बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 शिक्षाशास्त्र चतुर्थ प्रश्नपत्र - शिक्षा के समाजशास्त्रीय आधार एम ए सेमेस्टर-1 शिक्षाशास्त्र चतुर्थ प्रश्नपत्र - शिक्षा के समाजशास्त्रीय आधारसरल प्रश्नोत्तर समूह
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एम ए सेमेस्टर-1 शिक्षाशास्त्र चतुर्थ प्रश्नपत्र - शिक्षा के समाजशास्त्रीय आधार
प्रश्न- भारतीय समाज की संचालक शक्तियाँ क्या हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -
मैकाइवर और पेज - समाज रीतियों तथा कार्य प्रणालियों की, अधिकार तथा पारस्परिक सहयोग की अनेक समूहों और विभागों की, मानव व्यवहार के नियन्त्रणों और स्वतन्त्रताओं की एक व्यवस्था है। इस सतत् परिवर्तनशील व्यवस्था को हम समाज कहते हैं।
समाज परिवर्तनशील है परिवर्तन कभी मंद गति से होता है और कभी तीव्र गति से। स्वतन्त्रता की प्राप्ति के बाद बहुत तीव्र गति से परिवर्तन हुआ है।
कट्टरपंथी भारत की मूल संस्कृतियों के लोगों के समूह को भारतीय समाज कहते हैं। इनकी दृष्टि से भारत में रहने वाले विदेशी संस्कृतियों के लोग भारतीय समाज के अंग नहीं हैं। भले ही वे भारत के मूल निवासी क्यों न हों। दूसरी ओर उदारवादी सम्पूर्ण जनता को भारतीय समाज का अंग मानते हैं। आज हमारे देश में लोकतन्त्र शासन प्रणाली है। लोकतन्त्र की दृष्टि से भारत का प्रत्येक व्यक्ति भारतीय समाज का अंग है। शिक्षा के सन्दर्भ में भी भारतीय समाज का अर्थ भारत की सम्पूर्ण जनसंख्या है।
एक नए समाज का निर्माण करने का लक्ष्य था। इसके लिए हमने लोकतन्त्र शासन-प्रणाली को स्वीकार किया। हम भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न समाजवादी एवं धर्मनिरपेक्ष लोकतान्त्रिक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को धर्म और उपासना की स्वतन्त्रता प्रतिष्ठा और अवसर की समानता प्राप्त कराने के लिए तथा उन सबमें व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता तथा अखण्डता सुनिश्चित करने वाली बन्धुता बढ़ाने के लिए, दृढ़ संकल्प होकर अपनी संविधान सभा में आज तारीख 26 नवम्बर 1949 को एतद् द्वारा इस संविधान को अंगीकृत अनियमित और आत्मार्यित करते हैं।
शिक्षा व्यक्ति समाज और राष्ट्र के निर्माण का मुख्य साधन है। जब भारतीय समाज में क्रान्ति होती है, सामाजिक बुराइयाँ दूर होती हैं और आदर्श समाज का निर्माण होता है। इसी प्रकार किसी भी आदर्श समाज के निर्माण में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। आदर्श भारतीय समाज के निर्माण के लिए अब शिक्षा को दो कार्य करने होंगे। एक तो समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करना होगा और दूसरा समय की माँग के अनुसार इसमें अच्छाइयाँ विकसित करनी होगी।
समाज परिवर्तनशील होता है, इसकी आदर्श धारणा देशकाल के साथ बदलती रहती है। वर्तमान में आदर्श भारतीय समाज से तात्पर्य एक ऐसे समाज से है जिसका हर व्यक्ति शारीरिक दृष्टि से स्वस्थ हो, मानसिक दृष्टि से उन्नत हो, समाज सेवा के लिए तैयार हो। मानसिक दृष्टि से उन्नत हो, समाज सेवा के लिए तैयार हो, सांस्कृतिक दृष्टि से सहिष्णु हो और चरित्रवान हो। एक ऐसा समाज हो जिसमें विभिन्न जातियाँ तो हों पर जातीय आधार, वर्ग भेद न हो, धर्म के नाम पर संघर्ष न हो जिसमें सब अपना आर्थिक विकास तो करें परन्तु कोई किसी का शोषण न करे और जिसमें जागरूकता हो एवं विस्तृत दृष्टिकोण हो और जो सदैव विकास की ओर अग्रसर हो ऐसे समाज के निर्माण में शिक्षा वह शक्ति है जो इसके निर्माण में सहायक है। एक भारतीय समाज की निम्न संचालक शक्तियाँ हैं -
