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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रथम प्रश्नपत्र - शिक्षा के दार्शनिक परिप्रेक्ष्य

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :232
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2697
आईएसबीएन :0

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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रथम प्रश्नपत्र - शिक्षा के दार्शनिक परिप्रेक्ष्य

प्रश्न- शिक्षा के एक साधन के रूप में परिवार का क्या महत्व है ? बालक की शिक्षा को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए घर व विद्यालय को निकट लाने के उपाय बताइए।

अथवा
बालक की शिक्षा के विकास में घर अथवा परिवार की भूमिका का वर्णन कीजिए।
अथवा
शिक्षा के अभिकरण के रूप में परिवार की भूमिका का वर्णन कीजिए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. घर या परिवार से आप क्या समझते हैं ?
2. शिक्षा के एक साधन के रूप में परिवार का क्या महत्व है ?
3. परिवार के कार्यों का वर्णन कीजिए।
अथवा
परिवार के शैक्षिक कार्य बताइए।

उत्तर -

घर (परिवार) का अर्थ एवं परिभाषा
[Meaning and Definition of House (family) ]

घर (परिवार) समाज की सबसे प्राचीन तथा महत्वपूर्ण इकाई है। सामाजिक संगठनों में भी सर्वाधिक प्राचीन तथा प्रमुख संगठन परिवार ही है। एकांकी परिवार में सामान्यत: पति-पत्नी और इनके अविवाहित बच्चे होते हैं, जबकि संयुक्त परिवार में पति या पत्नी के माता-पिता, इनके अन्य भाई-बहन या दो-तीन पीढ़ी के सदस्य एक साथ मिलकर रहते हैं। घर (परिवार) की प्रमुख परिभाषाएँ निम्न प्रकार दी गयी हैं -

"परिवार से हम सम्बन्धों की वह व्यवस्था समझते हैं, जो माता-पिता और उनकी सन्तानों के बीच पायी जाती है।            - क्लेयर

"परिवार इस समूह का नाम है जिसमें स्त्री-पुरुष का यौन सम्बन्ध पर्याप्त निश्चित हो और इनका साथ इतनी देर तक रहे जिससे सन्तान उत्पन्न हो जाये और इसका पालन-पोषण भी किया जाये।' - मैकाइवर एवं पेज

"परिवार व्यक्तियों का वह समूह है, जो एक छत के नीचे रहते हैं, मूल और रक्त सम्बन्धी सूत्रों से सम्बन्धित होते हैं तथा स्थान, रुचि एवं कृतज्ञता की अन्योन्याश्रियता के आधार पर सम्बन्ध की जागरूकता रखते हैं।" - मजूमदार

उपरोक्त विवेचना के आधार पर यह स्पष्ट है कि परिवार एक सामाजिक संस्था है, जिसका प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी रूप में सदस्य अवश्य होता है।

घर अथवा परिवार का महत्व

संसार के सभी शिक्षाशास्त्रियों ने शिक्षा संस्था के रूप में घर के महत्व पर बल दिया है। कुछ शिक्षाशास्त्रियों के विचार निम्न प्रकार से हैं -

1. 'कयेनियस' ने घर को बालकों की सब प्रकार की शिक्षा का केन्द्र माना है।
2. 'लॉक' महोदय ने व्यक्तिगत शिक्षक से घर पर ही शिक्षा प्राप्त करना उत्तम बताया है और विद्यालयों में दी जाने वाली शिक्षा का विरोध किया है।
3. 'रूसो ने माँ को एक सच्ची नर्स की पदवी दी है और पिता को वास्तविक अध्यापक की।
4. 'पेस्टालॉजी' ने घर को एक अति आवश्यक शिक्षा संस्था माना है और माता को सच्ची शिक्षा का स्रोत। इनके कथनानुसार घर बालक की प्रथम पाठशाला है। अतः उन्होंने विद्यालय में घर का वातावरण बनाये रखने की आवश्यकता पर बल दिया है।
5. 'फ्रोबेल' के अनुसार घर पर दी गयी शिक्षा स्वाभाविक एवं प्रभावशाली होती है।
6. मान्टेसरी' ने घर के महत्व को स्वीकार करते हुए अपनी शैक्षिक संस्थाओं को बालक का घर कहा है।
7. 'रेमान्ट' के अनुसार घर ही वह भूमि है जिसमें खेलते हुए बालकों में विभिन्न गुणों का विकास होता है।
8. 'मेजनी' महोदय का कथन है कि बालक को नागरिकता का सबसे पहला पाठ माँ के घुटनों पर बैठने का पिता के प्यार से मिलता है।
9. 'महात्मा गाँधी के अनुसार बालक गर्भावस्था में ही सीखना प्रारम्भ कर देता है। बालक जन्म से ही असहाय होता है। जन्म लेने के बाद वह कई वर्षों तक अपने माता-पिता पर निर्भर करता है। चलना फिरना, बोलना आदि वह परिवार में रहकर ही सीखता है।

