बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 शिक्षाशास्त्र द्वितीय प्रश्नपत्र - शैक्षिक अनुसंधान की पद्धति एम ए सेमेस्टर-1 शिक्षाशास्त्र द्वितीय प्रश्नपत्र - शैक्षिक अनुसंधान की पद्धतिसरल प्रश्नोत्तर समूह
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एम ए सेमेस्टर-1 शिक्षाशास्त्र द्वितीय प्रश्नपत्र - शैक्षिक अनुसंधान की पद्धति
प्रश्न- मात्रात्मक अनुसंधान कितने प्रकार का होता है।
उत्तर -
मात्रात्मक अनुसंधान के प्रकार
एस.एस. स्टीवेन्सन ने मात्रात्मक अनुसंधान के चार प्रकार बताये हैं- जो निम्नलिखित हैं।
नामित मापन (Nominal Measurement) - मापन का यह तरीका सबसे कम परिमार्जित स्तर का मापन है। इस प्रकार का मापन वस्तुतः किसी गुणों अथवा विशेषताओं के नाम पर आधारित होता है। इसमें व्यक्तियों अथवा वस्तुओं को उनके किन्हीं गुणों अथवा विशेषताओं के प्रकार के आधार पर वर्गों या समूहों में विभक्त कर दिया जाता है। इन वर्गों के बीच परस्पर किसी भी प्रकार का कोई अन्तर्निहित क्रम (Inherent order) अथवा सम्बन्ध नहीं होता है। प्रत्येक वर्ग व्यक्ति या वस्तु के किसी गुणों अथवा विशेषताओं के किसी एक प्रकार को व्यक्त करता है। विशेषता के प्रकार की दृष्टि से सभी वर्ग एक समान महत्व रखते हैं। गुणों के विभिन्न प्रकारों को एक-एक नाम, शब्द, अक्षर, अंक या कोई अन्य संकेत प्रदान कर दिया जाता है। जिस तरह निवास के आधार पर नागरिकों को ग्रामीण व शहरी में बांटना, विषयों के आधार पर स्नातक छात्रों को कला, विज्ञान, वाणिज्य, इन्जीनियरिंग, विधि, चिकित्सा आदि वर्गों में विभाजित करना, लिंग-भेद के आधार पर बच्चों को लड़के व लड़कियों में विभाजित करना, फलों को सेब, संतरा, अंगूर, केला, आम आदि में वर्गीकृत करना, फर्नीचर को मेज, कुर्सी, स्टूल आदि में विभाजित करना आदि नामित मापन के कुछ सरल उदाहरण हैं।
नामित मापन वास्तव में गुणात्मक मापन का एक प्रकार हैं जिसमें गुणों के विभिन्न पहलुओं के आधार पर कुछ सुपरिभाषित वर्गों की रचना की जाती हैं एवं गुणों के आधार पर विभिन्न व्यक्तियों अथवा वस्तुओं को इन विभिन्न वर्गों में वर्गीकृत किया जाता है।
(ii) क्रमित मापन (Ordinal Measurement ) - क्रमित स्तर का मापन नामित स्तर के मापन से कुछ अधिक परिमार्जित होता है। यह मापन वास्तव में गुण की मात्रा के आकार पर आधारित होता है। इस प्रकार के मापन में व्यक्तियों अथवा वस्तुओं को उनके किसी गुण की मात्रा के आधार पर ऐसे वर्गों में विभाजित कर दिया जाता है, जिनमें एक स्पष्ट अन्तर्निहित क्रम निहित होता है। यह क्रम अपने आप में सुस्पष्ट होता है। इन वर्गों में से प्रत्येक को कोई नाम, शब्द, अक्षर प्रतीक या अंक प्रदान कर दिये जाते हैं। जैसे छात्रों को उनकी योग्यता के आधार पर श्रेष्ठ (Good), औसत (Avergae) व कमजोर ( Inferior) नामक तीन वर्गों में विभाजित करना क्रमित मापन का एक सरल उदाहरण है। छात्रों के इन तीनों वर्गों में एक अंतर्निहित क्रम या सम्बन्ध स्वाभाविक रूप से दृष्टिगोचर होता है। श्रेष्ठ वर्ग के छात्र, औसत वर्ग के छात्रों से स्वाभाविक रूप से