बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-1 द्वितीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के सामाजिक परिप्रेक्ष्य बी.एड. सेमेस्टर-1 द्वितीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के सामाजिक परिप्रेक्ष्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बी.एड. सेमेस्टर-1 द्वितीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के सामाजिक परिप्रेक्ष्य
प्रश्न- भारतीय समाज के आधुनिक स्वरूप की व्याख्या कीजिए।
अथवा
वर्तमान भारतीय समाज की उदीयमान प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर -
(Modern Nature of Indian Society)
आधुनिक युग में भारतीय समाज में अनेक परिवर्तन हुये हैं और निरन्तर हो रहे हैं। आज यहाँ भारतीय समाज विकास की सीढ़ियाँ चढ़ता जा रहा है वही दूसरी ओर अनेकानेक दोषों और समस्याओं से भी ग्रस्त हो रहा है। भारतीय समाज के आधुनिक स्वरूप को निम्न प्रकार समझा जा सकता है
(1) जनतान्त्रिक समाजवादी व्यवस्था (Democratic Social Order) - भारत में जनतान्त्रिक सामाजिक व्यवस्था है। इस व्यवस्था में दो तत्त्व निहित हैं- एक जनतन्त्र और दूसरा समाजवाद। जनतन्त्र के अनुसार, भारत की जनता के हाथ में शासन की सर्वोच्च सत्ता है और समाजवाद के अनुसार, व्यक्ति और समाज दोनों के उत्थान पर बल देकर वर्गहीन समाज स्थापित करने की कल्पना की गयी है। भारत में समानता (Equality), स्वतन्त्रता (Liberty), बन्धुत्व (Fraternity) के सिद्धान्त को स्वीकार किया गया है।
(2) सामाजिक न्याय (Sociol Justice) - सामाजिक न्याय के लिये भारतीय संविधान में अनेक प्रावधान किये गये हैं। संविधान में कहा गया है कि सबको समानता की दृष्टि से सभी आवश्यक सुविधायें प्रदान की जानी चाहिये और समाज के उन वर्गों को विशेष सुविधायें दी जानी चाहिये, जिनका लम्बे समय से शोषण और दमन हुआ है जिससे वे उठकर समाज के दूसरे वर्गों के बराबर आ सकें। सामाजिक न्याय का अर्थ है-समाज में सबको यथोचित सम्मान तथा उन्नति करने के अवसर उपलब्ध हों।
(3) धर्म निरपेक्षता (Secularism ) - आधुनिक भारतीय समाज की एक प्रमुख विशेषता धर्म निरपेक्षता है। यहाँ पर सभी व्यक्तियों को समान धार्मिक स्वतन्त्रता प्राप्त है। धार्मिक स्वतन्त्रता के परिणामस्वरूप प्रत्येक व्यक्ति किसी भी धर्म को स्वीकार करने और उसका प्रचार व प्रसार करने के लिये स्वतन्त्र होता है। राज्य किसी भी धार्मिक कार्य में कोई हस्तक्षेप नहीं करता। राज्य किसी भी धर्म विशेष कान संरक्षण देता है और न ही कोई सुविधा देता है।
(4) आर्थिक असमानता (Economic Unequality) - आधुनिक भारतीय समाज में आर्थिक आधार पर तीन वर्गों में सारी जनता बाँटी हुयी है- धनी वर्ग, मध्यम वर्ग और निर्धन वर्ग। धनी अधिक धनी होता जा रहा है और निर्धन अधिक निर्धन हो रहा है। समाज में गरीबी की रेखा से नीचे रहने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। मध्यम वर्ग व्यापक रूप से उभर रहा है और अपनी स्थिति से असन्तुष्ट है।
(5) बेरोजगारी (Unemployment ) - स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद सही अनुपात में लोगों को रोज़गार के अवसर उपलब्ध नहीं हो पाये हैं जिससे शिक्षित नवयुवकों में निराशा, हताशा पैदा होती है। कोई कार्य न मिलने पर वे अनुचित और अनैतिक कार्यों को करने लगते हैं जिससे उनका नैतिक पतन होता है।
(6) सन्तुलित परिवारों का विघटन (Disintegration of joint Families) – व्यक्तिवाद की फैलती हुई भावना में संयुक्त परिवारों को विघटित करके वैयक्तिक परिवार को जन्म दिया है, जिसमें माता-पिता अपनी सन्तान के साथ में रहते हैं। इन एकांकी परिवारों में भी भावात्मक सम्बन्धों का अभाव पाया जाता है।
