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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रथम प्रश्नपत्र - शिक्षा के दार्शनिक परिप्रेक्ष्य

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :232
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2697
आईएसबीएन :0

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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रथम प्रश्नपत्र - शिक्षा के दार्शनिक परिप्रेक्ष्य

प्रश्न- निम्नलिखित को परिभाषित कीजिए तथा शिक्षा के लिए इनके निहितार्थ स्पष्ट कीजिए (i) तत्व - मीमांसा, (ii) ज्ञान-मीमांसा, (iii) मूल्य-मीमांसा।

अथवा
शिक्षा दर्शन के क्षेत्र को स्पष्ट कीजिए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. तत्व मीमांसा को संक्षेप में समझाइए तथा शिक्षा के सन्दर्भ में इसका निहितार्थ स्पष्ट कीजिए।
2. ज्ञान-मीमांसा का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। ज्ञान-मीमांसा तथा तत्व-मीमांसा में सम्बन्ध बताइए तथा शिक्षा के लिए ज्ञान-मीमांसा की आवश्यकता स्पष्ट कीजिए।
3. शिक्षा के लिए मूल्य-मीमांसा की आवश्यकता स्पष्ट कीजिए।

उत्तर -

शिक्षा के परिप्रेक्ष्य में दर्शन के निम्न तीन बड़े भाग किये जाते हैं-

(i) तत्त्व मीमांसा
( Metaphysics)

इसके अन्तर्गत निम्न पाँच विभाग आते हैं-

(1) ईश्वर सम्बन्धी तत्त्वज्ञान- इसमें ईश्वर के अस्तित्त्व, उसके स्वरूप, उसकी एकरूपता अथवा अनेकरूपता, इन सबके प्रमाण आदि से सम्बन्धित समस्याओं पर विचार किया जाता है।

(2) आत्म सम्बन्धी तत्त्वज्ञान- इस विभाग के अन्तर्गत जीव के अस्तित्त्व आत्मा के अस्तित्त्व की स्वतन्त्रता पर परतंन्त्रता, शरीर से उनके पारस्परिक सम्बन्ध आदि से सम्बन्धित समस्याओं पर विचार किया जाता है।

(3) ब्रह्माण्ड विज्ञान - इसमें ब्रह्माण्ड के स्वरूप, उसके अक्षर और नश्वर तत्त्वों, उसके सादि और सांत तत्त्वों, इन विभिन्न तत्त्वों के आपसी सम्बन्धों से सम्बन्धित समस्याओं पर विचार किया जाता है।

(4) सृष्टि - विज्ञान - इसमें ब्रह्माण्ड के विकास से सम्बन्धित विभिन्न समस्याओं पर विचार किया जाता है, जैसे ब्रह्माण्ड एक है अथवा अनेक ? इसकी रचना भौतिक तत्त्वों के संयोग से हुई है अथवा आध्यात्मिक के संयोग से, आदि।

(5) सृष्टि - शास्त्र - इस विभाग में सृष्टि की उत्पत्ति अथवा रचना से सम्बन्धित समस्याओं, जैसे सृष्टि की उत्पत्ति हुई है तो किस प्रकार हुई है ? यदि उत्पत्ति न होकर रचना हुई है तो वह किस प्रकार हुई है ? आदि पर विचार किया जाता है।

शिक्षा के लिये तत्व-मीमांसा का निहितार्थ - वस्तुतः तत्त्व-मीमांसा की जीव-जगत् सम्बन्धी अवधारणा छात्र की संकल्पना, छात्र शिक्षक सम्बन्ध, पाठ्यक्रम तथा शैक्षिक मूल्यों को प्रभावित करती है। उदाहरणार्थ, भौतिकवादी दर्शन में आस्था रखने वाला शिक्षक बालक को एक भौतिक पदार्थ के रूप में ही देखेगा तथा उसकी शिक्षण विधि भी उद्दीपन-अनुक्रिया के सिद्धान्त पर आधारित होगी। ऐसी स्थिति में जीवन के मूल्य भी भोगवादी तथा ठोस जगत में सुखपूर्वक रह सकने से सम्बद्ध होंगे। लेकिन, इसके विपरीत, यदि जगत् तत्त्वों से बना हुआ स्वीकार किया जायेगा तो छात्र तथा शिक्षा सम्बन्धी अवधारणायें उसी के अनुरूप बदल जायेंगी।

(ii) ज्ञान-मीमांसा
(Epistemology)