श्रेष्ठ हैं। क्रमित मापन में यह आवश्यक नहीं है कि विभिन्न वर्गों के मध्य गुणों की मात्रा का अन्तर सदैव ही समान है। जैसे यदि रोहन, सोहन तथा मोहन क्रमशः श्रेष्ठ वर्ग, औसत वर्ग तथा कमजोर वर्ग में हैं तो इसका अर्थ यह नहीं कि रोहन व सोहन के मध्य योग्यता में वही अन्तर है जो सोहन तथा मोहन के मध्य है। छात्रों को परीक्षा, प्राप्तांकों के आधार पर प्रथम, द्वितीय, तृतीय श्रेणियाँ आबंटित करना, लम्बाई के आधार पर छात्रों को लम्बा (Tall) औसत (Average) या नाटा (Short) कहना। कक्षा स्तर के आधार पर छात्रों को प्राथमिक स्तर, माध्यमिक स्तर, स्नातक स्तर आदि में वर्गीकृत करना, विश्वविद्यालय अध्यापकों को प्रवक्ता, उपाचार्य या आचार्य नामक वर्गों में विभाजित करना, अभिभावकों को उनके सामाजिक-आर्थिक स्तर के आधार पर उच्च, मध्यम व निम्न स्तर में वर्गीकृत करना इत्यादि क्रमित मापन के कुछ सरल उदाहरण हैं।
क्रमित मापन के विभिन्न वर्गों में विद्यमान गुणों या विशेषताओं की मात्रा भिन्न-भिन्न होती है तथा इन वर्गों को इस आधार पर घटते अथवा बढ़ते क्रम में व्यवस्थित किया जा सकता है। नामित स्तर के मापन की तरह से क्रमित स्तर के मापन में भी केवल प्रत्येक समूह के सदस्यों की गिनती करना संभव होता है।
(iii) अन्तरित मापन (Interval Measurement ) - अन्तरित मापन नामित व क्रमित मापन से अधिक परिमार्जित होता है। अंतरित मापन गुणों की मात्रा अथवा परिमाण पर आधारित होता है। इस तरह के मापन में व्यक्तियों अथवा वस्तुओं में विद्यमान गुणों की मात्रा को इस प्रकार की ईकाइयों के द्वारा व्यक्त किया जाता है कि किन्हीं भी दो लगातार ईकाइयों में अन्तर समान रहता है। जिस प्रकार पाँच छात्रों को उनकी गणित योग्यता के आधार पर अध्यापक द्वारा 52, 55, 59, 67 व 70 अंक प्रदान करना अंतरित मापन का एक सरल उदाहरण है। इससे यह स्पष्ट होता है जो अन्तर 68 व 69 अंकों के मध्य होता है। शिक्षा के क्षेत्र में प्रयुक्त होने वाले अधिकांश चरों का मापन प्रायः अंतरित स्तर पर ही किया जाता है। समान दूरी पर स्थित अंक ही इस स्तर के मापन की ईकाइयाँ होती हैं। इन ईकाइयों के साथ जोड़ व घटाने की गणितीय संक्रियाएँ की जा सकती हैं। परन्तु इस स्तर के मापन में गुणविहीनता को व्यक्त करने वाला परम शून्य या वास्तविक शून्य जैसा कोई बिन्दु नहीं होता है जिसके कारण इस स्तर के मापन से प्राप्त परिणाम सापेक्षिक तो होते हैं परन्तु निरपेक्ष नहीं होते हैं। इस स्तर के मापन का मापन का परिणाम शून्य बिन्दु तो हो सकता है परन्तु या आभासी होता है। जैसे यदि कोई छात्र भाषा परीक्षण पर शून्य अंक प्राप्त करता है तो इसका अभिप्राय यह नहीं है कि
वह छात्र भाषा के विषय में कुछ नहीं जानता है। इस शून्य का अभिप्राय केवल इतना है कि वह छात्र प्रयुक्त किये गये भाषा परीक्षण के प्रश्नों को सही हल करने में पूर्णतया असफल रहा है परन्तु अवसर मिलने पर वह भाषा सम्बन्धी कुछ अन्य सरल प्रश्नों को सही हल भी कर सकता है। यही कारण है कि अन्तरित मापन से प्राप्त अंकों के साथ जोड़ने तथा घटाने की गणनाएँ की जा सकती हैं परन्तु प्राप्तांकों के लिए गुणा तथा भाग की संक्रियाएँ करना संभव नहीं होता है।