(7) दहेज प्रथा और बाल-विवाह (Dowry System and Early Marrige) – दहेज प्रथा आधुनिक भारतीय समाज की गम्भीर समस्या है, जिसके कारण न जाने कितनी नवयुक्तियों को अपने जीवन का बलिदान करना पड़ता है। कानून बनने के बाद भी बाल विवाह की कुरीति खूब प्रचलित है। विधवाओं पर अत्याचार और अनमेल विवाह आज भी कम नहीं हुए है।
(8) निम्न जीवन स्तर (Low Standard of Living) - निर्धनता और बेरोजगारी के कारण लोगों को रहन-सहन का स्तर गिरता जा रहा है। यद्यपि लोगों के जीवन स्तर को ऊँचा करने के लिए सरकार द्वारा अनेकानेक प्रयत्न किये जा रहे हैं।
(9) जनसंख्या की वृद्धि (Increase of Population ) - आज की सबसे बड़ी समस्या बढ़ती हुयी जनसंख्या की समस्या है। इस समस्या ने भारतीय समाज के आधुनिक स्वरूप को अत्यधिक प्रभावित किया है। इस समस्या के परिणामस्वरूप खाद्य सामग्री का अभाव हो रहा है, मँहगाई बढ़ रही है, बेरोजगारी बढ़ रही है, जीवन स्तर गिर रहा है, प्रदूषण की समस्या पैदा हो रही है और सामाजिक तथा नैतिक मूल्यों में गिरावट आ रही है।
(10) स्त्रियों की दशा में परिवर्तन (Change in Women's Conditions ) - भारतीय संविधान ने सबको समान अधिकार प्रदान करके स्त्रियों को पुरुषों के बराबर बना दिया है। आज भारत की स्त्रियाँ सभी व्यवसायों में कार्य कर रही हैं।
(11) विघटनकारी शक्तियों को प्रोत्साहन (Encouragement to Fissiparous Tendencies) - आधुनिक भारतीय समाज में विघटनकारी प्रवृत्तियों का बाहुल्य होता जा रहा है। जातिवाद, सम्प्रदायवाद, भाषावाद, प्रान्तवाद आदि ने अलगाववाद को प्रोत्साहन दिया है। लोगों के चिन्तन में अन्तर आया है। वे सम्पूर्ण समाज के हित की दृष्टि से न सोचकर अपनी जाति, अपने समुदाय, अपनी भाषा, अपने क्षेत्र और अपने प्रान्त के हित की दृष्टि से सोचते हैं।
(12) सामाजिक मूल्यों में परिवर्तन (Change in Sociol Values) - आधुनिक भारतीय समाज में नवीन विचारों के कारण क्रान्तिकारी परिवर्तन हुये हैं जिसके कारण प्राचीन सामाजिक मूल्य विलुप्त हो रहे हैं और उनका स्थान नये मूल्य ले रहे हैं। इसीलिये भारतवासी आध्यात्मिकता को छोड़कर भौतिकता की ओर तेजी से दौड़ रहे हैं।
(13) नैतिक व धार्मिक मूल्यों में परिवर्तन (Change in Moral and Religious Values) - भारतीय समाज धर्म प्रधान रहा है। यहाँ व्यक्तियों का जीवन के प्रति दृष्टिकोण आध्यात्मिक रहा है। प्रेम, सत्य, अहिंसा, सहयोग, सहिष्णुता, परोपकार आदि भारतीय समाज के शाश्वत मूल्य रहे हैं। परन्तु आज सत्य के स्थान पर असत्य, अहिंसा के स्थान पर हिंसा, प्रेम के स्थान पर घृणा, सहयोग के स्थान पर असहयोग व ईर्ष्या और परोपकार के स्थान पर स्वार्थ भावना बढ़ रही है।
(14) उच्च आकांक्षायें (High Aspirations ) - वर्तमान समय में प्रत्येक भारतीय की इच्छायें और आकांक्षायें बढ़ती जा रही हैं। एक-दूसरे का अनुकरण करने की इच्छा बढ़ रही है। इन इच्छाओं और आकांक्षाओं की पूर्ति के लिये व्यक्ति अनैतिक और अवैधानिक कार्य कर रहा है। चोरी-डकैती, रिश्वत, भ्रष्टाचार आदि के बढ़ने से मनुष्य का चारित्रिक पतन हो रहा है।
इसी प्रकार वर्तमान भारतीय समाज का स्वरूप अधिक आशाजनक नहीं है। इसमें परिवर्तन लाना और सुधार करना अत्यन्त आवश्यक है। इसके लिये शिक्षा का विशेष दायित्व है। अतः ईमानदारी और निष्ठा से एक सुव्यवस्थित और उपयोगी शिक्षा योजना के निर्माण और उसके क्रियान्वयन की आवश्यकता है।
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- प्रश्न- समाजशास्त्र का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- समाजशास्त्र को जन्म देने वाली प्रवृत्तियाँ कौन-कौन-सी हैं?