ज्ञान मीमांसा को ही पुराने समय में दर्शन विभाग कहा जाता था और तत्कालीन दर्शनशास्त्रियों ने इसे ही दर्शनशास्त्र की प्रमुख विषय-वस्तु के रूप में स्वीकार किया था। इस विभाग में मानव - वृद्धि एवं उसकी ज्ञान प्राप्त करने की क्षमता से सम्बन्धित समस्याओं पर विचार किया जाता है जैसे दृष्टि के ज्ञान प्राप्त करने की सीमा, उसके साधन, प्रमाण- ज्ञान के स्वरूप, सत्य और असत्य के स्वरूप, यथार्थ और भ्रम के स्वरूप तथा मानव - बुद्धि के यथार्थ ज्ञान प्राप्त कर सकने की सम्भावनाएँ आदि।

ज्ञान मीमांसा तथा तत्व-मीमांसा में सम्बन्ध ज्ञान, मीमांसा व तत्त्व मीमांसा में आपस में सम्बन्ध होते हैं उदाहरणार्थ, जगत् के सम्बन्ध में यदि हमारा दृष्टिकोण भौतिकवादी है तो ज्ञान प्राप्ति के साधन प्रत्यक्ष इन्द्रिय-ज्ञान से सम्बद्ध होंगे। ज्ञान-प्राप्ति की विधि वैज्ञानिक मानी जाएगी और प्रत्यक्ष ज्ञान ही केवल वैध माना जायेगा, जबकि जगत् को यदि आत्मिक माना जाता है तो ज्ञान प्राप्ति की विधि तर्क तथा सहज ज्ञान से सम्बद्ध होगी।

शिक्षा के लिए ज्ञान मीमांसा की आवश्यकता विद्यालय का पाठ्यक्रम निर्धारित करते समय ज्ञान-मीमांसा हमें प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से प्रभावित करती है। विषयों के चयन, पाठ्य-वस्तु के सकंलन तथा पाठ्य-पुस्तकों के निर्माण में यह हमें स्पष्ट रूप से प्रभावित करती है। ज्ञान-मीमांसा हमारी शिक्षण विधियों को भी प्रभावित करती है। हमारी शिक्षा-व्यवस्था में वैज्ञानिक विधि का कम प्रयोग, अनुकरण तथा असत वाक्य की महत्ता, सहज ज्ञान पर अधिक निर्भर रहना आदि हमारी दार्शनिक धारणाओं को स्पष्ट रूप से परिलक्षित करते हैं।

(iii) मूल्य-मीमांसा
(Axiology)

मूल्य-मीमांसा का सम्बन्ध मानव जीवन के विभिन्न मूल्यों, उद्देश्यों और आदर्शों से होता है। इसके अन्तर्गत निम्न तीन विभाग होते हैं-

(1) तर्कशास्त्र - मूल्य-मीमांसा के अन्तर्गत तर्कशास्त्र का महत्त्वपूर्ण स्थान है क्योंकि तर्क के द्वारा ही यथार्थ के स्वरूप का निर्धारण किया जाता है। यह शास्त्र ही अपनी आगमन एवं निगमन विधियों के द्वारा तर्क की वैज्ञानिक विधि का बोध कराता है। इस विभाग के अन्तर्गत तर्कपूर्ण चिन्तन, कल्पना अथवा अनुमान, उसके लक्षण, तर्क की पद्धति आदि के सम्बन्ध में विचार किया जाता है।

(2) नीतिशास्त्र - इस विभाग के अन्तर्गत मनुष्य के आचरण से सम्बन्धित विभिन्न समस्याओं पर विचार करके विश्लेषण किया जाता है कि मनुष्य को कैसा आचरण करना चाहिए और कैसा नहीं करना चाहिए।

(3) सौन्दर्य शास्त्र - इस विभाग में सौन्दर्य सम्बन्धी विभिन्न समस्याओं पर विचार किया जाता है, जैसे - सौन्दर्य अथवा असौन्दर्य क्या है ? उसके लक्षण क्या हैं तथा उनके मापदण्ड क्या हो सकते हैं ?

