बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 शिक्षाशास्त्र चतुर्थ प्रश्नपत्र - शिक्षा के समाजशास्त्रीय आधार एम ए सेमेस्टर-1 शिक्षाशास्त्र चतुर्थ प्रश्नपत्र - शिक्षा के समाजशास्त्रीय आधारसरल प्रश्नोत्तर समूह
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एम ए सेमेस्टर-1 शिक्षाशास्त्र चतुर्थ प्रश्नपत्र - शिक्षा के समाजशास्त्रीय आधार
प्रश्न- शिक्षा का संकीर्ण तथा विस्तृत अर्थ बताइए तथा स्पष्ट कीजिए कि शिक्षा क्या है?
अथवा
शिक्षा से तुम क्या समझते हो? शिक्षा की परिभाषाएँ लिखिए तथा उसकी विशेषताएँ बताइए?
अथवा
शिक्षा को परिभाषित कीजिए। आपको जो अब तक ज्ञात परिभाषाएँ हैं उनमें से कौन- सी आपकी राय में सर्वाधिक स्वीकार्य है और क्यों?
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
शिक्षा से आप क्या समझते हैं?
अथवा
शिक्षा का 'शाब्दिक अर्थ बताइए।
अथवा
शिक्षा का अर्थ स्पष्ट करते हुए इसकी अपने शब्दों में परिभाषा दीजिए।
उत्तर -
भूमिका
(Introduction)
मानव जीवन में शिक्षा का अद्वितीय महत्व है। शिक्षा के अभाव में मानव कह पाना असम्भव होगा। शिक्षा के पूर्ण अभाव में मनुष्य केवल प्राणी मात्र ही रह सकता है, मानव या इन्सान नहीं। शिक्षा प्राप्त करके ही व्यक्ति एक सामाजिक मानव बनता है। शिक्षा के ही आधार पर सभ्य-असभ्य व्यक्ति में अन्तर किया जाता है। शिक्षा का मानव मात्र के जीवन से घनिष्ठ सम्बन्ध है। यह मानव जीवन की अत्यधिक महत्वपूर्ण एवं जटिल क्रिया है। शिक्षा एक जटिल एवं व्यापक प्रक्रिया है, जो जीवन भर चलती है। शिक्षा के द्वारा ही व्यक्ति अपनी अपरिपक्वता को परिपक्वता में, बर्बरता को सभ्यता तथा पाश्विकता को मानवता में परिवर्तित करता है। शिक्षा के माध्यम से व्यक्ति का शारीरिक, बौद्धिक तथा आध्यात्मिक शक्तियों एवं क्षमताओं का विकास होता है।
इसी तथ्य को प्रसिद्ध पाश्चात्य दार्शनिक लॉक ने इन शब्दों में प्रतिपादित किया है।"पौधों का विकास कृषि द्वारा होता है और मनुष्यों का शिक्षा द्वारा शिक्षा मानव मात्र के लिए एक विशिष्ट भोज्य पदार्थ के रूप में होती है, जिसके द्वारा मनुष्य का शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक एवं आध्यात्मिक विकास की प्रक्रिया किसी न किसी रूप से चलती है। वास्तव में जन्म लेने के उपरान्त ही शिक्षा की प्रक्रिया किसी न किसी रूप में प्रारम्भ हो जाती है। जन्म के समय शिशु अनुभवशून्य होता है तथा उसके पश्चात् क्रमशः विभिन्न अनुभवों से परिचित होने लगता है। शिशु के अनुभवों में क्रमशः. परिवर्तन एवं परिवर्द्धन होने लगता है। अनुभवों में होने वाले ये परिमार्जन ही शिक्षा हैं। शिक्षा की यह क्रिया केवल बाल्यकाल में ही नहीं चलती अपितु पूरे जीवन भर हीं किसी न किसी रूप में चलती रहती है। मानव जीवन को सुन्दर, व्यवस्थित, परिमार्जित एवं सबल बनाने में शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान होता है।
(Meaning of Education)
शिक्षा एक व्यापक एवं जटिल प्रक्रिया है। अतः स्वाभाविक है कि इसका अर्थ भी व्यापक एवं विवादास्पद होगा। भिन्न-भिन्न विद्वानों एवं शिक्षाशास्त्रियों ने शिक्षा का अर्थ अपने-अपने ढंग से प्रतिपादित किया है। भिन्न-भिन्न विद्वानों ने शिक्षा के किसी एक पक्षीय रूप को ध्यान में रखते हुए उसके अर्थ का निर्धारण किया है। शिक्षा के वास्तविक अर्थ को जानने के लिए इसके शाब्दिक अर्थ, प्रचलित अर्थ, व्यापक एवं संकुचित अर्थ को जानना अभीष्ट होगा।
