बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-1 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य बी.एड. सेमेस्टर-1 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बी.एड. सेमेस्टर-1 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य
प्रश्न- व्यक्तित्व के जैविक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
अथवा
व्यक्तित्व के जैविक निर्धारकों का वर्णन करें।
उत्तर -
व्यक्तित्व व्यक्ति के भीतर उपस्थित मनोदैहिक गुणों का गत्यात्मक संगठन है जो उस व्यक्ति पर्यावरण के प्रति विशिष्ट समायोजन को निर्धारित करता है। व्यक्ति का व्यक्तित्व अनेक कारकों से. प्रभावित होता है।
(Biological or Hereditary Determinents)
व्यक्तित्व के विकास पर प्रभाव डालने वाले प्रमुख जैविक कारक निम्नलिखित हैं-
(i) शारीरिक गठन (Physique) - शेल्डन (1940) के अनुसार, "शारीरिक संरचना व्यक्तित्व को प्रभावित करती है।" यदि बालक का शारीरिक गठन उत्तम अर्थात् सुगठित है तो उसका व्यक्तित्व भी सुगठित होता है। इसके विपरीत निम्न कोटि की शारीरिक संरचना बालक में हीनभावना उत्पन्न करती है और उसके व्यक्तित्व को विघटित कर देती है।
(ii) बुद्धि (Intelligence) - व्यक्तित्व के विकास में बुद्धि का योगदान अत्यन्तं महत्वपूर्ण है क्योंकि बुद्धि समायोजन, उपलब्धि तथा सर्जनशीलता जैसे सभी उपयोगी व्यवहारों का निर्धारण करती है। यदि बालक की बुद्धि प्रखर है तो उसे अध्यापकों एवं मित्रों आदि का प्रोत्साहन मिलता है जिसके फलस्वरूप उसके आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और उसके व्यक्तित्व में निखार आता है। इसके विपरीत मन्द बुद्धि बालक प्रोत्साहन के अभाव में अपने व्यक्तित्व का विकास नहीं कर पाता है। यदि बालक के बौद्धिक स्तर का मापन करके उसकी मानसिक योग्यता के अनुरूप प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाय तो बालकों के व्यक्तित्व को काफी सीमा तक संतोषजनक बनाया जा सकता है।
(iii) आकर्षणता (Attractiveness) - जो बालक दूसरों को आकर्षित करने वाले तथा सुन्दर होते हैं उनमें आत्मविश्वास अधिक होता है तथा अनाकर्षक बालकों में हीनभावना तथा ईर्ष्या उत्पन्न हो जाती हैं जो अंततः उनके व्यक्तित्व के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है।
(iv) शारीरिक दशाएँ (Physical Conditions) - शारीरिक दशायें भी व्यक्तित्व के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। प्रायः स्वस्थ एवं दोषमुक्त बालक के प्रति परिवार वालों का दृष्टिकोण अनुकूल तथा अस्वस्थ तथा दोषयुक्त बालकों के प्रति प्रतिकूल होता है जिसके कारण ऐसे बच्चों में हीनभावना विकसित हो जाती है जो उनके व्यक्तित्व के विकास का मार्ग अवरुद्ध कर देती है।
(v) यौन की भूमिका (Role of Sex) - लैंगिक भिन्नता के कारण समाज में बालक व बालिकाओं की भूमिका अलग-अलग निर्धारित होती है। भूमिकाओं एवं जैविक संरचना में अन्तर होने के कारण उनके व्यवहार में भी अन्तर आता है जो उनके व्यक्तित्व की संरचना एवं विकास को प्रभावित करता है।
(vi) जन्म क्रम (Birth Order) - व्यक्तित्व के विकास में जन्मक्रम का अपना अलग महत्व है। हरलाक (1975) के अनुसार, प्रथम संतान में परिपक्वता शीघ्र आती है, समायोजन अच्छा होता है परन्तु उसमें असुरक्षा की भावना अधिक होती है। इसके विपरीत बाद की सन्तानों में स्वतन्त्रता की भावना अधिक और उत्तरदायित्व की भावना कम होती है।
