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एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - तृतीय प्रश्नपत्र - सामुदायिक विकास एवं प्रसार प्रबन्धन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :172
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2695
आईएसबीएन :0

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एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - तृतीय प्रश्नपत्र - सामुदायिक विकास एवं प्रसार प्रबन्धन

प्रश्न- महिला सशक्तिकरण से आपका क्या तात्पर्य है? भारत में महिला सशक्तिकरण हेतु क्या प्रयास किए जा रहे हैं?

उत्तर -

महिला सशक्तिकरण महज एक शास्त्र सम्बन्धी नारा नहीं है। हम इसे निरर्थक रूप में नहीं ले सकते। हमारे राष्ट्र के लिए, हमारे समुदाय के लिए, हमारे प्रजातन्त्र की संस्थाओं के लिए और हमारे परिवारों के लिए वास्तव में इस नारे के उद्देश्यों की वास्तविकता को समझना अत्यधिक आवश्यक है।

सम्पूर्ण रूप में, भारतीय महिलाओं का सशक्तिकरण भारत के सशक्तिकरण में ही है। इसके विपरीत कई कमजोरियाँ, अनुपलब्धियाँ, दोष और बिगड़े हुए कार्य जो आज हम हमारे सामाजिक और राष्ट्रीय जीवन में देख रहे हैं वह प्रत्यक्ष रूप में निम्न तथ्य के कारण हैं-

(1) हमने अपनी महिलाओं के प्रति अन्याय और असमानता रखी है।
(2) हमने हमारे आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक और सांस्कृतिक जीवन के कई क्षेत्रों में कई महिलाओं के लिए अवसरों के द्वार बन्द कर रखे हैं।
(3) हम अपनी बहनों एवं पुत्रियों की पूर्ण क्षमताओं का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं।

चूँकि साक्षरता मानवीय क्रियाओं के प्रत्येक क्षेत्र में महत्वपूर्ण होती है अतः साक्षरता को आगे बढ़ाने में सफलता पाना और लिंग विभाजन को कम करना महिला सशक्तिकरण को दर्शाता है जो कि सामाजिक विकास में प्रभावशाली योगदान हेतु आवश्यक है।

महिलाएँ हमारे देश की आबादी का लगभग आधा भाग हैं, इसलिए राष्ट्र के विकास में. महिलाओं की भूमिका तथा योगदान को पूरी तरह और सही परिप्रेक्ष्य में रखकर ही राष्ट्र निर्माण के कार्य को समझा जा सकता है। भारत जैसे देश में जहाँ लोकतान्त्रिक तरीके से कार्य किया जाता है, जहाँ महिलाओं की प्रगति व कल्याण में रुचि लेने वाला समाज का एक प्रभावशाली वर्ग विद्यमान है, महिला सशक्तिकरण आन्दोलन का और सुदृढ़ होना निश्चित है।

महिला सशक्तिकरण अपने आप में एक व्यापक अवधारणा है। सशक्तिकरण का अर्थ पुरुष की बराबरी करना नहीं है, वरन् समाज में नारी को सशक्त करना है। महिला सशक्तिकरण को तीन भागों में विभक्त किया जा सकता है-

(1) अधिकार के प्रति सशक्त बनाना।
(2) आर्थिक क्षेत्र में सशक्तिकरण।
(3) सामाजिक क्षेत्र में सशक्तिकरण।

भारत में महिला सशक्तिकरण की अवधारणा पंचवर्षीय योजनाओं के तहत गुजरी है-

(1) प्रथम चरण में महिला कल्याण की भावना को सम्मिलित किया गया।
(2) द्वितीय चरण के अन्तर्गत 7वीं योजना में महिला विकास को आधार बनाया गया।
(3) तृतीय चरण के अन्तर्गत 8वीं योजना में महिला सशक्तिकरण का लक्ष्य रखा गया। जिसमें महिला सशक्तिकरण एवं महिला पुरुष समानता के साथ ही इस विचार को स्थापित किया जा रहा है कि स्त्री-पुरुष के बीच प्रतिद्वन्द्विता न होकर उनके बीच समान भागीदारी की भावना होनी चाहिए।

