बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रथम प्रश्नपत्र - शिक्षा के दार्शनिक परिप्रेक्ष्य बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रथम प्रश्नपत्र - शिक्षा के दार्शनिक परिप्रेक्ष्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रथम प्रश्नपत्र - शिक्षा के दार्शनिक परिप्रेक्ष्य
प्रश्न- जनसंचार का क्या अर्थ है ? जनसंचार की परिभाषा देते हुए इसकी महत्ता का विश्लेषण कीजिए।
अथवा
जनसंचार की उपयोगिता की विश्लेषणात्मक समीक्षा कीजिए।
अथवा
लोक सम्प्रेषण क्या है ?
उत्तर -
अक्सर लोगों के बीच होने वाली बातचीत या वार्तालाप है क्या ? इसे जनसंचार क्यों कहेंगे? आपस में बात करते समय हम अगले व्यक्ति से कुछ न कुछ किसी भी प्रकार से या कोई न कोई कार्य करने को अवश्य कहेंगे। इसी को वार्तालाप या बातचीत की संज्ञा दी गयी है। इसे संचार के नाम से भी जाना जाता है। हम अक्सर लोगों को रेडियो सुनते, फोन पर बात करते, मोबाइल से बात करते, दूरदर्शन देखते हुए देख पाते हैं। ये सभी वस्तुएं संचार के एक माध्यम का कार्य करते हैं। परन्तु जो मुख्य सवाल है वह यह कि संचार है क्या ?
संचार मुख (जिह्वा) रेडियो, टी. वी. तथा मोबाइल से निकली हुई वह ध्वनि या आवाज है जो हम तक पहुँचती है। अर्थात् किसी भी संचार के माध्यम से निकला हुआ पैगाम ही संचार है तथा इस पैगाम को अनेक लोगों तक अर्थात् जनता तक पहुँचाना ही जनसंचार है।
अंग्रेजी भाषा में संचार को Communication कहते हैं जो लैटिन (Latin) भाषा के कम्यूनिस (Communis) नामक शब्द से उद्धृत् हुआ है। जिसका अर्थ किसी वस्तु या विषय का सभी के लिए साझेदारी करना है। संचार एक ऐसा प्रयास है जिसके द्वारा एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के विचारों एवं मनोवृत्तियों में बराबर का साझेदार होता है। वे सभी विधियाँ संचार' हैं जिनके माध्यम से एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को प्रभावित करता है।
जनसंचार दो शब्दों में मिलकर बना है जन + संचार जन से हमारा तात्पर्य मनुष्यों के समूह से है, संचार का आशय फैलाने से है। यदि हम संस्कृत भाषा में संचार शब्द के उद्धतीकरण की बात करें तो पता चलता है कि संचार संस्कृत भाषा के 'चर' नामक धातु से निर्मित हुआ है। चर का अर्थ है 'चलना'। जब हम किसी भाव-विचार या जानकारी को दूसरे व्यक्तियों तक पहुँचाते हैं या फैलाते हैं तो वहीं विचार या जानकारी का फैलना, फैलाना संचार कहलायेगा तथा विचारों के आदान-प्रदान की सामूहिक प्रक्रिया 'जनसंचार' कहलायेगी।
( Definition of Communication)
जनसंचार के विषय में अनेक विद्वानों ने परिभाषाएँ दी हैं। एडविन ऐमरी, केवल जे. कुमार, डेनिस मैकेल, पीटर, लिटिल, डी. एस. मेहता मैजिनसन, डॉ. जे. पाल, लीगेन्स, मिस्टर हावलैण्ड, एशले मींटगु तथा फ्लोएड मेटसम जार्न, ए. मिलर, डेविड ह्यूम आदि विद्वानों ने जनसंचार की परिभाषाएँ दी हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख विद्वानों की परिभाषायें निम्नलिखित हैं-
कौफिन और शौ के अनुसार, "वार्तालाप एक समझदारी का विनिमय है।"
एडविन ऐमरी के अनुसार, "जनसंचार एक से दूसरे व्यक्ति के ख्यालातों तथा दृष्टिकोणों को निर्माण करने की एक कला है।'
