बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 शिक्षाशास्त्र चतुर्थ प्रश्नपत्र - शिक्षा के समाजशास्त्रीय आधार एम ए सेमेस्टर-1 शिक्षाशास्त्र चतुर्थ प्रश्नपत्र - शिक्षा के समाजशास्त्रीय आधारसरल प्रश्नोत्तर समूह
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एम ए सेमेस्टर-1 शिक्षाशास्त्र चतुर्थ प्रश्नपत्र - शिक्षा के समाजशास्त्रीय आधार
प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के शैक्षिक निहितार्थ का वर्णन कीजिए।
अथवा
सामाजिक स्तरीकरण में शिक्षा की भूमिका।
उत्तर -
शिक्षा की सम्पूर्ण क्रिया समाज से ही सम्पन्न होती है। शिक्षा की प्रक्रिया के परिचालन में सर्वाधिक योगदान समाज का होता है। सामाजिक व्यवस्था के अनुरूप ही शिक्षा का स्वरूप निर्धारित होता है। समाज द्वारा व्यक्ति को प्रदान की जाने वाली सुविधाएँ अथवा लगाये जाने वाले प्रतिबन्ध भी शिक्षा की प्रक्रिया को गम्भीर रूप से प्रभावित करते हैं। इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए प्रश्न उठता है कि क्या सामाजिक स्तरीकरण का शिक्षा पर प्रभाव पड़ता है तथा सभी का विचार हैं कि सामाजिक स्तरीकरण की व्यवस्था से शिक्षा की प्रक्रिया प्रभावित होती है।
सामाजिक स्तरीकरण के लिए शैक्षिक निहितार्थ
विभिन्न सामाजिक कारकों में सामाजिक स्तरीकरण का विशेष स्थान है तथा शिक्षा इन्हें विभिन्न प्रकार से प्रभावित करती है। इन शैक्षिक निहितार्थों को ज्ञात करने के लिए समय-समय पर शिक्षा - समाजशास्त्रियों द्वारा अनेक व्यवस्थित अध्ययन किये गये हैं। इन अध्ययनों के आधार पर कहा जा सकता है कि सामाजिक स्तरीकरण के लिए शैक्षिक निहितार्थ निम्नलिखित है -
(1) अभिभावकों द्वारा शिक्षा के प्रति दृष्टिकोण में अन्तर - सामाजिक स्तरीकरण के अन्तर्गत निम्न स्तर वर्ग के परिवारों में शिक्षा के प्रति अनुकूल दृष्टिकोण नहीं पाया जाता। इस वर्ग के माता-पिता न तो शिक्षा को अधिक महत्त्व दे सकते हैं और न ही वे अपने बच्चों की शिक्षा का समुचित ध्यान रख पाते हैं। इस स्थिति में इस स्तर के परिवारों के बच्चों की शिक्षा न तो सुचारु रूप से चल पाती है और न ही सन्तोषजनक परिणाम उत्पन्न होते हैं।
इस विषय में अमेरिका के विद्वान लिंड एवं लिंड के अनुसार कहा गया है कि उन्होंने अमेरिका के एक मिडिल टाउन में अध्ययन किया और निष्कर्ष स्वरूप यह स्पष्ट किया कि औद्योगिक नगर में निम्न वर्ग के माता-पिता मध्यम वर्ग के माता-पिता की तुलना में अपने बालकों की पढ़ाई की ओर बहुत कम ध्यान देते हैं।
(2) छात्रों द्वारा आत्म मूल्यांकन में वृद्धि - सामाजिक स्तरीकरण का एक प्रतिकूल प्रभाव निम्न वर्ग के छात्रों के आत्म-मूल्यांकन पर भी पड़ता है। निम्न वर्ग के बालक विभिन्न कारणों से कुछ हीन भावनाओं के शिकार होते हैं। ये स्वयं अपनी योग्यताओं व क्षमताओं के विषय में सही अनुमान नहीं लगा पाते इस स्थिति में वे शैक्षिक क्षेत्र में यथा योग्य प्रगति नहीं कर पाते। इस प्रकार निम्न वर्ग के बालकों की यह हीन भावना उनकी शिक्षा के स्तर एवं उपलब्धियों को प्रभावित करती है। इस विषय में रुथवाइली द्वारा किया गया अध्ययन उल्लेखनीय है। उनके अध्ययन का निष्कर्ष था कि उच्च सामाजिक वर्गों की छात्रों की अपेक्षा निम्न वर्ग के छात्र अपनी योग्यता के विषय में अधिक निम्न अनुमान रखा करते हैं।