(iv) आनुपातिक मापन ( Ratio Measurement) - इस प्रकार का मापन सर्वाधिक परिमार्जित स्तर का मापन होता है। मापन में अंतरित मापन की सभी विशेषताओं के साथ-साथ परम शून्य (Absolute Zero) या वास्तविक शून्य (Truezero) की संकल्पना भी निहित रहती है। परम शून्य वह स्थिति है जिस पर कोई विशेषता या गुण पूर्णरूपेण अस्तित्व विहीन हो जाती है। जैसे दूरी का मापन आनुपातिक स्तर का मापन होता है क्योंकि लम्बाई, भार या दूरी के विहीन होने की संकल्पना की जा सकती हैं। आनुपातिक मापन की दूसरी विशेषता इस पर प्राप्त मापों की आनुपातिक तुलनीयता है। आनुपातिक मापन के द्वारा प्राप्त मापन परिणामों को अनुपात के रूप में व्यक्त कर सकते हैं जबकि अन्तरित मापन से प्राप्त परिणाम गुण के परिणाम को अनुपातों के रूप में व्यक्त करने में असमर्थ होते हैं। जैसे 60 किलोग्राम भार वाले व्यक्ति को 30 किलोग्राम भार वाले व्यक्ति से दो गुना भार वाला व्यक्ति कहा जा सकता है। परन्तु 140 बुद्धि-लब्धि (IQ) वाले व्यक्ति को 70 बुद्धि-लब्धि (IQ) वाले व्यक्ति को 70 बुद्धि-लब्धि (IQ) वाले व्यक्ति से दो गुना बुद्धिमान कहना तर्कसंगत नहीं होगा। दरअसल तीस-तीस किलोग्राम वाले दो व्यक्ति एक साथ मिलकर भार की दृष्टि से 60 किलोग्राम वाले व्यक्ति के समान हो जायेंगे। परन्तु 70-70 बुद्धि लब्ध (I.Q.) वाले दो व्यक्ति मिलकर भी 190 बुद्धि लब्धि (I.Q.) वाले व्यक्ति के समान बुद्धिमान कदापि नहीं हो सकते हैं। भौतिकचरों (Physical Variables) का मापन प्रायः आनुपातिक स्तर पर किया जाता है। आनुपातिक मापन से प्राप्त परिणामों के साथ जोड़, घटाना, गुणा व भाग की चारों मूल गणितीय संक्रियायें की जा सकती हैं
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- प्रश्न- शैक्षिक शोध को परिभाषित करते हुए इसका अर्थ बताइये तथा इसकी विशेषताएँ कौन-कौन सी हैं?
- प्रश्न- शिक्षा अनुसंधान की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- शैक्षिक अनुसंधान की परिभाषा तथा उसका स्वरूप बताइये?
- प्रश्न- शैक्षिक अनुसंधान की प्रकृति तथा उसके क्षेत्र के विषय में समझाइये।
- प्रश्न- शैक्षिक अनुसंधान के क्षेत्र की विस्तृत चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षाशास्त्र में अनुसन्धान की क्या आवश्यकता है? उदाहरणों द्वारा यह बताइये कि शैक्षिक अनुसन्धान और प्रायोगिक अनुसन्धान ने शिक्षाशास्त्र विषय को कैसे प्रभावित किया है?
- प्रश्न- अनुसन्धान कार्य की प्रस्तावित रूपरेखा से आप क्या समझती है? इसके विभिन्न सोपानों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक शोध की परिभाषा दीजिए। शोध प्रक्रिया में निहित चरणों की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा अनुसंधान के कार्य बताते हुए इसके महत्व पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक अनुसंधान के महत्व पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक अनुसंधानों के निष्कर्षों की उपयोगिता क्या है? तथा अनुसंधान के कितने सोपान हैं?