केवल जे. कुमार के शब्दों में "हाल्ट कम्युनिकेशन तथा जीवन प्रक्रियाएँ मरने जीने के साथ है।"
पीटर लिटिल के शब्दों में, "जनसंचार वह प्रक्रिया है जिसमें सूचनाएँ व्यक्तियों और संगठनों के मध्य वार्तालाप होती हैं इसलिए एक समझदारी परिणाम का जिम्मा लेती है।"
डी. एस. मेहता के शब्दों में, "जनसंचार का तात्पर्य सूचनाओं का ख्यालातों तथा मनोरंजन का आदान-प्रदान है जो रेडियो, टी. वी., प्रेस तथा फिल्म के द्वारा संचारित होता है।'
प्रोफेसर जार्ज. ए. मिलर ने इस सम्बन्ध में कहा है, "जनसंचार का अर्थ सूचना को एक- दूसरे तक पहुँचाना है।'
प्रो. डेविड ह्यूम इस सम्बन्ध में लिखते हैं- "जनसंचार ही बतलाता है कि राजसत्ता या शासन की व्यवस्था का आधार क्या होना चाहिए सरकार का रूप क्या होना चाहिए, स्वेच्छाचारी राजा या सैनिक अधिकारियों का शासन हो या स्वतन्त्र और लोकप्रिय सरकार हो जनसंचार माध्यम से ही इसका पता चलता है।'
(Significance of Communication)
1. जनसंचार का फैलाव नवीन ज्ञान के सम्बन्ध में अधिक से अधिक लोगों को मालूम होना 'प्रसार' है, प्रसार या व्याप्त होने की क्रिया है। सम्प्रेषण में संदेश भेजने का काम शामिल रहता है। किसी विचार, तथ्य, ज्ञान या सूचना एवं मनोरंजन को व्यापक रूप से जनसामान्य तक पहुँचाने की प्रक्रिया जनसंचार है। समान लक्ष्य की प्राप्ति तथा पारस्परिक मेल-जोल हेतु इसकी अपरिहार्यता स्वयंसिद्धि है। जनसंचार एक सहज प्रवृत्ति है, संचार ही जीवन है, संचारश्यता ही मृत्यु है। आधुनिक जन-जीवन और सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक व्यवस्था का ताना-बाना जनसंचार साधनों द्वारा सुव्यवस्थित है। वे ही जनता, समाज, राष्ट्र के सजग प्रहरी हैं। समाज की प्रगति, सभ्यता तथा संस्कृति के विकास का माध्यम यदि हम संचार व्यवस्था को कहेंगे तो कहना गलत न होगा। संकीर्ण को उदार, असभ्य को सभ्य, नर को नारायण बनाने की अभूतपूर्व शक्ति संचार में ही मौजूद रहती है। संचार के बिना मानव गरिमा की कल्पना नहीं की जा सकती। यदि यह भी कहा गया कि मानव की गरिमा का बनना संचार पर निर्भर करता है तो यह कहना भी गलत न होगा। जनसंचार ही तथ्यों तथा विचारधाराओं के विनिमय का विस्तृत क्षेत्र है।
2. जनसंचार आदानी-प्रदानी प्रक्रिया है जनसंचार एक प्रक्रिया है जिसमें दो या दो से अधिक लोगों के मध्य विचारों तथ्यों, अनुभवों एवं प्रभावों का इस प्रकार से आदान-प्रदान होता है जिससे दोनों के संदेशों के विषय में सामान्य ज्ञान होता है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें सम्प्रेषक और संग्राहक के बीच सामंजस्य स्थापित हो, उनमें जागरूकता उत्पन्न हो। जनसंचार सम्प्रेषण की ऐसी कार्यवाही है जिसके जरिए जनता के ज्ञान, विचार ने जहाँ जनसंचार को शक्ति माना है वहाँ उन्होंने यह भी कहा है कि संचारकर्ता किसी उत्तेजना द्वारा दूसरे व्यक्ति के व्यवहार को परिवर्तित करता है। संचार एक ऐसा प्रयास है जिसके द्वारा एक व्यक्ति दूसरे व्यक्तियों के विचारों, मनोवृत्तियों तथा सूचना में भाग लेता है।
