बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 शिक्षाशास्त्र तृतीय प्रश्नपत्र - उच्चतर शैक्षिक मनोविज्ञान एम ए सेमेस्टर-1 शिक्षाशास्त्र तृतीय प्रश्नपत्र - उच्चतर शैक्षिक मनोविज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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एम ए सेमेस्टर-1 शिक्षाशास्त्र तृतीय प्रश्नपत्र - उच्चतर शैक्षिक मनोविज्ञान
प्रश्न- व्यक्तिगत विभिन्नता का शिक्षा में क्या महत्व है?
अथवा
वैयक्तिक विभिन्नताओं का ज्ञान शिक्षक के लिये क्यों अनिवार्य है?
अथवा
"वैयक्तिक विभिन्नताओं की प्रकृति का ज्ञान शिक्षक के लिए अनिवार्य है।' कथन की समीक्षा कीजिए।
अथवा
वैयक्तिक भिन्नताओं का शैक्षिक महत्व क्या है?
अथवा
वैयक्तिक विभिन्नताओं का ज्ञान शिक्षक के लिए क्यों आवश्यक है?
उत्तर -
(Educational Importance of Individual Differences) -
वैयक्तिक भिन्नता का शैक्षिक जगत में बहुत महत्व है। शिक्षार्थियों के स्वाभाविक एवं सर्वांगीण विकास के लिए यह अत्यन्त आवश्यक है कि बालकों के अनुरूप ही शिक्षा की प्रक्रियाओं का संचालन किया जाये। इस दृष्टि से शिक्षा के क्षेत्र में वैयक्तिक भिन्नताओं का महत्व निम्न प्रकार है -
1. कक्षा का सीमित आकार (Limit class Size) - वर्तमान समय में शिक्षार्थियों की संख्या अत्यधिक होने से शिक्षक प्रत्येक बालक पर ध्यान नहीं दे पाता है। फलस्वरूप शिक्षार्थियों के विकास का। उद्देश्य पूर्ण नहीं हो पाता है। इसलिए एक कक्षा में 20 से अधिक छात्र नहीं होने चाहिए और इन चात्रों का चयन भी सामान्य उपलब्धियों व योग्यता के आधार पर किया जाना चाहिए। इस सम्बन्ध में रॉस महोदय के अनुसार "प्रत्येक शिक्षक की संरक्षता में शिक्षार्थियों की संख्या इतनी कम होनी चाहिए कि वह उन्हें व्यक्तिगत रूप से भली-भाँति जान सकें, क्योंकि इस ज्ञान के अभाव में वह उनसे ऐसे कार्यों को करने को कह सकता है जो उनमें से अनेक के स्वभाव के अनुसार उनके लिए असंभव हो।'
2. वैयक्तिक शिक्षण (Individual Coaching) - आधुनिक प्रचलन सामूहिक शिक्षण की व्यवस्था का है। इस दोषयुक्त व्यवस्था से अनेक बालक कौशल एवं ज्ञान की दृष्टि से पिछड़ जाते हैं। व्यक्तिगत भिन्नता को अनुभव करते हुए वैयक्तिक शिक्षण की व्यवस्था करना नितान्त आवश्यक है। इसी उद्देश्य से प्रोजेक्ट, डाल्टन इत्यादि विधियों की खोज की गई है। वैयक्तिक शिक्षण की योजना को प्रत्येक विद्यालय में क्रियान्वित किये जाने पर बल देते हुए क्रो व क्रो ने लिखा है कि -
"विद्यालय का यह कर्तव्य है कि वह प्रत्येक बालक हेतु उपयुक्त शिक्षा की व्यवस्था करे, चाहे वह अन्य समस्त बालकों से कितना ही अलग क्यों न हो।'
3. गृह कार्य की नवीन धारणा (New concept of Home Work) - वैयक्तिक भिन्नता के कारण समस्त छात्रों में समान कार्य करने की क्षमता व योग्यता नहीं होती। अतः शिक्षार्थियों को गृह कार्य देते समय उनकी योग्यताओं व क्षमताओं को अध्यापक को ध्यान में रखना चाहिए।