सशक्तिकरण का अर्थ इस प्रकार है- "आत्म जागृति की वह प्रक्रिया जो मानवीय विकास के सभी भागों का विकास करती है ताकि सही कार्य करने एवं निर्णय लेने की योग्यता विकसित की जा सके। "

21वीं सदी का काल, परिवर्तनों का काल है। विभिन्न परिवर्तनों में से एक बहुत महत्वपूर्ण परिवर्तन है,  महिलाओं की स्थिति में परिवर्तन। इस परिवर्तन ने महिलाओं की स्थिति को सशक्तिकरण की ओर अभिप्रेरित किया है। नारी का खोया हुआ वर्चस्व उसे नये सिरे से प्राप्त करना ही उसे सशक्त बनाता है।

किन्तु वर्तमान समय में नारी की तेजस्विता धूमिल हुई अतः आवश्यक है कि नारी स्वयं अपनी आत्म चेतना को जागृत करे। स्वयं नारी के लिए यह प्रश्न आवश्यक है कि वह अपनी खोई हुई स्थिति को कैसे प्राप्त करे या अपने आप को कैसे पुनः स्थापित करे? इसका उत्तर है— नारी सशक्तिकरण। नारी सशक्तिकरण का तात्पर्य है— नारी के सर्वांगीण विकास की प्रक्रिया।

महिला सशक्तिकरण का उद्देश्य यही है कि ऐसी पुरुष प्रधान सामाजिक प्रकृति वाले समाज में नारी के सम्मान की पुनर्स्थापना हो। उस अन्यायकारी सामाजिक व्यवस्था का उन्मूलन हो, जिसमें स्त्रियों के लिए नकारात्मक मानसिकता होती हो। उसमें यह भावना जागनी चाहिए कि वे अपने को असहाय न समझे और अपनी सामर्थ्य को पहचान कर प्रगति- की दिशा में अग्रसर हो सके।

भारत में महिला सशक्तिकरण हेतु किये गये प्रयास
(Women Empowerment in India)

(1) राजा राममोहन राय द्वारा स्त्रियों की स्थिति को सुधारने हेतु कई प्रयत्न किये गये। उन्होंने सन् 1828 में ब्रह्म समाज की स्थापना की और उन्हीं के प्रयत्नों से सन् 1829 में सती प्रथा, कानून द्वारा बन्द की गई। साथ ही उन्होंने विधवा पुनर्विवाह को प्रचलित कराने का प्रयत्न किया व बाल विवाह को समाप्त करने की दिशा में प्रयास किया। दयानन्द सरस्वती ने हिन्दू समाज को वैदिक आदर्शों की ओर ले जाने का प्रयत्न किया। उन्होंने स्त्री शिक्षा को प्रोत्साहित करने, बाल-विवाह को रोकने एवं विधवा-पुनर्विवाह निषेध का विरोध किया। इन्हीं के प्रयत्नों से सन् 1856 में "विधवा पुनर्विवाह अधिनियम पारित किया गया। उन्होंने स्त्री-शिक्षा का प्रसार कर स्त्रियों को अपने अधिकारों के प्रति जागृत करने का प्रयत्न किया। केशवचन्द्र के प्रयत्नों से सन् 1872 में "विशेष विवाह अधिनियम पारित हुआ जिसके द्वारा विधवा पुनर्विवाह एवं अन्तर्जातीय विवाह को मान्यता प्रदान की गई। इस अधिनियम के द्वारा एक विवाह प्रथा को अनिवार्य कर दिया गया।