इससे स्पष्ट है कि बालक की शिक्षा-दीक्षा घर से प्रारम्भ होती है। बालक ही नहीं बल्कि सभी जीव-जन्तु, पशु-पक्षी अपने परिवार में जन्म लेते पलते हैं और बड़े होते हैं तथा शिक्षा प्राप्त करते हैं। जीवन के प्रारम्भ के दिनों में ही बालक का समुचित स्थान होता है और यहाँ इसकी शिक्षा का स्रोत है। घर में बालक को स्वतंत्रता एवं प्यार मिलता है। यहीं पर वह वे आदतें ग्रहण करता है जो आदतें गुण एवं मनोवृत्ति धारण करता है उनका जीवन भर प्रभाव रहता है। घर के प्रभाव के कारण बालक एक-दूसरे से भिन्न होते हैं।

'रेमॉण्ट' के कथनानुसार "यदि दो बालक एक ही विद्यालय में पढ़ते हैं, एक ही शिक्षक से शिक्षा प्राप्त करते हैं, इसी संगठन एवं प्रशासन में रहते हैं, एक सा अध्ययन करते हैं, फिर भी वे पूर्ण रूप से अपने- अपने सामान्य ज्ञान, रुचि भाषण, व्यवहार तथा नैतिकता में अपने पारिवारिक वातावरण के कारण भिन्न होते हैं। अतः इससे स्पष्ट है कि परिवार बालक के कारण भिन्न स्थाई प्रभाव डालता है और बालक वैसा ही बनता है जैसा घर होता है। वह प्रभाव लाभप्रद अथवा घातक हो सकता है। बचपन के अच्छे प्रभावों द्वारा सुन्दर व्यक्तित्व बनता है और बुरे प्रभावों द्वारा व्यक्तित्व विकृत होता है।

बालक की शिक्षा के विकास में घर के कार्य
(Role of Family in the Education of the Child)

परिवार बालक को शिक्षा पर किस प्रकार सहयोग प्रदान करता है, इसके सम्बन्ध में अब हम परिवार के कार्यों को प्रस्तुत करेंगे

1. बौद्धिक विकास (Mental Development) - बालकों का बौद्धिक विकास घर पर होता है जिन बालकों के घर पर अच्छी-अच्छी पुस्तकें पत्र-पत्रिकाएँ आती हैं, उनकी बुद्धि का विकास अच्छा होता है। घर पर बालक की निरीक्षण शक्ति, परीक्षण शक्ति, कल्पना शक्ति, विचार शक्ति आदि का परीक्षण होता है। इन शक्तियों का उत्तम विकास ही एक समूचे रूप में बालक के बौद्धिक विकास में सहायक सिद्ध होता है।

2. चरित्र निर्माण (Development of Character) - बालक के चरित्र का निर्माण घर पर ही होता है। घर पर ही वह नैतिक, धार्मिक, सामाजिक नियमों तथा आदर्शों को ग्रहण करता है, जो चरित्र को बनाने में सहायक होते हैं। घर बालकों को ईमानदारी, सत्यता, देशप्रेम, क्षमा, सद्भावना आदि गुणों को विकसित करता है। घर ही बालक को स्वार्थी, दयाहीन एवं हृदयहीन बनाता है। अतः इससे स्पष्ट है कि जब बालक विद्यालयों में जाता है उससे पूर्व ही बालक का चरित्र बन चुका होता है। घर का ही बालक का चरित्र बनाने में मुख्य प्रभाव होता है।