- प्रश्न- अनुसंधान के कितने सोपान होते हैं?
- प्रश्न- शैक्षिक अनुसंधान के क्या लाभ होते हैं? बताइये। .
- प्रश्न- शोध सामान्यीकरण की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शैक्षिक शोध में परिणामों व निष्कर्षों की उपयोगिता संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- शैक्षिक अनुसंधान के उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- मौलिक अनुसंधान का क्या अर्थ है? तथा इसकी विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- व्यवहृत अनुसंधान का अर्थ एवं इसकी विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- व्यवहारिक अनुसंधान की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्रियात्मक अनुसंधान का अर्थ क्या है? तथा इसकी विशेषताएँ एवं महत्व का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्रियात्मक अनुसंधान की उत्पत्ति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- क्रियात्मक अनुसंधान की विशेषताएँ क्या है? बिन्दुवार वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में क्रियात्मक अनुसंधान का क्या महत्व है?
- प्रश्न- मौलिक शोध एवं क्रियात्मक शोध में क्या अन्तर है? क्रियात्मक शोध के विभिन्न चरणों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मौलिक तथा क्रियात्मक शोध में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में क्रियात्मक अनुसंधान की क्या आवश्यकता है तथा क्या उद्देश्य है? के बारे में समझाइये।
- प्रश्न- क्रियात्मक अनुसंधान की शिक्षा के क्षेत्र में क्या आवश्यकता है?
- प्रश्न- समस्या के कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- क्रियात्मक परिकल्पना का मूल्यांकन कीजिए!
- प्रश्न- मात्रात्मक अनुसंधान से आप क्या समझते हैं? तथा यह कितने प्रकार का होता है।
- प्रश्न- मात्रात्मक अनुसंधान कितने प्रकार का होता है।
- प्रश्न- मात्रात्मक अनुसंधान की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- मात्रात्मक अनुसंधान की सीमाएँ कौन-कौन सी हैं?
- प्रश्न- गुणात्मक अनुसंधान से आप क्या समझते हैं? इसके उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- गुणात्मक अनुसंधान के उद्देश्यों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- गुणात्मक अनुसंधान के लक्षण तथा सीमाएँ बताइये।
- प्रश्न- मात्रात्मक एवं गुणात्मक शोध में क्या-क्या अन्तर होते हैं? समझाइये।
- प्रश्न- सम्बन्धित साहित्य की समीक्षा की आवश्यकता एवं प्रक्रिया बताइये।
- प्रश्न- सम्बन्धित साहित्य की समीक्षा की प्रक्रिया बताइये।
- प्रश्न- समस्या का परिभाषीकरण कीजिए तथा समस्या के तत्वों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- समस्या का सीमांकन तथा मूल्यांकन कीजिए तथा समस्या के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- समस्या का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- समस्याओं के प्रकार बताइए?
- प्रश्न- समस्या के चुनाव का सिद्धान्त लिखिए। एक समस्या कथन लिखिए।
- प्रश्न- शोध समस्या की जाँच आप कैसे करेंगे?
- प्रश्न- अच्छी समस्या की विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- शोध समस्या और शोध प्रकरण में अंतर बताइए।
- प्रश्न- शैक्षिक शोध में प्रदत्तों के वर्गीकरण की उपयोगिता क्या है?
- प्रश्न- समस्या का अर्थ तथा समस्या के स्रोत बताइए?
- प्रश्न- शोधार्थियों को शोध करते समय किन कठिनाइयों का सामना पड़ता है? उनका निवारण कैसे किया जा सकता है?
- प्रश्न- समस्या की विशेषताएँ बताइए तथा समस्या के चुनाव के अधिनियम बताइए।
- प्रश्न- चरों के प्रकार तथा चरों के रूपों का आपस में सम्बन्ध बताते हुए चरों के नियंत्रण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- चरों के रूपों का आपसी सम्बन्ध बताइए।
- प्रश्न- बाह्य चरों पर किस प्रकार नियंत्रण किया जाता है?