स्वतन्त्रता - लोकतन्त्रीय समाज का सर्वप्रथम सिद्धान्त स्वतन्त्रता है। लोकतन्त्र प्रत्येक मनुष्य को संसार की बहुमूल्य वस्तु मानता है। और उसे विचार करने, अपने विचार अभिव्यक्त करने एवं विकास करने के स्वतन्त्र अवसर प्रदान करता है। संविधान के अनुच्छेद 19वें प्रत्येक नागरिक को विचार करने, विचार अभिव्यक्त करने, सभा करने भ्रमण करने, आवास की व्यवस्था करने, सम्पत्ति अर्जित करने, व्यवसाय एवं व्यापार की स्वतन्त्रता प्रदान की गई।
समानता - समानता लोकतन्त्र का दूसरा सिद्धान्त है। हमारा भारतीय समाज मनुष्य- मनुष्य में जाति, संस्कृति, धर्म एवं लिंग आदि किसी भी आधार पर भेद नहीं करता। (अनुच्छेद 15) कानून के समक्ष सभी को समान समझता है। (अनुच्छेद 14) लोकसेवाओं में सभी को समान अवसर देता है। (अनुच्छेद 16) सार्वजनिक स्थानों का प्रयोग करने के सभी को समान अवसर प्रदान करता है। (अनुच्छेद 15) अस्पृश्यता की समाप्ति कर सभी को समान दर्जा प्रदान करता है।
मातृत्व - भारतीय समाज के समस्त नागरिक हम की भावना से जुड़े हैं। इसे ही दूसरे शब्दों में मातृत्व कहते हैं। लोकतन्त्र मानवमात्र से इस भावना को देखना चाहता है। भारतीय समाज की संचालक शक्ति में मातृत्व का महत्वपूर्ण स्थान है।
समाजवादी - समाज की संरचना के संदर्भ में समाजवादी का अर्थ है - वर्गविहीन समाज अर्थात् ऐसा समाज जिसमें व्यक्ति-व्यक्ति में जाति, संस्कृति, धर्म एवं लिंग आदि किसी भी आधार पर भेद नहीं किया जाता है। सबको समान दर्जा प्राप्त होता है। आर्थिक सन्दर्भ में समाजवाद तीन बातों पर बल देता है। देश की सम्पूर्ण सम्पत्ति पर राज्य का अस्तित्व हो, स्वामित्व हो, और व्यक्ति को उसके श्रम के अनुसार, पारिश्रमिक दिया जाए और भारतीय समाज, सामाजिक संरचना के सम्बन्ध व क्षेत्र में जाति, संस्कृति धर्म एवं लिंग आदि किसी भी आधार पर भेदभाव नहीं करता और व्यक्ति को अपना आर्थिक विकास करने के स्वतन्त्र अवसर देता है।
धर्मनिरपेक्षता - धर्मनिरपेक्षता का सामान्य अर्थ धर्म रहित। इस अर्थ में हमारा भारतीय समाज किसी धर्म पर आधारित नहीं है यहाँ राष्ट्र धर्म नाम का कोई धर्म नहीं है। इसका विशिष्ट अर्थ है समान आदर इस समाज में संविधान में सभी धर्मो को मानने और अपने धर्मानुसार उपासना करने की स्वतन्त्रता दी गई है। किसी भी शिक्षण संस्थान में किसी भी धर्म की शिक्षा नहीं दी जाएगी।
न्याय - लोकतन्त्र सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय का पक्षधर है। बेगार प्रथा, दास प्रथा और बन्धुआ मजदूरी का अन्त एवं स्त्री-पुरुषों को समान कार्य के लिए समान पारिश्रमिक का प्रावधान कर आर्थिक न्याय किया गया है और जाति, धर्म, लिंग एवं शिक्षा आदि किसी भी आधार पर भेदभाव किए बिना सभी को वोट देना और चुनाव लड़ने का अधिकार देकर राजनैतिक न्याय दिया गया है।
उपर्युक्त शक्तियाँ भारतीय समाज के संचालन में सहायक है। इसके अभाव में आदर्श भारतीय समाज का निर्माण असम्भव है। इन संचालित शक्तियों के द्वारा समाज के विकास में अत्यधिक तीव्र गति से उन्नति हुई है।
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- प्रश्न- शिक्षा से आप क्या समझते हैं? शिक्षा के विभिन्न सम्प्रत्ययों का उल्लेख करते हुए उसके वास्तविक सम्प्रत्यय को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के दार्शनिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के समाजशास्त्रीय सम्प्रदाय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के राजनीतिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के आर्थिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के मनोवैज्ञानिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के वास्तविक सम्प्रत्यय को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- क्या मापन एवं मूल्यांकन शिक्षा का अंग है?
