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एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - चतुर्थ प्रश्नपत्र - अनुसंधान पद्धति

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :172
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2696
आईएसबीएन :0

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एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - चतुर्थ प्रश्नपत्र - अनुसंधान पद्धति

प्रश्न- अन्वेषणात्मक शोध अभिकल्प की व्याख्या करें।

उत्तर -

अन्वेषणात्मक अथवा निरुपणात्मक अभिकल्प
(Exploratory or Formulative Design)

जब किसी समस्या के सैद्धान्तिक तथा व्यावहारिक पक्ष की पर्याप्त जानकारी नहीं होती एवं अनुसन्धानकर्ता का उद्देश्य किसी विशेष सामाजिक घटना के लिए उत्तरदायी कारणों को खोज निकालना होता है, तब अध्ययन के लिए जिस शोध प्रारूप का प्रयोग किया जाता है, उसे हम अन्वेषणात्मक अथवा निरूपणात्मक शोध प्रारूप कहते हैं। ऐसे शोध प्रारूप का सम्बन्ध प्राथमिक शोध से है जिसके अन्तर्गत समस्या के विषय में प्राथमिक जानकारी प्राप्त करके भावी अध्ययन की आधारशिला तैयार की जाती है। हंसराज ने लिखा है, “अन्वेषणात्मक शोध किसी भी विशिष्ट अध्ययन के लिए परिकल्पना का निर्माण करने एवं उससे सम्बद्ध अनुभव प्राप्त करने के लिए आवश्यक है।" समाज वैज्ञानिकों की यह मान्यता है कि प्रत्येक घटना का कोई न कोई कारण अवश्य होता है, इसलिए अन्वेषणात्मक अथवा निरूपणात्मक शोध प्रारूप ही एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा घटनाओं में व्याप्त नियमितता (regularity) और श्रृंखलाबद्धता (sequence) को स्पष्ट किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त्, कभी-कभी शोध-विषय की उपयुक्तता का ज्ञान प्राप्त करने के लिए भी इस प्रकार के शोध प्रारूप का निर्माण किया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि हम यह ज्ञात करना चाहते हैं कि सम्भ्रान्त एवं धनी परिवारों के किशोरों में विचलित व्यवहार को प्रोत्साहन देने वाले कारण क्या हैं, तो ऐसे शोध कार्य के लिए अन्वेषणात्मक शोध प्रारूप ही उपुयक्त हो सकता है।

अन्वेषणात्मक शोध अभिकल्प की अनिवार्यतायें
(Essentials of Exploratory Research Design)

अन्वेषणात्मक शोध प्रारूप की सफलता कुछ अनिवार्य दशाओं पर आधारित है। इसका तात्पर्य यह है कि ऐसे शोध प्रारूप की योजना तैयार करने के लिए कुछ विशेष दशाओं पर ध्यान देना अथवा उनका पालन करना अनिवार्य होता है-

(1) साहित्य का सर्वेक्षण (Review of Literature ) - अन्वेषणात्मक शोध प्रारूप की सफलता के लिए यह आवश्यक है कि अध्ययन विषय से सम्बन्धित प्रकाशित एवं अप्रकाशित साहित्य का अधिक से अधिक अध्ययन किया जाय। साहित्य के सर्वेक्षण से उपकल्पना के निर्माण में सहायता मिलती है तथा शोधकर्ता इधर-उधर भटकने से बच जाता है। इससे शोधकर्ता के श्रम, समय और व्यय में भी बचत होती है।

(2) अनुभव सर्वेक्षण (Experience Survey) - ज्ञान का एक बड़ा भाग अलिखित रूप में विद्यमान होता है। इस स्थिति में शोधकर्ता के लिए यह आवश्यक है कि ऐसे व्यक्तियों से अध्ययन विषय से सम्बन्धित ज्ञान प्राप्त किया जाय जिन्हें समस्या के विषय में पर्याप्त अनुभव होता है। इस प्रकार से संचित व्यावहारिक अनुभव शोधकर्ता को न केवल अध्ययन विषय की वास्तविकता से परिचित कराते हैं बल्कि उसके लिए पथ-प्रदर्शक का भी कार्य करते हैं।

