बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - तृतीय प्रश्नपत्र - सामुदायिक विकास एवं प्रसार प्रबन्धन एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - तृतीय प्रश्नपत्र - सामुदायिक विकास एवं प्रसार प्रबन्धनसरल प्रश्नोत्तर समूह
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एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - तृतीय प्रश्नपत्र - सामुदायिक विकास एवं प्रसार प्रबन्धन
प्रश्न- समुदाय के प्रकार बताइए।
उत्तर -
समुदाय के प्रकार
समुदाय एक निश्चित स्थान या भूभाग में रहने वाले व्यक्तियों का ऐसा समूह है, जिसकी एक संस्कृति होती है, एक जैसी जीवन प्रणाली होती है जो अपनी सभी आवश्यकताओं की पूर्ति समुदाय के भीतर ही पूरी कर लेते हैं।
इस प्रकार उनमें वय भावना होती है और समुदाय के प्रति वफादारी का भाव होता है।
समुदाय शब्द लैटिन भाषा के 'Com' तथा 'Munis' शब्दों से बना है। Com का अर्थ है Together अर्थात् एक साथ मिलकर सेवा करना।
इस प्रकार समुदाय का अर्थ है एक साथ मिलकर सेवा करना। अन्य शब्दों में हम कह सकते हैं कि व्यक्तियों का एक ऐसा समूह जिसमें परस्पर सहयोग द्वारा अपने अधिकारों का उपयोग किया गया है, समुदाय कहलाता है।
आगबर्न एवं निमकॉफ के अनुसार - "एक सीमित क्षेत्र के अन्दर रहने वाले सामाजिक जीवन के पूर्ण संगठन को समुदाय कहा जा सकता है। "
समुदाय के प्रकार
समुदाय के दो प्रकार बताये गये हैं -
(1 ) ग्रामीण समुदाय
प्रारम्भिक काल से ही मानव जीवन का निवास स्थान ग्रामीण समुदाय रहा है। धीरे-धीरे एक ऐसा समय आया जब हमारी ग्रामीण जनसंख्या चरमोत्कर्ष पर पहुँच गयी। आज औद्योगीकरण एवं शहरीकरण का प्रभाव मानव को शहर की तरफ प्रोत्साहित तो कर रहा है लेकिन आज भी शहरी दूषित वातावरण से प्रभावित लोग ग्रामीण पवित्रता एवं शुद्धता को देखकर ग्रामीण समुदाय में बसने के लिये प्रोत्साहित हो रहे हैं।
ग्रामीण समुदाय की विशेषताएँ
ग्रामीण समुदाय की कुछ ऐसी विशेषताएँ होती हैं जो अन्य समुदाय में नहीं पाई जाती हैं। ग्रामीण समुदाय में पाया जाने वाला प्रतिमान एक विशेष प्रकार का होता है।
(1) प्राकृतिक निकटता - ग्रामवासियों का मुख्य व्यवसाय कृषि एवं उससे सम्बन्धित कार्य होता है।
(2) कृषि व्यवसाय - ग्रामीण अंचल में रहने वाले अधिकाधिक ग्रामवासियों का खेती योग्य जमीन पर स्वामित्व होता है, खेती करना।
(3) जातिवाद एवं धर्म का अधिक महत्व - रूढ़िवादिता एवं परम्परावाद ग्रामीण जीवन के मूल में समाजशास्त्रीय लक्षण हैं। फलस्वरूप आज भी जातिवाद, धर्मवाद में हमारी अटूट श्रद्धा है। ग्रामीण समाज में छुआछूत व संकीर्णता पर विशेष बल दिया जाता है।
(4) सरल और सादा जीवन - ग्रामीण समुदाय के अधिकारिक सदस्यों का जीवन सरल एवं सामान्य होता है। इनके ऊपर शहरी चमक-दमक का प्रभाव कम होता है।
(5) संयुक्त परिवार ग्रामीण - समुदाय में संयुक्त परिवार का अपना विशेष महत्व है। इनके ऊपर शहरी चमक-दमक का प्रभाव कम होता है। उनका जीवन कृत्रिमता से दूर सादगी में रमा रहता है।
(6) सामाजिक जीवन में समीपता वास्तव में ग्रामीण जीवन में अत्यधिक समीपता पाई जाती है।
(7) सामुदायिक भावना - ग्रामीण समुदाय की एक महत्वपूर्ण विशेषता इनके अन्दर सामुदायिक भावना पायी जाती है। ये लोग एक साथ रहने की इच्छा रखते हैं।
(8) स्त्रियों की निम्न स्थिति - ग्रामीण समुदाय में स्त्रियों की निम्न स्थिति पायी जाती है। यहाँ पर स्त्रियों की अशिक्षा इसका प्रमुख कारण बनती है।
(2) नगरीय समुदाय
विभिन्न विद्वानों द्वारा व्यक्त परिभाषाओं के अतिरिक्त नगरीय समुदाय को स्पष्ट करने के लिये आवश्यक है कि इसकी कुछ प्रमुख विशेषताओं की चर्चा की जाये।