1. शिक्षा का प्रचलित अर्थ - आज के सभ्य मानव समाज में शिक्षा शब्द के सामान्य रूप से सभी लोग परिचित हैं। परन्तु यह परिचय शिक्षा के शास्त्रीय अथवा वैज्ञानिक अर्थ से न होकर केवल प्रचलित अर्थ से होता है। प्रचलित अर्थ के अनुसार किसी विषय से सम्बन्धित तथ्यों एवं सूचनाओं को एकत्रित कर लेना मात्र शिक्षा कहलाता है। इस अर्थ में किसी भी प्रकार उचित अथवा अनुचित ढंग से आवश्यक सूचनाओं को जान लेना तथा संकलित कर लेना ही शिक्षा है। इस अर्थ में आन्तरिक विकास के महत्व को स्वीकार नहीं किया। अतः यह न तो शिक्षा का वास्तविक अर्थ है न ही शिक्षा का पूर्ण परिचय ही है। इस अर्थ की आलोचना करते हुए कहा गया है कि "शिक्षा अन्दर से विकास होने को कहते हैं न कि बाहर से संशय को। वह तो स्वाभाविक मूल प्रवृत्तियों और रुचियों की क्रिया से होती है न कि बाह्य शक्तियों की प्रतिक्रिया स्वरूप *
2. शिक्षा का शाब्दिक अर्थ - किसी भी प्रत्यय अथवा शास्त्र के अर्थ का विवेचन करने के लिए सर्वप्रथम उसका शाब्दिक अर्थ भी सार्थक एवं महत्वपूर्ण होता है। हिन्दी में शिक्षा तथा अंग्रेजी में (Education) पर्यायवाची शब्द हैं। अतः 'शिक्षा' के शाब्दिक अर्थ को जानने के लिए इन दोषों का व्युत्पत्तिमूलक अर्थ जानना आवश्यक होगा।
हिन्दी भाषा में प्रचलित अर्थ 'शिक्षा' मूलभूत रूप से संस्कृत भाषा के 'शिक्षा' धातु से बना है। संस्कृत में यह 'धातु ग्रहण करना' या 'विद्या प्राप्त करने के लिए प्रयोग होता है। इस शाब्दिक अर्थ को ध्यान में रखते हुए कहा जा सकता है कि शिक्षा का अर्थ उस प्रक्रिया से है जिसके माध्यम से ज्ञान या विद्या प्राप्त की जाती है। बहुत से विद्वानों ने शिक्षा के इसी अर्थ को स्वीकार किया है।
शिक्षा का अंग्रेजी पर्यायवाची शब्द 'Education' है। यह शब्द लैटिन भाषा के एडूकेटम (Educatum) शब्द से बना है। जिसका अर्थ है - अन्तर्निहित शक्तियों एवं क्षमताओं को बाहर निकालना। इस आधार पर कहा जा सकता है कि -
Education यह शिक्षा वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से सम्बन्धित व्यक्ति की निहित शक्तियों या गुणों का विकास एवं प्रस्फुटन होता है। वहाँ स्पष्ट कर देना आवश्यक है कि इस अर्थ में शिक्षा एक व्याप्त प्रत्यय है, यह संस्थागत शिक्षा तक सीमित नहीं है।
3. शिक्षा का व्यापक अर्थ - शिक्षा के संकुचित अर्थ के अतिरिक्त इसके व्यापक अर्थ को भी जानना अनिवार्य है। व्यापक अर्थ में शिक्षा एक अति व्यापक एवं जटिल प्रक्रिया है, जो ज्ञान प्राप्त करने का माध्यम है। इस अर्थ में शिक्षा जीवन भर चलती रहती है तथा पूरा संसार ही शिक्षा ग्रहण करने का क्षेत्र है। इस अर्थ का प्रतिपादन प्रसिद्ध शिक्षाशास्त्री जे. एस. मैकेंजी ने इन शब्दों में किया है- "विस्तृत अर्थ में शिक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है जो आजीवन चलती रहती है और जीवन के प्रायः प्रत्येक अनुभव से उसके भण्डार में वृद्धि होती है।' इस अर्थ में विद्यालय ही एकमात्र शिक्षा के केन्द्र नहीं हैं। व्यापक अर्थ में केवल अध्यापक ही शिक्षक नहीं है। इस अर्थ में जिस भी व्यक्ति से कुछ नई बात सीखी जाये, वही शिक्षक है। इस अर्थ में हमारा पर्यावरण भी हमारा शिक्षक अर्थात् ज्ञान प्रदान करने वाला है। व्यापक अर्थों में जीवन भर व्यक्ति पर पड़ने