3. मानव ही जनसंचार का एक विशेष व्यक्तित्व है - आहार (भोजन - खुराक), नींद, भय (डर) और मैथुन के मालिक तो सभी जीवधारी होते हैं परन्तु सोचना-विचारना, कहना-सुनना तथा आत्माभिव्यक्ति की क्षमता से सम्बन्धित 'संचार' कला ने ही मानव को सृष्टि में सर्वोच्च स्थान पर इज्जत बक्शी है। शिक्षा के प्रसार, जनजागरण तथा संचार साधनों की उपलब्धता ने मनुष्य नामक व्यक्तित्व को इस बात का साक्षी बना दिया है कि वे अधिक से अधिक जानकारियाँ (informations) प्राप्त करें तथा हर विषय का गहन अध्ययन करें। विलियम हेले नामक विद्वान इस सन्दर्भ में ठीक ही कहता है- "हर कोई जानकारी की आजादी पर तब तक विश्वास करता है, जब तक वह जानकारी उसके खुद के निहित स्वार्थ को पूरा करती है, भले ही वह भंगी हो या मजदूर नेता, किसी धर्म का मठाधीश हो या सरकार या किसी संस्था का पदाधिकारी। कई लोगों की धारणा यह रहती है कि जो हमारे साथ नहीं है वह अन्दरूनी तौर पर विचारात्मक रूप से हमारे साथ नहीं है हमारे उसके विचार मेल नहीं खाते हैं। जनसंचार जगत में यदि किसी कारणवश सन्तुलन एवं अंकुश नहीं बन पाता है तो अनियमित और सीमित विचारों की अभिव्यक्ति पर ठीक तो नहीं है परन्तु उसे निरंकुश भी नहीं कहा जा सकता। '
4. जनसंचार समाजीकरण का एक महत्वपूर्ण माध्यम है- समाजीकरण की सभी परिस्थितियों में जनसंचार की अपनी एक अहम भूमिका होती है। मनुष्य को सामाजिक प्राणी तब ही कहा जायेगा जब वह मौखिक, परम्परागत, मुद्रित या इलेक्ट्रॉनिक संचार साधनों द्वारा सांस्कृतिक मूल्यों और व्यवहारों को सीखता है तथा यह सब सीखने के बाद वह उसे अपना भी लेता है। मौखिक जनसंचार बालक परिवार तथा पड़ोस तक ही सीमित रहता है। लिपि ज्ञान के कारण वह संस्थाओं से जुड़ा रहता है। पत्र-पत्रिकाओं, आकाशवाणी और दूरदर्शन के सहारे मानव का समाज विस्तृत होता है तथा वह प्रत्येक सांसारिक क्रिया में भाग लेकर उसमें सहभागी बना रहता है।
5. जनसंचार परम्परागत मान्यता की पुष्टि करता है जनसंचार की एक विशेषता यह भी है कि यह परम्परागत मान्यता की पुष्टि करता है तथा सामाजिक गतिविधियों पर पैनी दृष्टि रखता है। संचार सामाजिक नियंत्रण का साधन है। जनसंचार को हम समाज के शिक्षक के नाम से पुकार सकते हैं तो यह सामाजिक महानिरीक्षक भी है। सहमति का वातावरण उपस्थित कर संचार सामाजिक परिदृश्य को बदलता है। नवीन सूचनाओं द्वारा व्यक्ति तथा समाज की मानसिक क्षमता को फैलाना या बढ़ावा देना, उनकी मनोकामना को स्वस्थ रूप प्रदान करना, उनकी प्रवृत्तियों, अभिरुचियों को समाज हित में निर्मित करना ये सब संचार से ही सुलभ हैं।
6. जागृत जनमत समाज के लिए उपयोगी है - जागृत जनमंत समाज के लिए उपयोगी है। संचार के साधन, मनोरंजन तथा विकास का संदेश देकर समाज का नव निर्माण करते हैं। सहयोग, सद्भाषा, सौहार्द, प्रेम द्वारा संचार शोषण मुक्त आदर्श समाज की संरचना में अपना स्तुत्य योगदान देता है। संचार साधनों की बहुलता अधिकतर समाजीकरण की गति को तेज करना है इसलिए सामाजिक विकास का सूत्रधार जनसंचार को ही कहा जायेगा।
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- प्रश्न- शिक्षा की अवधारणा बताइये तथा इसकी परिभाषाएँ देते हुए इसकी विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा का शाब्दिक अर्थ स्पष्ट करते हुए इसके संकुचित, व्यापक एवं वास्तविक अर्थ को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के विभिन्न प्रकारों को समझाइए। शिक्षा तथा साक्षरता व अनुदेशन में क्या मूलभूत अन्तर है ?