(vii) अन्तःस्रावी ग्रन्थियों का प्रभाव (Effect of Endocrine Glands) - व्यक्तित्व तथा व्यवहार के विकास पर अन्तःस्रावी ग्रन्थियों का भी प्रभाव पड़ता है। ये ग्रन्थियाँ नलिकाविहीन होती हैं तथा अपने रस द्रवों (Hormones) को रक्त में प्रवाहित करती हैं। यदि किसी ग्रंथि से रसस्राव असन्तुलित होता है तो उसका व्यक्तित्व के विकास पर अवरोधक प्रभाव पड़ता है।
(Social Determinents)
व्यक्तित्व के सामाजिक निर्धारक या कारक निम्नलिखित हैं-
(i) प्रारम्भिक सामाजिक अनुभव (Early Social Experiences) - व्यक्तित्व के विकास में प्रारम्भिक सामाजिक अनुभव विशेष प्रभाव डालते हैं। प्रारम्भिक अनुभव जीवन की आधारशिला होते हैं। बालक को जीवन के आरम्भिक वर्षों में जो भी अनुभव होते हैं वे उसके व्यक्तित्व को एक विशेष दिशा में ढाल देते हैं जो उसके पूरे जीवन को प्रभावित करते हैं।
(ii) सामाजिक वंचन (Social Deprivation) - यदि बालक को सामाजिक अन्तः क्रिया या सामाजिक अधिगम से वंचित कर दिया जाता है तो उसमें किसी भी शीलगुण का विकास नहीं होगा। भौगोलिक एकाकीपन एवं पारिवारिक नियन्त्रणों के कारण अक्सर बालकों को सामाजिक अनुभवों का लाभ नहीं मिल पाता है जिसके कारण उन्हें अन्तर्वैयक्तिक सम्बन्ध स्थापित करने में अधिक कठिनाई होती है।
(iii) सामाजिक स्वीकृति (Social Acceptance) - व्यक्तित्व के विकास में सामाजिक स्वीकृति का गहरा प्रभाव पड़ता है। बालक अपने से बड़ों तथा साथियों की स्वीकृति एवं अनुमोदन प्रात करने की इच्छा रखते हैं। इनकी यह इच्छा उन्हें अच्छे गुणों का विकास करने के लिए प्रेरित करती है।
(iv) प्रस्थिति प्रतीक (Status Symbol) - बालक के स्व तथा उसके व्यक्तित्व पर प्रस्थिति से सम्बन्धित प्रतीकों का भी प्रभाव पड़ता है। प्रायः यह देखा गया है कि जो बालक स्वच्छ तथा अच्छे वस्त्र धारण करते हैं उनके विषय अनुकूल या धनात्मक धारणा शीघ्र बन जाती है तथा उनके आर्थिक सामाजिक स्तर का पता चल जाता है। जिन बालकों को वस्त्र तथा अन्य सामग्रियाँ सरलता से मिल जाती हैं उनमें स्व का विकास अच्छी तरह से होता है।
(v) परिवार का प्रभाव (Influence of Family) - बालक के विकास में उसके परिवार की भूमिका सबसे अधिक महत्वपूर्ण होती है। छोटे बच्चे परिवार के वरिष्ठ सदस्यों के साथ तादात्मीकरण एवं अनुकरण करके अपना अलग अस्तित्व बनाने का प्रयास करते हैं। परिवार में रह कर बालक विभिन्न प्रकार के अनुभवों एवं प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं जो उनके व्यक्तित्व के प्रतिमानों को निर्धारित करने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
(vi) समूह का प्रभाव (Influence of Group) - व्यक्तित्व के विकास में समूहों का विशेष योगदान होता है। प्रत्येक व्यक्ति एक या एक से अधिक सामाजिक समूहों का सदस्य होता है। सामाजिक समूहों से तात्पर्य मनुष्यों के ऐसे निश्चित संग्रह से है जिसमें व्यक्ति उन परस्पर अंतरसम्बन्धी (Interrelated) कार्य को करते हैं जो अपने द्वारा या दूसरे के द्वारा अन्तः क्रिया की इकाई के रूप में मान्य होते हैं। प्रत्येक समूह की एक निश्चित विचारधारा होती है जिसका समूह के सदस्यों के व्यवहार पर स्पष्ट प्रभाव पड़ता है।
(vii) सामाजिक सफलता (Social Success) - बालक स्वयं को सामाजिक रूप से सफल मानता है या असफल, इसका प्रभाव उसके आत्म पर पड़ता है तथा उसका व्यक्तिगत एवं सामाजिक समायोजन प्रभावित होता है। सफलता की दशा में आत्म के बारे में अनुकूल धारणा बनती है जबकि असफलता की दशा में ऐसे व्यवहार उत्पन्न हो सकते हैं जो उसके समायोजन को विघटिल कर देते हैं।