नगर के विकास के इतिहास से पता चलता है कि कुछ नगर तो नियोजित ढंग से बसाये गये हैं लेकिन कुछ ग्रामीण समुदाय के आकार के बढ़ने से नगर का रूप धारण कर गये हैं।
नगरीय समुदाय का अर्थ है- नगरीय शब्द नगर से बना है जिसका अर्थ नगरों से सम्बन्धित है। जैसे- शहरी समुदाय को एक सूत्र में बाँधना अत्यन्त कठिन है। यद्यपि हम नगरीय समुदाय को देखते हैं, वहाँ के विचारों से पूर्ण अवगत हैं लेकिन उसे परिभाषित करना आसान नहीं है।
नगरीय समुदाय की विशेषताएँ - यह निम्नलिखित हैं -
(1) जनसंख्या का अधिक घनत्व - रोजगार की तलाश में गाँव से शिक्षित एवं अशिक्षित बेरोजगार व्यक्ति शहर में आते हैं। जनसंख्या वृद्धि के कारण आज सीमित जमीन में लोगों को जीवन निर्वाह करना कठिन पड़ रहा है।
(2) विभिन्न संस्कृतियों का केन्द्र - कोई नगर किसी एक विशेष संस्कृति के जनसमुदाय के लिये आरक्षित नहीं होता। इसलिए देश के विभिन्न गाँवों से लोग नगर में आते हैं और वहीं बस जाते हैं।
(3) औपचारिक सम्बन्ध - नगरीय समुदाय में औपचारिक सम्बन्ध का बाहुल्य होता है। देखा जाता है कि सदस्यों का व्यस्त जीवन आपसी सम्बन्ध औपचारिक होता है।
(4) अन्धविश्वासों में कमी - नगरीय समुदाय में विकास के साधन एवं सुविधाओं की उपलब्धता के साथ-साथ यहाँ शिक्षा, सामाजिक बोध ग्रामीण समुदाय से अधिक पाया जाता है।
(5) अनामकता - नगरीय समुदाय की विशालता एवं उसके व्यस्त जीवन के कारण लोगों को पता ही नहीं होता है कि पड़ोस में कौन रहता है और क्या करता है।
(6): आवास की समस्या - कारखाने वाले नगरों में नौकरी की तलाश में श्रमिकों की संख्या बढ़ जाती है जिसके कारण उनके रहने के लिये उपयुक्त स्थान नहीं मिल पाता है और झुग्गी-झोपड़ी जैसी बस्तियाँ बढ़ने लगती हैं।
(7) वर्ग अतिवाद - नगरीय समुदाय में धनियों के धनी और गरीब से गरीब वर्ग के लोग पाये जाते हैं अर्थात् यहाँ एक तरफ भव्य कोठियों में रहने वाले ऐश्वर्यपूर्ण जीवन व्यतीत करने वाले लोग तथा दूसरी तरफ मकानों के अभाव में गरीब एवं कमजोर सड़क की पटरियों पर सोने वाले भरपेट भोजन न नसीब होने वाले लोग भी निवास करते हैं।
(8) गाँव, कस्बा, कोई नई बस्ती, नगर, राष्ट्र, जनजाति (जोकि एक निश्चित क्षेत्र में निवास करती है) इत्यादि समुदायों के प्रमुख उदाहरण हैं।
इनमें समुदाय के सभी आधारभूत तत्व तथा विशेषताएँ पायी जाती हैं। परन्तु कुछ ऐसे समूह अथवा संगठन भी हैं जिनमें समुदाय की कुछ विशेषताएँ तो पाई जाती हैं, परन्तु कुछ में नहीं। ऐसे समूहों को सीमावर्ती समुदायों की संज्ञा दी जाती है।
समुदाय की कुछ विशेषताएँ न होने के कारण इन्हें पूरी तरह से समुदाय नहीं माना जा सकता है।
जाति, जेल, पड़ोस तथा राज्य सीमावर्ती समुदायों के उदाहरण हैं। ये समुदाय तो नहीं हैं परन्तु समुदाय की कुछ विशेषताओं का इनमें समावेश होने के कारण इनके समुदाय होने का भ्रम उत्पन्न होता है।
निष्कर्ष - निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि समुदाय एक निश्चित स्थान या भू-भाग में रहने वाले व्यक्तियों का एक ऐसा समूह है, जिसकी एक संस्कृति होती है, एक जैसी जीवन प्रणाली होती है, जो अपनी सभी आवश्यकताओं की पूर्ति समुदाय के भीतर ही पूरी कर लेते हैं। इस प्रकार उनमें वय भावना होती है और समुदाय के प्रति वफादारी का भाव होता है।
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- प्रश्न- प्रसार शिक्षा की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा का क्षेत्र समझाइए।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा के उद्देश्य बताइये।
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