(3) प्रेरणाओं में अन्तर - शैक्षिक प्रगति के लिए प्रेरणाओं का होना नितान्त आवश्यक होता है।" प्रेरणाओं के अभाव में शौदीक प्रक्रिया सुचारु रूप से नहीं चल पाती। विभिन्न अध्ययनों द्वारा पाया गया कि निम्न वर्ग के बालकों के लिए प्रेरणाओं की भूमिका न्यूनतम होती है। प्रेरणाओं की इस न्यूनता के कारण इस वर्ग के बालकों की शैक्षिक प्रगति एवं शैक्षिक उपलब्धियों भी कम ही रहती है।
(4) बोली समझने में अन्तर - सामान्य रूप से भिन्न-भिन्न सामाजिक वर्गों में कुछ-न-कुछ भिन्न रूप वाली बोली एवं शब्दों का प्रचलन होता है। इस स्थिति में निम्न सामाजिक वर्ग वाले बालक विद्यालय में आकर अध्यापकों द्वारा प्रयोग में लायी जाने वाली बोली को भली-भाँति नहीं समझ पाते इस असमर्थता के कारण वे शैक्षिक उपलब्धियों के क्षेत्र में कुछ पिछड़ जाते हैं। इस विषय में पेशाक महोदय ने एक अध्ययन का आयोजन किया तथा निष्कर्ष स्वरूप स्पष्ट किया कि मध्यम वर्ग की अपेक्षा निम्न वर्ग के छात्रों को अध्यापक की बोली समझने में अधिक कठिनाई का सामना करना पड़ता है।
(5) अध्यापकों के दृष्टिकोण में अन्तर - समाज में व्याप्त सामाजिक स्तरीकरण के परिणामस्वरूप शिक्षा संस्थाओं में भिन्न-भिन्न वर्गों में आने वाले बालकों के प्रति अध्यापकों के दृष्टिकोण में भी अन्तर पाया जाता है। सामान्य रूप से निम्न वर्ग के बालकों के प्रति अध्यापकों का दृष्टिकोण अच्छा नहीं पाया जाता है। इसका एक कारण यह भी है कि वास्तव में निम्न वर्ग के बालक मध्यम वर्ग के सामाजिक मूल्यों से भली-भाँति अवगत नहीं होते। इस अज्ञानता के कारण प्राय: अध्यापकों द्वारा निम्न वर्ग के बालकों को दण्डित भी किया जाता है। अध्यापकों के इस दृष्टिकोण के कारण निम्न वर्ग के बालकों की शैक्षिक प्रगति सुचारु रूप से नहीं हो पाती।
(6) आकांक्षाओं में अन्तर - शैक्षिक प्रगति के लिए छात्रों की समुचित आकांक्षाओं का होना भी आवश्यक होता है। यदि बालक की आकांक्षाएँ ही निम्न होगी तो यह प्रगति किस प्रकार करेगा? सामाजिक स्तरीकरण की व्यवस्था के परिणामस्वरूप भिन्न-भिन्न सामाजिक स्तरों वाले छात्रों की आकांक्षाएँ भी भिन्न-भिन्न होती हैं। सामान्य रूप से निम्न एवं श्रमिक वर्ग के बालकों की शैक्षिक आकांक्षाएँ भी निम्न होती हैं। अतः वे शैक्षिक क्षेत्र में अधिक प्रगति नहीं कर पाते। इस विषय में बिने ने एक अध्ययन किया तथा निष्कर्ष स्वरूप बताया कि समाज के मध्यम वर्ग के छात्रों की अपेक्षा अधिक ऊँची आकांक्षाएँ रखते हैं। वे खेल की अपेक्षा कार्य को अधिक महत्त्वपूर्ण मानते हैं। वे पढ़ने में भी अधिक रुचि लेते हैं। स्तरीकरण सम्बन्धी इस भिन्नता का प्रभाव शिक्षा पर अनिवार्य रूप से पड़ता है।