3. व्यक्तित्व का विकास करना ( Development of Individuality)- बालक के व्यक्तित्व के विकास की नींव घर पर ही पड़ती है। बचपन में जो संस्कार पड़ जाते हैं वे स्थाई होते हैं। बचपन में पड़े बुरे प्रभावों द्वारा इसका व्यक्तित्व विकृत हो जाता है। दूसरे शब्दों में घर में बालक के विकास की जो शैली बन जाती है वही शैली इसके व्यक्तित्व के भावी विकास का रूप निर्धारण करती है।

4. शारीरिक विकास (Physical Development) बालक का शारीरिक विकास घर पर ही होता है। बालक घर पर ही खेलकूद कर व्यायाम करके अपना स्वास्थ्य बना सकता है। बाल्यावस्था तक जो विकास शरीर का हो जाता है, उसी का विकास जीवन में अधिक होता है। बालक के उचित पोषण एवं विकास के लिए परिवार उचित वातावरण, पौष्टिक भोजन, मनोरंजन, व्यायाम आदि की व्यवस्था करता है। परिवार का कर्त्तव्य होना चाहिए कि वह बालक के शारीरिक विकास के लिए उपयुक्त व्यवस्था करे क्योंकि शारीरिक विकास के ऊपर ही अन्य विकास निर्भर हैं।

5. धार्मिक शिक्षा (Religious Education) - बालक की धार्मिक शिक्षा का आरम्भ घर पर ही होता है। घर में वह परिवार के अन्य सदस्यों के साथ पूजा-पाठ आदि करता है। धार्मिक कार्यों तथा चर्चाओं में भाग लेने से मन में दया, सहानुभूति, प्रेम, त्याग सामाजिक तथा नैतिक भाव उत्पन्न होते हैं। धार्मिक शिक्षा के अभाव में बालक का चारित्रिक विकास कठिन है।

6. जीवन की वास्तविकता से अवगत कराना (Acquaintance with Reality of Life)- बालक परिवार में रहकर परिवार से आने वाले सुख-दुःख, प्रसन्नता, उदासीनता से अवगत हो जाता है जिनका उसे अपने जीवन में सामना करना होता है। साथ ही वह समस्या का समाधान करने की योग्यता भी प्राप्त कर लेता है। इस कार्य को करने के लिए परिवार को कोई परिश्रम नहीं करना पड़ता है बल्कि बालक स्वाभाविक रूप से ही सीख जाता है।

7. सामाजिक भावनाओं का विकास (Development of Social Feelings)- परिवार ही बालक के सामाजिक जीवन का प्रथम शिक्षा केन्द्र है। परिवार में रहकर ही बालक सामाजिक आदर्श एवं परम्पराओं के नमूने तथा आदर्श आचरण एवं परिवार के तौर-तरीके की जानकारी प्राप्त करता है और उनके द्वारा सबसे पहले न्याय एवं अन्याय की अनुभूति होती है। बाह्य समाज की भाँति परिवार सदस्यों के रूप का निर्माण करता है और उनके द्वारा स्वयं उनका स्वरूप निर्मित होता है। घर ही वह सामाजिक इकाई है जो बालक के समाजीकरण में महत्वपूर्ण कार्य करती है।

8. जन्मजात प्रवृत्तियों एवं प्रेरणाओं का प्रकाशन (Development of Inherent Tendencies) - बालक जन्म के समय कुछ जन्मजात प्रवृत्तियों एवं प्रेरणाओं को लेकर जन्म लेता है। बालक की शिक्षा में उसका विशेष महत्व होता है। बालक के सर्वांगीण विकास में उनका प्रकाशन अति आवश्यक है। घर अथवा परिवार ही सर्वप्रथम उनके प्रकाशन के लिए उचित अवसर प्रदान करते हैं और उपयुक्त वातावरण की व्याख्या करते हैं।