वाले समस्त प्रभाव ही शिक्षा है। इस विषय में प्रो डमविल का कथन है "शिक्षा के व्यापक अर्थ में तो सभी प्रभाव आते हैं जो व्यक्ति को जन्म से लेकर मृत्यु तक प्रभावित करते हैं।" व्यापक अर्थ में शिक्षा का उद्देश्य प्रमाण पत्र प्राप्त करना नहीं है। इस अर्थ में शिक्षा का उद्देश्य भी व्यापक है। शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति के व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास करना होता है। शिक्षा के इस रूप को एडलर महोदय ने इस शब्दों में प्रस्तुत किया है, "शिक्षा मनुष्य के सम्पूर्ण जीवन से सम्बन्धित किया है। यह केवल छोटे बालकों से ही सम्बन्धित नहीं होती, यह तो जन्म से ही प्रारम्भ होती है और मृत्यु तक चलती रहती है।'
वास्तविक शिक्षा का सम्बन्ध जीवन के सर्वांगीण विकास की शिक्षा से है। यह शिक्षा स्वयं अपने आप में साध्य है।
4. शिक्षा का संकुचित अर्थ (Narrow Meaning of Education) - शिक्षा की प्रक्रिया की व्यापकता को ध्यान में रखते हुए शिक्षक के एक संकुचित अर्थ का भी प्रतिपादन किया गया है। संकुचित अर्थ में शिक्षा संस्थान में प्राप्त होने वाला ज्ञान है। इस अर्थ में नियमित रूप से पाठशाला या विद्यालय में प्रवेश लेकर विभिन्न परीक्षाएँ पास करना मात्र शिक्षा है। इसी प्रकार की शिक्षा तभी प्रारम्भ होती है, जब बालक नियमित रूप से संस्थान में प्रवेश पाता है। इसके साथ ही साथ यह भी स्पष्ट है कि इस प्रकार की शिक्षा विद्यार्थी जीवन समाप्त होने तथा विद्यालय छोड़ने तक ही सीमित है। विद्यालय छोड़ने के साथ ही साथ शिक्षा की प्रक्रिया भी रुक जाती है। इस आधार पर वह व्यक्ति अशिक्षित ही कहलायेगा, जिसने किसी शिक्षा संस्थान में नियमित रूप से शिक्षा ग्रहण न की हो। इस अर्थ में शिक्षा केवल निर्धारित पाठ्यक्रम का अध्ययन मात्र होती है। इस अर्थ में शिक्षा का उद्देश्य डिग्री या प्रमाण-पत्र ग्रहण करना ही होता है। वर्तमान भारतीय परिवेश में नौकरी आदि प्राप्त करने के लिए इसी प्रकार की शिक्षा तथा प्रमाणपत्रों का महत्व स्वीकार किया जा रहा है। परन्तु यदि तटस्थ रूप से देखा जाये तो यह मान्यता उचित प्रतीत होती है।
शिक्षा की परिभाषा अपने शब्दों में निम्न प्रकार दी जा सकती है -
"शिक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है, जो बालक के जन्म के समय से आरम्भ होकर उसके मरने के समय तक चलती रहती है और मरने के समय तक वह इससे कुछ न कुछ सीखता रहता है।'
इस प्रकार स्पष्ट है कि शिक्षा बालक के जीवन में जीवनपर्यन्त चलने वाली एक निरन्तर प्रक्रिया है।
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- प्रश्न- शिक्षा से आप क्या समझते हैं? शिक्षा के विभिन्न सम्प्रत्ययों का उल्लेख करते हुए उसके वास्तविक सम्प्रत्यय को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के दार्शनिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के समाजशास्त्रीय सम्प्रदाय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के राजनीतिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के आर्थिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के मनोवैज्ञानिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के वास्तविक सम्प्रत्यय को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- क्या मापन एवं मूल्यांकन शिक्षा का अंग है?
