बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-1 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य बी.एड. सेमेस्टर-1 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बी.एड. सेमेस्टर-1 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य
प्रश्न- कक्षा वातावरण किस प्रकार विद्यार्थियों की सृजनात्मकता के विकास को प्रभावित करता है? सृजनात्मकता को विकसित करने हेतु आप ब्रेनस्टार्मिंग का प्रयोग कैसे करेंगे?
उत्तर -
कक्षा वातावरण में विद्यार्थियों का सृजनात्मक विकास- बालकों में सृजनात्मकता विकसित करना कुछ ऐसी योग्यताएँ हैं जिनका विकास सृजनात्मकता के विकास में सहायक सिद्ध हो सकता है। इन योग्यताओं को विकसित करने के लिये निम्न सुझाव सहायक सिद्ध हो सकते हैं
1. उत्तर देने की स्वतंत्रता - हमें बच्चों को उत्तर देने के लिये पर्याप्त स्वतंत्रता प्रदान करनी चाहिए। उन्हें समस्या के समाधान के लिये अधिक से अधिक विचारों का चिंतन करने के लिये उत्साहित करना चाहिए।
2. अहं अभिव्यक्ति के लिये अवसर - बच्चे तभी सृजनात्मक कार्यों में निश्चित रूप से जुटते हैं जब उनमें उनका अहं निहित हो अर्थात् जब वे अनुभव करें कि उन्हीं के प्रयासों से ही अमुक सृजनात्मक कार्य सम्भव हो सका है। अतः हमें बच्चों को ऐसे अवसर प्रदान करने चाहिए।
3. मौलिकता तथा लचीलेपन को प्रोत्साहित करना - बच्चों में किसी भी रूप में विद्यमान मौलिकता को प्रोत्साहित करना चाहिए। तथ्यों का अंधाधुंध अनुसरण करना, जैसी की तैसी नकल कर देना, निष्क्रिय भाव से ज्ञान प्राप्त करना, रटना आदि सृजनात्मक अभिव्यक्ति में बाधक होते हैं। अतः उन पर यथासंभव नियंत्रण रखना चाहिए।
4. झिझक व डर को दूर करना - कई बार डर तथा हीन भावना से मिश्रित झिझक सृजनात्मक अभिव्यक्ति में बाधा डालती है। कई बार हमने लोगों को यह कहते सुना है कि मैं बोलने में झिझकता हूँ। इस प्रकार के डर या झिझक के कारणों या उनके कारणों को यथासंभव दूर करने का प्रयास करना चाहिए।
5. सृजनात्मक अभिव्यक्ति के लिये उचित अवसर एवं वातावरण प्रदान करना - बच्चों में सृजनात्मकता को बढ़ावा देने के लिये स्वस्थ एवं उचित वातावरण की व्यवस्था करना अत्यंत आवश्यक है। बच्चे की जिज्ञासा तथा सहनशीलता को किसी भी सूरत में दबना नहीं चाहिए। नियमित कक्षा कार्य को भी इस प्रकार व्यवस्थित किया जा सकता है जिससे बच्चों में सृजनात्मक चिन्तन का विकास हो।
6. बच्चों में स्वस्थ आदतों का विकास करना - श्रमशीलता, आत्मनिर्भरता, आत्मविश्वास आदि कुछ ऐसे गुण हैं जो सृजनात्मकता में सहायक होते हैं। बच्चों में इन गुणों का निर्माण करना चाहिए। इसके अतिरिक्त उन्हें अपनी सृजनात्मक अभिव्यक्ति पर हो रही आलोचना के विरुद्ध खड़े रहने " का भी प्रशिक्षण देना चाहिए।
7. समुदाय के सृजनात्मक साधनों का प्रयोग करना - बच्चों को सृजनात्मक कला केन्द्रों तथा वैज्ञानिक एवं औद्योगिक निर्माण केन्द्रों की यात्रा करानी चाहिए। इससे उन्हें सृजनात्मक कार्य करने की प्रेरणा मिलेगी। कभी-कभी कलाकारों, वैज्ञानिकों को भी बुलाकर बच्चों से उन्हें मिलवाना चाहिए। इस प्रकार बच्चों के ज्ञान - विस्तार में सहायता मिल सकती है और उनमें सृजनशीलता को बढ़ावा दिया जा सकता है।