9. व्यावहारिक एवं व्यावसायिक शिक्षा (Practical and Vocational Educa- tion)- बालकों को घर में ही व्यावहारिक शिक्षा मिलती है, दूसरों के साथ किस प्रकार का व्यवहार करना चाहिए किस तौर तरीके से उठना-बैठना, चलना-फिरना, बात-चीत करना चाहिए, इन सबका व्यवहारिक ज्ञान बालकों के लिए घर से ही मिलता है। घर में ही उसे अपने पैतृक व्यवसाय तथा अन्य घरेलू उद्योग-धन्धों की शिक्षा मिलती है। घर में रहकर तथा अन्य सदस्यों के साथ रहकर वह घरेलू व्यवसाय की शिक्षा प्राप्त करता है और आगे चलकर सीखे हुए व्यवसाय को अपनी जीविकोपार्जन हेतु अपनाता है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- शिक्षा की अवधारणा बताइये तथा इसकी परिभाषाएँ देते हुए इसकी विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  2. प्रश्न- शिक्षा का शाब्दिक अर्थ स्पष्ट करते हुए इसके संकुचित, व्यापक एवं वास्तविक अर्थ को स्पष्ट कीजिए।
  3. प्रश्न- शिक्षा के विभिन्न प्रकारों को समझाइए। शिक्षा तथा साक्षरता व अनुदेशन में क्या मूलभूत अन्तर है ?
  4. प्रश्न- भारतीय शिक्षा में आज संकटावस्था की क्या प्रकृति है ? इसके कारणों व स्रोतों का समुचित विश्लेषण प्रस्तुत कीजिए।
  5. प्रश्न- शिक्षा के उद्देश्य को निर्धारित करना शिक्षक के लिए आवश्यक है, क्यों ?
  6. प्रश्न- शिक्षा के वैयक्तिक एवं सामाजिक उद्देश्यों की विवेचना कीजिए तथा इन दोनों उद्देश्यों में समन्वय को समझाइए।
  7. प्रश्न- "शिक्षा एक त्रिमुखी प्रक्रिया है।' जॉन डीवी के इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं ?
  8. प्रश्न- शिक्षा के विषय-विस्तार को संक्षेप में लिखिए।
  9. प्रश्न- शिक्षा एक द्विमुखी प्रक्रिया है। स्पष्ट कीजिए।
  10. प्रश्न- शिक्षा के साधनों से आप क्या समझते हैं ? शिक्षा के विभिन्न साधनों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  11. प्रश्न- ब्राउन ने शिक्षा के अभिकरणों को कितने भागों में बाँटा है ? प्रत्येक का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- शिक्षा के एक साधन के रूप में परिवार का क्या महत्व है ? बालक की शिक्षा को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए घर व विद्यालय को निकट लाने के उपाय बताइए।
  13. प्रश्न- "घर और पाठशाला में सामंजस्य न स्थापित करना बालक के साथ अनहोनी करना है।' रॉस के इस कथन की पुष्टि कीजिए।
  14. प्रश्न- जनसंचार का क्या अर्थ है ? जनसंचार की परिभाषा देते हुए इसकी महत्ता का विश्लेषण कीजिए।
  15. प्रश्न- दूरसंचार के विषय में आप क्या जानते हैं ? इस सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी दीजिए।
  16. प्रश्न- दूरसंचार के प्रमुख साधनों का वर्णन कीजिए।
  17. प्रश्न- बालक की शिक्षा के विकास में संचार के साधन किस प्रकार सहायक हैं ? उदाहरणों सहित स्पष्ट कीजिए।
  18. प्रश्न- इन्टरनेट की विशेषताओं का समीक्षात्मक विश्लेषण कीजिए।
  19. प्रश्न- कम्प्यूटर किसे कहते हैं ? कम्प्यूटर के विकास का समीक्षात्मक इतिहास लिखिए।
  20. प्रश्न- सम्प्रेषण का शिक्षा में क्या महत्व है ? सम्प्रेषण की विशेषताएं लिखिए।
  21. प्रश्न- औपचारिक, निरौपचारिक और अनौपचारिक अभिकरणों के सापेक्षिक सम्बन्धों की व्याख्या कीजिए।
  22. प्रश्न- शिक्षा के अनौपचारिक साधनों में जनसंचार के साधनों का क्या योगदान है ?
  23. प्रश्न- अनौपचारिक और औपचारिक शिक्षा में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  24. प्रश्न- "घर, शिक्षा का सर्वोत्तम स्थान और बालक का प्रथम विद्यालय है।' समझाइए