- प्रश्न- शिक्षा का संकीर्ण तथा विस्तृत अर्थ बताइए तथा स्पष्ट कीजिए कि शिक्षा क्या है?
- प्रश्न- शिक्षा को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आपके अनुसार शिक्षा की सर्वाधिक स्वीकार्य परिभाषा कौन-सी है और क्यों?
- प्रश्न- शिक्षा के उद्देश्यों की विवेचना संक्षेप में कीजिए। शिक्षा के उद्देश्यों की क्या आवश्यकता है?
- प्रश्न- शिक्षा के उद्देश्यों की क्या आवश्यकता है?
- प्रश्न- शिक्षा के उद्देश्य बताइए।
- प्रश्न- शिक्षा के आदर्श उद्देश्यों के गुणों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के प्रति समाज के दायित्वों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा की अवधारणा क्या है? तथा शिक्षा की प्रकृति का सविस्तार वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- शिक्षा की प्रकृति के बारे में बताइये।
- प्रश्न- विभिन्न समाजों में शिक्षा की स्थिति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- स्कूल तथा समाज में परस्पर सम्बन्ध स्थापित करने के सम्बन्ध में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के विषय-विस्तार को संक्षेप में लिखिए
- प्रश्न- समाज का अर्थ व परिभाषा बताइये।
- प्रश्न- समाज में शिक्षा की आवश्यक दिशा बताइये।
- प्रश्न- "अच्छे नैतिक चरित्र का विकास ही शिक्षा है।' समझाइए।
- प्रश्न- शिक्षा को मनुष्य एवं समाज का निर्माण करना चाहिए। कथन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के व्यापक अर्थ को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक समाजशास्त्र से आप क्या समझते हैं? इसके प्रमुख उद्देश्य तथा शिक्षा पर इसके प्रभाव का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक समाजशास्त्र के प्रमुख उद्देश्य व शिक्षा पर इसके प्रभाव की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के सामाजिक आधार को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- शिक्षा के समाजशास्त्र से आप क्या समझते हैं? एक विषय के रूप में इसके विकास की संक्षेप में विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय समाज की संचालक शक्तियाँ क्या हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षक के लिये शैक्षिक समाजशास्त्र की आवश्यकता बताइये।
- प्रश्न- शैक्षिक समाजशास्त्र का क्या महत्त्व है? इसकी सीमाएँ क्या हैं?
- प्रश्न- शिक्षा की पुनर्रचना के प्रमुख तत्त्व कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- शिक्षा की समाजशास्त्रीय प्रवृत्ति का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में सामाजिकतावादी प्रवृत्तियों की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- आदर्श भारतीय समाज के निर्माण में शिक्षक की भूमिका।
- प्रश्न- शिक्षा तथा समाज के मध्य सम्बन्ध स्थापित कीजिए तथा शिक्षा एवं समाज एक-दूसरे को किस प्रकार प्रभावित करते हैं?