8. अपना उदाहरण एवं आदर्श प्रस्तुत करना - यह कथन सत्य है कि "अपना उदाहरण सिद्धान्त से अच्छा होता है।" बच्चे हमेशा अनुसरण करते हैं जो अध्यापक और माता-पिता हमेशा पिटे-पिटाये रास्ते पर चलते हैं, जीवन में खतरे मोल लेकर मौलिकता नहीं दिखाते, कोई नया काम नहीं करते, वे अपने बच्चों में सृजनात्मकता का विकास नहीं कर सकते।
9. सृजनात्मक चिन्तन के अवरोधों से बचना - परम्परावादिता, शिक्षण की त्रुटिपूर्ण विधियों, असहानुभूति व्यवहार, बालकों में व्याप्त अनावश्यक चिन्ता एवं कुण्ठा, न बदल जाने वाली स्थिर व परम्परागत कार्य आदतें, पुराने विचारों, आदर्शों और वस्तुओं के प्रति दुराठाह और नवीन के प्रति भय व विरक्ति की भावना आदि अनेक कारण और परिस्थितियाँ हैं जिनमें बालकों में सृजनात्मकता के विकास व पोषण में बाधा पहुँचाती है। इससे बचने के लिये हर सम्भव प्रयत्न करना चाहिए।
10. पाठ्यक्रम का उचित आयोजन - पाठ्यक्रम अपेक्षित व्यवहार परिवर्तन लाने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अतः विद्यालय पाठ्यक्रम को इस प्रकार आयोजित किया जाना चाहिए कि वह बालकों में अधिक से अधिक सृजनात्मकता विकसित करने में सहायक सिद्ध हो सके। कुछ उपाय इस दिशा में अधिक लाभप्रद हो सकते हैं-
(a) संप्रत्ययों (Concepts) को पाठ्यक्रम का आधार बनाना।
(b) बालकों की सामान्यभूत आवश्यकताओं की जगह उनकी व्यक्तिगत आवश्यकताओं की पूर्ति।
(c) "सत्य खोजा जाता है वह स्वयं प्रकट नहीं होता है।" यह दृष्टिकोण प्रकट करना।
11. मूल्याँकन प्रणाली में सुधार - जब तक परीक्षा और मूल्यांकन के ढाँचे में अनुकूल परिवर्तन नहीं आता तब तक किसी भी शिक्षा व्यवस्था के द्वारा सृजनात्मकता का पोषण नहीं किया जा सकता। इसके लिये हमें रटन्त स्मृति' केन्द्रित व एक विध चिन्तन, घिसे-पिटे एक से उत्तर अथवा अनुक्रियाओं की माँग आदि सृजनशीलता को नष्ट करने वाली बातों के स्थान पर परीक्षा प्रणाली में उन सभी बातों का समावेश करना चाहिए जिनके द्वारा विद्यार्थियों को ऐसे अधिगम अनुभव अर्जित करने के लिये प्रोत्साहन मिले जो सृजनात्मकता का पोषण व विकास करते हों।
सृजनात्मकता को विकसित करने हेतु ब्रेनस्टार्मिंग का प्रयोग - ब्रेनस्टार्मिंग अर्थात् मस्तिष्क उद्वेलन शिक्षण अधिगम की एक खेल विधि होती है। इस विधि द्वारा छात्रों में शिक्षण अधिगम के प्रति जिज्ञासा, उत्सुकता, प्रेरणा तथा उद्दीपन को उत्पन्न किया जाता है जिससे छात्रों में सीखने के प्रति जिजीविषा और अधिक बढ़ जाती है। उनकी बोधक्षमता तथा बोधगम्यता को भी बढ़ाया जा सकता है।
ब्रेनस्टार्मिंग एक प्रकार से शिक्षण अधिगम में खेल तकनीक का प्रयोग है। इससे छात्रों की सृजनात्मकता को भी बढ़ाने में अप्रत्याशित सफलता प्राप्त की जा सकती है। जैसेकि खेल भावना से खेल-खेल में सीखना छात्रों में सृजनात्मकता के लक्षणों को विकसित करते हैं।