4. शारीरिक दोषों पर ध्यान (Attention on Physical Disorder) - छात्रों के विभिन्न शारीरिक दोषों व असमर्थता पर शिक्षक को विशेष ध्यान देना चाहिए जिससे वे आवश्यकतानुसार शिक्षा प्राप्त कर सकें। इस सन्दर्भ में स्किनर के अनुसार -
(i) ऐसे बालक जिन्हें कम सुनाई व कम दिखाई देता है, उन्हें कक्षा में सबसे आगे बैठाया जाना चाहिए।
(ii) प्रत्येक शिक्षालय में एक चिकित्सक की नियुक्ति की जानी चाहिए।
(iii) प्रत्येक छात्र की डॉक्टरी जाँच की जानी चाहिए।
(iv) निर्बल एवं कुपोषित बालकों हेतु विश्राम के घण्टे निर्धारित किये जाने चाहिए।
5. पाठ्यक्रम का विभिन्नीकरण (Differentiation in Syllabus) - बालकों की रुचियों, अभिवृत्तियों आकांक्षाओं इत्यादि को ध्यान में रखे बिना पाठ्यक्रम का निर्माण करना अनुचित है। इसलिए पाठ्यक्रम लचीला होना चाहिए तथा उनमें अनेक विषयों को समाविष्ट किया जाना चाहिए जिससे प्रत्येक छात्र अपनी इच्छा के अनुसार विषयों का चुनाव कर सके।
6. बालकों के अनुरूप पाठ्यक्रम (Syllabus according to Students) - पाठ्यक्रम में बालकों की अभिवृत्ति का ध्यान रखा जाना चाहिए तथा पाठ्य वस्तु का विस्तार बालकों की बुद्धि के अनुरूप होना चाहिए। पाठ्यक्रम में वैयक्तिक भिन्नता का ध्यान न रखे जाने से मन्द बुद्धि बालक प्रायः पीछे रह जाते हैं तथा मेधावी छात्र आगे निकल जाते हैं।
7. छात्रों का वर्गीकरण (Students Classification) - विद्यालय का प्रत्येक बालक एक-दूसरे से भिन्न होता है। छात्रों के समग्र व स्वाभाविक विकास हेतु यह आवश्यक है कि उनकी पूर्व उपलब्धियों व परीक्षणों के आधार पर उनका समान समूहों में विभाजन किया जाये। इस विभाजन के आधार पर विशिष्ट योग्यता एवं क्षमताओं के छात्रों को उनके अनुरूप विकिसत करने में सरलता रहती है।
मोर्स व विगों के शब्दों में अमेरिका में छात्रों के वर्गीकरण की नवीन विधि इस प्रकार है -
(i) 9 वर्ष की अवस्था तक आयु के अनुसार वर्गीकरण
(ii) 9 से 13 वर्ष तक छात्रों की रुचि के अनुसार वर्गीकरण।
(iii) 13 वर्ष की आयु के उपरान्त मानसिक योग्यताओं के अनुसार छात्रों का वर्गीकरण।
मोर्स व विगों के अनुसार - "वैयक्तिक भिन्नतायें वास्तव में अधिगम हेतु तत्परता की भिन्नतायें हैं।'
8. शिक्षण विधि (Teaching Method) - रोचक शिक्षण पद्धतियों की बालकों के विकास में प्रमुख भूमिका है। एक ही पद्धति के प्रयोग से समस्त बालकों का सन्तोषजनक स्तर तक विकास नितान्त असम्भव है। इसलिए शिक्षार्थियों के स्तर, रुचि एवं बुद्धि के अनुरूप ही भिन्न-भिन्न शिक्षण विधियों का प्रयोग किया जाना चाहिए।
9. लिंगभेद के अनुसार शिक्षा (Education According to Sex) - बालक व बालिकाओं की बुद्धि रुचि अभिवृति आदि में पर्याप्त भिन्नता होती है। विशेषकर किशोरावस्था एवं उसके उपरान्त यह भिन्नता स्पष्टत: दिखाई देने लगती है। अतः प्राथमिक स्तर के पश्चात दोनों के लिए पृथक- पृथक शैक्षिक व्यवस्था का होना आवश्यक है। अलग विद्यालयों में व्यवस्था के साथ-साथ पाठ्यक्रम भी उनकी रुचियों अभिवृत्तियों एवं आवश्यकताओं के अनुरूप होना चाहिए।