- प्रश्न- शाब्दिक दृष्टि से समाजशास्त्र का अर्थ बताइये।
- प्रश्न- पारिभाषिक दृष्टि से समाजशास्त्र का अर्थ समझाइये |
- प्रश्न- समाजशास्त्र की वास्तविक प्रकृति स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय समाज के आधुनिक स्वरूप की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- बालक पर भारतीय समाज के विभिन्न प्रभावों का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- वर्तमान सामाजिक व्यवस्था को देखते हुए पाठ्यक्रम में किस प्रकार के बदलाव किये जाने चाहिये?
- प्रश्न- शिक्षा की समाजशास्त्रीय प्रवृत्ति ने शिक्षा में कौन-सी नयी विचारधाराओं को उत्पन्न किया?
- प्रश्न- शान्तिपूर्ण व सामूहिक जीवन हेतु विभिन्नता में एकता की स्थापना करने वाले घटकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शान्तिपूर्ण एवं सामूहिक रहने के लिये विभिन्नता में एकता स्थापित करने में शैक्षिक संस्थाओं की भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता का अर्थ स्पष्ट करते हुए धर्मनिरपेक्षता की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय सन्दर्भ में धर्मनिरपेक्ष राज्य की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं? भारतीय संविधान में धर्मनिरपेक्षता सम्बन्धी प्रावधानों को भी स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता को प्रोत्साहित करने वाले कारक कौन-से हैं? धर्मनिरपेक्षता के परिणामस्वरूप भारतीय समाज में होने वाले सामाजिक परिवर्तनों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता के कारण भारतीय समाज में क्या परिवर्तन हुए?
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्ष शिक्षा की विशेषताओं एवं इसके विकास में विद्यालय की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता के विकास में विद्यालय की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन से आप क्या समझते हैं? इसकी प्रक्रिया, रूप एवं प्रमुख कारकों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के रूप बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के प्रमुख कारक कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन और शिक्षा के पारस्परिक सम्बन्धों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास का क्या अर्थ है? आर्थिक विकास के साधन के रूप में शिक्षा के योगदान को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- संस्कृति से आप क्या समझते हैं? संस्कृति की आवश्यकता एवं महत्त्व पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तनों तथा शिक्षा के पारस्परिक सम्बन्धों को समझाइए।
- प्रश्न- "शिक्षा एक सामाजिक एवं गत्यात्मक प्रक्रिया है। " इस कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा का समाजशास्त्रीय सम्प्रत्यय स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा प्रक्रिया की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सांस्कृतिक परिवर्तन से क्या तात्पर्य है? सांस्कृतिक परिवर्तन लाने में शिक्षा की भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- समाजशास्त्र और शिक्षाशास्त्र में सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
- प्रश्न- समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- समाजशास्त्र और शिक्षाशास्त्र में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्ति और समाज के मध्य सम्बन्धों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- वर्तमान समाज में परिवार का स्वरूप बदल गया है। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय सामाजिक व्यवस्था में असमानताओं को दूर करने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए।
- प्रश्न- सामाजीकरण में परिवार का क्या महत्त्व है?
- प्रश्न- सामाजिक व्यवस्था की मुख्य विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में बाधा उत्पन्न करने वाले प्रमुख कारक कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में शिक्षा की भूमिका पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- भारतीय सांस्कृतिक धरोहर की प्रमुख विशेषताओं का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विरासत से आप क्या समझते हैं? यह शिक्षा से किस प्रकार सम्बन्धित है?
- प्रश्न- सांस्कृतिक विकास की कुछ समस्याएँ बताइये।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- भारत में सामाजिक परिवर्तन के आर्थिक कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सामाजिक परिवर्तन के सांस्कृतिक कारक का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा सांस्कृतिक परिवर्तन कैसे लाती है?