- प्रश्न- चर किसे कहते हैं? चर को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- स्वतन्त्र चर और आश्रित चर का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
- प्रश्न- कारक अभिकल्प की प्रक्रिया का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- परिकल्पना या उपकल्पना से आप क्या समझते हैं? परिकल्पना कितने प्रकार की होती है।
- प्रश्न- परिकल्पना की परिभाषा को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- परिकल्पना के प्रकारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- दिशायुक्त एवं दिशाविहीन परिकल्पना को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामान्य परिकल्पना किसे कहते हैं?
- प्रश्न- उपकल्पना के स्रोत, उपयोगिता तथा कठिनाइयाँ बताइए।
- प्रश्न- वैज्ञानिक अनुसन्धान में उपकल्पना की उपयोगिता बताइए।
- प्रश्न- उपकल्पना निर्माण में आने वाली कठिनाइयाँ बताइए?
- प्रश्न- उत्तम परिकल्पना की विशेषताएँ लिखिए। परिकल्पना के कार्य लिखिए।
- प्रश्न- परिकल्पना से आप क्या समझते हैं? किसी शोध समस्या को चुनिये तथा उसके लिये पाँच परिकल्पनाएँ लिखिए।
- प्रश्न- उपकल्पनाएँ कितनी प्रकार की होती हैं?
- प्रश्न- शैक्षिक शोध में न्यादर्श चयन का महत्त्व बताइये।
- प्रश्न- शोधकर्त्ता को परिकल्पना का निर्माण क्यों करना चाहिए।
- प्रश्न- शोध के उद्देश्य व परिकल्पना में क्या सम्बन्ध है?
- प्रश्न- अच्छे न्यादर्श की क्या विशेषताएँ हैं? न्यादर्श चयन की कौन-सी विधियाँ हैं? शैक्षिक अनुसंधान में कौन-सी विधि सर्वाधिक प्रयोग में लाई जाती है और क्यों?
- प्रश्न- दैव निर्देशन के बारे में बताइए तथा उसकी समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- निदर्शन की प्रमुख समस्याएँ बताइए।
- प्रश्न- स्तरित निदर्शन व उद्देश्यपूर्ण निदर्शन और विस्तृत पद्धति से आप क्या समझते हैं? न्यादर्श के अन्य प्रकार बताइये।।
- प्रश्न- उद्देश्यपूर्ण निदर्शन से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- विस्तृत निदर्शन पद्धति से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- न्यादर्श के अन्य प्रकार समझाइए।
- प्रश्न- न्यादर्श की विधियाँ लिखिए।
- प्रश्न- शोध में न्यादर्श की क्या आवश्यकता है? अच्छे न्यादर्श की प्रमुख दो विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मापन की त्रुटि और न्यादर्श की त्रुटि को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- जनसंख्या व न्यादर्श में अन्तर कीजिए।
- प्रश्न- निदर्शन विधि किसे कहते हैं? परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- निदर्शन पद्धति के क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आदर्श निदर्शन की विशेषताएँ तथा गुण बताइए।
- प्रश्न- न्यादर्श प्रणाली के दोष।
- प्रश्न- न्यादर्श 'अ' में N = 150, M = 120 और = 20 तथा न्यादर्श 'ब' में N = 75, M = 126 और 5 = 22 जब इन दोनों को 225 प्राप्ताकों के समूह में संयुक्त कर दिया जाए तो 'अ' और 'ब' के मध्यमान तथा प्रमाणिक विचलन क्या होगें?
- प्रश्न- सामान्य सम्भावना वक्र क्या है? तथा इसमें कौन-सी विशेषताएँ पायी जाती हैं?
- प्रश्न- सामान्य प्रायिकता वक्र में कौन-कौन सी विशेषताएँ पायी जाती है?
- प्रश्न- सामान्य प्रायिकता वक्र के क्या उपयोग है?
- प्रश्न- असम्भाव्यता न्यादर्शन कब और क्यों उपयोगी होते हैं?