(3) सूचनादाताओं का चयन (Selection of Respondents) - अन्वेषणात्मक शोध प्रारूप की सफलता इस तथ्य पर आधारित है कि तथ्यों के संकलन के लिए ऐसे सूचनादाताओं का चयन -- किया जाय जिनसे अध्ययन के लिए वास्तविकता अन्तर्दृष्टि प्राप्त हो सके। यह कार्य प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष दोनों विधियों से किया जाना चाहिए। प्रत्यक्ष विधि द्वारा ऐसे सूचनादाताओं का चयन किया जाता है जो अध्ययन - विषय के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी रखते हैं। उदाहरण के लिए, यदि अध्ययन की समस्या शिक्षा से सम्बन्धित हो तो प्रसिद्ध शिक्षाविदों तथा शिक्षा अधिकारियों में से कुछ का चयन करना प्रत्यक्ष विधि के अन्तर्गत आयेगा। अप्रत्यक्ष सूचनादाताओं में वे लोग होते हैं जिनका समस्या से कोई प्रत्यक्ष सम्बन्ध नहीं होता फिर भी उनकी सूचनाएँ अध्ययन विषय के विभिन्न पक्षों को उजागर करने में महत्वपूर्ण सिद्ध होती हैं। इस दृष्टिकोण से गाँव पंचायत के पदाधिकारियों, अभिभावकों तथा कुछ प्रबुद्ध नागरिकों से सूचनाएँ प्राप्त करना अप्रत्यक्ष विधि से सम्बन्धित है। ऐसी समस्त सूचनाएँ अध्ययन को वास्तविक अन्तर्दृष्टि प्रदान करती हैं।

(4) उपयुक्त प्रश्न पूछना (Proper Questioning) - अन्वेषणात्मक शोध प्रारूप की सफलता के लिए आवश्यक है कि अध्ययन विषय से सम्बन्धित प्रश्न पूछने में किसी उपयुक्त विधि को अपनाया जाय। इसके अभाव में यथार्थ सूचनाएँ एकत्रित नहीं की जा सकतीं जिसके फलस्वरूप कितनी भी सावधानी से निर्मित किया गया प्रारूप अनुपयोगी हो जाता है।

(5) अन्तर्दृष्टि - प्रेरक घटनाओं का विश्लेषण (Analysis of Insight Stimulating Cases) - ऐसे शोध प्रारूप की एक महत्वपूर्ण अनिवार्यता अन्तर्दृष्टि प्रेरक घटनाओं का विश्लेषण करना है। इसका तात्पर्य यह है कि अध्ययन विषय से सम्बन्धित कुछ पक्ष अथवा क्षेत्र ऐसे भी हो सकते हैं

जिनके बारे में शोधकर्ता का ज्ञान सीमित हो परन्तु उनके निरन्तर विश्लेषण एवं अनुशीलन से अध्ययन विषय से सम्बन्धित एक व्यावहारिक अन्तर्दृष्टि प्राप्त हो सकती है। उदाहरण के लिए, भारत में नवीन अभिजन वर्ग की प्रवृत्तियों एवं व्यवहार प्रतिमानों से सम्बद्ध ज्ञान अभी तक बहुत सीमित है। इस स्थिति में नवीन अभिजन वर्ग से सम्बन्धित व्यवहारों एवं घटनाओं का जितना अधक विश्लेषण किया जायेगा, आगामी अध्ययन के लिए शोधकर्ता की सूझ-बूझ उतनी ही पैनी बन सकती है। फ्रायड ने घटनाओं के गहन विश्लेषण के द्वारा ही एक ऐसी अन्तर्दृष्टि प्राप्त की जिसके द्वारा वह मानव व्यवहारों को कहीं अधिक सफल रूप से स्पष्ट कर सका।

अन्वेषणात्मक शोध प्रारूप के कार्य अथवा महत्व
(Functions of Exploratory Research Design)