- प्रश्न- शिक्षा का संकीर्ण तथा विस्तृत अर्थ बताइए तथा स्पष्ट कीजिए कि शिक्षा क्या है?
- प्रश्न- शिक्षा को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आपके अनुसार शिक्षा की सर्वाधिक स्वीकार्य परिभाषा कौन-सी है और क्यों?
- प्रश्न- शिक्षा के उद्देश्यों की विवेचना संक्षेप में कीजिए। शिक्षा के उद्देश्यों की क्या आवश्यकता है?
- प्रश्न- शिक्षा के उद्देश्यों की क्या आवश्यकता है?
- प्रश्न- शिक्षा के उद्देश्य बताइए।
- प्रश्न- शिक्षा के आदर्श उद्देश्यों के गुणों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के प्रति समाज के दायित्वों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा की अवधारणा क्या है? तथा शिक्षा की प्रकृति का सविस्तार वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- शिक्षा की प्रकृति के बारे में बताइये।
- प्रश्न- विभिन्न समाजों में शिक्षा की स्थिति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- स्कूल तथा समाज में परस्पर सम्बन्ध स्थापित करने के सम्बन्ध में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के विषय-विस्तार को संक्षेप में लिखिए
- प्रश्न- समाज का अर्थ व परिभाषा बताइये।
- प्रश्न- समाज में शिक्षा की आवश्यक दिशा बताइये।
- प्रश्न- "अच्छे नैतिक चरित्र का विकास ही शिक्षा है।' समझाइए।
- प्रश्न- शिक्षा को मनुष्य एवं समाज का निर्माण करना चाहिए। कथन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के व्यापक अर्थ को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक समाजशास्त्र से आप क्या समझते हैं? इसके प्रमुख उद्देश्य तथा शिक्षा पर इसके प्रभाव का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक समाजशास्त्र के प्रमुख उद्देश्य व शिक्षा पर इसके प्रभाव की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के सामाजिक आधार को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- शिक्षा के समाजशास्त्र से आप क्या समझते हैं? एक विषय के रूप में इसके विकास की संक्षेप में विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय समाज की संचालक शक्तियाँ क्या हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षक के लिये शैक्षिक समाजशास्त्र की आवश्यकता बताइये।
- प्रश्न- शैक्षिक समाजशास्त्र का क्या महत्त्व है? इसकी सीमाएँ क्या हैं?
- प्रश्न- शिक्षा की पुनर्रचना के प्रमुख तत्त्व कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- शिक्षा की समाजशास्त्रीय प्रवृत्ति का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में सामाजिकतावादी प्रवृत्तियों की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- आदर्श भारतीय समाज के निर्माण में शिक्षक की भूमिका।
- प्रश्न- शिक्षा तथा समाज के मध्य सम्बन्ध स्थापित कीजिए तथा शिक्षा एवं समाज एक-दूसरे को किस प्रकार प्रभावित करते हैं?