- प्रश्न- भारतीय शिक्षा में आज संकटावस्था की क्या प्रकृति है ? इसके कारणों व स्रोतों का समुचित विश्लेषण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के उद्देश्य को निर्धारित करना शिक्षक के लिए आवश्यक है, क्यों ?
- प्रश्न- शिक्षा के वैयक्तिक एवं सामाजिक उद्देश्यों की विवेचना कीजिए तथा इन दोनों उद्देश्यों में समन्वय को समझाइए।
- प्रश्न- "शिक्षा एक त्रिमुखी प्रक्रिया है।' जॉन डीवी के इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं ?
- प्रश्न- शिक्षा के विषय-विस्तार को संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- शिक्षा एक द्विमुखी प्रक्रिया है। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के साधनों से आप क्या समझते हैं ? शिक्षा के विभिन्न साधनों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ब्राउन ने शिक्षा के अभिकरणों को कितने भागों में बाँटा है ? प्रत्येक का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के एक साधन के रूप में परिवार का क्या महत्व है ? बालक की शिक्षा को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए घर व विद्यालय को निकट लाने के उपाय बताइए।
- प्रश्न- "घर और पाठशाला में सामंजस्य न स्थापित करना बालक के साथ अनहोनी करना है।' रॉस के इस कथन की पुष्टि कीजिए।
- प्रश्न- जनसंचार का क्या अर्थ है ? जनसंचार की परिभाषा देते हुए इसकी महत्ता का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- दूरसंचार के विषय में आप क्या जानते हैं ? इस सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी दीजिए।
- प्रश्न- दूरसंचार के प्रमुख साधनों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बालक की शिक्षा के विकास में संचार के साधन किस प्रकार सहायक हैं ? उदाहरणों सहित स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- इन्टरनेट की विशेषताओं का समीक्षात्मक विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- कम्प्यूटर किसे कहते हैं ? कम्प्यूटर के विकास का समीक्षात्मक इतिहास लिखिए।
- प्रश्न- सम्प्रेषण का शिक्षा में क्या महत्व है ? सम्प्रेषण की विशेषताएं लिखिए।
- प्रश्न- औपचारिक, निरौपचारिक और अनौपचारिक अभिकरणों के सापेक्षिक सम्बन्धों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के अनौपचारिक साधनों में जनसंचार के साधनों का क्या योगदान है ?
- प्रश्न- अनौपचारिक और औपचारिक शिक्षा में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- "घर, शिक्षा का सर्वोत्तम स्थान और बालक का प्रथम विद्यालय है।' समझाइए
- प्रश्न- जनसंचार प्रक्रिया के प्रमुख तत्वों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जनसंचार माध्यमों की उपयोगिता पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- इंटरनेट के विकास की सम्भावनाओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारत में कम्प्यूटर के उपयोग की महत्ता का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी में संदेश देने वाले सामाजिक माध्यमों में 'फेसबुक' के महत्व बताइए तथा इसके खतरों के विषय में भी विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- 'व्हाट्सअप' किस प्रकार की सेवा है ? सामाजिक माध्यमों में संदेश देने हेतु यह किस प्रकार कार्य करता है ?
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शिक्षा: अर्थ, अवधारणा, प्रकृति और शिक्षा के उद्देश्य)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शिक्षा के अभिकरण )
- प्रश्न- "दर्शन जिसका कार्य सूक्ष्म तथा दूरस्थ से रहता है, शिक्षा से कोई सम्बन्ध नहीं रख सकता जिसका कार्य व्यावहारिक और तात्कालिक होता है।" स्पष्ट कीजिए
- प्रश्न- निम्नलिखित को परिभाषित कीजिए तथा शिक्षा के लिए इनके निहितार्थ स्पष्ट कीजिए (i) तत्व - मीमांसा, (ii) ज्ञान-मीमांसा, (iii) मूल्य-मीमांसा।
- प्रश्न- "पदार्थों के सनातन स्वरूप का ज्ञान प्राप्त करना ही दर्शन है।' व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिक पाश्चात्य दर्शन के लक्षण बताइए। आप आधुनिक पाश्चात्य दर्शन का जनक किसे मानते हैं ?