(2) 19वीं शताब्दी में लड़कियों की शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया। इस शताब्दी के आरम्भ में लड़कियों की शिक्षा के लिए कोई विशेष व्यवस्था नहीं थी, किन्तु इसी शताब्दी के मध्य में उनके लिए अनेक प्राथमिक स्कूल खोले गये और सन् 1902 में तो विभिन्न शिक्षण-संस्थाओं में लड़कियों की संख्या 2,56,000 हो गई। बढ़ती हुई स्त्री शिक्षा ने महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक बनने में विशेष योगदान दिया। इसी शताब्दी में कई महिलाओं एवं स्त्री संगठनों ने स्त्रियों को अधिकार दिलाने एवं उन्हें जाग्रत करने के प्रयत्न किये। रमाबाई रानाडे, मैडम कामा, तौरूदत्त, मारग्रेट नोबल, ऐनीबेसेन्ट तथा स्वर्णकुमारी आदि महिलाओं ने तथा अनेक स्त्री संगठनों जैसे अखिल भारतीय महिला सम्मेलन, भारतीय महिला समिति, विश्वविद्यालय महिला संघ, अखिल भारतीय स्त्री शिक्षा संस्था, 'कस्तूरबा गाँधी स्मारक ट्रस्ट' आदि ने भी स्त्रियों की स्थिति सुधारने में प्रयत्न किये।

(3) महात्मा गाँधी ने स्त्रियों की स्थिति को सुधारने का भरसक प्रयत्न किया। वह सदैव स्त्री-पुरुषों की समानता के समर्थक रहे। उन्होंने स्त्रियों को राष्ट्रीय आन्दोलन में सक्रिय भाग लेने के लिए प्रेरित किया। उन्हीं के प्रयत्नों से लाखों स्त्रियों ने स्वतन्त्रता आन्दोलन में भाग लिया। इससे स्त्रियों को अपनी शक्ति को पहचानने का अवसर मिला और वे प्रगति के पथ पर अग्रसर हुई। महात्मा गाँधी ने राष्ट्रीय काँग्रेस के माध्यम से स्त्रियों की स्थिति को सुधारने के सम्बन्ध में प्रतिवर्ष प्रस्ताव पारित कर ब्रिटिश सरकार का ध्यान इस समस्या की ओर आकर्षित किया। उन्होंने बाल विवाह का विरोध किया तथा विधवा-पुनर्विवाह एवं अन्तर्जातीय विवाह का समर्थन किया। इस प्रकार गाँधीजी स्त्रियों को समाज में उचित पुनर्विवाह स्थान दिलाने में सदैव प्रयत्नशील रहे।

(4) 20वीं शताब्दी में कई स्त्री संगठनों ने भी स्त्रियों में चेतना जागृत करने और उनकी स्थिति में सुधार लाने की दृष्टि से कई महत्वपूर्ण कार्य किये। सन् 1917 में चेन्नई में भारतीय महिला समिति (Indian Women's Association) गठित की गई। विभिन्न महिला संगठनों के प्रयत्नों से देश में "अखिल भारतीय महिला सम्मेलन"(All Indian Women's Conference) की स्थापना की गयी और सन् 1927 में पूना में इसका प्रथम अधिवेशन हुआ। इस संगठन ने स्त्री शिक्षा के प्रसार का विशेष प्रयत्न किया। इसी संगठन ने सन् 1932 में दिल्ली में "लेडी इरविन कॉलेज" की स्थापना की। इस संगठन ने आगे चलकर बाल-विवाह, बहुपत्नी विवाह एवं दहेज प्रथा आदि का विरोध किया। इसने स्त्रियों के लिए पुरुषों के समान सम्पत्ति अधिकारों और व्यस्क मताधिकार की माँग रखी। इस संगठन के अतिरिक्त "विश्वविद्यालय महिला संघ"'भारतीय ईसाई महिला मण्डल', 'अखिल भारतीय स्त्री - शिक्षा संस्था' एवं 'कस्तूरबा गाँधी स्मारक ट्रस्ट' आदि स्त्री संगठनों ने स्त्रियों की कमियों को दूर करने, सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करने और स्त्री-शिक्षा का प्रयास करने की दृष्टि से महत्वपूर्ण कार्य किया।