(viii) विद्यालय का प्रभाव (Influence of School) - सामाजिक व्यवस्था में विद्यालयों का महत्वपूर्ण स्थान होता है। जिन विद्यालयों में बच्चे प्रारम्भिक शिक्षा पाते हैं, उनके आदर्शों तथा क्रिया-कलापों का बालकों के व्यवहार तथा व्यक्तित्व पर गहरा प्रभाव पड़ता है। विद्यालय में पठन पाठन व्यवस्था, सामान्य वातावरण, मनोरंजन के साधन एवं शिक्षकों की क्षमता तथा उनके व्यक्तित्व के गुणों का प्रभाव विद्यार्थियों पर स्पष्ट रूप से पड़ता है।
(Cultural Determinents of Personality)
व्यक्तित्व के निर्धारण में संस्कृति की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण होती है। प्रत्येक समाज की अपनी-अपनी सांस्कृतिक मान्यतायें, विश्वास तथा रीति-रिवाज होते हैं जिनका व्यक्ति के व्यक्तित्व के निर्माण पर स्पष्ट प्रभाव पड़ता है। व्यक्तित्व के विकास में संस्कृति का प्रभाव निम्नलिखित रूप में पड़ता है -
(i) सामाजिक मानक (Social Norms) - प्रत्येक समाज में व्यक्ति के सामाजिक व्यवहार को नियन्त्रित तथा निर्देशित करने वाले कुछ मानक प्रचलन में होते हैं। प्रत्येक व्यक्ति से ऐसे सामाजिक मानकों के अनुरूप कार्य करने की प्रत्याशा की जाती है। उनका उल्लंघन करने वाला व्यक्ति सामाजिक परिहास, निन्दा या दण्ड का भागी बनता है। ये सामाजिक मानक व्यवहार सम्बन्धी सामाजिक नियमों के रूप में होते हैं तथा व्यवहार का नियमन करते हैं।
(ii) सामाजिक भूमिकायें (Social Roles) - प्रत्येक समाज में प्रत्येक व्यक्ति की भूमिका निश्चित होती है। व्यक्ति को अपनी भूमिका के अनुरूप ही व्यवहार करना होता है। ऐसा न करने पर उसे सामाजिक अवमानना का पात्र बनना पड़ता है। व्यक्ति जिस प्रकार की भूमिका का निर्वाह करता है या उससे जिस प्रकार की भूमिका के निर्वाह की प्रत्याशा की जाती है, उसके व्यक्तित्व में उसी भूमिका से सम्बन्धित गुणों का विकास होता है तथा उसके आचार-व्यवहार, तथा व्यक्तित्व पर भूमिका का स्पष्ट प्रभाव पड़ता है।
(iii) पालन-पोषण विधियाँ (Child Cearing Methods) - व्यक्ति के व्यक्तित्व पर उसके पालन-पोषण में प्रयुक्त विधि का भी प्रभाव पड़ता है। बच्चों को कठोर अनुशासन में रखने तथा स्नेह का अभाव होने से उनमें समायोजन के गुणों का समुचित विकास नहीं हो पाता है। इसी प्रकार अधिक रूढिवादी तथा धर्मभीरु परिवार के बच्चों में अन्धविश्वास, चिन्ता, भय एवं असुरक्षा की भावना जैसी कुप्रवृत्तियाँ भी विकसित हो जाती हैं जिनका व्यक्तित्व के विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। प्रगतिशील परिवारों के बच्चों में उपलब्धि की आवश्यकता (Need of achivement) अधिक पायी जाती है। अनेक अध्ययनों में पाया गया है कि माता-पिता के सम्पर्क में कम रहने वाले बच्चों में आत्म- नियन्त्रण का प्रायः अभाव होता है। इस प्रकार स्पष्ट है कि बचपन में पालन-पोषण की विधियाँ तथा पारिवारिक परिवेश ही व्यक्तित्व के शीलगुणों की आधारशिला होते हैं। इसीलिए कहा जाता है कि जिस प्रकार जीव का शुभारम्भ माता के गर्भाशय से होता है उसी प्रकार व्यक्तित्व का विकास पारिवारिक 'सम्बन्धों के गर्भाशय से ही प्रारम्भ होता है।
(iv) स्वावलम्बन बनाम पराश्रितता (Independence Vs. Dependence) - व्यक्ति के सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिवेश का उसमें विकसित होने वाले स्वावलम्बन एवं परिनिर्भरता की भावना का प्रभाव पड़ता है। उदाहरणार्थ विघटित परिवारों मे पले बच्चों में असुरक्षा की भावना अधिक पायी जाती है। इससे उनमें पराश्रितता एवं हीनता की ग्रन्थि विकसित होने की सम्भावना बढ़ जाती है।
इसी प्रकार कठोर अनुशासन में पले बच्चों में स्वावलम्बन की प्रवृत्ति कम विकसित हो पाती है और वे सामान्य कार्यों के लिये निर्देश या सुझाव की आवश्यकता अनुभव करते हैं।