- प्रश्न- शिक्षा के सामाजिक आधार से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (समाजशास्त्र और शिक्षा का सम्बन्ध)
- प्रश्न- संविधान की परिभाषा दीजिये। संविधान की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- भारतीय संविधान की अवधारणा बताइए। भारतीय संविधान के अन्तर्गत मौलिक अधिकारों एवं कर्त्तव्यों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- मौलिक अधिकारों का महत्व तथा अर्थ बताइये। मौलिक अधिकार व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- भारतीय नागरिकों को प्राप्त मूल अधिकारों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान के अन्तर्गत वर्णित शिक्षा से सम्बन्धित विभिन्न धाराओं का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- भारतीय संविधान में शिक्षा से सम्बन्धित विभिन्न प्रावधान क्या-क्या हैं?
- प्रश्न- राज्य के नीति निदेशक तत्त्वों से आप क्या समझते हैं? भारतीय संविधान में लिखित नीति-निदेशक तत्त्वों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- समानता, बन्धुता, न्याय व स्वतंत्रता की संवैधानिक वादे के संदर्भ में शिक्षा के लक्ष्यों से सम्बन्धित संवैधानिक मूल्यों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- संविधान सभा के प्रमुख सदस्यों की कार्यप्रणाली के विषय में बताइए तथा संविधान निर्माण की विभिन्न समितियाँ कौन-सी थीं?
- प्रश्न- प्रस्तावना से क्या आशय है? भारतीय संविधान की प्रस्तावना तथा इसके महत्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों के उल्लेख की आवश्यकता पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मौलिक कर्त्तव्य कौन-कौन से हैं? इनके महत्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नागरिकों के मूल कर्त्तव्यों की प्रकृति तथा उनके महत्व का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- राज्य के नीति निदेशक तत्वों की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान में अनुच्छेद 45 का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रजातन्त्र का अर्थ स्पष्ट करते हुए प्रजातन्त्र के गुण-दोषों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- प्रजातन्त्र के प्रमुख गुण व दोषों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- लोकतंत्र का क्या अर्थ है? भारतीय लोकतंत्र के सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय लोकतन्त्र के मूल सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- लोकतंत्रीय समाज में शिक्षा के क्या उद्देश्य होने चाहिए? उनमें से किसी एक की सविस्तार विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- "आधुनिक शिक्षा में लोकतांत्रिक प्रवृष्टि दृष्टिगोचर होती है।' स्पष्ट कीजिए तथा लोकतांत्रिक समाज में विद्यालयों की भूमिका पर भी प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जनतंत्र केवल प्रशासन की एक विधि ही नहीं है वरन् यह एक सामाजिक प्रणाली भी है। व्याख्या कीजिए |
- प्रश्न- भारत जैसे लोकतन्त्रीय राष्ट्र में शिक्षा के उद्देश्य किस प्रकार के होने चाहिए?
- प्रश्न- शिक्षा का लोकतन्त्रीकरण क्या है? स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- जनतंत्र की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए। जनतंत्र पर शिक्षा के प्रभाव की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा में जनतन्त्र से आप क्या समझते हैं? सोदाहरण पूर्णतः स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय में प्रजातन्त्र से आप क्या समझते हैं? विद्यालय में प्रजातान्त्रिक वातावरण बनाए रखने के लिए आप क्या प्रयास करेंगे?
- प्रश्न- लोकतंत्र और शिक्षा के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लोकतंत्र और अनुशासन में सम्बन्ध बताइए।
- प्रश्न- लोकतंत्र और शिक्षक एवं शिक्षार्थी में सम्बन्ध बताइए।
- प्रश्न- लोकतंत्र में विद्यालयों की क्या भूमिका होती है?
- प्रश्न- लोकतंत्र में शिक्षा का अन्य पहलू क्या है?
- प्रश्न- लोकतंत्र के लिए शिक्षा की क्या आवश्यकता है?
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (भारत का संविधान )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शिक्षा एवं प्रजातंत्र )
- प्रश्न- शैक्षिक अवसरों की समानता से आप क्या समझते हैं? समानता के क्षेत्र एवं भारत में यह कहाँ तक उपलब्ध है?