  25. प्रश्न- जनसंचार प्रक्रिया के प्रमुख तत्वों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- जनसंचार माध्यमों की उपयोगिता पर टिप्पणी लिखिए।
  27. प्रश्न- इंटरनेट के विकास की सम्भावनाओं का उल्लेख कीजिए।
  28. प्रश्न- भारत में कम्प्यूटर के उपयोग की महत्ता का उल्लेख कीजिए।
  29. प्रश्न- हिन्दी में संदेश देने वाले सामाजिक माध्यमों में 'फेसबुक' के महत्व बताइए तथा इसके खतरों के विषय में भी विश्लेषण कीजिए।
  30. प्रश्न- 'व्हाट्सअप' किस प्रकार की सेवा है ? सामाजिक माध्यमों में संदेश देने हेतु यह किस प्रकार कार्य करता है ?
  31. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शिक्षा: अर्थ, अवधारणा, प्रकृति और शिक्षा के उद्देश्य)
  32. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शिक्षा के अभिकरण )
  33. प्रश्न- "दर्शन जिसका कार्य सूक्ष्म तथा दूरस्थ से रहता है, शिक्षा से कोई सम्बन्ध नहीं रख सकता जिसका कार्य व्यावहारिक और तात्कालिक होता है।" स्पष्ट कीजिए
  34. प्रश्न- निम्नलिखित को परिभाषित कीजिए तथा शिक्षा के लिए इनके निहितार्थ स्पष्ट कीजिए (i) तत्व - मीमांसा, (ii) ज्ञान-मीमांसा, (iii) मूल्य-मीमांसा।
  35. प्रश्न- "पदार्थों के सनातन स्वरूप का ज्ञान प्राप्त करना ही दर्शन है।' व्याख्या कीजिए।
  36. प्रश्न- आधुनिक पाश्चात्य दर्शन के लक्षण बताइए। आप आधुनिक पाश्चात्य दर्शन का जनक किसे मानते हैं ?
  37. प्रश्न- शिक्षा का दर्शन पर प्रभाव बताइये।
  38. प्रश्न- एक अध्यापक के लिए शिक्षा दर्शन की क्या उपयोगिता है ? समझाइये।
  39. प्रश्न- अनुशासन को दर्शन कैसे प्रभावित करता है ?
  40. प्रश्न- शिक्षा दर्शन से आप क्या समझते हैं ? परिभाषित कीजिए।
  41. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (दर्शन तथा शैक्षिक दर्शन के कार्य )
  42. प्रश्न- वेदान्त दर्शन क्या है ? वेदान्त दर्शन के सिद्धान्त बताइए।
  43. प्रश्न- वेदान्त दर्शन व शिक्षा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। वेदान्त दर्शन में प्रतिपादित शिक्षा के उद्देश्य, पाठ्यचर्या व शिक्षण विधियों की व्याख्या कीजिए।
  44. प्रश्न- वेदान्त दर्शन के शिक्षा में योगदान का मूल्यांकन कीजिए।
  45. प्रश्न- वेदान्त दर्शन की तत्व मीमांसा ज्ञान मीमांसा एवं मूल्य मीमांसा तथा उनके शैक्षिक अभिप्रेतार्थ की व्याख्या कीजिये।
  46. प्रश्न- वेदान्त दर्शन के अनुसार शिक्षार्थी की अवधारणा बताइए।
  47. प्रश्न- वेदान्त दर्शन व अनुशासन पर टिप्पणी लिखिए।
  48. प्रश्न- अद्वैत शिक्षा के मूल सिद्धान्त बताइए।
  49. प्रश्न- अद्वैत वेदान्त दर्शन में दी गयी ब्रह्म की अवधारणा व उसके रूप पर टिप्पणी लिखिए।
  50. प्रश्न- अद्वैत वेदान्त दर्शन के अनुसार आत्म-तत्व से क्या तात्पर्य है ?
  51. प्रश्न- जैन दर्शन से क्या तात्पर्य है ? जैन दर्शन के मूल सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- जैन दर्शन के अनुसार 'द्रव्य' संप्रत्यय की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  53. प्रश्न- जैन दर्शन द्वारा प्रतिपादितं शिक्षा के उद्देश्यों, पाठ्यक्रम और शिक्षण विधियों का उल्लेख कीजिए।
  54. प्रश्न- जैन दर्शन का मूल्यांकन कीजिए।
  55. प्रश्न- मूल्य निर्माण में जैन दर्शन का क्या योगदान है ?
  56. प्रश्न- अनेकान्तवाद (स्यादवाद) को समझाइए।
  57. प्रश्न- जैन दर्शन और छात्र पर टिप्पणी लिखिए।