- प्रश्न- समाज तथा शिक्षा के परस्पर प्रभाव का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- समाज के ऊपर शिक्षा के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा का समाज की आर्थिक स्थिति पर क्या प्रभाव पड़ता है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- समाज एवं सामाजिक प्रणाली की संकल्पना की व्याख्या कीजिए। 'विद्यालय एक सामाजिक तंत्र है।' सोदाहरण वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा तथा समाज के एक-दूसरे के प्रति कर्त्तव्यों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- समाज के प्रति शिक्षा के प्रमुख कर्त्तव्य क्या हैं? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- समाज शिक्षा के प्रमुख उद्देश्यों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'विद्यालय समाज का निर्माता है।' स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा एवं समाज के सम्बन्ध को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- समाज में खुशी के लिए शिक्षा के उद्देश्य और आवश्यकता बताइये।
- प्रश्न- सफल जीवन और खुशियों के निर्माण में शिक्षा कैसे सर्वोच्च है?
- प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण क्या है?
- प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के शैक्षिक निहितार्थ का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिक भारत में सामाजिक स्तरीकरण के मूल आधार क्या हैं? आपकी राय में कौन-सा आधार अधिक प्रभावी है और क्यों?
- प्रश्न- भारतीय समाज में सामाजिक स्तरीकरण के आधार की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के प्रमुख आधार बताइए।
- प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण का कार्यात्मक परिप्रेक्ष्य बताइये।
- प्रश्न- समानता की परिभाषा दीजिए तथा इसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अनुसूचित जाति / जनजाति हेतु शैक्षिक अवसरों की समानता के लिए संविधान के प्रावधानों को बताइए तथा शैक्षिक अवसरों की समानता के लिए किए जाने वाले प्रयासों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भाषाई, सांस्कृतिक, क्षेत्रीय एवं धार्मिक विविधताओं के सम्बन्ध में संवैधानिक दृष्टिकोण की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारत में अधिगम संदर्भ में व्याप्त विविधताओं का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- भाषायी विविधता के संदर्भ में अध्यापक से क्या अपेक्षाएँ होती हैं?
- प्रश्न- 'जातीय व सामाजिक विविधता तथा अध्यापक' पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- शैक्षिक अवसरों की समानता से आप क्या समझते हैं? भारत में इसकी आवश्यकता की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारत में शिक्षा के अवसरों की विषमताओं को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक समानता के अवसरों को बढ़ाने हेतु उपायों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षण संस्थाओं में समानता से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक अवसरों की समानता से क्या आशय है? असुविधाग्रस्त लोगों की जीविका समुन्नति हेतु आप किन उपायों की संस्तुति करेंगे? चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक न्याय का क्या अर्थ है? सामाजिक न्याय की अवधारणा स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- भारतीय समाज में विविधता में एकता स्थापित करने के उपाय बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक एकता की अवधारणा स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- 'भारतीय समाज में विविधता में एकता है।' इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं और क्यों?
- प्रश्न- संस्कृति का महत्त्व बताइए। शिक्षा तथा संस्कृति में सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विभिन्न परिवेशों में शिक्षा तथा संस्कृति का सम्बन्ध एवं सम्बर्द्धन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के द्वारा संस्कृति का विकास तथा संरक्षण कैसे किया जाता है?
- प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बन के परिप्रेक्ष्य में सांस्कृतिक परिवर्तन को समझाइए।
- प्रश्न- भारत में विभिन्न जनसमूहों में शिक्षा के द्वारा अन्तर्सास्कृतिक अवबोध के विकास के सम्बन्ध में सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- अन्तर-सांस्कृतिक भावना से आप क्या समझते हैं? शिक्षा द्वारा अन्तर-सांस्कृतिक भावना का विकास किस प्रकार किया जा सकता है?
- प्रश्न- शिक्षा के माध्यम से तथा शिक्षक के माध्यम से अन्तर सांस्कृतिक भावना का विकास किस प्रकार हो सकता है?