(5) 1970 के दशक में जहाँ 'महिला कल्याण' की अवधारणा अपनाई गई। सच तो यह हैं कि राष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण में बदलाव सन् 1975 की संयुक्त राष्ट्रसंघ की घोषणा के बाद आया जो दृष्टि पहले कल्याणपरक थी, अब वह समय के साथ-साथ बदलकर विकासमूलक हो गई। अतः 1980 के दशक में "महिला विकास"पर जोर दिया गया।

(6) सन् 1984 में भारत सरकार ने पृथक महिला विभाग की स्थापना की जिसमें स्वास्थ्य शिक्षा एवं रोजगार जैसी प्राथमिकताएँ रखी गई थी। महिला सशक्तिकरण पर नैरोबी में सम्पन्न हुई संयुक्त राष्ट्र सभा के बाद सन् 1985 से इस कार्य ने गति पकड़ी। महिला सशक्तिकरण हेतु 1985 में मानव संसाधन विकास मन्त्रालय के अन्तर्गत महिला और बाल-विकास का गठन किया गया। नोडल संगठन के रूप में यह विभाग योजनाएँ, नीतियाँ तथा कार्यक्रमों का क्रियान्वयन करता है जिससे महिलाओं एवं बच्चों की आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति में सुधार हो। सन् 1988 में नेशनल परस्पेक्टिव प्लान पर राष्ट्रीय घोषणा-पत्र जारी किया जिसमें महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए निर्वाचित घटकों में 35% आरक्षण का प्रावधान रखा गया था।

(7) सन् 1990 के दशक में 'महिला सशक्तिकरण पर जोर दिया जा रहा है। ऐसे प्रयास किये जा रहे हैं कि महिलाएँ निर्णय लेने की प्रक्रिया में सम्मिलित हों और नीति-निर्माण के स्तर पर भी उनकी सहभागिता रहे। सन् 1998 में केन्द्र प्रायोजित स्वशक्ति प्रोजेक्ट 5 वर्षों के लिए अनुमोदित किया गया है, इसमें 186 करोड़ रुपये के व्यय का प्रावधान है।

(8) संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा सन् 2000 को 'विश्व महिला दिवस' के रूप में वर्ष मनाया गया था। भारत में भी इसी तर्ज पर सन् 2001 को महिला सशक्तिकरण वर्ष के रूप में मनाने की घोषणा की गई थी। इसके अन्तर्गत एक टॉस्क फोर्स का गठन अगस्त 2000 में योजना आयोग के उपाध्यक्ष की अध्यक्षता में किया गया था। इसका कार्य महिलाओं के लिए बनाये गये कार्यक्रमों एवं नियमों का पुनरावलोकन करना था। 20 मार्च 2001 को संसद में महिला सशक्तिकरण पर राष्ट्रीय नीति मुहर लगा दी गई।

(9) 9वीं पंचवर्षीय योजन के तहत एक वृहद् नीति बनाई गई, जिसे Women's Component plan (WCP) का नाम दिया गया। इसके अनुसार यह तय किया गया कि कम से कम 30% लाभ व विधियाँ सिर्फ महिला सम्बन्धी क्षेत्र के लिए होंगी।