  58. प्रश्न- बौद्ध दर्शन में प्रतिपादित शिक्षा के उद्देश्यों, पाठ्यक्रम तथा शिक्षण विधियों की व्याख्या कीजिए।
  59. प्रश्न- बौद्ध दर्शन के प्रमुख सिद्धान्त क्या-क्या हैं ?
  60. प्रश्न- बौद्ध दर्शन में शिक्षक संकल्पना पर टिप्पणी लिखिए।
  61. प्रश्न- बौद्ध दर्शन में छात्र-शिक्षक के सम्बन्ध पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
  62. प्रश्न- बौद्ध दर्शन में छात्र/ शिक्षार्थी की संकल्पना पर प्रकाश डालिए।
  63. प्रश्न- बौद्धकालीन शिक्षा की वर्तमान शिक्षा पद्धति में उपादेयता बताइए।
  64. प्रश्न- बौद्ध शिक्षा की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  65. प्रश्न- आदर्शवाद से आप क्या समझते हैं ? आदर्शवाद के मूलभूत सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
  66. प्रश्न- आदर्शवाद और शिक्षा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। आदर्शवाद के शिक्षा के उद्देश्यों, पाठ्यचर्या और शिक्षण विधियों का उल्लेख कीजिए।
  67. प्रश्न- शिक्षा दर्शन के रूप में आदर्शवाद का मूल्याँकन कीजिए।
  68. प्रश्न- "भारतीय आदर्शवादी दर्शन अद्वितीय है।" उक्त कथन पर प्रकाश डालते हुए भारतीय आदर्शवादी दर्शन की प्रकृति की विवेचना कीजिए तथा इसका पाश्चात्य आदर्शवाद से अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  69. प्रश्न- आदर्शवाद में शिक्षक का क्या स्थान है ?
  70. प्रश्न- आदर्शवाद में शिक्षार्थी का क्या स्थान है ?
  71. प्रश्न- आदर्शवाद में विद्यालय की परिकल्पना कीजिए।
  72. प्रश्न- आदर्शवाद में अनुशासन को समझाइए।
  73. प्रश्न- वर्तमान शिक्षा पर आदर्शवादी दर्शन का प्रभाव बताइये।
  74. प्रश्न- आदर्शवाद के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन कीजिए।
  75. प्रश्न- प्रकृतिवाद का अर्थ एवं परिभाषा दीजिए। प्रकृतिवाद के रूपों एवं सिद्धान्तों को संक्षेप में बताइए।
  76. प्रश्न- प्रकृतिवाद और शिक्षा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। प्रकृतिवादी शिक्षा की विशेषताएँ तथा उद्देश्य बताइए।
  77. प्रश्न- प्रकृतिवाद के शिक्षा पाठ्यक्रम और शिक्षण विधि की विवेचना कीजिए।
  78. प्रश्न- "प्रकृतिवाद आधुनिक युग में शिक्षा के क्षेत्र में बाजी हार चुका है।' इस कथन की विवेचना कीजिए।
  79. प्रश्न- आदर्शवादी अनुशासन एवं प्रकृतिवादी अनुशासन की क्या संकल्पना है ? आप किसे उचित समझते हैं और क्यों ?
  80. प्रश्न- प्रकृतिवादी और आदर्शवादी शिक्षा व्यवस्था में क्या अन्तर है ?
  81. प्रश्न- प्रकृतिवाद तथा शिक्षक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  82. प्रश्न- प्रकृतिवाद की तत्व मीमांसा क्या है ?
  83. प्रश्न- प्रकृतिवाद की ज्ञान मीमांसा क्या है ?
  84. प्रश्न- प्रकृतिवाद में शिक्षक एवं छात्र सम्बन्ध स्पष्ट कीजिये।
  85. प्रश्न- आदर्शवाद और प्रकृतिवाद में अनुशासन की संकल्पना किस प्रकार एक-दूसरे से भिन्न है ? सोदाहरण समझाइए।
  86. प्रश्न- प्रकृतिवादी शिक्षण विधियों पर प्रकाश डालिये।
  87. प्रश्न- प्रकृतिवादी अनुशासन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  88. प्रश्न- शिक्षा की प्रयोजनवादी विचारधारा के प्रमुख तत्वों की विवेचना कीजिए। शिक्षा के उद्देश्यों, शिक्षण विधियों, पाठ्यक्रम, शिक्षक तथा अनुशासन के सम्बन्ध में इनके विचारों को प्रस्तुत कीजिए।
  89. प्रश्न- प्रयोजनवादियों तथा प्रकृतिवादियों द्वारा प्रतिपादित शिक्षण विधियों, शिक्षक तथा अनुशासन की तुलना कीजिए।
  90. प्रश्न- प्रयोजनवाद का मूल्यांकन कीजिए।