(7) पाठ्यक्रमों के चुनाव पर प्रभाव - सामाजिक स्तरीकरण पर शैक्षिक निहितार्थों द्वारा बालकों द्वारा किये जाने वाले पाठ्यक्रम के चुनाव पर भी पड़ता है। निम्न आर्थिक वर्ग के बालकों तथा मध्यम वर्ग व उच्च वर्ग आर्थिक स्थिति वाले बालकों में पाठ्यक्रम का चुनाव नितान्त भिन्न रूप में होता है। इस अन्तर के लिए कुछ सुविधाओं की न्यूनता की जिम्मेवार होती है। पाठ्यक्रम के इस प्रकार के प्रतिबन्धित चुनाव के परिणामस्वरूप निम्न व उच्च वर्ग के बालकों की शैक्षिक प्रगति में उल्लेखनीय अन्तर हो जाया करता है।
इस निष्कर्ष को प्राप्त करने के लिए वारनर, हेवीहार्स्ट व लोब ने व्यवस्थित अध्ययनों का आयोजन किया। उनके मत के अनुसार, "हाईस्कूलों में छात्रों के सामाजिक व आर्थिक स्थितियों के आधार पर विषयों का चुनाव होता है न कि उनकी योग्यता के आधार पर।"
वास्तव में समान बुद्धि स्तर रखने वाले छात्रों में से उच्च सामाजिक आर्थिक स्थिति वाले छात्रों की तुलना में महाविद्यालय की शिक्षा प्राप्त करने के अवसर काफी अधिक होते हैं।
उपर्युक्त विवरण द्वारा स्पष्ट है कि सामाजिक स्तरीकरण कर शिक्षा का अनिवार्य रूप से प्रभाव 'पड़ता है।
"राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान और प्रशिक्षण परिषद, नई दिल्ली" द्वारा किए गए एक अध्ययन के निष्कर्षस्वरूप कहा गया है कि निम्न वर्ग तथा निम्न मध्यम वर्ग के छात्रों को कई प्रकार की आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक व शैक्षिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
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- प्रश्न- शिक्षा से आप क्या समझते हैं? शिक्षा के विभिन्न सम्प्रत्ययों का उल्लेख करते हुए उसके वास्तविक सम्प्रत्यय को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के दार्शनिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के समाजशास्त्रीय सम्प्रदाय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के राजनीतिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के आर्थिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के मनोवैज्ञानिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के वास्तविक सम्प्रत्यय को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- क्या मापन एवं मूल्यांकन शिक्षा का अंग है?
- प्रश्न- शिक्षा का संकीर्ण तथा विस्तृत अर्थ बताइए तथा स्पष्ट कीजिए कि शिक्षा क्या है?
- प्रश्न- शिक्षा को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आपके अनुसार शिक्षा की सर्वाधिक स्वीकार्य परिभाषा कौन-सी है और क्यों?
- प्रश्न- शिक्षा के उद्देश्यों की विवेचना संक्षेप में कीजिए। शिक्षा के उद्देश्यों की क्या आवश्यकता है?
- प्रश्न- शिक्षा के उद्देश्यों की क्या आवश्यकता है?