10. शैक्षिक निर्देशन (Education Guidance) - शिक्षा प्राप्त करते समय बालकों के
शैक्षिक निर्देशन के द्वारा समक्ष अनेक समस्यायें उत्पन्न होती है। अतः वैयक्तिक भिन्नता के आधार पर बालकों को उनकी इन समस्याओं के समाधान से अवगत कराया जा सकता है। इससे छात्र, सन्तोष, एवं उत्साहपूर्ण ढंग से शिक्षण क्रियाओं में रूचि प्रदर्शित करते हैं।
11. बहुउद्देश्यीय पाठ्यक्रम (Multipurpose Curriculum) - भारतीय छात्रों के सम्मुख बेकार एवं बेरोजगार की भी एक समस्या है, जिसका उदय अनुपयुक्त पाठ्यक्रम के कारण हुआ है। अतः छात्रों का पाठ्यक्रम निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखकर होना चाहिए-
(i) सम्पूर्ण व्यक्तित्व छात्र के जीवन की आवश्यकतायें हैं और उनको कौन सा ज्ञान पूरा कर सकता है। यह छात्रों के पाठ्यक्रम के कारण हुआ है। अतः छात्रों का पाठ्यक्रम निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखकर होना चाहिए
(ii) व्यावसायिकता - पाठ्यक्रम का निर्धारण निश्चित व्यावसायिक व्यवस्था के लिए होना चाहिए। इस प्रकार का छात्र प्रौढ़ होने पर बेरोजगार नहीं रहेगा।
(iii) समायोजनशीलता जीवन में एकरसता स्थापित करने में समायोजन महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करता है। इसके द्वारा बालक में जीवन के प्रति रुचि और आत्म-विश्वास उत्पन्न होगा।
(iv) अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना आज छात्र अपने देस का ही नागरिक नहीं है, बल्कि सम्पूर्ण मानव समाज का सदस्य है। अतः उसमें पाठ्यक्रम के द्वारा 'मनुष्य, मनुष्य के लिए है की भावना का उदय होना चाहिए।
12. पाठ्य सहगामी क्रियाएँ (Co-curricular Activities) - वैयक्तिक शिक्षण में छात्रों को अन्य बर्हिगामी क्रियाओं से भी परिचित कराना चाहिए। इससे उनमें कलात्मक रुचि उत्पन्न होगी और पाठ्यक्रम के अलावा अन्य क्रियाओं से भी परिचय होगा। पाठ्य सहगामी क्रियाओं के अन्तर्गत खेलकूद नाटक, गोष्ठियाँ, गाथाएँ और संगीत सभाएँ आदि क्रियाएँ आती हैं। इन क्रियाओं के माध्यम से छात्रों की शारीरिक मानसिक, मनोरंजनात्मक एवं सौन्दर्यात्मक अभिरुचियों की वृद्धि होती है।
इस प्रकार हम देखते हैं कि विद्यालय में पढ़ने वाले समस्त शिक्षार्थी विभिन्न दृष्टियों से परस्पर विभिन्नता रखते हैं। जिस छात्र में जितनी क्षमतायें एवं योग्यतायें हैं या जिस छात्र का जिस सीमा तक विकास हुआ है, उसे उसी सीमा से आगे ही विकसित किया जाना चाहिए।
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- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ बताइये एवं इसकी प्रकृति को संक्षेप में स्पष्ट कीजिये !