(10) सन् 2001 में स्वयं सिद्ध योजना प्रारम्भ की गई, जिसका उद्देश्य जागरुकता लाना तथा उन्हें छोटी आय देने वाली क्रियाओं द्वारा आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाना रहा है। इसके साथ ही महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य एवं ग्रामीण विकास को भी इसमें केन्द्रित किया गया है। इसके साथ ही इसके अन्तर्गत 42 हजार 'महिला स्वयं सहायता समूह गठित किये - जा चुके हैं।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- प्रसार शिक्षा से आप क्या समझते हैं? प्रसार शिक्षा को परिभाषित कीजिए।
  2. प्रश्न- प्रसार शिक्षा की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
  3. प्रश्न- प्रसार शिक्षा का क्षेत्र समझाइए।
  4. प्रश्न- प्रसार शिक्षा के उद्देश्य बताइये।
  5. प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा से आप क्या समझते हैं? गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का क्षेत्र समझाइये।
  6. प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा के उद्देश्यों का विस्तार से वर्णन कीजिये।
  7. प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा की विशेषताएँ समझाइये।
  8. प्रश्न- ग्रामीण विकास में गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का महत्व समझाइये।
  9. प्रश्न- प्रसार शिक्षा, शिक्षण पद्धतियों को प्रभावित करने वाले प्रमुख तत्वों का वर्णन करो।
  10. प्रश्न- प्रसार कार्यकर्त्ता की भूमिका तथा गुणों का वर्णन कीजिए।
  11. प्रश्न- दृश्य-श्रव्य साधन क्या हैं? प्रसार शिक्षा में दृश्य-श्रव्य साधन की भूमिका का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- सीखने और प्रशिक्षण की विधियाँ बताइए। प्रसार शिक्षण सीखने और प्रशिक्षण की कितनी विधियाँ हैं?
  13. प्रश्न- अधिगम या सीखने की प्रक्रिया में मीडिया की भूमिका बताइये।
  14. प्रश्न- अधिगम की परिभाषा देते हुए प्रसार अधिगम का महत्व बताइए।
  15. प्रश्न- प्रशिक्षण के प्रकार बताइए।
  16. प्रश्न- प्रसार कार्यकर्त्ता के प्रमुख गुण (विशेषताएँ) बताइये।
  17. प्रश्न- दृश्य-श्रव्य साधनों के उद्देश्य बताइये।
  18. प्रश्न- प्रसार शिक्षा की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?
  19. प्रश्न- प्रसार शिक्षा के मूल तत्व बताओं।
  20. प्रश्न- प्रसार शिक्षा के अर्थ एवं आवश्यकता की विवेचना कीजिए।
  21. प्रश्न- श्रव्य दृश्य साधन क्या होते हैं? इनकी सीमाएँ बताइए।
  22. प्रश्न- चार्ट और पोस्टर में अन्तर बताइए।
  23. प्रश्न- शिक्षण अधिगम अथवा सीखने और प्रशिक्षण की प्रक्रिया को समझाइए।
  24. प्रश्न- सीखने की विधियाँ बताइए।
  25. प्रश्न- समेकित बाल विकास सेवा (ICDS) कार्यक्रम को विस्तार से समझाइए।
  26. प्रश्न- महिला सशक्तिकरण से आपका क्या तात्पर्य है? भारत में महिला सशक्तिकरण हेतु क्या प्रयास किए जा रहे हैं?
  27. प्रश्न- स्वच्छ भारत अभियान की विस्तारपूर्वक विवेचना कीजिए। इस अभियान के उद्देश्यों का उल्लेख करें।
  28. प्रश्न- 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' योजना का वर्णन कीजिए।
  29. प्रश्न- उज्जवला योजना पर प्रकाश डालिए।
  30. प्रश्न- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- स्वच्छ भारत अभियान घर प्रकाश डालिए।
  32. प्रश्न- भारत में राष्ट्रीय विस्तारप्रणाली की रूपरेखा को विस्तारपूर्वक समझाइए।
  33. प्रश्न- स्वयं सहायता समूह पर टिप्पणी लिखिए।
  34. प्रश्न- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का उद्देश्य बताइये।
  35. प्रश्न- स्वच्छ भारत अभियान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  36. प्रश्न- उज्जवला योजना के उद्देश्य बताइये।