शिक्षा के लिये मूल्य-मीमांसा की आवश्यकता
(Educational Implications of Axiology)

शिक्षा की दृष्टि से दर्शनशास्त्र की इस शाखा का अत्यधिक महत्त्व है। नैतिक जीवन नीतिशास्त्र के क्षेत्र में आता है तथा सद्जीवन सौन्दर्य शास्त्र एवं नीतिशास्त्र दोनों के अन्तर्गत आता है। इसके अतिरिक्त मूल्य-मीमांसा हमारी अनुशासन सम्बन्धी धारणाओं को प्रभावित करती है। मूल्य-मीमांसा के ही अन्तर्गत करने योग्य कर्म तथा न करने योग्य कर्म की व्याख्या की जाती है एवं मानव-व्यवहार के औचित्य - अनौचित्य का विचार किया जाता है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- शिक्षा की अवधारणा बताइये तथा इसकी परिभाषाएँ देते हुए इसकी विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  2. प्रश्न- शिक्षा का शाब्दिक अर्थ स्पष्ट करते हुए इसके संकुचित, व्यापक एवं वास्तविक अर्थ को स्पष्ट कीजिए।
  3. प्रश्न- शिक्षा के विभिन्न प्रकारों को समझाइए। शिक्षा तथा साक्षरता व अनुदेशन में क्या मूलभूत अन्तर है ?
  4. प्रश्न- भारतीय शिक्षा में आज संकटावस्था की क्या प्रकृति है ? इसके कारणों व स्रोतों का समुचित विश्लेषण प्रस्तुत कीजिए।
  5. प्रश्न- शिक्षा के उद्देश्य को निर्धारित करना शिक्षक के लिए आवश्यक है, क्यों ?
  6. प्रश्न- शिक्षा के वैयक्तिक एवं सामाजिक उद्देश्यों की विवेचना कीजिए तथा इन दोनों उद्देश्यों में समन्वय को समझाइए।
  7. प्रश्न- "शिक्षा एक त्रिमुखी प्रक्रिया है।' जॉन डीवी के इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं ?
  8. प्रश्न- शिक्षा के विषय-विस्तार को संक्षेप में लिखिए।
  9. प्रश्न- शिक्षा एक द्विमुखी प्रक्रिया है। स्पष्ट कीजिए।
  10. प्रश्न- शिक्षा के साधनों से आप क्या समझते हैं ? शिक्षा के विभिन्न साधनों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  11. प्रश्न- ब्राउन ने शिक्षा के अभिकरणों को कितने भागों में बाँटा है ? प्रत्येक का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- शिक्षा के एक साधन के रूप में परिवार का क्या महत्व है ? बालक की शिक्षा को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए घर व विद्यालय को निकट लाने के उपाय बताइए।
  13. प्रश्न- "घर और पाठशाला में सामंजस्य न स्थापित करना बालक के साथ अनहोनी करना है।' रॉस के इस कथन की पुष्टि कीजिए।
  14. प्रश्न- जनसंचार का क्या अर्थ है ? जनसंचार की परिभाषा देते हुए इसकी महत्ता का विश्लेषण कीजिए।
  15. प्रश्न- दूरसंचार के विषय में आप क्या जानते हैं ? इस सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी दीजिए।
  16. प्रश्न- दूरसंचार के प्रमुख साधनों का वर्णन कीजिए।
  17. प्रश्न- बालक की शिक्षा के विकास में संचार के साधन किस प्रकार सहायक हैं ? उदाहरणों सहित स्पष्ट कीजिए।
  18. प्रश्न- इन्टरनेट की विशेषताओं का समीक्षात्मक विश्लेषण कीजिए।
  19. प्रश्न- कम्प्यूटर किसे कहते हैं ? कम्प्यूटर के विकास का समीक्षात्मक इतिहास लिखिए।
  20. प्रश्न- सम्प्रेषण का शिक्षा में क्या महत्व है ? सम्प्रेषण की विशेषताएं लिखिए।
  21. प्रश्न- औपचारिक, निरौपचारिक और अनौपचारिक अभिकरणों के सापेक्षिक सम्बन्धों की व्याख्या कीजिए।
  22. प्रश्न- शिक्षा के अनौपचारिक साधनों में जनसंचार के साधनों का क्या योगदान है ?
  23. प्रश्न- अनौपचारिक और औपचारिक शिक्षा में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  24. प्रश्न- "घर, शिक्षा का सर्वोत्तम स्थान और बालक का प्रथम विद्यालय है।' समझाइए
