. प्रश्न- विद्यालय भवन से क्या तात्पर्य है? विद्यालय भवन निर्माण के आवश्यक तथ्यों का उल्लेख कीजिए।
  67. प्रश्न- विद्यालय पुस्तकालय से आप क्या समझते हैं? पुस्तकालय के उद्देश्य एवं लाभ का वर्णन कीजिए।
  68. प्रश्न- विद्यालय के प्रकारों पर प्रकाश डालिए।
  69. प्रश्न- विद्यालय भवन निर्माण के चरण (Steps) बताइये।
  70. प्रश्न- विद्यालय भवन में लर्निंग कार्नर किसे कहते हैं?
  71. प्रश्न- विद्यालय भवन के प्रमुख कक्ष पर प्रकाश डालिए।
  72. प्रश्न- विद्यालय / स्कूल की मुख्य विशेषतायें समझाइये।
  73. प्रश्न- विद्यालय की आवश्यकता एवं महत्व को बताइये।'
  74. प्रश्न- भौतिक संसाधन प्रबन्धन की विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  75. प्रश्न- विद्यालय भवन-निर्माण के सिद्धान्त का उल्लेख कीजिए।
  76. प्रश्न- विद्यालय छात्रावास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  77. प्रश्न- विद्यालय भवन की विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  78. प्रश्न- 'समय सारणी शिक्षण-अधिगम के कुछ मूल सिद्धान्तों पर आधारित होती है, केवल मात्र मुख्याध्यापक की मर्जी पर नहीं।' इस कथन को स्पष्ट करते हुए समय-सारणी के निर्माण सम्बन्धी सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिये।
  79. प्रश्न- विद्यालय समय-सारणी के प्रकार बताइये तथा कक्षा विद्यालय की समय-सारणी 'का उदाहरण दीजिये।
  80. प्रश्न- समय-सारणी चक्र का निर्माण करने के सामान्य सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  81. प्रश्न- समय सारणी चक्र के निर्माण करने के विशिष्ट सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
  82. प्रश्न- समय-सारिणी चक्र के विभिन्न प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
  83. प्रश्न- विद्यालय वातावरण का अर्थ समझाइए।
  84. प्रश्न- विद्यालय समय-सारणी के सोपान (Steps ) बताइये।
  85. प्रश्न- समय-सारणी की पाँच विशेषताओं का उल्लेख कीजिये ?
  86. प्रश्न- विद्यालय समय-सारणी के महत्व पर प्रकाश डालिए।
  87. प्रश्न- विद्यालय में समय चक्र की आवश्यकता व महत्त्व की विवेचना कीजिए।
  88. प्रश्न- समय तालिका के निर्माण में आने वाली व्यावहारिक कठिनाइयों का वर्णन कीजिए।
  89. प्रश्न- समय तालिका निर्माण के प्रमुख सिद्धान्तों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
  90. प्रश्न- प्रयोगशाला से आपका क्या तात्पर्य है? प्रयोगशाला स्थापना के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
  91. प्रश्न- एक अच्छी प्रयोगशाला से छात्रों को क्या-क्या लाभ प्राप्त हुए हैं ? साथ ही प्रयोगशाला संचालन करते समय क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए ? उसका उल्लेख कीजिए।
  92. प्रश्न- विद्यालय में प्रयोगशाला के महत्व एवं लाभ को स्पष्ट कीजिए।
  93. प्रश्न- खेल का मैदान/क्रीडास्थल पर टिप्पणी लिखिए।
  94. प्रश्न- खेल के मैदान का महत्व बताइये।
  95. प्रश्न- विद्यालय में खेल के मैदान की व्यवस्था किस प्रकार करनी चाहिए? समझाइये। उत्तर -
  96. प्रश्न- स्टाफ रूम / शिक्षक-कक्ष को स्पष्ट कीजिये।
  97. प्रश्न- कक्षा-कक्ष ( Class Room) को परिभाषित कीजिये।
  98. प्रश्न- बच्चों के अनुकूल स्कूल (Child Friendly School ) पर प्रकाश डालिए।
  99. प्रश्न- संस्थागत शासन से आपका क्या तात्पर्य है तथा संस्थागत प्रशासन में प्रधानाचार्य की भूमिका का उल्लेख कीजिये।
  100. प्रश्न- कार्मिकों (स्टाफ) की भर्ती एवं चयन प्रक्रिया को समझाइये।
  101. प्रश्न- स्टाफ ( Staff) मूल्यांकन को समझाते हुए, इसकी विशेषताएँ बताइये ?
  102. प्रश्न- स्टाफ ( शिक्षकों) के व्यावसायिक विकास को विस्तारपूर्वक समझाइये ?