मानसिक उद्वेलन - ब्रेनस्टार्मिंग (Brainstorming) शिक्षण अधिगम की एक ऐसी तकनीक है जिसमें समूह को अपने विचारों को प्रदर्शित करते हैं। बिना किसी पूर्वाग्रह के छात्रों को एक समूह में बैठने के लिये कहा जाता है, उन्हें एक समस्या को विविध तकनीकी पद्धति से हल करने को कहा जाता है। इस तरह से उनके मस्तिष्क को सोचने के लिये प्रेरित किया जाता है। उदाहरण के लिये जैसे समूह के सदस्यों से कहा जाय कि भारत में बढ़ते आतंकवाद को आप कैसे रोकेंगे? फिर उन्हें जितनी शीघ्रता से हो सके अपने विचार प्रस्तुत करने होते हैं। ऐसा करने पर छात्रों में मानकों का निरीक्षण किया जाता है। अशाब्दिक तकनीक के अन्तर्गत बालक को ब्लाक (गुटकों), चित्र के टुकड़ों से विभिन्न तकनीक बनाना, चित्र पूर्ति करना, चित्र पैटर्न से निष्कर्ष निकालना, कहानी लिखना इत्यादि द्वारा सृजनात्मक विकास किया जाता है।
मानसिक उद्वेलन के द्वारा छात्रों में सृजनात्मकता विकसित करने के कुछ महत्वपूर्ण उपाय निम्नवत् हैं-
(1) मस्तिष्क उद्वेलन के अन्तर्गत किसी भी विचार की आलोचना नहीं की जाती, सभी विचारों की सराहना की जाती है।
(2) छात्रों / समूह के सदस्यों को अधिक से अधिक समाधान खोजने हेतु प्रेरित किया जाता है जो दूसरों से अलग एवं मौलिक हों।
(3) यह आवश्यक नहीं है कि छात्र नया समाधान ही प्रस्तुत करें, वह अपने साथियों द्वारा प्रस्तुत समाधान में ही कुछ संशोधन कर कुछ जोड़कर या घटाकर भी प्रस्तुत कर सकते हैं।
(4) जब तक सत्र समाप्त नहीं हो जाता तब तक किसी भी प्रकार की टिप्पणी अथवा मूल्याँकन नहीं किया जाता है तथा जो समाधान सबसे उपयुक्त हो उसे ही स्वीकृत किया जाता है।
(5) शिक्षाशास्त्रियों के द्वारा विकसित किए गये शिक्षण प्रतिमान का उपयोग भी सृजनात्मकता के विकास में सहायक होता है। जैसे ब्रूनर का कान्सेप्ट अटैनमैन्ट मॉडल (Concept of Attainment) खोज प्रतिमान से बालकों में प्रत्ययों को सीखने में सहायक होते हैं। सचमैन का पृच्छा प्रतिमान भी इसमें सहायक होता है।
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- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ बताइये एवं इसकी प्रकृति को संक्षेप में स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- मनोविज्ञान और शिक्षा के सम्बन्ध का विवेचन कीजिये और बताइये कि मनोविज्ञान ने शिक्षा सिद्धान्त और व्यवहार में किस प्रकार की क्रान्ति की है?
- प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मनोविज्ञान की भूमिका या महत्त्व बताइये।
- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये। शिक्षक प्रशिक्षण में इसकी सम्बद्धता क्या है?
- प्रश्न- वृद्धि और विकास से आपका क्या अभिप्राय है? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धि और विकास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धि और विकास को परिभाषित करें तथा वृद्धि एवं विकास के महत्वपूर्ण सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बाल विकास के प्रमुख तत्त्वों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- विकास से आपका क्या अभिप्राय है? बाल विकास की विभिन्न अवस्थाएँ कौन- कौन-सी हैं? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बाल विकास के अध्ययन के महत्त्व को समझाइये।
- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान के प्रमुख उद्देश्यों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- मनोविज्ञान एवं अधिगमकर्त्ता के सम्बन्ध की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- शैक्षिक सिद्धान्त व शैक्षिक प्रक्रिया के लिये शैक्षिक मनोविज्ञान का क्या महत्त्व है?
- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान का क्षेत्र स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान के कार्यों को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- मनोविज्ञान की विभिन्न परिभाषाओं को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- वृद्धि का अर्थ एवं प्रकृति स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अभिवृद्धि तथा विकास से क्या अभिप्राय है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विकास का क्या अर्थ है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धि तथा विकास के नियमों का शिक्षा में महत्त्व स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बालक के सम्बन्ध में विकास की अवधारणा क्या है? समझाइये |
- प्रश्न- विकास के सामान्य सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- अभिवृद्धि एवं विकास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बाल विकास की विभिन्न अवस्थाएँ कौन-कौन सी हैं? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- बाल विकास में वंशानुक्रम का क्या योगदान है?
- प्रश्न- शैशवावस्था क्या है? इसकी प्रमुख विशेषतायें बताइये। इस अवस्था में शिक्षा किस प्रकार की होनी चाहिये।
- प्रश्न- शैशवावस्था की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- शैशवावस्था में शिशु को किस प्रकार की शिक्षा दी जानी चाहिये?
- प्रश्न- बाल्यावस्था क्या है? बाल्यावस्था की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बाल्यावस्था में शिक्षा का स्वरूप कैसा होना चाहिए? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'बाल्यावस्था के विकासात्मक कार्यों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था से आप क्या समझते हैं? किशोरावस्था के विकास के सिद्धान्त की. विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था की मुख्य विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था में शिक्षा के स्वरूप की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जीन पियाजे के संज्ञानात्मक विकास के सिद्धान्तों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शैशवावस्था की प्रमुख समस्याएँ बताइए।
- प्रश्न- जीन पियाजे के विकास की अवस्थाओं के सिद्धांत को समझाइये |
- प्रश्न- कोहलर के प्रयोग की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शैक्षिक मनोविज्ञान एवं मानव विकास)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (मानव वृद्धि एवं विकास )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (व्यक्तिगत भिन्नता )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शैशवावस्था, बाल्यावस्था एवं किशोरावस्था )
- प्रश्न- सीखने की संकल्पना को समझाइए। 'सूझ' सीखने में किस प्रकार सहायता करती है?
- प्रश्न- अधिगम की प्रकृति को समझाइए।
- प्रश्न- सीखने की प्रक्रिया से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सूझ सीखने में किस प्रकार सहायता करती है?
- प्रश्न- 'प्रयत्न एवं त्रुटि' तथा 'सूझ' द्वारा सीखने में भेद कीजिए।
- प्रश्न- अधिगम से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक बताइए।
- प्रश्न- थार्नडाइक के सीखने के प्रयोग का उल्लेख कीजिए और बताइये कि इस प्रयोग द्वारा निकाले गये निष्कर्ष, शिक्षण कार्य को कहाँ तक सहायता पहुँचाते हैं?
- प्रश्न- थार्नडाइक के सीखने के सिद्धान्त के प्रयोग का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- थार्नडाइक के सीखने के सिद्धान्त का शिक्षा में उपयोग बताइये।
- प्रश्न- शिक्षण में प्रयत्न तथा भूल द्वारा सीखने के सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिये।
- प्रश्न- 'अनुबन्धन' से क्या अभिप्राय है? पावलॉव के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अनुकूलित-अनुक्रिया को नियंत्रित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- अनुकूलित-अनुक्रिया को प्रभावित करने वाले कारक कौन-से हैं?