  25. प्रश्न- जनसंचार प्रक्रिया के प्रमुख तत्वों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- जनसंचार माध्यमों की उपयोगिता पर टिप्पणी लिखिए।
  27. प्रश्न- इंटरनेट के विकास की सम्भावनाओं का उल्लेख कीजिए।
  28. प्रश्न- भारत में कम्प्यूटर के उपयोग की महत्ता का उल्लेख कीजिए।
  29. प्रश्न- हिन्दी में संदेश देने वाले सामाजिक माध्यमों में 'फेसबुक' के महत्व बताइए तथा इसके खतरों के विषय में भी विश्लेषण कीजिए।
  30. प्रश्न- 'व्हाट्सअप' किस प्रकार की सेवा है ? सामाजिक माध्यमों में संदेश देने हेतु यह किस प्रकार कार्य करता है ?
  31. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शिक्षा: अर्थ, अवधारणा, प्रकृति और शिक्षा के उद्देश्य)
  32. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शिक्षा के अभिकरण )
  33. प्रश्न- "दर्शन जिसका कार्य सूक्ष्म तथा दूरस्थ से रहता है, शिक्षा से कोई सम्बन्ध नहीं रख सकता जिसका कार्य व्यावहारिक और तात्कालिक होता है।" स्पष्ट कीजिए
  34. प्रश्न- निम्नलिखित को परिभाषित कीजिए तथा शिक्षा के लिए इनके निहितार्थ स्पष्ट कीजिए (i) तत्व - मीमांसा, (ii) ज्ञान-मीमांसा, (iii) मूल्य-मीमांसा।
  35. प्रश्न- "पदार्थों के सनातन स्वरूप का ज्ञान प्राप्त करना ही दर्शन है।' व्याख्या कीजिए।
  36. प्रश्न- आधुनिक पाश्चात्य दर्शन के लक्षण बताइए। आप आधुनिक पाश्चात्य दर्शन का जनक किसे मानते हैं ?
  37. प्रश्न- शिक्षा का दर्शन पर प्रभाव बताइये।
  38. प्रश्न- एक अध्यापक के लिए शिक्षा दर्शन की क्या उपयोगिता है ? समझाइये।
  39. प्रश्न- अनुशासन को दर्शन कैसे प्रभावित करता है ?
  40. प्रश्न- शिक्षा दर्शन से आप क्या समझते हैं ? परिभाषित कीजिए।
  41. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (दर्शन तथा शैक्षिक दर्शन के कार्य )
  42. प्रश्न- वेदान्त दर्शन क्या है ? वेदान्त दर्शन के सिद्धान्त बताइए।
  43. प्रश्न- वेदान्त दर्शन व शिक्षा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। वेदान्त दर्शन में प्रतिपादित शिक्षा के उद्देश्य, पाठ्यचर्या व शिक्षण विधियों की व्याख्या कीजिए।
  44. प्रश्न- वेदान्त दर्शन के शिक्षा में योगदान का मूल्यांकन कीजिए।
  45. प्रश्न- वेदान्त दर्शन की तत्व मीमांसा ज्ञान मीमांसा एवं मूल्य मीमांसा तथा उनके शैक्षिक अभिप्रेतार्थ की व्याख्या कीजिये।
  46. प्रश्न- वेदान्त दर्शन के अनुसार शिक्षार्थी की अवधारणा बताइए।
  47. प्रश्न- वेदान्त दर्शन व अनुशासन पर टिप्पणी लिखिए।
  48. प्रश्न- अद्वैत शिक्षा के मूल सिद्धान्त बताइए।
  49. प्रश्न- अद्वैत वेदान्त दर्शन में दी गयी ब्रह्म की अवधारणा व उसके रूप पर टिप्पणी लिखिए।
  50. प्रश्न- अद्वैत वेदान्त दर्शन के अनुसार आत्म-तत्व से क्या तात्पर्य है ?
  51. प्रश्न- जैन दर्शन से क्या तात्पर्य है ? जैन दर्शन के मूल सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- जैन दर्शन के अनुसार 'द्रव्य' संप्रत्यय की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  53. प्रश्न- जैन दर्शन द्वारा प्रतिपादितं शिक्षा के उद्देश्यों, पाठ्यक्रम और शिक्षण विधियों का उल्लेख कीजिए।
  54. प्रश्न- जैन दर्शन का मूल्यांकन कीजिए।
  55. प्रश्न- मूल्य निर्माण में जैन दर्शन का क्या योगदान है ?
  56. प्रश्न- अनेकान्तवाद (स्यादवाद) को समझाइए।
  57. प्रश्न- जैन दर्शन और छात्र पर टिप्पणी लिखिए।
  58. प्रश्न- बौद्ध दर्शन में प्रतिपादित शिक्षा के उद्देश्यों, पाठ्यक्रम तथा शिक्षण विधियों की व्याख्या कीजिए।