- प्रश्न- शिक्षा का दर्शन पर प्रभाव बताइये।
- प्रश्न- एक अध्यापक के लिए शिक्षा दर्शन की क्या उपयोगिता है ? समझाइये।
- प्रश्न- अनुशासन को दर्शन कैसे प्रभावित करता है ?
- प्रश्न- शिक्षा दर्शन से आप क्या समझते हैं ? परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (दर्शन तथा शैक्षिक दर्शन के कार्य )
- प्रश्न- वेदान्त दर्शन क्या है ? वेदान्त दर्शन के सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- वेदान्त दर्शन व शिक्षा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। वेदान्त दर्शन में प्रतिपादित शिक्षा के उद्देश्य, पाठ्यचर्या व शिक्षण विधियों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- वेदान्त दर्शन के शिक्षा में योगदान का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- वेदान्त दर्शन की तत्व मीमांसा ज्ञान मीमांसा एवं मूल्य मीमांसा तथा उनके शैक्षिक अभिप्रेतार्थ की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- वेदान्त दर्शन के अनुसार शिक्षार्थी की अवधारणा बताइए।
- प्रश्न- वेदान्त दर्शन व अनुशासन पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अद्वैत शिक्षा के मूल सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- अद्वैत वेदान्त दर्शन में दी गयी ब्रह्म की अवधारणा व उसके रूप पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अद्वैत वेदान्त दर्शन के अनुसार आत्म-तत्व से क्या तात्पर्य है ?
- प्रश्न- जैन दर्शन से क्या तात्पर्य है ? जैन दर्शन के मूल सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जैन दर्शन के अनुसार 'द्रव्य' संप्रत्यय की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जैन दर्शन द्वारा प्रतिपादितं शिक्षा के उद्देश्यों, पाठ्यक्रम और शिक्षण विधियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- जैन दर्शन का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- मूल्य निर्माण में जैन दर्शन का क्या योगदान है ?
- प्रश्न- अनेकान्तवाद (स्यादवाद) को समझाइए।
- प्रश्न- जैन दर्शन और छात्र पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन में प्रतिपादित शिक्षा के उद्देश्यों, पाठ्यक्रम तथा शिक्षण विधियों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन के प्रमुख सिद्धान्त क्या-क्या हैं ?
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन में शिक्षक संकल्पना पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन में छात्र-शिक्षक के सम्बन्ध पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन में छात्र/ शिक्षार्थी की संकल्पना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- बौद्धकालीन शिक्षा की वर्तमान शिक्षा पद्धति में उपादेयता बताइए।
- प्रश्न- बौद्ध शिक्षा की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- आदर्शवाद से आप क्या समझते हैं ? आदर्शवाद के मूलभूत सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- आदर्शवाद और शिक्षा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। आदर्शवाद के शिक्षा के उद्देश्यों, पाठ्यचर्या और शिक्षण विधियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा दर्शन के रूप में आदर्शवाद का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- "भारतीय आदर्शवादी दर्शन अद्वितीय है।" उक्त कथन पर प्रकाश डालते हुए भारतीय आदर्शवादी दर्शन की प्रकृति की विवेचना कीजिए तथा इसका पाश्चात्य आदर्शवाद से अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आदर्शवाद में शिक्षक का क्या स्थान है ?
- प्रश्न- आदर्शवाद में शिक्षार्थी का क्या स्थान है ?