- प्रश्न- शिक्षा के उद्देश्य बताइए।
- प्रश्न- शिक्षा के आदर्श उद्देश्यों के गुणों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के प्रति समाज के दायित्वों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा की अवधारणा क्या है? तथा शिक्षा की प्रकृति का सविस्तार वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- शिक्षा की प्रकृति के बारे में बताइये।
- प्रश्न- विभिन्न समाजों में शिक्षा की स्थिति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- स्कूल तथा समाज में परस्पर सम्बन्ध स्थापित करने के सम्बन्ध में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के विषय-विस्तार को संक्षेप में लिखिए
- प्रश्न- समाज का अर्थ व परिभाषा बताइये।
- प्रश्न- समाज में शिक्षा की आवश्यक दिशा बताइये।
- प्रश्न- "अच्छे नैतिक चरित्र का विकास ही शिक्षा है।' समझाइए।
- प्रश्न- शिक्षा को मनुष्य एवं समाज का निर्माण करना चाहिए। कथन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के व्यापक अर्थ को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक समाजशास्त्र से आप क्या समझते हैं? इसके प्रमुख उद्देश्य तथा शिक्षा पर इसके प्रभाव का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक समाजशास्त्र के प्रमुख उद्देश्य व शिक्षा पर इसके प्रभाव की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के सामाजिक आधार को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- शिक्षा के समाजशास्त्र से आप क्या समझते हैं? एक विषय के रूप में इसके विकास की संक्षेप में विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय समाज की संचालक शक्तियाँ क्या हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षक के लिये शैक्षिक समाजशास्त्र की आवश्यकता बताइये।
- प्रश्न- शैक्षिक समाजशास्त्र का क्या महत्त्व है? इसकी सीमाएँ क्या हैं?
- प्रश्न- शिक्षा की पुनर्रचना के प्रमुख तत्त्व कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- शिक्षा की समाजशास्त्रीय प्रवृत्ति का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में सामाजिकतावादी प्रवृत्तियों की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- आदर्श भारतीय समाज के निर्माण में शिक्षक की भूमिका।
- प्रश्न- शिक्षा तथा समाज के मध्य सम्बन्ध स्थापित कीजिए तथा शिक्षा एवं समाज एक-दूसरे को किस प्रकार प्रभावित करते हैं?
- प्रश्न- समाज तथा शिक्षा के परस्पर प्रभाव का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- समाज के ऊपर शिक्षा के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा का समाज की आर्थिक स्थिति पर क्या प्रभाव पड़ता है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- समाज एवं सामाजिक प्रणाली की संकल्पना की व्याख्या कीजिए। 'विद्यालय एक सामाजिक तंत्र है।' सोदाहरण वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा तथा समाज के एक-दूसरे के प्रति कर्त्तव्यों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- समाज के प्रति शिक्षा के प्रमुख कर्त्तव्य क्या हैं? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- समाज शिक्षा के प्रमुख उद्देश्यों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'विद्यालय समाज का निर्माता है।' स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा एवं समाज के सम्बन्ध को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- समाज में खुशी के लिए शिक्षा के उद्देश्य और आवश्यकता बताइये।
- प्रश्न- सफल जीवन और खुशियों के निर्माण में शिक्षा कैसे सर्वोच्च है?
- प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण क्या है?
- प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के शैक्षिक निहितार्थ का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिक भारत में सामाजिक स्तरीकरण के मूल आधार क्या हैं? आपकी राय में कौन-सा आधार अधिक प्रभावी है और क्यों?
- प्रश्न- भारतीय समाज में सामाजिक स्तरीकरण के आधार की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के प्रमुख आधार बताइए।
- प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण का कार्यात्मक परिप्रेक्ष्य बताइये।
- प्रश्न- समानता की परिभाषा दीजिए तथा इसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अनुसूचित जाति / जनजाति हेतु शैक्षिक अवसरों की समानता के लिए संविधान के प्रावधानों को बताइए तथा शैक्षिक अवसरों की समानता के लिए किए जाने वाले प्रयासों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भाषाई, सांस्कृतिक, क्षेत्रीय एवं धार्मिक विविधताओं के सम्बन्ध में संवैधानिक दृष्टिकोण की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारत में अधिगम संदर्भ में व्याप्त विविधताओं का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- भाषायी विविधता के संदर्भ में अध्यापक से क्या अपेक्षाएँ होती हैं?
- प्रश्न- 'जातीय व सामाजिक विविधता तथा अध्यापक' पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- शैक्षिक अवसरों की समानता से आप क्या समझते हैं? भारत में इसकी आवश्यकता की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारत में शिक्षा के अवसरों की विषमताओं को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक समानता के अवसरों को बढ़ाने हेतु उपायों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षण संस्थाओं में समानता से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक अवसरों की समानता से क्या आशय है? असुविधाग्रस्त लोगों की जीविका समुन्नति हेतु आप किन उपायों की संस्तुति करेंगे? चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक न्याय का क्या अर्थ है? सामाजिक न्याय की अवधारणा स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- भारतीय समाज में विविधता में एकता स्थापित करने के उपाय बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक एकता की अवधारणा स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- 'भारतीय समाज में विविधता में एकता है।' इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं और क्यों?