  91. प्रश्न- प्रयोजनवाद तथा आदर्शवाद में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  92. प्रश्न- यथार्थवाद का अर्थ एवं परिभाषा बताते हुए इसके मूल सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
  93. प्रश्न- शिक्षा में यथार्थवाद की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए तथा संक्षेप में यथार्थवाद के रूपों को बताइए।
  94. प्रश्न- यथार्थवाद क्या है ? इसकी प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
  95. प्रश्न- यथार्थवाद द्वारा प्रतिपादित शिक्षा के उद्देश्यों तथा शिक्षण पद्धति की विवेचना कीजिए।
  96. प्रश्न- यथार्थवाद क्या है ? उसने शिक्षा की धाराओं को किस प्रकार प्रभावित किया है ? भारतीय शिक्षा पर इसके प्रभाव का मूल्यांकन कीजिए।
  97. प्रश्न- नव यथार्थवाद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  98. प्रश्न- वैज्ञानिक यथार्थवाद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  99. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (भारतीय दर्शन एवं इसका योगदान : वेदान्त दर्शन)
  100. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (भारतीय दर्शन एवं इसका योगदान : जैन दर्शन )
  101. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। ( भारतीय दर्शन एवं इसका योगदान : बौद्ध दर्शन )
  102. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (दर्शन की विचारधारा - आदर्शवाद)
  103. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। ( प्रकृतिवाद )
  104. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (प्रयोजनवाद )
  105. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (यथार्थवाद)
  106. प्रश्न- शिक्षा के अर्थ, उद्देश्य तथा शिक्षण-विधि सम्बन्धी विचारों पर प्रकाश डालते हुए गाँधी जी के शिक्षा दर्शन का मूल्यांकन कीजिए।
  107. प्रश्न- गाँधी जी के शिक्षा दर्शन तथा शिक्षा की अवधारणा के विचारों को स्पष्ट कीजिए। उनके शैक्षिक सिद्धान्त वर्तमान भारत की प्रमुख समस्याओं का समाधान कहाँ तक कर सकते हैं ?
  108. प्रश्न- बुनियादी शिक्षा क्या है ?
  109. प्रश्न- बुनियादी शिक्षा का वर्तमान सन्दर्भ में महत्व बताइए।
  110. प्रश्न- "बुनियादी शिक्षा महात्मा गाँधी की महानतम् देन है"। समीक्षा कीजिए।
  111. प्रश्न- गाँधी जी की शिक्षा की परिभाषा की विवेचना कीजिए।
  112. प्रश्न- टैगोर के शिक्षा दर्शन का मूल्यांकन कीजिए तथा शिक्षा के उद्देश्य, शिक्षण पद्धति, पाठ्यक्रम एवं शिक्षक के स्थान के सम्बन्ध में उनके विचारों को स्पष्ट कीजिए।
  113. प्रश्न- टैगोर का शिक्षा में योगदान बताइए।
  114. प्रश्न- विश्व भारती का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  115. प्रश्न- शान्ति निकेतन की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं ? आप कैसे कह सकते हैं कि यह शिक्षा में एक प्रयोग है ?
  116. प्रश्न- टैगोर का मानवतावादी प्रकृतिवाद पर टिप्पणी लिखिए।
  117. प्रश्न- शिक्षक प्रशिक्षक के रूप में गिज्जूभाई की विशेषताओं का वर्णन कीजिए तथा इनके सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
  118. प्रश्न- गिज्जूभाई के शैक्षिक विचारों का उल्लेख कीजिए।
  119. प्रश्न- गिज्जूभाई के शैक्षिक प्रयोगों का वर्णन कीजिए।
  120. प्रश्न- गिज्जूभाई कृत 'प्राथमिक शाला में भाषा शिक्षा' पर टिप्पणी लिखिए।