- प्रश्न- समाज तथा शिक्षा के परस्पर प्रभाव का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- समाज के ऊपर शिक्षा के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा का समाज की आर्थिक स्थिति पर क्या प्रभाव पड़ता है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- समाज एवं सामाजिक प्रणाली की संकल्पना की व्याख्या कीजिए। 'विद्यालय एक सामाजिक तंत्र है।' सोदाहरण वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा तथा समाज के एक-दूसरे के प्रति कर्त्तव्यों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- समाज के प्रति शिक्षा के प्रमुख कर्त्तव्य क्या हैं? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- समाज शिक्षा के प्रमुख उद्देश्यों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'विद्यालय समाज का निर्माता है।' स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा एवं समाज के सम्बन्ध को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- समाज में खुशी के लिए शिक्षा के उद्देश्य और आवश्यकता बताइये।
- प्रश्न- सफल जीवन और खुशियों के निर्माण में शिक्षा कैसे सर्वोच्च है?
- प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण क्या है?
- प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के शैक्षिक निहितार्थ का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिक भारत में सामाजिक स्तरीकरण के मूल आधार क्या हैं? आपकी राय में कौन-सा आधार अधिक प्रभावी है और क्यों?
- प्रश्न- भारतीय समाज में सामाजिक स्तरीकरण के आधार की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के प्रमुख आधार बताइए।
- प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण का कार्यात्मक परिप्रेक्ष्य बताइये।
- प्रश्न- समानता की परिभाषा दीजिए तथा इसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अनुसूचित जाति / जनजाति हेतु शैक्षिक अवसरों की समानता के लिए संविधान के प्रावधानों को बताइए तथा शैक्षिक अवसरों की समानता के लिए किए जाने वाले प्रयासों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भाषाई, सांस्कृतिक, क्षेत्रीय एवं धार्मिक विविधताओं के सम्बन्ध में संवैधानिक दृष्टिकोण की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारत में अधिगम संदर्भ में व्याप्त विविधताओं का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- भाषायी विविधता के संदर्भ में अध्यापक से क्या अपेक्षाएँ होती हैं?
- प्रश्न- 'जातीय व सामाजिक विविधता तथा अध्यापक' पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- शैक्षिक अवसरों की समानता से आप क्या समझते हैं? भारत में इसकी आवश्यकता की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारत में शिक्षा के अवसरों की विषमताओं को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक समानता के अवसरों को बढ़ाने हेतु उपायों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षण संस्थाओं में समानता से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक अवसरों की समानता से क्या आशय है? असुविधाग्रस्त लोगों की जीविका समुन्नति हेतु आप किन उपायों की संस्तुति करेंगे? चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक न्याय का क्या अर्थ है? सामाजिक न्याय की अवधारणा स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- भारतीय समाज में विविधता में एकता स्थापित करने के उपाय बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक एकता की अवधारणा स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- 'भारतीय समाज में विविधता में एकता है।' इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं और क्यों?
- प्रश्न- संस्कृति का महत्त्व बताइए। शिक्षा तथा संस्कृति में सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विभिन्न परिवेशों में शिक्षा तथा संस्कृति का सम्बन्ध एवं सम्बर्द्धन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के द्वारा संस्कृति का विकास तथा संरक्षण कैसे किया जाता है?
- प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बन के परिप्रेक्ष्य में सांस्कृतिक परिवर्तन को समझाइए।
- प्रश्न- भारत में विभिन्न जनसमूहों में शिक्षा के द्वारा अन्तर्सास्कृतिक अवबोध के विकास के सम्बन्ध में सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- अन्तर-सांस्कृतिक भावना से आप क्या समझते हैं? शिक्षा द्वारा अन्तर-सांस्कृतिक भावना का विकास किस प्रकार किया जा सकता है?
- प्रश्न- शिक्षा के माध्यम से तथा शिक्षक के माध्यम से अन्तर सांस्कृतिक भावना का विकास किस प्रकार हो सकता है?