- प्रश्न- संस्कृति का महत्त्व बताइए। शिक्षा तथा संस्कृति में सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विभिन्न परिवेशों में शिक्षा तथा संस्कृति का सम्बन्ध एवं सम्बर्द्धन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के द्वारा संस्कृति का विकास तथा संरक्षण कैसे किया जाता है?
- प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बन के परिप्रेक्ष्य में सांस्कृतिक परिवर्तन को समझाइए।
- प्रश्न- भारत में विभिन्न जनसमूहों में शिक्षा के द्वारा अन्तर्सास्कृतिक अवबोध के विकास के सम्बन्ध में सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- अन्तर-सांस्कृतिक भावना से आप क्या समझते हैं? शिक्षा द्वारा अन्तर-सांस्कृतिक भावना का विकास किस प्रकार किया जा सकता है?
- प्रश्न- शिक्षा के माध्यम से तथा शिक्षक के माध्यम से अन्तर सांस्कृतिक भावना का विकास किस प्रकार हो सकता है?
- प्रश्न- औपचारिक तथा अनौपचारिक शिक्षा के क्षेत्र में भारतीय संस्कृति की भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अनौपचारिक शिक्षा में संस्कृति का क्या महत्त्व है? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा और संस्कृति के सम्बन्ध की समीक्षा कीजिये। इन दोनों में से कौन दूसरे पर अधिक आश्रित है।
- प्रश्न- शिक्षा और सांस्कृतिक विलम्बना के सम्बन्ध पर अन्तर लिखिए, विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सांस्कृतिक बहुतत्ववाद की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक व सांस्कृतिक परिवर्तन में सम्बन्ध पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- संस्कृति की आवश्यकता तथा महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संस्कृति से आप क्या समझते हैं? इसकी प्रकृति का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- संघर्ष से क्या तात्पर्य है? सांस्कृतिक संघर्ष को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विरासत के हस्तान्तरण से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- 'सभी सांस्कृतिक परिवर्तन सामाजिक परिवर्तन होते हैं किन्तु सभी सामाजिक परिवर्तन सांस्कृतिक परिवर्तन नहीं होते।' इस कथन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वर्तमान समय में भारतीय समाज में किस प्रकार के परिवर्तन हो रहे हैं?
- प्रश्न- भारत में सामाजिक परिवर्तन के प्रमुख कारकों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सामाजिक परिवर्तन के आर्थिक कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय समाज के परिवर्तन में जैविकीय कारकों की भूमिका का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के बारे में दो विचार हैं एक तो यह कि शिक्षा द्वारा सामाजिक परिवर्तन होते हैं और दूसरा यह कि सामाजिक परिवर्तन शिक्षा को प्रभावित करते हैं आपको इनमें से कौन-सा विचार अधिक सत्य लगता है, क्यों?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की दृष्टि से स्कूल के कर्त्तव्यों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में बाधा उत्पन्न करने वाले कारकों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय समाज व सामाजिक परिवर्तन पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- सामाजिक अभाव पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तनों में निर्णायक कारकों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के दृष्टिकोण से शिक्षा के प्रमुख कार्यों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की दृष्टि से स्कूल के प्रमुख कार्यों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के सन्दर्भ में शिक्षा तथा शिक्षक की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में शिक्षक की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तनों तथा शिक्षा के पारस्परिक सम्बन्धों को समझाइए।
- प्रश्न- "सामाजिक प्रगति का एकमात्र साधन शिक्षा है।" स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संस्कृतिकरण का क्या अर्थ है? संस्कृतिकरण की अवधारणा बताइये।
- प्रश्न- संस्कृतिकरण की विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- संस्कृतिकरण से उत्पन्न होने वाली समस्यायें बताइये तथा इसके निवारण हेतु उपाय कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- संस्कृतिकरण के निवारण हेतु उपाय बताइये।