- प्रश्न- मनोविज्ञान और शिक्षा के सम्बन्ध का विवेचन कीजिये और बताइये कि मनोविज्ञान ने शिक्षा सिद्धान्त और व्यवहार में किस प्रकार की क्रान्ति की है?
- प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मनोविज्ञान की भूमिका या महत्त्व बताइये।
- प्रश्न- 'शिक्षा मनोविज्ञान का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये। शिक्षक प्रशिक्षण में इसकी सम्बद्धता क्या है?
- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान की विकासात्मक विधि को समझाइये तथा इस विधि की विशेषताओं एवं सीमाओं का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान के प्रमुख उद्देश्यों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- शैक्षिक सिद्धान्त व शैक्षिक प्रक्रिया के लिये शैक्षिक मनोविज्ञान का क्या महत्त्व है?
- प्रश्न- मनोविज्ञान की विभिन्न परिभाषाओं को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- व्यवहारवाद की प्रमुख विशेषताएँ बताइए और आधुनिक भारतीय शिक्षा के क्षेत्र में व्यवहारवाद सम्प्रदाय का क्या योगदान है?
- प्रश्न- व्यवहारवाद तथा शिक्षा के सम्बन्ध का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- गैस्टाल्ट मनोविज्ञान का शैक्षिक महत्व बताते गेस्टाल्टवाद का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रकार्यवाद क्या है? उल्लेख कीजिए। प्रकार्यवाद का सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- अवयवीवाद (गेस्टाल्टवाद) की मुख्य विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- फ्रायड के मनोविश्लेषणवाद को समझाइये।
- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षा की कुछ महत्त्वपूर्ण समस्याओं का समाधान करता है कैसे?
- प्रश्न- मनोविज्ञान में व्यवहारवाद की आवश्यकता का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- व्यवहारवाद क्या है? इसका शैक्षिक महत्व बताइये।
- प्रश्न- मनोविज्ञान के सम्प्रदाय का अर्थ तथा प्रकार का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संरचनावाद का शिक्षा में क्या योगदान है?
- प्रश्न- अधिगम के अर्थ एवं प्रकृति की विवेचना कीजिए। अधिगम एवं परिपक्वता के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अधिगम की परिभाषा बताइए।
- प्रश्न- अधिगम की प्रकृति समझाइये।
- प्रश्न- परिपक्वता और सीखने में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन-से हैं? उन्हें स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अधिगम को प्रभावित करने वाले अध्यापक से सम्बन्धित कारक कौन-से हैं?
- प्रश्न- विषय से सम्बन्धित अधिगम को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अधिगम के वातावरण सम्बन्धी कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 'अनुबन्धन' से क्या अभिप्राय है? पावलॉव और स्किनर के सीखने के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अनुकूलित-अनुक्रिया को नियंत्रित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- अनुकूलित-अनुक्रिया को प्रभावित करने वाले कारक कौन-से हैं?
- प्रश्न- प्रानुकूलित अनुक्रिया से आप क्या समझते हैं? इस सिद्धान्त का शिक्षा में प्रयोग बताइये।
- प्रश्न- अनुकूलित-अनुक्रिया सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- स्किनर द्वारा सीखने के सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- थार्नडाइक द्वारा प्रतिपादित अधिगम के विभिन्न नियमों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- थार्नडाइक के उद्दीपन-अनुक्रिया सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गेस्टाल्ट का समग्राकृति अथवा अन्तर्दृष्टि का सिद्धान्त क्या है?