  103. प्रश्न- विद्यालय में बैटक ( मीटिंग) की व्यवस्था करने में प्रधानाचार्य की क्या भूमिका है? वर्णन कीजिये।
  104. प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के आधारभूत सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
  105. प्रश्न- शिक्षा प्रशासन के प्रारूपों का वर्णन कीजिये। शिक्षा व्यवस्था के तीनों स्तरों पर प्रशासन के स्वरूप / संरचना का वर्णन कीजिये।
  106. प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? शैक्षिक प्रशासन के क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
  107. प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन की आवश्यकता व महत्व पर प्रकाश डालिए और उसके उद्देश्यों को भी स्पष्ट कीजिए।
  108. प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के आधारभूत सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
  109. प्रश्न- ऐतिहासिक दृष्टि से शैक्षिक प्रशासन को कितने विभिन्न भागों में विभाजित किया जा सकता है? स्वतन्त्र भारत में शिक्षा प्रशासन की विवेचना कीजिए।
  110. प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन कला है या विज्ञान? संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
  111. प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन का अर्थ क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  112. प्रश्न- केन्द्रीकरण एवं विकेन्द्रीकरण का अर्थ एवं विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  113. प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के गुण एवं विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  114. प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के व्यापक अर्थ को स्पष्ट कीजिए।
  115. प्रश्न- बाह्य तथा आन्तरिक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  116. प्रश्न- एक अच्छे शैक्षिक प्रशासक के गुणों का वर्णन कीजिए।
  117. प्रश्न- विद्यालय पर्यवेक्षक के रूप में प्रधानाचार्य की भूमिका का वर्णन कीजिए।
  118. प्रश्न- संस्थागत क्रियाओं के सुशासन हेतु प्रधानाचार्य की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
  119. प्रश्न- प्रधानाचार्य के पर्यवेक्षण सम्बन्धी कार्य का उल्लेख कीजिए।
  120. प्रश्न- मूल्यांकन में प्रधानाचार्य की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
  121. प्रश्न- विद्यालय में मीटिंग की व्यवस्था करने में प्रधानाचार्य की भूमिका की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  122. प्रश्न- परिवेक्षण तथा पर्यवेक्षण में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  123. प्रश्न- विद्यालय स्वास्थ्य शिक्षा कार्यक्रम क्या है ? इसके उद्देश्य बताइये।
  124. प्रश्न- स्वास्थ्य शिक्षा से आप कया समझते हैं? स्वास्थ्य शिक्षा के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए एक अध्यापक की भूमिका का वर्णन करें।
  125. प्रश्न- विद्यालयों में बच्चों के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारक कौन से हैं? विवेचन कीजिए।
  126. प्रश्न- विद्यालयीय चिकित्सा सेवा से क्या तात्पर्य है? इसके विभिन्न पक्षों और कार्यों का वर्णन कीजिए।
  127. प्रश्न- योग का अर्थ बताते हुए विभिन्न विद्वानों की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए। अथवा योग शिक्षा से आप क्या समझते हैं? उल्लेख कीजिए।
  128. प्रश्न- विद्यालय मध्याह्न भोजन से आप क्या समझते है ? भोजन के विभिन्न कार्यों पर टिप्पणी लिखिए।
  129. प्रश्न- मध्याह्न भोजन की आवश्यकता बताइए तथा निष्पादन पर इसके प्रभाव का वर्णन कीजिए।
  130. प्रश्न- सन्तुलित आहार से आप क्या समझते हैं? पौष्टिक आहार के विभिन्न तत्वों के स्रोतों तथा कार्यों की विवेचना कीजिए।
  131. प्रश्न- एक चिकित्सा निरीक्षण क्या है?
  132. प्रश्न- टीकाकरण (Immunization) पर अपने विचार व्यक्त करिये ?
  133. प्रश्न- उचित मुद्रा (Posture ) के महत्व पर विचार प्रकट कीजिये।
  134. प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के केन्द्रीयकरण के नियम के गुणों को समझाइये।
  135. प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के नियम विभिन्न विद्वानों द्वारा प्रस्तुत हैं संक्षेप में बताइये।
  136. प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के स्वरूप को संक्षेप में बताइये।
  137. प्रश्न- छात्रों के नियमित स्वास्थ्य निरीक्षण से होने वाले लाभों का वर्णन कीजिये।
  138. प्रश्न- कलाई की योग मुद्राओं के प्रकार बताइये।
  139. प्रश्न- चिकित्सा से सम्बन्धित शिक्षक के क्या कार्य या कर्त्तव्य होने चाहिए ?
  140. प्रश्न- मेडिकल या स्वास्थ्य रिकॉर्ड के अभिलेख का वर्णन कीजिये।
  141. प्रश्न- स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम का क्या अर्थ है? स्पष्ट कीजिए।
  142. प्रश्न- स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम में अध्यापक की भूमिका का विवेचन कीजिए।
  143. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (1. शैक्षिक नेतृत्व का अर्थ एवं प्रकार)
  144. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (2. दल निर्माण)
  145. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (3. शैक्षिक प्रशासन और स्कूल )
  146. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (4. विद्यालय में एक प्रभावी कक्षा कक्ष प्रबन्धन के लिए प्रबन्धन कार्यों का उपयोग करना )
  147. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (5. दल निर्माण में सम्प्रेषण का महत्व )
  148. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (6. विद्यालय प्रबन्धन में गुणवत्ता सुधार के लिए तथा स्वोट विश्लेषण आयोजित करने के लिए शिक्षकों एवं प्रधानाचार्य का कौशल)
  149. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (7. स्कूल (विद्यालय) - उसके कार्य और समाज से सम्बन्ध)
  150. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (8. स्कूल वातावरण : अर्थ एवं प्रकार, समय-सारणी, समय-सारणी तैयार के सिद्धान्त और तकनीक)
  151. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (9. प्रयोगशाला, खेल मैदान, छात्रावास, स्टाफ रूम, कक्षा-कक्ष)
  152. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (10. संस्थागत शासन, चयन प्रक्रिया, स्टाफ का मूल्यांकन)
  153. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (11. भारत में शैक्षिक प्रशासन के सिद्धान्त और उसकी संरचना )
  154. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (12. प्रधानाचार्य विद्यालय पर्यवेक्षक के रूप में )
  155. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (13. स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम के पर्यवेक्षक )

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