- प्रश्न- भारतीय समाज के सन्दर्भ में पाश्चात्यीकरण की शैक्षिक उपादेयता बताइए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण को परिभाषित करते हुए विभिन्न विद्वानों के अनुसार आधुनिकीकरण के तत्वों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- डॉ. एम. एन. श्रीनिवास के अनुसार आधुनिकीकरण के तत्वों को बताइए।
- प्रश्न- डेनियल लर्नर के अनुसार आधुनिकीकरण की विशेषताओं को बताइए।
- प्रश्न- आइजनस्टैड के अनुसार, आधुनिकीकरण के तत्वों को समझाइये।
- प्रश्न- डॉ. योगेन्द्र सिंह के अनुसार आधुनिकीकरण के तत्वों को समझाइए।
- प्रश्न- ए. आर. देसाई के अनुसार आधुनिकीकरण के तत्वों को व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण के कारण तथा परिणाम बताइये।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण के परिणाम बताइये।
- प्रश्न- नगरीकरण का अर्थ बताइये एवं इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नगरीकरण की विशेषतायें बताइये |
- प्रश्न- नगरीकरण के अच्छे एवं बुरे प्रभावों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिकरण की परिभाषाएँ बताइए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण की विभिन्न विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण की प्रक्रिया का भारतीयकरण की प्रक्रिया के साथ समायोजन कैसे स्थापित किया जा सकता है? आधुनिकीकरण का भारतीय प्रतिमान विकसित करने में शिक्षा की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण का भारतीय प्रतिमान विकसित करने में शिक्षा की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण और पाश्चात्यीकरण में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा पर आधुनिकीकरण के प्रभावों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शहरीकरण और शिक्षा पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- भारत में नगरीकरण का प्रभाव बताइये।
- प्रश्न- नगरीकरण एवं शिक्षा में सम्बन्ध स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण के किन्हीं दो दुष्परिणामों की विवचेना कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिकता एवं आधुनिकीकरण में अन्तर बताइए।
- प्रश्न- एक प्रक्रिया के रूप में आधुनिकीकरण की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण की हालवर्न तथा पाई की परिभाषा दीजिए।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण के दुष्परिणाम बताइये।
- प्रश्न- राष्ट्रीयता की भावना के विकास में आने वाली बाधाओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीयता की भावना की वृद्धि करने के लिए राष्ट्रीय एकता समिति द्वारा क्या सुझाव दिये गए हैं?
- प्रश्न- राष्ट्रीय एकता के लिए शिक्षा का कार्यक्रम पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शिक्षा के प्रमुख दोषों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय जीवन में शिक्षा के प्रमुख कार्य बताइए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय एकता व अन्तर्राष्ट्रीय अवबोध में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय एकता के मार्ग में प्रमुख बाधाएँ कौन-सी हैं? भारतवर्ष के परिप्रेक्ष्य में राष्ट्रीय एकता व शिक्षा के सम्बन्ध की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीयता की शिक्षा के प्रमुख लाभ क्या-क्या हैं?.
- प्रश्न- एक अध्यापक के रूप में आप अपने विद्यार्थियों में राष्ट्रीय एकता की भावना का विकास कैसे करेंगे? इस सन्दर्भ में अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय एकता में टेलीविजन की भूमिका।
- प्रश्न- भारत में 'भावात्मक एकता' की आवश्यकता बताइये।
- प्रश्न- राष्ट्रीयता से आप क्या समझते हैं? राष्ट्रीयता तथा शिक्षा के सम्बन्ध का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- भारत में राष्ट्रीय एकीकरण में धर्म-वैविध्य एक कठिनाई के रूप में।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना विकसित करने के पक्ष में तर्क दीजिए।
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- प्रश्न- अध्यापक का योगदान व स्कूल का वातावरण के बारे में लिखिए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय भावना क्या है? आज के अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में शिक्षा शान्ति की स्थापना के लिए क्या कार्य कर सकती है?
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- प्रश्न- गतिशीलता का शिक्षा पर प्रभाव बताइये।