- प्रश्न- औपचारिक तथा अनौपचारिक शिक्षा के क्षेत्र में भारतीय संस्कृति की भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अनौपचारिक शिक्षा में संस्कृति का क्या महत्त्व है? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा और संस्कृति के सम्बन्ध की समीक्षा कीजिये। इन दोनों में से कौन दूसरे पर अधिक आश्रित है।
- प्रश्न- शिक्षा और सांस्कृतिक विलम्बना के सम्बन्ध पर अन्तर लिखिए, विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सांस्कृतिक बहुतत्ववाद की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक व सांस्कृतिक परिवर्तन में सम्बन्ध पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- संस्कृति की आवश्यकता तथा महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संस्कृति से आप क्या समझते हैं? इसकी प्रकृति का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- संघर्ष से क्या तात्पर्य है? सांस्कृतिक संघर्ष को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विरासत के हस्तान्तरण से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- 'सभी सांस्कृतिक परिवर्तन सामाजिक परिवर्तन होते हैं किन्तु सभी सामाजिक परिवर्तन सांस्कृतिक परिवर्तन नहीं होते।' इस कथन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वर्तमान समय में भारतीय समाज में किस प्रकार के परिवर्तन हो रहे हैं?
- प्रश्न- भारत में सामाजिक परिवर्तन के प्रमुख कारकों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सामाजिक परिवर्तन के आर्थिक कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय समाज के परिवर्तन में जैविकीय कारकों की भूमिका का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के बारे में दो विचार हैं एक तो यह कि शिक्षा द्वारा सामाजिक परिवर्तन होते हैं और दूसरा यह कि सामाजिक परिवर्तन शिक्षा को प्रभावित करते हैं आपको इनमें से कौन-सा विचार अधिक सत्य लगता है, क्यों?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की दृष्टि से स्कूल के कर्त्तव्यों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में बाधा उत्पन्न करने वाले कारकों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय समाज व सामाजिक परिवर्तन पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- सामाजिक अभाव पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तनों में निर्णायक कारकों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के दृष्टिकोण से शिक्षा के प्रमुख कार्यों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की दृष्टि से स्कूल के प्रमुख कार्यों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के सन्दर्भ में शिक्षा तथा शिक्षक की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में शिक्षक की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तनों तथा शिक्षा के पारस्परिक सम्बन्धों को समझाइए।
- प्रश्न- "सामाजिक प्रगति का एकमात्र साधन शिक्षा है।" स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संस्कृतिकरण का क्या अर्थ है? संस्कृतिकरण की अवधारणा बताइये।
- प्रश्न- संस्कृतिकरण की विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- संस्कृतिकरण से उत्पन्न होने वाली समस्यायें बताइये तथा इसके निवारण हेतु उपाय कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- संस्कृतिकरण के निवारण हेतु उपाय बताइये।
- प्रश्न- भारतीय समाज के सन्दर्भ में पाश्चात्यीकरण की शैक्षिक उपादेयता बताइए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण को परिभाषित करते हुए विभिन्न विद्वानों के अनुसार आधुनिकीकरण के तत्वों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- डॉ. एम. एन. श्रीनिवास के अनुसार आधुनिकीकरण के तत्वों को बताइए।
- प्रश्न- डेनियल लर्नर के अनुसार आधुनिकीकरण की विशेषताओं को बताइए।
- प्रश्न- आइजनस्टैड के अनुसार, आधुनिकीकरण के तत्वों को समझाइये।
- प्रश्न- डॉ. योगेन्द्र सिंह के अनुसार आधुनिकीकरण के तत्वों को समझाइए।
- प्रश्न- ए. आर. देसाई के अनुसार आधुनिकीकरण के तत्वों को व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण के कारण तथा परिणाम बताइये।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण के परिणाम बताइये।
- प्रश्न- नगरीकरण का अर्थ बताइये एवं इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नगरीकरण की विशेषतायें बताइये |
- प्रश्न- नगरीकरण के अच्छे एवं बुरे प्रभावों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिकरण की परिभाषाएँ बताइए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण की विभिन्न विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण की प्रक्रिया का भारतीयकरण की प्रक्रिया के साथ समायोजन कैसे स्थापित किया जा सकता है? आधुनिकीकरण का भारतीय प्रतिमान विकसित करने में शिक्षा की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण का भारतीय प्रतिमान विकसित करने में शिक्षा की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण और पाश्चात्यीकरण में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा पर आधुनिकीकरण के प्रभावों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शहरीकरण और शिक्षा पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- भारत में नगरीकरण का प्रभाव बताइये।
- प्रश्न- नगरीकरण एवं शिक्षा में सम्बन्ध स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण के किन्हीं दो दुष्परिणामों की विवचेना कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिकता एवं आधुनिकीकरण में अन्तर बताइए।
- प्रश्न- एक प्रक्रिया के रूप में आधुनिकीकरण की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण की हालवर्न तथा पाई की परिभाषा दीजिए।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण के दुष्परिणाम बताइये।
- प्रश्न- राष्ट्रीयता की भावना के विकास में आने वाली बाधाओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीयता की भावना की वृद्धि करने के लिए राष्ट्रीय एकता समिति द्वारा क्या सुझाव दिये गए हैं?