- प्रश्न- अनुसूचित जातियों से सम्बन्धित विभिन्न समस्याओं को बताइये तथा इनके समाधान के उपायों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अनुसूचित जाति की समस्याओं के समाधान के उपाय बताइये।
- प्रश्न- अल्पसंख्यक की अवधारणा बताइये। अल्पसंख्यकों की शिक्षा के लिये किये गये प्रयासों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- ईसाई धर्म ने हमारी शिक्षा व्यवस्था को किस प्रकार प्रभावित किया है? उचित उदाहरणों की सहायता से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा में सार्वभौमीकरण से क्या तात्पर्य है? शिक्षा में सार्वभौमीकरण की कितनी अवस्थायें एवं वर्तमान में इनकी आवश्यकता एवं महत्व के कारण बताइये।
- प्रश्न- शिक्षा की सार्वभौमीकरण की प्रमुख समस्याओं पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- सार्वभौम एवं समावेशी शिक्षा में शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को रोचक एवं प्रभावपूर्ण बनाने में शिक्षक की भूमिका की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- भारत में अधिगम संदर्भ में व्याप्त विविधताओं का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- भाषायी विविधता के संदर्भ में अध्यापक से क्या अपेक्षाएँ होती हैं?
- प्रश्न- 'जातीय व सामाजिक विविधता तथा अध्यापक' पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय अवबोध से आप क्या समझते हैं? आज के युग में अन्तर्राष्ट्रीय अवबोध के विकास हेतु शिक्षा का कार्य और शिक्षा की योजना कीजिए?
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय अवबोध के लिए शिक्षा का सिद्धान्त आवश्यक है समझाइये |
- प्रश्न- पाठ्यक्रम और शिक्षा विधि की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- अध्यापक का योगदान व स्कूल का वातावरण के बारे में लिखिए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना विकसित करने के पक्ष में तर्क दीजिए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय भावना के प्रसार में यूनेस्को की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- यूनेस्को के उद्देश्य व कार्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वैश्वीकरण से आप क्या समझते हैं? वैश्वीकरण के गुण एवं दोष बताइये।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय समझ की बाधाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में शैक्षिक अवसरों की असमानता के प्रमुख कारण स्क्रेच स्रोत क्या हैं? इन्हें दूर करने हेतु व्यावसायिक सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- शारीरिक चुनौतीपूर्ण बच्चों को विद्यालय पर समान शैक्षिक अवसर कैसे उपलब्ध कराए जा सकते हैं?
- प्रश्न- कोठारी आयोग के द्वारा प्रवेश शिक्षा के अवसर व समानता व इससे सम्बन्धित सुझाव बताइए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986 में शिक्षा की असमानता को दूर करने के लिए क्या कदम उठाए गए?
- प्रश्न- शैक्षिक अवसरों की समानता से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- राष्ट्रीय आयोग के शैक्षिक अवसरों की समानता सम्बन्धी सुझावों को बताइए।
- प्रश्न- स्त्री शिक्षा के उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- भारत में शैक्षिक अवसरों की असमानता के विभिन्न स्वरूपों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- संविधान में अल्पसंख्यकों की सुविधाओं के लिये क्या प्रावधान किये गये हैं?
- प्रश्न- शिक्षा आयोग (1964-66) द्वारा शैक्षिक अवसरों की समानता के लिये दिये गये सुझाव क्या हैं?
- प्रश्न- शैक्षिक अवसरों की समानता में शिक्षक की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- शिक्षा के सार्वभौमीकरण में बाधक 'शैक्षिक असमानता' को दूर करने के उपाय बताइये।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना से क्या तात्पर्य है? इसकी आवश्यकता क्यों अनुभव की गई?
- प्रश्न- शिक्षा किस प्रकार से अन्तर्राष्ट्रीय सदभावना का विकास कर सकती है?
- प्रश्न- विद्यालय को समाज से जोड़ने में शिक्षक की भूमिका पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- लोकतान्त्रिक अन्तःक्रिया के माध्यम से राष्ट्रीय एकीकरण में शिक्षक की क्या भूमिका हो सकती है?
- प्रश्न- आदर्श भारतीय समाज के निर्माण में शिक्षक की भूमिका।
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शैक्षिक अवसरों की समानता )
- प्रश्न- सर्व शिक्षा के बारे में बताइये एवं इसके लक्ष्यों, क्रियान्वयन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय साक्षरता मिशन क्या है? विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सम्पूर्ण साक्षरता अभियान का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्त्री साक्षरता कार्यक्रम पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मध्याह्न भोजन योजना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय योजना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कॉमन स्कूल पद्धति का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- सर्व शिक्षा अभियान के उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के प्रमुख प्रावधान क्या हैं?
- प्रश्न- समावेशी शिक्षा में शिक्षक की भूमिका स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- आश्रम पद्धति विद्यालय के बारे में बताइये।
- प्रश्न- आश्रम पद्धति विद्यालय की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मिड डे मील स्कीम के गुण एवं दोष की गणना कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शैक्षिक कार्यक्रम )