- प्रश्न- अनुकूलित अनुक्रिया से आप क्या समझते हैं? इस सिद्धान्त का शिक्षा में प्रयोग बताइये।
- प्रश्न- अनुकूलित-अनुक्रिया सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- स्किनर का सक्रिय अनुकूलित-अनुक्रिया सिद्धान्त क्या है? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- स्किनर के सक्रिय अनुकूलित-अनुक्रिया सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पुनर्बलन का क्या अर्थ है? इसके प्रकार बताइये।
- प्रश्न- पुनर्बलन की सारणियाँ वर्गीकृत कीजिए।
- प्रश्न- सक्रिय अनुकूलित-अनुक्रिया. सिद्धान्त अथवा पुर्नबलन का शिक्षा में प्रयोग बताइये।
- प्रश्न- अधिगम के गेस्टाल्ट सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए और इस सिद्धान्त के सबल तथा दुर्बल पक्ष की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- समग्राकृति पूर्णकारवाद की विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- कोहलर के प्रयोग की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- अन्तर्दृष्टि तथा सूझ के सिद्धान्त से सीखने की क्या विशेषताएँ हैं।
- प्रश्न- पूर्णकारवाद के नियम को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अन्तर्दृष्टि को प्रभावित करने वाले कारक एवं शिक्षा में प्रयोग बताइये।'
- प्रश्न- अन्तर्दृष्टि सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- रॉबर्ट मिल्स गेग्ने का जीवन-परिचय दीजिए तथा इनके द्वारा बताये गये सिद्धान्त का सविस्तार वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गेग्ने के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गेग्ने के योगदान को संक्षेप में बताइये।
- प्रश्न- विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर अभिप्रेरणा का अर्थ स्पष्ट करते हुए अभिप्रेरणा के प्रकारों का वर्णन कीजिए।।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक कौन-से हैं? उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा का क्या महत्त्व है? अभिप्रेरणा के विभिन्न सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा के विभिन्न सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा का मूल प्रवृत्ति सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा का मूल मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा का उद्दीपन अनुक्रिया सिद्धान्त को समझाइये |
- प्रश्न- शैक्षिक दृष्टि से अभिप्रेरणा का क्या महत्त्व है?
- प्रश्न- आवश्यकता चालन एवं उद्दीपन के सम्बन्ध की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कक्षा शिक्षण में पुरस्कार या प्रोत्साहन की क्या आवश्यकता है?
- प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण क्या है? अधिगम स्थानान्तरण के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण से क्या तात्पर्य है? अधिगम स्थानान्तरण को प्रभावित करने वाले कारकों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण की दशाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अधिगमान्तरण के विभिन्न सिद्धान्तों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (अधिगम )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (अभिप्रेरणा )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (अधिगम का स्थानान्तरण )
- प्रश्न- विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर बुद्धि का अर्थ स्पष्ट करते हुये बुद्धि की प्रकृति या स्वरूप तथा उसकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- बुद्धि की प्रकृति एवं स्वरूप का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बुद्धि की विशेषताओं को समझाइये।
- प्रश्न- बुद्धि परीक्षा के विभिन्न प्रकार कौन-से हैं? वैयक्तिक व सामूहिक बुद्धि परीक्षा की तुलना कीजिये।
- प्रश्न- सामूहिक बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- शाब्दिक व अशाब्दिक तथा उपलब्धि परीक्षण को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- वाचिक अथवा अवाचिक वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण से क्या अभिप्राय है? उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- स्टैनफोर्ड बिने क्या है?
- प्रश्न- बर्ट द्वारा संशोधित बुद्धि परीक्षण को बताइये।
- प्रश्न- अवाचिक वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- वाचिक सामूहिक बुद्धि परीक्षण कौन-से हैं?
- प्रश्न- अवाचिक सामूहिक बुद्धि परीक्षणों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- बुद्धि के प्रमुख सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सृजनात्मकता से क्या तात्पर्य है? इसके स्वरूप तथा प्रकृति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सृजनात्मक की परिभाषाएँ बताइए।
- प्रश्न- सृजनात्मकता के स्वरूप बताइए।
- प्रश्न- सृजनात्मकता से आप क्या समझते हैं? अपने शिक्षण को अधिक सृजनशील बनाने हेतु आप क्या करेंगे? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सृजनात्मकता की परिभाषा दीजिए तथा सृजनात्मक छात्रों का पता लगाने की विधि स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सृजनात्मकता एवं समस्या समाधान पर टिप्पणी लिखिए।
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- प्रश्न- व्यक्तित्व क्या है? उनका निर्धारण कैसे होता है? व्यक्तित्व की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्तित्व के लक्षणों की स्पष्ट व्याख्या कीजिए।
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- प्रश्न- व्यक्तित्व के विभिन्न उपागमों या सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
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- प्रश्न- विद्यालय की परिस्थितियाँ शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य को किस प्रकार प्रभावित करती हैं?
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- प्रश्न- मानसिक स्वच्छता क्या है?
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- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (मानसिक स्वास्थ्य)