- प्रश्न- स्किनर के सक्रिय अनुकूलित अनुक्रिया सिद्धान्त के शिक्षा में प्रयोग को समझाइये |
- प्रश्न- थार्नडाइक के सम्बन्धवाद अथवा प्रयास व त्रुटि के सिद्धान्त के द्वारा अधिगम को समझाइये |
- प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण क्या है? अधिगम स्थानान्तरण के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण की दशाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अधिगमान्तरण के विभिन्न सिद्धान्तों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर अभिप्रेरणा का अर्थ स्पष्ट करते हुए अभिप्रेरणा के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक कौन-से हैं? उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- 'प्रेरणा' के सम्प्रत्यय का वर्णन कीजिए। छात्रों को अभिप्रेरित करने के लिए आप किन तकनीकों या विधियों का प्रयोग करेंगे?
- प्रश्न- अभिप्रेरणा क्या है? अभिप्रेरणा एवं व्यक्तित्व किस प्रकार सम्बन्धित हैं?
- प्रश्न- अभिप्रेरणा का क्या महत्त्व है? अभिप्रेरणा के विभिन्न सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा के विभिन्न सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा का मूल प्रवृत्ति सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा का मूल मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा का उद्दीपन-अनुक्रिया सिद्धान्त को समझाइये |
- प्रश्न- शैक्षिक दृष्टि से अभिप्रेरणा का क्या महत्त्व है?
- प्रश्न- विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर बुद्धि का अर्थ स्पष्ट करते हुये बुद्धि की प्रकृति या स्वरूप तथा उसकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- बुद्धि की प्रकृति एवं स्वरूप का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बुद्धि की विशेषताओं को समझाइये |
- प्रश्न- बुद्धि परीक्षा के विभिन्न प्रकार कौन-से हैं? वैयक्तिक व सामूहिक बुद्धि परीक्षा की तुलना कीजिये।
- प्रश्न- सामूहिक बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- शाब्दिक व अशाब्दिक तथा उपलब्धि परीक्षण को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- वाचिक अथवा अवाचिक वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण से क्या अभिप्राय है? उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- स्टैनफोर्ड बिने मानदण्ड क्या है?
- प्रश्न- बर्ट द्वारा संशोधित बुद्धि परीक्षण को बताइये।
- प्रश्न- अवाचिक वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- वाचिक सामूहिक बुद्धि परीक्षण कौन से हैं?
- प्रश्न- अवाचिक सामूहिक बुद्धि परीक्षणों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- बुद्धि परीक्षण के विभिन्न उपयोगों पर संक्षिप्त प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- आई. क्यू. (I.Q.) से क्या तात्पर्य है? यह कैसे नापा जाता है? क्या आई. क्यू. स्थायी होता है? बुद्धि कहाँ तक पितृगत होती है? अपने उत्तर के समर्थन में प्रयोगात्मक प्रमाणों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- क्या आई. क्यू. (बुद्धिलब्धि) स्थायी होती है?
- प्रश्न- बुद्धि कहाँ तक पितृगत (वंशानुगत) होती है?
- प्रश्न- बुद्धि के स्वरूप व प्रकारों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बुद्धि के विभिन्न सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- बुद्धि-लब्धि क्या है?
- प्रश्न- बुद्धि की पहचान किन तथ्यों के माध्यम से की जा सकती है? व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्तिगत भिन्नता से आप क्या समझते हैं? इसके कारणों एवं प्रकारों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- व्यक्तिगत भिन्नता होने के क्या-क्या कारण हैं?
- प्रश्न- व्यक्तिगत भिन्नता कितने प्रकार की होती है? प्रत्येक का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्तिगत भिन्नता मापने की विधियाँ बताइये।
- प्रश्न- व्यक्तिगत भिन्नता और शिक्षा में क्या सम्बन्ध है?
- प्रश्न- व्यक्तिगत विभिन्नता का शिक्षा में क्या महत्व है?