(v) धार्मिक पृष्ठभूमि (Religious Background) - बालक का धार्मिक परिवेश उसके व्यक्तित्व के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एक अध्ययन के अनुसार मुस्लिम किशोर हिन्दू किशोरों की तुलना में कम बर्हिमुखी होते हैं जबकि मुस्लिम किशोरों में मनोविकृति, मनस्ताप तथा मिथ्यावादिता हिन्दू किशोरों की तुलना में अधिक पायी जाती है। धार्मिक संस्थाओं में पढ़ने वाले छात्रों में गैर-धार्मिक संस्थाओं के छात्रों की तुलना में उपर्युक्त प्रवृत्तियाँ अधिक प्रबल रूप में पायी गयीं। कुछ अध्ययनों में यह पाया गया कि साम्प्रदायिक संस्थाओं तथा गैर-सम्प्रदायिक संस्थाओं के छात्रों के व्यक्तित्व में असमानता होती है। सम्प्रदायिक संस्थाओं के छात्रों में रूढ़िवादिता, पूर्वाग्रह एवं असुरक्षा की भावना अधिक पायी जाती है।
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- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ बताइये एवं इसकी प्रकृति को संक्षेप में स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- मनोविज्ञान और शिक्षा के सम्बन्ध का विवेचन कीजिये और बताइये कि मनोविज्ञान ने शिक्षा सिद्धान्त और व्यवहार में किस प्रकार की क्रान्ति की है?
- प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मनोविज्ञान की भूमिका या महत्त्व बताइये।
- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये। शिक्षक प्रशिक्षण में इसकी सम्बद्धता क्या है?
- प्रश्न- वृद्धि और विकास से आपका क्या अभिप्राय है? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धि और विकास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धि और विकास को परिभाषित करें तथा वृद्धि एवं विकास के महत्वपूर्ण सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बाल विकास के प्रमुख तत्त्वों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- विकास से आपका क्या अभिप्राय है? बाल विकास की विभिन्न अवस्थाएँ कौन- कौन-सी हैं? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बाल विकास के अध्ययन के महत्त्व को समझाइये।
- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान के प्रमुख उद्देश्यों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- मनोविज्ञान एवं अधिगमकर्त्ता के सम्बन्ध की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- शैक्षिक सिद्धान्त व शैक्षिक प्रक्रिया के लिये शैक्षिक मनोविज्ञान का क्या महत्त्व है?
- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान का क्षेत्र स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान के कार्यों को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- मनोविज्ञान की विभिन्न परिभाषाओं को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- वृद्धि का अर्थ एवं प्रकृति स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अभिवृद्धि तथा विकास से क्या अभिप्राय है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विकास का क्या अर्थ है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धि तथा विकास के नियमों का शिक्षा में महत्त्व स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बालक के सम्बन्ध में विकास की अवधारणा क्या है? समझाइये |
- प्रश्न- विकास के सामान्य सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- अभिवृद्धि एवं विकास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बाल विकास की विभिन्न अवस्थाएँ कौन-कौन सी हैं? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- बाल विकास में वंशानुक्रम का क्या योगदान है?