- प्रश्न- राष्ट्रीय एकता के लिए शिक्षा का कार्यक्रम पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शिक्षा के प्रमुख दोषों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय जीवन में शिक्षा के प्रमुख कार्य बताइए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय एकता व अन्तर्राष्ट्रीय अवबोध में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय एकता के मार्ग में प्रमुख बाधाएँ कौन-सी हैं? भारतवर्ष के परिप्रेक्ष्य में राष्ट्रीय एकता व शिक्षा के सम्बन्ध की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीयता की शिक्षा के प्रमुख लाभ क्या-क्या हैं?.
- प्रश्न- एक अध्यापक के रूप में आप अपने विद्यार्थियों में राष्ट्रीय एकता की भावना का विकास कैसे करेंगे? इस सन्दर्भ में अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय एकता में टेलीविजन की भूमिका।
- प्रश्न- भारत में 'भावात्मक एकता' की आवश्यकता बताइये।
- प्रश्न- राष्ट्रीयता से आप क्या समझते हैं? राष्ट्रीयता तथा शिक्षा के सम्बन्ध का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- भारत में राष्ट्रीय एकीकरण में धर्म-वैविध्य एक कठिनाई के रूप में।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना विकसित करने के पक्ष में तर्क दीजिए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना को विकसित करने के सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय भावना के प्रसार में यूनेस्को की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- यूनेस्को के उद्देश्य व कार्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय अवबोध से आप क्या समझते हैं? आज के युग में अन्तर्राष्ट्रीय अवबोध के विकास हेतु शिक्षा का कार्य और शिक्षा की योजना बताइये।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय अवबोध के लिए शिक्षा का सिद्धान्त आवश्यक है? समझाइये।
- प्रश्न- पाठ्यक्रम और शिक्षा विधि की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- अध्यापक का योगदान व स्कूल का वातावरण के बारे में लिखिए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय भावना क्या है? आज के अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में शिक्षा शान्ति की स्थापना के लिए क्या कार्य कर सकती है?
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना के विकास में शिक्षक तथा स्कूल की भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना के लिए शिक्षा के उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना से क्या तात्पर्य है? इसकी आवश्यकता क्यों अनुभव की गई?
- प्रश्न- शिक्षा किस प्रकार से अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना का विकास कर सकती है?
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना के मार्ग में क्या-क्या बाधाएँ हैं? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक गतिशीलता से आप क्या समझते हैं? सामाजिक गतिशीलता के विभिन्न कारक एवं शिक्षा की भूमिका का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक गतिशीलता के विभिन्न कारक बताइए।
- प्रश्न- शिक्षा के सम्बन्ध में सामाजिक गतिशीलता से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- शिक्षा में सामाजिक गतिशीलता का क्या स्थान है?
- प्रश्न- उच्चगामी गतिशीलता क्या है?
- प्रश्न- सामाजिक गतिशीलता के विभिन्न रूपों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- गतिशीलता का शिक्षा पर प्रभाव बताइये।