- प्रश्न- आदर्शवाद में विद्यालय की परिकल्पना कीजिए।
- प्रश्न- आदर्शवाद में अनुशासन को समझाइए।
- प्रश्न- वर्तमान शिक्षा पर आदर्शवादी दर्शन का प्रभाव बताइये।
- प्रश्न- आदर्शवाद के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद का अर्थ एवं परिभाषा दीजिए। प्रकृतिवाद के रूपों एवं सिद्धान्तों को संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद और शिक्षा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। प्रकृतिवादी शिक्षा की विशेषताएँ तथा उद्देश्य बताइए।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद के शिक्षा पाठ्यक्रम और शिक्षण विधि की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- "प्रकृतिवाद आधुनिक युग में शिक्षा के क्षेत्र में बाजी हार चुका है।' इस कथन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आदर्शवादी अनुशासन एवं प्रकृतिवादी अनुशासन की क्या संकल्पना है ? आप किसे उचित समझते हैं और क्यों ?
- प्रश्न- प्रकृतिवादी और आदर्शवादी शिक्षा व्यवस्था में क्या अन्तर है ?
- प्रश्न- प्रकृतिवाद तथा शिक्षक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद की तत्व मीमांसा क्या है ?
- प्रश्न- प्रकृतिवाद की ज्ञान मीमांसा क्या है ?
- प्रश्न- प्रकृतिवाद में शिक्षक एवं छात्र सम्बन्ध स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- आदर्शवाद और प्रकृतिवाद में अनुशासन की संकल्पना किस प्रकार एक-दूसरे से भिन्न है ? सोदाहरण समझाइए।
- प्रश्न- प्रकृतिवादी शिक्षण विधियों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- प्रकृतिवादी अनुशासन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- शिक्षा की प्रयोजनवादी विचारधारा के प्रमुख तत्वों की विवेचना कीजिए। शिक्षा के उद्देश्यों, शिक्षण विधियों, पाठ्यक्रम, शिक्षक तथा अनुशासन के सम्बन्ध में इनके विचारों को प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- प्रयोजनवादियों तथा प्रकृतिवादियों द्वारा प्रतिपादित शिक्षण विधियों, शिक्षक तथा अनुशासन की तुलना कीजिए।
- प्रश्न- प्रयोजनवाद का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- प्रयोजनवाद तथा आदर्शवाद में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- यथार्थवाद का अर्थ एवं परिभाषा बताते हुए इसके मूल सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा में यथार्थवाद की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए तथा संक्षेप में यथार्थवाद के रूपों को बताइए।
- प्रश्न- यथार्थवाद क्या है ? इसकी प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- यथार्थवाद द्वारा प्रतिपादित शिक्षा के उद्देश्यों तथा शिक्षण पद्धति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- यथार्थवाद क्या है ? उसने शिक्षा की धाराओं को किस प्रकार प्रभावित किया है ? भारतीय शिक्षा पर इसके प्रभाव का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- नव यथार्थवाद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वैज्ञानिक यथार्थवाद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (भारतीय दर्शन एवं इसका योगदान : वेदान्त दर्शन)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (भारतीय दर्शन एवं इसका योगदान : जैन दर्शन )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। ( भारतीय दर्शन एवं इसका योगदान : बौद्ध दर्शन )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (दर्शन की विचारधारा - आदर्शवाद)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। ( प्रकृतिवाद )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (प्रयोजनवाद )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (यथार्थवाद)
- प्रश्न- शिक्षा के अर्थ, उद्देश्य तथा शिक्षण-विधि सम्बन्धी विचारों पर प्रकाश डालते हुए गाँधी जी के शिक्षा दर्शन का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- गाँधी जी के शिक्षा दर्शन तथा शिक्षा की अवधारणा के विचारों को स्पष्ट कीजिए। उनके शैक्षिक सिद्धान्त वर्तमान भारत की प्रमुख समस्याओं का समाधान कहाँ तक कर सकते हैं ?
- प्रश्न- बुनियादी शिक्षा क्या है ?
- प्रश्न- बुनियादी शिक्षा का वर्तमान सन्दर्भ में महत्व बताइए।
- प्रश्न- "बुनियादी शिक्षा महात्मा गाँधी की महानतम् देन है"। समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- गाँधी जी की शिक्षा की परिभाषा की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- टैगोर के शिक्षा दर्शन का मूल्यांकन कीजिए तथा शिक्षा के उद्देश्य, शिक्षण पद्धति, पाठ्यक्रम एवं शिक्षक के स्थान के सम्बन्ध में उनके विचारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- टैगोर का शिक्षा में योगदान बताइए।
- प्रश्न- विश्व भारती का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शान्ति निकेतन की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं ? आप कैसे कह सकते हैं कि यह शिक्षा में एक प्रयोग है ?