अन्वेषणात्मक शोध प्रारूप के कार्य अथवा महत्व अग्र प्रकार हैं-

(1) शोध समस्या के महत्व पर प्रकाश डालना तथा सम्बन्धित विषय पर शोधकर्ताओं के ध्यान को आकर्षित करना।
(2) पूर्व-निर्धारित परिकल्पनाओं का तात्कालिक दशाओं में परीक्षण करना।
(3) विभिन्न अनुसन्धान पद्धतियों की उपयुक्तता की सम्भावनाओं को स्पष्ट करना।
(4) अनुसन्धान कार्य से सम्बन्धित अनिश्चित दशाओं को एक निश्चित स्वरूप प्रदान करना।
(5) नवीन अनुसन्धान कार्यों को एक निश्चित दिशा प्रदान करने के लिए नवीन परिकल्पनाओं को विकसित करना।
(6) किसी विशेष समस्या के व्यापक और गहन अध्ययन के लिए एक व्यावहारिक आधारशिला तैयार करना।
(7) विज्ञान की परम्परागत सीमाओं में सुधार करके उसके क्षेत्र का विस्तार करना,
(8) अन्तर्दृष्टि-प्रेरक घटनाओं का विश्लेषण करना एवं अध्ययन की नवीन सम्भावनाओं को विकसित करना।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- अनुसंधान की अवधारणा एवं चरणों का वर्णन कीजिये।
  2. प्रश्न- अनुसंधान के उद्देश्यों का वर्णन कीजिये तथा तथ्य व सिद्धान्त के सम्बन्धों की व्याख्या कीजिए।
  3. प्रश्न- शोध की प्रकृति पर प्रकाश डालिए।
  4. प्रश्न- शोध के अध्ययन-क्षेत्र का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  5. प्रश्न- 'वैज्ञानिक पद्धति' क्या है? वैज्ञानिक पद्धति की विशेषताओं की व्याख्या कीजिये।
  6. प्रश्न- वैज्ञानिक पद्धति के प्रमुख चरणों का वर्णन कीजिए।
  7. प्रश्न- अन्वेषणात्मक शोध अभिकल्प की व्याख्या करें।
  8. प्रश्न- अनुसन्धान कार्य की प्रस्तावित रूपरेखा से आप क्या समझती है? इसके विभिन्न सोपानों का वर्णन कीजिए।
  9. प्रश्न- शोध से क्या आशय है?
  10. प्रश्न- शोध की विशेषतायें बताइये।
  11. प्रश्न- शोध के प्रमुख चरण बताइये।
  12. प्रश्न- शोध की मुख्य उपयोगितायें बताइये।
  13. प्रश्न- शोध के प्रेरक कारक कौन-से है?
  14. प्रश्न- शोध के लाभ बताइये।
  15. प्रश्न- अनुसंधान के सिद्धान्त का महत्व क्या है?
  16. प्रश्न- वैज्ञानिक पद्धति के आवश्यक तत्त्व क्या है?
  17. प्रश्न- वैज्ञानिक पद्धति का अर्थ लिखो।
  18. प्रश्न- वैज्ञानिक पद्धति के प्रमुख चरण बताओ।
  19. प्रश्न- गृह विज्ञान से सम्बन्धित कोई दो ज्वलंत शोध विषय बताइये।
  20. प्रश्न- शोध को परिभाषित कीजिए तथा वैज्ञानिक शोध की कोई चार विशेषताएँ बताइये।
  21. प्रश्न- गृह विज्ञान विषय से सम्बन्धित दो शोध विषय के कथन बनाइये।
  22. प्रश्न- एक अच्छे शोधकर्ता के अपेक्षित गुण बताइए।
  23. प्रश्न- शोध अभिकल्प का महत्व बताइये।
  24. प्रश्न- अनुसंधान अभिकल्प की विषय-वस्तु लिखिए।
  25. प्रश्न- अनुसंधान प्ररचना के चरण लिखो।
  26. प्रश्न- अनुसंधान प्ररचना के उद्देश्य क्या हैं?
  27. प्रश्न- प्रतिपादनात्मक अथवा अन्वेषणात्मक अनुसंधान प्ररचना से आप क्या समझते हो?
  28. प्रश्न- 'ऐतिहासिक उपागम' से आप क्या समझते हैं? इस उपागम (पद्धति) का प्रयोग कैसे तथा किन-किन चरणों के अन्तर्गत किया जाता है? इसके अन्तर्गत प्रयोग किए जाने वाले प्रमुख स्रोत भी बताइए।
  29. प्रश्न- वर्णात्मक शोध अभिकल्प की व्याख्या करें।
  30. प्रश्न- प्रयोगात्मक शोध अभिकल्प क्या है? इसके विविध प्रकार क्या हैं?
  31. प्रश्न- प्रयोगात्मक शोध का अर्थ, विशेषताएँ, गुण तथा सीमाएँ बताइए।
  32. प्रश्न- पद्धतिपरक अनुसंधान की परिभाषा दीजिए और इसके क्षेत्र को समझाइए।
  33. प्रश्न- क्षेत्र अनुसंधान से आप क्या समझते है। इसकी विशेषताओं को समझाइए।
  34. प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण का अर्थ व प्रकार बताइए। इसके गुण व दोषों की विवेचना कीजिए।
  35. प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण से आप क्या समझते हैं? इसके प्रमुख प्रकार एवं विशेषताएँ बताइये।
  36. प्रश्न- सामाजिक अनुसन्धान की गुणात्मक पद्धति का वर्णन कीजिये।
  37. प्रश्न- क्षेत्र-अध्ययन के गुण लिखो।
  38. प्रश्न- क्षेत्र-अध्ययन के दोष बताओ।
  39. प्रश्न- क्रियात्मक अनुसंधान के दोष बताओ।
  40. प्रश्न- क्षेत्र-अध्ययन और सर्वेक्षण अनुसंधान में अंतर बताओ।