- प्रश्न- शैशवावस्था क्या है? इसकी प्रमुख विशेषतायें बताइये। इस अवस्था में शिक्षा किस प्रकार की होनी चाहिये।
- प्रश्न- शैशवावस्था की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- शैशवावस्था में शिशु को किस प्रकार की शिक्षा दी जानी चाहिये?
- प्रश्न- बाल्यावस्था क्या है? बाल्यावस्था की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बाल्यावस्था में शिक्षा का स्वरूप कैसा होना चाहिए? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'बाल्यावस्था के विकासात्मक कार्यों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था से आप क्या समझते हैं? किशोरावस्था के विकास के सिद्धान्त की. विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था की मुख्य विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था में शिक्षा के स्वरूप की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जीन पियाजे के संज्ञानात्मक विकास के सिद्धान्तों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शैशवावस्था की प्रमुख समस्याएँ बताइए।
- प्रश्न- जीन पियाजे के विकास की अवस्थाओं के सिद्धांत को समझाइये |
- प्रश्न- कोहलर के प्रयोग की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शैक्षिक मनोविज्ञान एवं मानव विकास)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (मानव वृद्धि एवं विकास )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (व्यक्तिगत भिन्नता )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शैशवावस्था, बाल्यावस्था एवं किशोरावस्था )
- प्रश्न- सीखने की संकल्पना को समझाइए। 'सूझ' सीखने में किस प्रकार सहायता करती है?
- प्रश्न- अधिगम की प्रकृति को समझाइए।
- प्रश्न- सीखने की प्रक्रिया से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सूझ सीखने में किस प्रकार सहायता करती है?
- प्रश्न- 'प्रयत्न एवं त्रुटि' तथा 'सूझ' द्वारा सीखने में भेद कीजिए।
- प्रश्न- अधिगम से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक बताइए।
- प्रश्न- थार्नडाइक के सीखने के प्रयोग का उल्लेख कीजिए और बताइये कि इस प्रयोग द्वारा निकाले गये निष्कर्ष, शिक्षण कार्य को कहाँ तक सहायता पहुँचाते हैं?
- प्रश्न- थार्नडाइक के सीखने के सिद्धान्त के प्रयोग का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- थार्नडाइक के सीखने के सिद्धान्त का शिक्षा में उपयोग बताइये।
- प्रश्न- शिक्षण में प्रयत्न तथा भूल द्वारा सीखने के सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिये।
- प्रश्न- 'अनुबन्धन' से क्या अभिप्राय है? पावलॉव के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अनुकूलित-अनुक्रिया को नियंत्रित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- अनुकूलित-अनुक्रिया को प्रभावित करने वाले कारक कौन-से हैं?
- प्रश्न- अनुकूलित अनुक्रिया से आप क्या समझते हैं? इस सिद्धान्त का शिक्षा में प्रयोग बताइये।
- प्रश्न- अनुकूलित-अनुक्रिया सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- स्किनर का सक्रिय अनुकूलित-अनुक्रिया सिद्धान्त क्या है? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- स्किनर के सक्रिय अनुकूलित-अनुक्रिया सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पुनर्बलन का क्या अर्थ है? इसके प्रकार बताइये।
- प्रश्न- पुनर्बलन की सारणियाँ वर्गीकृत कीजिए।
- प्रश्न- सक्रिय अनुकूलित-अनुक्रिया. सिद्धान्त अथवा पुर्नबलन का शिक्षा में प्रयोग बताइये।
- प्रश्न- अधिगम के गेस्टाल्ट सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए और इस सिद्धान्त के सबल तथा दुर्बल पक्ष की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- समग्राकृति पूर्णकारवाद की विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- कोहलर के प्रयोग की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- अन्तर्दृष्टि तथा सूझ के सिद्धान्त से सीखने की क्या विशेषताएँ हैं।
- प्रश्न- पूर्णकारवाद के नियम को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अन्तर्दृष्टि को प्रभावित करने वाले कारक एवं शिक्षा में प्रयोग बताइये।'
- प्रश्न- अन्तर्दृष्टि सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- रॉबर्ट मिल्स गेग्ने का जीवन-परिचय दीजिए तथा इनके द्वारा बताये गये सिद्धान्त का सविस्तार वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गेग्ने के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गेग्ने के योगदान को संक्षेप में बताइये।
- प्रश्न- विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर अभिप्रेरणा का अर्थ स्पष्ट करते हुए अभिप्रेरणा के प्रकारों का वर्णन कीजिए।।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक कौन-से हैं? उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा का क्या महत्त्व है? अभिप्रेरणा के विभिन्न सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा के विभिन्न सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा का मूल प्रवृत्ति सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा का मूल मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा का उद्दीपन अनुक्रिया सिद्धान्त को समझाइये |
- प्रश्न- शैक्षिक दृष्टि से अभिप्रेरणा का क्या महत्त्व है?