  59. प्रश्न- बौद्ध दर्शन के प्रमुख सिद्धान्त क्या-क्या हैं ?
  60. प्रश्न- बौद्ध दर्शन में शिक्षक संकल्पना पर टिप्पणी लिखिए।
  61. प्रश्न- बौद्ध दर्शन में छात्र-शिक्षक के सम्बन्ध पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
  62. प्रश्न- बौद्ध दर्शन में छात्र/ शिक्षार्थी की संकल्पना पर प्रकाश डालिए।
  63. प्रश्न- बौद्धकालीन शिक्षा की वर्तमान शिक्षा पद्धति में उपादेयता बताइए।
  64. प्रश्न- बौद्ध शिक्षा की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  65. प्रश्न- आदर्शवाद से आप क्या समझते हैं ? आदर्शवाद के मूलभूत सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
  66. प्रश्न- आदर्शवाद और शिक्षा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। आदर्शवाद के शिक्षा के उद्देश्यों, पाठ्यचर्या और शिक्षण विधियों का उल्लेख कीजिए।
  67. प्रश्न- शिक्षा दर्शन के रूप में आदर्शवाद का मूल्याँकन कीजिए।
  68. प्रश्न- "भारतीय आदर्शवादी दर्शन अद्वितीय है।" उक्त कथन पर प्रकाश डालते हुए भारतीय आदर्शवादी दर्शन की प्रकृति की विवेचना कीजिए तथा इसका पाश्चात्य आदर्शवाद से अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  69. प्रश्न- आदर्शवाद में शिक्षक का क्या स्थान है ?
  70. प्रश्न- आदर्शवाद में शिक्षार्थी का क्या स्थान है ?
  71. प्रश्न- आदर्शवाद में विद्यालय की परिकल्पना कीजिए।
  72. प्रश्न- आदर्शवाद में अनुशासन को समझाइए।
  73. प्रश्न- वर्तमान शिक्षा पर आदर्शवादी दर्शन का प्रभाव बताइये।
  74. प्रश्न- आदर्शवाद के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन कीजिए।
  75. प्रश्न- प्रकृतिवाद का अर्थ एवं परिभाषा दीजिए। प्रकृतिवाद के रूपों एवं सिद्धान्तों को संक्षेप में बताइए।
  76. प्रश्न- प्रकृतिवाद और शिक्षा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। प्रकृतिवादी शिक्षा की विशेषताएँ तथा उद्देश्य बताइए।
  77. प्रश्न- प्रकृतिवाद के शिक्षा पाठ्यक्रम और शिक्षण विधि की विवेचना कीजिए।
  78. प्रश्न- "प्रकृतिवाद आधुनिक युग में शिक्षा के क्षेत्र में बाजी हार चुका है।' इस कथन की विवेचना कीजिए।
  79. प्रश्न- आदर्शवादी अनुशासन एवं प्रकृतिवादी अनुशासन की क्या संकल्पना है ? आप किसे उचित समझते हैं और क्यों ?
  80. प्रश्न- प्रकृतिवादी और आदर्शवादी शिक्षा व्यवस्था में क्या अन्तर है ?
  81. प्रश्न- प्रकृतिवाद तथा शिक्षक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  82. प्रश्न- प्रकृतिवाद की तत्व मीमांसा क्या है ?
  83. प्रश्न- प्रकृतिवाद की ज्ञान मीमांसा क्या है ?
  84. प्रश्न- प्रकृतिवाद में शिक्षक एवं छात्र सम्बन्ध स्पष्ट कीजिये।
  85. प्रश्न- आदर्शवाद और प्रकृतिवाद में अनुशासन की संकल्पना किस प्रकार एक-दूसरे से भिन्न है ? सोदाहरण समझाइए।
  86. प्रश्न- प्रकृतिवादी शिक्षण विधियों पर प्रकाश डालिये।
  87. प्रश्न- प्रकृतिवादी अनुशासन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  88. प्रश्न- शिक्षा की प्रयोजनवादी विचारधारा के प्रमुख तत्वों की विवेचना कीजिए। शिक्षा के उद्देश्यों, शिक्षण विधियों, पाठ्यक्रम, शिक्षक तथा अनुशासन के सम्बन्ध में इनके विचारों को प्रस्तुत कीजिए।
  89. प्रश्न- प्रयोजनवादियों तथा प्रकृतिवादियों द्वारा प्रतिपादित शिक्षण विधियों, शिक्षक तथा अनुशासन की तुलना कीजिए।
  90. प्रश्न- प्रयोजनवाद का मूल्यांकन कीजिए।