- प्रश्न- अवलोकन किसे कहते हैं? अवलोकन का अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा अवलोकन पद्धति की विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- अवलोकन के प्रकारों की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- सहभागी अवलोकन किसे कहते हैं?
- प्रश्न- असहभागी अवलोकन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- अवलोकन का महत्व, दोष तथा अवलोकनकर्त्ता के गुण बताइए।
- प्रश्न- अवलोकन पद्धति के दोष तथा अनुसन्धानकर्त्ता के गुण बताइए।
- प्रश्न- निरीक्षण विधि क्या हैं?
- प्रश्न- साक्षात्कार के प्रमुख चरण, गुण तथा दोष बताइए।
- प्रश्न- साक्षात्कारकर्त्ता के आवश्यक गुणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- साक्षात्कार के गुण तथा दोष बताइए।
- प्रश्न- साक्षात्कार के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- साक्षात्कार किसे कहते हैं? साक्षात्कार की परिभाषाएँ दीजिए।
- प्रश्न- साक्षात्कार के उद्देश्य तथा विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- समाजमिति की विशेषताएँ तथा समाजमिति विश्लेषण की विधियाँ बताइए।
- प्रश्न- समाजमिति विश्लेषण की विधियाँ लिखिए।
- प्रश्न- समाजमिति विधि किसे कहते हैं? परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- प्रश्नावली का अर्थ बताइये तथा उसे परिभाषित करते हुए उसके प्रकार तथा विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रश्नावली के प्रकार तथा विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- प्रश्नावली निर्माण प्रविधि का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रश्नावली के गुण या लाभ बताइये।
- प्रश्न- प्रश्नावली विधि की सीमाएँ या दोष बताइए।
- प्रश्न- प्रश्नावली तथा अनुसूची में अन्तर लिखिए।
- प्रश्न- पश्चोन्मुखी या कार्योत्तर अनुसंधान किसे कहते हैं? इनकी विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- कार्योत्तर अनुसंधान की विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- पश्चोन्मुखी अनुसंधान का महत्व बताइये तथा इसकी मुख्य कठिनाइयाँ क्या हैं? उदाहरण सहित विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- पश्चोन्मुखी अनुसन्धान में कौन-सी मुख्य कठिनाइयाँ हैं? उदाहरण सहित विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- अनुसंधान परिषद की संगठनात्मक संरचना क्या है? इसके लक्ष्य एवं उद्देश्यों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- दार्शनिक अनुसंधान परिषद् के लक्ष्य एवं उद्देश्यों का वर्णन करिए।
- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान की प्रयोगात्मक विधि क्या है? इसके प्रमुख पदों को लिखिए। तथा इसके गुण-दोष का वर्णन कीजिए और शिक्षा में इसकी उपयोगिता बताइए।
- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान की प्रयोगात्मक विधि के गुण-दोषों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रयोगात्मक विधि की शिक्षा में उपयोगिता बताइए।
- प्रश्न- दार्शनिक अनुसंधान कितने प्रकार के होते हैं?
- प्रश्न- व्यक्ति इतिहास पद्धति की संक्षित व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान के अध्ययन की विभिन्न विधियों के नाम बताइये।
- प्रश्न- सम्बन्धित साहित्य की आवश्यकता और कार्य स्पष्ट कीजिए। शोध प्रतिवेदन में सम्बन्धित साहित्य की क्या उपयोगिता है?
- प्रश्न- शोध प्रबन्ध के प्रारूप को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- उद्धरण में प्रतिवेदन के क्या नियम हैं? समझाइए।
- प्रश्न- फुटनोट के नियम बताइए।
- प्रश्न- सन्दर्भग्रन्थ-सूची क्या है?
- प्रश्न- शोध-प्रबन्ध का मूल्यांकन कीजिए?
- प्रश्न- शोध रिपोर्ट तैयार करने के क्या उद्देश्य हैं? रिपोर्ट लेखन की प्रक्रिया बताइये।
- प्रश्न- शोध रिपोर्ट लेखन क्या है? रिपोर्ट लेखन की प्रक्रिया बताइये।
- प्रश्न- शैक्षिक शोध से सम्बन्धित साहित्य की विवेचना कीजिए।