- प्रश्न- वैयक्तिक विभिन्नता से आप क्या समझते है? शिक्षा में इसके महत्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैयक्तिक विभिन्नताओं के मापन पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वैयक्तिक विभिन्नता का मापन व्यक्तित्व परीक्षा द्वारा कैसे किया जाता है?
- प्रश्न- परीक्षण के बाद व्यक्तिगत विभिन्नता का मापन बताइए।
- प्रश्न- उपलब्धि परीक्षण से व्यक्तिगत विभिन्नता का मापन बताइये।
- प्रश्न- वैयक्तिक भिन्नता पर आधारित शिक्षण प्रविधियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- डेक्रोली शिक्षण योजना को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कॉन्ट्रेक्ट शिक्षण योजना तथा प्रोजेक्ट शिक्षण योजना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- डाल्टन योजना को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अभिक्रमित अनुदेशन से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निष्पत्ति लब्धि की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा-लब्धि पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- निष्पत्ति परीक्षण की शैक्षिक उपयोगिता का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्तित्व के प्रमुख प्रकारों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- थार्नडाइक ने व्यक्तित्व को कितने भागों में विभाजित किया है?
- प्रश्न- स्प्रैगर के अनुसार व्यक्तित्व के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- युंग द्वारा बताए गए व्यक्तित्व के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्तित्व क्या है? व्यक्तित्व का निर्धारण करने वाले जैविक एवं वातावरणजन्य कारकों का विवेचन कीजिये।
- प्रश्न- व्यक्तित्व के प्रमुख गुणों (विशेषताओं) या शीलगुण सिद्धान्त का विस्तार का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्तित्व के निर्धारण में वंशानुक्रम तथा पर्यावरण की भूमिका बताइए।
- प्रश्न- व्यक्तित्व निर्धारण में विद्यालय कैसे प्रभाव डालता है?
- प्रश्न- व्यक्तित्व की संरचना से सम्बन्धित विभिन्न सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- फ्रायड के सिद्धान्त के प्रमुख तत्व बताइये।
- प्रश्न- फ्रायड द्वारा बताई गई रक्षा युक्तियों को समझाइये।
- प्रश्न- व्यक्तित्व की संरचना से सम्बन्धित युंग के सिद्धान्त को बताइये।
- प्रश्न- युंग के अनुसार व्यक्तित्त्व का वर्गीकरण कीजिये।
- प्रश्न- व्यक्तित्व क्या है? व्यक्तित्व मापन के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्ति की किशोरावस्था या प्रौढ़ावस्था में उसके मानसिक स्वास्थ्य को किस प्रकार संरक्षित किया जा सकता है?
- प्रश्न- प्रौढ़ावस्था में मानसिक स्वास्थ्य को किस प्रकार से संरक्षित किया जायेगा?
- प्रश्न- कौन-कौन से कारक मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं और शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा नामे रखने के उपाय बताइए।
- प्रश्न- शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा बनाए रखने के उपाय बताइये।
- प्रश्न- मानसिक द्वन्द्व से आप क्या समझते हैं? इसके क्या कारण हैं?
- प्रश्न- मानसिक द्वन्द्व के स्रोत बताइए।
- प्रश्न- समायोजन से क्या आशय है? विद्यालयी बालकों में कुसमायोजन के कारण बताइये।
- प्रश्न- समायोजन की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- विद्यालयी बालकों में कुसमायोजन के लिए कौन-कौन से कारण उत्तरदायी हैं? उनका वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बचाव (समायोजन) क्या है? प्रमुख बचाव (समायोजन) यंत्रीकरणों को उदाहरण सहित प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- 'संघर्ष' को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- भग्नाशा (कुंठा) को परिभाषित कीजिए। भग्नाशा के प्रमुख कारणों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- दुश्चिंता पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- समायोजन स्थापित करने की विभिन्न तकनीकों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- तनाव प्रबन्धन क्या है?
- प्रश्न- समायोजन विधि को संक्षेप में समझाइये।