  91. प्रश्न- प्रयोजनवाद तथा आदर्शवाद में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  92. प्रश्न- यथार्थवाद का अर्थ एवं परिभाषा बताते हुए इसके मूल सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
  93. प्रश्न- शिक्षा में यथार्थवाद की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए तथा संक्षेप में यथार्थवाद के रूपों को बताइए।
  94. प्रश्न- यथार्थवाद क्या है ? इसकी प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
  95. प्रश्न- यथार्थवाद द्वारा प्रतिपादित शिक्षा के उद्देश्यों तथा शिक्षण पद्धति की विवेचना कीजिए।
  96. प्रश्न- यथार्थवाद क्या है ? उसने शिक्षा की धाराओं को किस प्रकार प्रभावित किया है ? भारतीय शिक्षा पर इसके प्रभाव का मूल्यांकन कीजिए।
  97. प्रश्न- नव यथार्थवाद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  98. प्रश्न- वैज्ञानिक यथार्थवाद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  99. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (भारतीय दर्शन एवं इसका योगदान : वेदान्त दर्शन)
  100. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (भारतीय दर्शन एवं इसका योगदान : जैन दर्शन )
  101. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। ( भारतीय दर्शन एवं इसका योगदान : बौद्ध दर्शन )
  102. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (दर्शन की विचारधारा - आदर्शवाद)
  103. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। ( प्रकृतिवाद )
  104. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (प्रयोजनवाद )
  105. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (यथार्थवाद)
  106. प्रश्न- शिक्षा के अर्थ, उद्देश्य तथा शिक्षण-विधि सम्बन्धी विचारों पर प्रकाश डालते हुए गाँधी जी के शिक्षा दर्शन का मूल्यांकन कीजिए।
  107. प्रश्न- गाँधी जी के शिक्षा दर्शन तथा शिक्षा की अवधारणा के विचारों को स्पष्ट कीजिए। उनके शैक्षिक सिद्धान्त वर्तमान भारत की प्रमुख समस्याओं का समाधान कहाँ तक कर सकते हैं ?
  108. प्रश्न- बुनियादी शिक्षा क्या है ?
  109. प्रश्न- बुनियादी शिक्षा का वर्तमान सन्दर्भ में महत्व बताइए।
  110. प्रश्न- "बुनियादी शिक्षा महात्मा गाँधी की महानतम् देन है"। समीक्षा कीजिए।
  111. प्रश्न- गाँधी जी की शिक्षा की परिभाषा की विवेचना कीजिए।
  112. प्रश्न- टैगोर के शिक्षा दर्शन का मूल्यांकन कीजिए तथा शिक्षा के उद्देश्य, शिक्षण पद्धति, पाठ्यक्रम एवं शिक्षक के स्थान के सम्बन्ध में उनके विचारों को स्पष्ट कीजिए।
  113. प्रश्न- टैगोर का शिक्षा में योगदान बताइए।
  114. प्रश्न- विश्व भारती का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  115. प्रश्न- शान्ति निकेतन की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं ? आप कैसे कह सकते हैं कि यह शिक्षा में एक प्रयोग है ?
  116. प्रश्न- टैगोर का मानवतावादी प्रकृतिवाद पर टिप्पणी लिखिए।
  117. प्रश्न- शिक्षक प्रशिक्षक के रूप में गिज्जूभाई की विशेषताओं का वर्णन कीजिए तथा इनके सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
  118. प्रश्न- गिज्जूभाई के शैक्षिक विचारों का उल्लेख कीजिए।
  119. प्रश्न- गिज्जूभाई के शैक्षिक प्रयोगों का वर्णन कीजिए।
  120. प्रश्न- गिज्जूभाई कृत 'प्राथमिक शाला में भाषा शिक्षा' पर टिप्पणी लिखिए।
  121. प्रश्न- शिक्षा के अर्थ एवं उद्देश्यों, पाठ्यक्रम एवं शिक्षण विधि को स्पष्ट करते हुए स्वामी विवेकानन्द के शिक्षा दर्शन की व्याख्या कीजिए।