- प्रश्न- आवश्यकता चालन एवं उद्दीपन के सम्बन्ध की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कक्षा शिक्षण में पुरस्कार या प्रोत्साहन की क्या आवश्यकता है?
- प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण क्या है? अधिगम स्थानान्तरण के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण से क्या तात्पर्य है? अधिगम स्थानान्तरण को प्रभावित करने वाले कारकों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण की दशाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अधिगमान्तरण के विभिन्न सिद्धान्तों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (अधिगम )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (अभिप्रेरणा )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (अधिगम का स्थानान्तरण )
- प्रश्न- विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर बुद्धि का अर्थ स्पष्ट करते हुये बुद्धि की प्रकृति या स्वरूप तथा उसकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- बुद्धि की प्रकृति एवं स्वरूप का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बुद्धि की विशेषताओं को समझाइये।
- प्रश्न- बुद्धि परीक्षा के विभिन्न प्रकार कौन-से हैं? वैयक्तिक व सामूहिक बुद्धि परीक्षा की तुलना कीजिये।
- प्रश्न- सामूहिक बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- शाब्दिक व अशाब्दिक तथा उपलब्धि परीक्षण को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- वाचिक अथवा अवाचिक वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण से क्या अभिप्राय है? उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- स्टैनफोर्ड बिने क्या है?
- प्रश्न- बर्ट द्वारा संशोधित बुद्धि परीक्षण को बताइये।
- प्रश्न- अवाचिक वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- वाचिक सामूहिक बुद्धि परीक्षण कौन-से हैं?
- प्रश्न- अवाचिक सामूहिक बुद्धि परीक्षणों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- बुद्धि के प्रमुख सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सृजनात्मकता से क्या तात्पर्य है? इसके स्वरूप तथा प्रकृति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सृजनात्मक की परिभाषाएँ बताइए।
- प्रश्न- सृजनात्मकता के स्वरूप बताइए।
- प्रश्न- सृजनात्मकता से आप क्या समझते हैं? अपने शिक्षण को अधिक सृजनशील बनाने हेतु आप क्या करेंगे? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सृजनात्मकता की परिभाषा दीजिए तथा सृजनात्मक छात्रों का पता लगाने की विधि स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सृजनात्मकता एवं समस्या समाधान पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- कक्षा वातावरण किस प्रकार विद्यार्थियों की सृजनात्मकता के विकास को प्रभावित करता है? सृजनात्मकता को विकसित करने हेतु आप ब्रेनस्टार्मिंग का प्रयोग कैसे करेंगे?
- प्रश्न- गिलफोर्ड के त्रिआयामी बुद्धि सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- विद्यालय की परिस्थितियाँ शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य को किस प्रकार प्रभावित करती हैं?
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- प्रश्न- मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति में कौन-कौन-सी विशेषताएँ होती हैं?
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- प्रश्न- कौन-कौन से कारक मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं और शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा रखने के उपाय बताइए।
- प्रश्न- शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा बनाए रखने के उपाय बताइये।
- प्रश्न- मानसिक स्वास्थ्य के प्रमुख तत्व बताइये।
- प्रश्न- शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य को उन्नत करने वाले प्रमुख कारक कौन-से हैं?
- प्रश्न- मानसिक स्वास्थ्य का महत्व बताइये।
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- प्रश्न- मानसिक स्वास्थ्य के नियमों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मानसिक स्वच्छता क्या है?
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (व्यक्तित्व )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (मानसिक स्वास्थ्य)