- प्रश्न- औपचारिक तथा अनौपचारिक शिक्षा के क्षेत्र में भारतीय संस्कृति की भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अनौपचारिक शिक्षा में संस्कृति का क्या महत्त्व है? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा और संस्कृति के सम्बन्ध की समीक्षा कीजिये। इन दोनों में से कौन दूसरे पर अधिक आश्रित है।
- प्रश्न- शिक्षा और सांस्कृतिक विलम्बना के सम्बन्ध पर अन्तर लिखिए, विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सांस्कृतिक बहुतत्ववाद की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक व सांस्कृतिक परिवर्तन में सम्बन्ध पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- संस्कृति की आवश्यकता तथा महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संस्कृति से आप क्या समझते हैं? इसकी प्रकृति का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- संघर्ष से क्या तात्पर्य है? सांस्कृतिक संघर्ष को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विरासत के हस्तान्तरण से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- 'सभी सांस्कृतिक परिवर्तन सामाजिक परिवर्तन होते हैं किन्तु सभी सामाजिक परिवर्तन सांस्कृतिक परिवर्तन नहीं होते।' इस कथन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वर्तमान समय में भारतीय समाज में किस प्रकार के परिवर्तन हो रहे हैं?
- प्रश्न- भारत में सामाजिक परिवर्तन के प्रमुख कारकों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सामाजिक परिवर्तन के आर्थिक कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय समाज के परिवर्तन में जैविकीय कारकों की भूमिका का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के बारे में दो विचार हैं एक तो यह कि शिक्षा द्वारा सामाजिक परिवर्तन होते हैं और दूसरा यह कि सामाजिक परिवर्तन शिक्षा को प्रभावित करते हैं आपको इनमें से कौन-सा विचार अधिक सत्य लगता है, क्यों?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की दृष्टि से स्कूल के कर्त्तव्यों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में बाधा उत्पन्न करने वाले कारकों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय समाज व सामाजिक परिवर्तन पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- सामाजिक अभाव पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तनों में निर्णायक कारकों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के दृष्टिकोण से शिक्षा के प्रमुख कार्यों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की दृष्टि से स्कूल के प्रमुख कार्यों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के सन्दर्भ में शिक्षा तथा शिक्षक की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में शिक्षक की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तनों तथा शिक्षा के पारस्परिक सम्बन्धों को समझाइए।
- प्रश्न- "सामाजिक प्रगति का एकमात्र साधन शिक्षा है।" स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संस्कृतिकरण का क्या अर्थ है? संस्कृतिकरण की अवधारणा बताइये।
- प्रश्न- संस्कृतिकरण की विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- संस्कृतिकरण से उत्पन्न होने वाली समस्यायें बताइये तथा इसके निवारण हेतु उपाय कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- संस्कृतिकरण के निवारण हेतु उपाय बताइये।
- प्रश्न- भारतीय समाज के सन्दर्भ में पाश्चात्यीकरण की शैक्षिक उपादेयता बताइए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण को परिभाषित करते हुए विभिन्न विद्वानों के अनुसार आधुनिकीकरण के तत्वों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- डॉ. एम. एन. श्रीनिवास के अनुसार आधुनिकीकरण के तत्वों को बताइए।
- प्रश्न- डेनियल लर्नर के अनुसार आधुनिकीकरण की विशेषताओं को बताइए।
- प्रश्न- आइजनस्टैड के अनुसार, आधुनिकीकरण के तत्वों को समझाइये।
- प्रश्न- डॉ. योगेन्द्र सिंह के अनुसार आधुनिकीकरण के तत्वों को समझाइए।
- प्रश्न- ए. आर. देसाई के अनुसार आधुनिकीकरण के तत्वों को व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण के कारण तथा परिणाम बताइये।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण के परिणाम बताइये।
- प्रश्न- नगरीकरण का अर्थ बताइये एवं इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नगरीकरण की विशेषतायें बताइये |
- प्रश्न- नगरीकरण के अच्छे एवं बुरे प्रभावों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिकरण की परिभाषाएँ बताइए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण की विभिन्न विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण की प्रक्रिया का भारतीयकरण की प्रक्रिया के साथ समायोजन कैसे स्थापित किया जा सकता है? आधुनिकीकरण का भारतीय प्रतिमान विकसित करने में शिक्षा की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण का भारतीय प्रतिमान विकसित करने में शिक्षा की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण और पाश्चात्यीकरण में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा पर आधुनिकीकरण के प्रभावों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शहरीकरण और शिक्षा पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- भारत में नगरीकरण का प्रभाव बताइये।
- प्रश्न- नगरीकरण एवं शिक्षा में सम्बन्ध स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण के किन्हीं दो दुष्परिणामों की विवचेना कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिकता एवं आधुनिकीकरण में अन्तर बताइए।
- प्रश्न- एक प्रक्रिया के रूप में आधुनिकीकरण की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण की हालवर्न तथा पाई की परिभाषा दीजिए।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण के दुष्परिणाम बताइये।
- प्रश्न- राष्ट्रीयता की भावना के विकास में आने वाली बाधाओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीयता की भावना की वृद्धि करने के लिए राष्ट्रीय एकता समिति द्वारा क्या सुझाव दिये गए हैं?