  37. प्रश्न- नारी शक्ति पुरस्कार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  38. प्रश्न- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना पर प्रकाश डालिए।
  39. प्रश्न- स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना का वर्णन कीजिए।
  40. प्रश्न- स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना पर टिप्पणी लिखिए।
  41. प्रश्न- प्रधानमंत्री मातृ वन्दना योजना क्या है? इसके लाभ बताइए।
  42. प्रश्न- श्रीनिकेतन कार्यक्रम के लक्ष्य क्या-क्या थे? संक्षिप्त में समझाइए।
  43. प्रश्न- भारत में प्रसार शिक्षा का विस्तार किस प्रकार हुआ? संक्षिप्त में बताइए।
  44. प्रश्न- महात्मा गाँधी के रचनात्मक कार्यक्रम के लक्ष्य क्या-क्या थे?
  45. प्रश्न- सेवा (SEWA) के कार्यों पर टिप्पणी लिखिए।
  46. प्रश्न- कल्याणकारी कार्यक्रम का अर्थ बताइये। ग्रामीण महिलाओं और बच्चों के लिए बनाये गए कल्याणकारी कार्यक्रमों का वर्णन कीजिए।
  47. प्रश्न- सामुदायिक विकास से आप क्या समझते हैं? सामुदायिक विकास कार्यक्रम की विशेषताएँ बताइये।
  48. प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना का क्षेत्र एवं उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  49. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम के उद्देश्यों को विस्तारपूर्वक समझाइए।
  50. प्रश्न- सामुदायिक विकास एवं प्रसार शिक्षा के अन्तर्सम्बन्ध की चर्चा कीजिए।
  51. प्रश्न- सामुदायिक विकास की विधियों को समझाइये।
  52. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यकर्त्ता की विशेषताएँ एवं कार्य समझाइये।
  53. प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना संगठन को विस्तार से समझाइए।
  54. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम को परिभाषित कीजिए एवं उसके सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- समुदाय के प्रकार बताइए।
  56. प्रश्न- सामुदायिक विकास की विशेषताएँ बताओ।
  57. प्रश्न- सामुदायिक विकास के मूल तत्व क्या हैं?
  58. प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना के अन्तर्गत ग्राम कल्याण हेतु कौन से कार्यक्रम चलाने की व्यवस्था है?
  59. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम की सफलता हेतु सुझाव दीजिए।
  60. प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना की विशेषताएँ बताओ।
  61. प्रश्न- सामुदायिक विकास के सिद्धान्त बताओ।
  62. प्रश्न- सामुदायिक संगठन की आवश्यकता क्यों है?
  63. प्रश्न- कार्यक्रम नियोजन से आप क्या समझते हैं?
  64. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम क्या है?
  65. प्रश्न- प्रसार प्रबन्धन की परिभाषा, प्रकृति, सिद्धान्त, कार्य क्षेत्र और आवश्यकता बताइए।
  66. प्रश्न- नेतृत्व क्या है? नेतृत्व की परिभाषाएँ दीजिए।
  67. प्रश्न- नेतृत्व के प्रकार बताइए। एक नेता में कौन-कौन से गुण होने चाहिए?
  68. प्रश्न- प्रबंध के कार्यों को संक्षेप में समझाइए।
  69. प्रश्न- प्रसार शिक्षा या विस्तार शिक्षा (Extension education) से आप क्या समझते है, समझाइए।
  70. प्रश्न- प्रसार शिक्षा व प्रबंधन का सम्बन्ध बताइये।
  71. प्रश्न- विस्तार प्रबन्धन से आप क्या समझते हैं?
  72. प्रश्न- विस्तार प्रबन्धन की विशेषताओं को संक्षिप्त में समझाइए।
  73. प्रश्न- प्रसार शिक्षा या विस्तार शिक्षा की आवश्यकता क्यों पड़ती है?
  74. प्रश्न- विस्तार शिक्षा के महत्व को समझाइए।
  75. प्रश्न- विस्तार शिक्षा तथा विस्तार प्रबंध में क्या अन्तर है?

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