  41. प्रश्न- पूर्व सर्वेक्षण क्या है?
  42. प्रश्न- परिमाणात्मक तथा गुणात्मक सर्वेक्षण का अर्थ लिखो।
  43. प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण का अर्थ बताकर इसकी कोई चार विशेषताएँ बताइए।
  44. प्रश्न- सर्वेक्षण शोध की उपयोगिता बताइये।
  45. प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण के विभिन्न दोषों को स्पष्ट कीजिए।
  46. प्रश्न- सामाजिक अनुसंधान में वैज्ञानिक पद्धति कीक्या उपयोगिता है? सामाजिक अनुसंधान में वैज्ञानिक पद्धति की क्या उपयोगिता है?
  47. प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण के विभिन्न गुण बताइए।
  48. प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण तथा सामाजिक अनुसंधान में अन्तर बताइये।
  49. प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण की क्या सीमाएँ हैं?
  50. प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण की सामान्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  51. प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण की क्या उपयोगिता है?
  52. प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण की विषय-सामग्री बताइये।
  53. प्रश्न- सामाजिक अनुसंधान में तथ्यों के संकलन का महत्व समझाइये।
  54. प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण के प्रमुख चरणों की विवेचना कीजिए।
  55. प्रश्न- अनुसंधान समस्या से क्या तात्पर्य है? अनुसंधान समस्या के विभिन्न स्रोतक्या है?
  56. प्रश्न- शोध समस्या के चयन एवं प्रतिपादन में प्रमुख विचारणीय बातों का वर्णन कीजिये।
  57. प्रश्न- समस्या का परिभाषीकरण कीजिए तथा समस्या के तत्वों का विश्लेषण कीजिए।
  58. प्रश्न- समस्या का सीमांकन तथा मूल्यांकन कीजिए तथा समस्या के प्रकार बताइए।
  59. प्रश्न- समस्या के चुनाव का सिद्धान्त लिखिए। एक समस्या कथन लिखिए।
  60. प्रश्न- शोध समस्या की जाँच आप कैसे करेंगे?
  61. प्रश्न- अनुसंधान समस्या के प्रकार बताओ।
  62. प्रश्न- शोध समस्या किसे कहते हैं? शोध समस्या के कोई चार स्त्रोत बताइये।
  63. प्रश्न- उत्तम शोध समस्या की विशेषताएँ बताइये।
  64. प्रश्न- शोध समस्या और शोध प्रकरण में अंतर बताइए।
  65. प्रश्न- शैक्षिक शोध में प्रदत्तों के वर्गीकरण की उपयोगिता क्या है?
  66. प्रश्न- समस्या का अर्थ तथा समस्या के स्रोत बताइए?
  67. प्रश्न- शोधार्थियों को शोध करते समय किन कठिनाइयों का सामना पड़ता है? उनका निवारण कैसे किया जा सकता है?
  68. प्रश्न- समस्या की विशेषताएँ बताइए तथा समस्या के चुनाव के अधिनियम बताइए।
  69. प्रश्न- परिकल्पना की अवधारणा स्पष्ट कीजिये तथा एक अच्छी परिकल्पना की विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
  70. प्रश्न- एक उत्तम शोध परिकल्पना की विशेषताएँ बताइये।
  71. प्रश्न- उप-कल्पना के परीक्षण में होने वाली त्रुटियों के बारे में उदाहरण सहित बताइए तथा इस त्रुटि से कैसे बचाव किया जा सकता है?
  72. प्रश्न- परिकल्पना या उपकल्पना से आप क्या समझते हैं? परिकल्पना कितने प्रकार की होती है।
  73. प्रश्न- उपकल्पना के स्रोत, उपयोगिता तथा कठिनाइयाँ बताइए।
  74. प्रश्न- उत्तम परिकल्पना की विशेषताएँ लिखिए।
  75. प्रश्न- परिकल्पना से आप क्या समझते हैं? किसी शोध समस्या को चुनिये तथा उसके लिये पाँच परिकल्पनाएँ लिखिए।
  76. प्रश्न- उपकल्पना की परिभाषाएँ लिखो।
  77. प्रश्न- उपकल्पना के निर्माण की कठिनाइयाँ लिखो।
  78. प्रश्न- शून्य परिकल्पना से आप क्या समझते हैं? उदाहरण सहित समझाइए।
  79. प्रश्न- उपकल्पनाएँ कितनी प्रकार की होती हैं?
  80. प्रश्न- शैक्षिक शोध में न्यादर्श चयन का महत्त्व बताइये।
  81. प्रश्न- शोधकर्त्ता को परिकल्पना का निर्माण क्यों करना चाहिए।
  82. प्रश्न- शोध के उद्देश्य व परिकल्पना में क्या सम्बन्ध है?
  83. प्रश्न- महत्वशीलता स्तर या सार्थकता स्तर (Levels of Significance) को परिभाषित करते हुए इसका अर्थ बताइए?
  84. प्रश्न- शून्य परिकल्पना में विश्वास स्तर की भूमिका को समझाइए।

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