  121. प्रश्न- शिक्षा के अर्थ एवं उद्देश्यों, पाठ्यक्रम एवं शिक्षण विधि को स्पष्ट करते हुए स्वामी विवेकानन्द के शिक्षा दर्शन की व्याख्या कीजिए।
  122. प्रश्न- स्वामी विवेकानन्द के अनुसार अनुशासन का अर्थ बताइए। शिक्षक, शिक्षार्थी तथा विद्यालय के सम्बन्ध में स्वामी जी के विचारों को स्पष्ट कीजिए।
  123. प्रश्न- स्त्री शिक्षा के सम्बन्ध में विवेकानन्द के क्या योगदान हैं ? लिखिए।
  124. प्रश्न- जन-शिक्षा के विषय में स्वामी विवेकानन्द के विचार बताइए।
  125. प्रश्न- स्वामी विवेकानन्द की मानव निर्माणकारी शिक्षा क्या है ?
  126. प्रश्न- शिक्षा का अर्थ एवं उद्देश्यों, पाठ्यक्रम, शिक्षण-विधि, शिक्षक का स्थान, शिक्षार्थी को स्पष्ट करते हुए जे. कृष्णामूर्ति के शैक्षिक विचारों की व्याख्या कीजिए।
  127. प्रश्न- जे. कृष्णमूर्ति के जीवन दर्शन पर टिप्पणी लिखिए।
  128. प्रश्न- जे. कृष्णामूर्ति के विद्यालय की संकल्पना पर प्रकाश डालिए।
  129. प्रश्न- प्लेटो के शिक्षा दर्शन पर प्रकाश डालिए।
  130. प्रश्न- प्लेटो के शिक्षा सिद्धान्त की आलोचना तथा उसके शिक्षा जगत पर प्रभाव का उल्लेख कीजिए।
  131. प्रश्न- प्लेटो का शिक्षा में योगदान बताइए।
  132. प्रश्न- स्त्री शिक्षा तथा दासों की शिक्षा के विषय में प्लेटो के विचार स्पष्ट कीजिए।
  133. प्रश्न- प्रकृतिवाद के सन्दर्भ में रूसो के विचारों का वर्णन कीजिए।
  134. प्रश्न- मानव विकास की विभिन्न अवस्थाओं हेतु रूसो द्वारा प्रतिपादित शिक्षा योजना का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  135. प्रश्न- रूसो की 'निषेधात्मक शिक्षा' की संकल्पना क्या है ? सोदाहरण समझाइए।
  136. प्रश्न- रूसो के प्रमुख शैक्षिक विचार क्या हैं ?
  137. प्रश्न- पालो फ्रेरे का जीवन परिचय लिखिए। इनके जीवन की दो प्रमुख घटनाएँ कौन-सी हैं जिन्होंने इनको बहुत अधिक प्रभावित किया ?
  138. प्रश्न- फ्रेरे के जीवन की दो मुख्य घटनाएँ बताइये जिनसे वह बहुत प्रभावित हुआ।
  139. प्रश्न- फ्रेरे के पाठ्यक्रम तथा शिक्षण विधि पर विचार स्पष्ट कीजिए।
  140. प्रश्न- फ्रेरे के शिक्षण विधि सम्बन्धी विचारों को स्पष्ट कीजिए।
  141. प्रश्न- फ्रेरे के शैक्षिक आदर्श क्या हैं?
  142. प्रश्न- जॉन डीवी के शिक्षा दर्शन पर प्रकाश डालते हुए उनके द्वारा निर्धारित शिक्षा व्यवस्था के प्रत्येक पहलू को स्पष्ट कीजिए।
  143. प्रश्न- जॉन डीवी के उपयोगिता शिक्षा सिद्धान्त को स्पष्ट कीजिए।
  144. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (भारतीय शैक्षिक विचारक : महात्मा गाँधी)
  145. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (भारतीय शैक्षिक विचारक : रवीन्द्रनाथ टैगोर)
  146. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (भारतीय शैक्षिक विचारक : गिज्जू भाई )
  147. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (भारतीय शैक्षिक विचारक : स्वामी विवेकानन्द )
  148. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (भारतीय शैक्षिक विचारक : जे० कृष्णमूर्ति )
  149. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (पाश्चात्य शैक्षिक विचारक : प्लेटो)
  150. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (पाश्चात्य शैक्षिक विचारक : रूसो )
  151. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (पाश्चात्य शैक्षिक विचारक : पाउलो फ्रेइरे)
  152. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (पाश्चात्य शैक्षिक विचारक : जॉन ड्यूवी )

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