- प्रश्न- टैगोर का मानवतावादी प्रकृतिवाद पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- शिक्षक प्रशिक्षक के रूप में गिज्जूभाई की विशेषताओं का वर्णन कीजिए तथा इनके सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- गिज्जूभाई के शैक्षिक विचारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- गिज्जूभाई के शैक्षिक प्रयोगों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गिज्जूभाई कृत 'प्राथमिक शाला में भाषा शिक्षा' पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- शिक्षा के अर्थ एवं उद्देश्यों, पाठ्यक्रम एवं शिक्षण विधि को स्पष्ट करते हुए स्वामी विवेकानन्द के शिक्षा दर्शन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- स्वामी विवेकानन्द के अनुसार अनुशासन का अर्थ बताइए। शिक्षक, शिक्षार्थी तथा विद्यालय के सम्बन्ध में स्वामी जी के विचारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- स्त्री शिक्षा के सम्बन्ध में विवेकानन्द के क्या योगदान हैं ? लिखिए।
- प्रश्न- जन-शिक्षा के विषय में स्वामी विवेकानन्द के विचार बताइए।
- प्रश्न- स्वामी विवेकानन्द की मानव निर्माणकारी शिक्षा क्या है ?
- प्रश्न- शिक्षा का अर्थ एवं उद्देश्यों, पाठ्यक्रम, शिक्षण-विधि, शिक्षक का स्थान, शिक्षार्थी को स्पष्ट करते हुए जे. कृष्णामूर्ति के शैक्षिक विचारों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जे. कृष्णमूर्ति के जीवन दर्शन पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- जे. कृष्णामूर्ति के विद्यालय की संकल्पना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्लेटो के शिक्षा दर्शन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्लेटो के शिक्षा सिद्धान्त की आलोचना तथा उसके शिक्षा जगत पर प्रभाव का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- प्लेटो का शिक्षा में योगदान बताइए।
- प्रश्न- स्त्री शिक्षा तथा दासों की शिक्षा के विषय में प्लेटो के विचार स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद के सन्दर्भ में रूसो के विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मानव विकास की विभिन्न अवस्थाओं हेतु रूसो द्वारा प्रतिपादित शिक्षा योजना का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रूसो की 'निषेधात्मक शिक्षा' की संकल्पना क्या है ? सोदाहरण समझाइए।
- प्रश्न- रूसो के प्रमुख शैक्षिक विचार क्या हैं ?
- प्रश्न- पालो फ्रेरे का जीवन परिचय लिखिए। इनके जीवन की दो प्रमुख घटनाएँ कौन-सी हैं जिन्होंने इनको बहुत अधिक प्रभावित किया ?
- प्रश्न- फ्रेरे के जीवन की दो मुख्य घटनाएँ बताइये जिनसे वह बहुत प्रभावित हुआ।
- प्रश्न- फ्रेरे के पाठ्यक्रम तथा शिक्षण विधि पर विचार स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- फ्रेरे के शिक्षण विधि सम्बन्धी विचारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- फ्रेरे के शैक्षिक आदर्श क्या हैं?
- प्रश्न- जॉन डीवी के शिक्षा दर्शन पर प्रकाश डालते हुए उनके द्वारा निर्धारित शिक्षा व्यवस्था के प्रत्येक पहलू को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- जॉन डीवी के उपयोगिता शिक्षा सिद्धान्त को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (भारतीय शैक्षिक विचारक : महात्मा गाँधी)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (भारतीय शैक्षिक विचारक : रवीन्द्रनाथ टैगोर)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (भारतीय शैक्षिक विचारक : गिज्जू भाई )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (भारतीय शैक्षिक विचारक : स्वामी विवेकानन्द )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (भारतीय शैक्षिक विचारक : जे० कृष्णमूर्ति )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (पाश्चात्य शैक्षिक विचारक : प्लेटो)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (पाश्चात्य शैक्षिक विचारक : रूसो )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (पाश्चात्य शैक्षिक विचारक : पाउलो फ्रेइरे)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (पाश्चात्य शैक्षिक विचारक : जॉन ड्यूवी )