- प्रश्न- राष्ट्रीय एकता के लिए शिक्षा का कार्यक्रम पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शिक्षा के प्रमुख दोषों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय जीवन में शिक्षा के प्रमुख कार्य बताइए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय एकता व अन्तर्राष्ट्रीय अवबोध में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय एकता के मार्ग में प्रमुख बाधाएँ कौन-सी हैं? भारतवर्ष के परिप्रेक्ष्य में राष्ट्रीय एकता व शिक्षा के सम्बन्ध की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीयता की शिक्षा के प्रमुख लाभ क्या-क्या हैं?.
- प्रश्न- एक अध्यापक के रूप में आप अपने विद्यार्थियों में राष्ट्रीय एकता की भावना का विकास कैसे करेंगे? इस सन्दर्भ में अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय एकता में टेलीविजन की भूमिका।
- प्रश्न- भारत में 'भावात्मक एकता' की आवश्यकता बताइये।
- प्रश्न- राष्ट्रीयता से आप क्या समझते हैं? राष्ट्रीयता तथा शिक्षा के सम्बन्ध का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- भारत में राष्ट्रीय एकीकरण में धर्म-वैविध्य एक कठिनाई के रूप में।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना विकसित करने के पक्ष में तर्क दीजिए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना को विकसित करने के सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय भावना के प्रसार में यूनेस्को की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- यूनेस्को के उद्देश्य व कार्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय अवबोध से आप क्या समझते हैं? आज के युग में अन्तर्राष्ट्रीय अवबोध के विकास हेतु शिक्षा का कार्य और शिक्षा की योजना बताइये।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय अवबोध के लिए शिक्षा का सिद्धान्त आवश्यक है? समझाइये।
- प्रश्न- पाठ्यक्रम और शिक्षा विधि की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- अध्यापक का योगदान व स्कूल का वातावरण के बारे में लिखिए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय भावना क्या है? आज के अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में शिक्षा शान्ति की स्थापना के लिए क्या कार्य कर सकती है?
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना के विकास में शिक्षक तथा स्कूल की भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना के लिए शिक्षा के उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना से क्या तात्पर्य है? इसकी आवश्यकता क्यों अनुभव की गई?
- प्रश्न- शिक्षा किस प्रकार से अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना का विकास कर सकती है?
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना के मार्ग में क्या-क्या बाधाएँ हैं? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक गतिशीलता से आप क्या समझते हैं? सामाजिक गतिशीलता के विभिन्न कारक एवं शिक्षा की भूमिका का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक गतिशीलता के विभिन्न कारक बताइए।
- प्रश्न- शिक्षा के सम्बन्ध में सामाजिक गतिशीलता से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- शिक्षा में सामाजिक गतिशीलता का क्या स्थान है?
- प्रश्न- उच्चगामी गतिशीलता क्या है?
- प्रश्न- सामाजिक गतिशीलता के विभिन्न रूपों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- गतिशीलता का शिक्षा पर प्रभाव बताइये।