  122. प्रश्न- स्वामी विवेकानन्द के अनुसार अनुशासन का अर्थ बताइए। शिक्षक, शिक्षार्थी तथा विद्यालय के सम्बन्ध में स्वामी जी के विचारों को स्पष्ट कीजिए।
  123. प्रश्न- स्त्री शिक्षा के सम्बन्ध में विवेकानन्द के क्या योगदान हैं ? लिखिए।
  124. प्रश्न- जन-शिक्षा के विषय में स्वामी विवेकानन्द के विचार बताइए।
  125. प्रश्न- स्वामी विवेकानन्द की मानव निर्माणकारी शिक्षा क्या है ?
  126. प्रश्न- शिक्षा का अर्थ एवं उद्देश्यों, पाठ्यक्रम, शिक्षण-विधि, शिक्षक का स्थान, शिक्षार्थी को स्पष्ट करते हुए जे. कृष्णामूर्ति के शैक्षिक विचारों की व्याख्या कीजिए।
  127. प्रश्न- जे. कृष्णमूर्ति के जीवन दर्शन पर टिप्पणी लिखिए।
  128. प्रश्न- जे. कृष्णामूर्ति के विद्यालय की संकल्पना पर प्रकाश डालिए।
  129. प्रश्न- प्लेटो के शिक्षा दर्शन पर प्रकाश डालिए।
  130. प्रश्न- प्लेटो के शिक्षा सिद्धान्त की आलोचना तथा उसके शिक्षा जगत पर प्रभाव का उल्लेख कीजिए।
  131. प्रश्न- प्लेटो का शिक्षा में योगदान बताइए।
  132. प्रश्न- स्त्री शिक्षा तथा दासों की शिक्षा के विषय में प्लेटो के विचार स्पष्ट कीजिए।
  133. प्रश्न- प्रकृतिवाद के सन्दर्भ में रूसो के विचारों का वर्णन कीजिए।
  134. प्रश्न- मानव विकास की विभिन्न अवस्थाओं हेतु रूसो द्वारा प्रतिपादित शिक्षा योजना का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  135. प्रश्न- रूसो की 'निषेधात्मक शिक्षा' की संकल्पना क्या है ? सोदाहरण समझाइए।
  136. प्रश्न- रूसो के प्रमुख शैक्षिक विचार क्या हैं ?
  137. प्रश्न- पालो फ्रेरे का जीवन परिचय लिखिए। इनके जीवन की दो प्रमुख घटनाएँ कौन-सी हैं जिन्होंने इनको बहुत अधिक प्रभावित किया ?
  138. प्रश्न- फ्रेरे के जीवन की दो मुख्य घटनाएँ बताइये जिनसे वह बहुत प्रभावित हुआ।
  139. प्रश्न- फ्रेरे के पाठ्यक्रम तथा शिक्षण विधि पर विचार स्पष्ट कीजिए।
  140. प्रश्न- फ्रेरे के शिक्षण विधि सम्बन्धी विचारों को स्पष्ट कीजिए।
  141. प्रश्न- फ्रेरे के शैक्षिक आदर्श क्या हैं?
  142. प्रश्न- जॉन डीवी के शिक्षा दर्शन पर प्रकाश डालते हुए उनके द्वारा निर्धारित शिक्षा व्यवस्था के प्रत्येक पहलू को स्पष्ट कीजिए।
  143. प्रश्न- जॉन डीवी के उपयोगिता शिक्षा सिद्धान्त को स्पष्ट कीजिए।
  144. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (भारतीय शैक्षिक विचारक : महात्मा गाँधी)
  145. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (भारतीय शैक्षिक विचारक : रवीन्द्रनाथ टैगोर)
  146. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (भारतीय शैक्षिक विचारक : गिज्जू भाई )
  147. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (भारतीय शैक्षिक विचारक : स्वामी विवेकानन्द )
  148. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (भारतीय शैक्षिक विचारक : जे० कृष्णमूर्ति )
  149. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (पाश्चात्य शैक्षिक विचारक : प्लेटो)
  150. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (पाश्चात्य शैक्षिक विचारक : रूसो )
  151. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (पाश्चात्य शैक्षिक विचारक : पाउलो फ्रेइरे)
  152. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (पाश्चात्य शैक्षिक विचारक : जॉन ड्यूवी )

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